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Hamara Prayavaran

अध्याय 5 में आप पढ़ चुके हैं कि पेड़-पौधे, पशुओं एवं मनुष्यों के लिए जल ही जीवन है। जहाँ पीने के लिए जल न हो, मवेशियों को चरने के लिए घास न हो एवं फसलों के उगने के लिए जल न हो, एेसे स्थान पर किसी भी जीव के लिए जीवन कठिन ही होगा।


शब्दावली

रेगिस्तान: यह एक शुष्क प्रदेश है जिस की विशेषताएँ अत्यधिक उच्च अथवा निम्न तापमान एवं विरल वनस्पति हैं।

अब हम विश्व के उन स्थानाें के बारे में पढ़ेंगे जहाँ लोग अत्यधिक कष्टकारी तापमान में भी जीना सीख चुके हैं। इनमें से कुछ स्थान आग की तरह गर्म हैं, तो कुछ बर्फ़ की तरह ठंडे हैं। ये विश्व के रेगिस्तानी क्षेत्र हैं। इन क्षेत्रों में कम वर्षा, विरल वनस्पति एवं चरम तापमान होते हैं। तापमान के आधार पर रेगिस्तान गर्म या ठंडे हो सकते हैं। इन स्थानों में जहाँ कहीं भी थोड़ा-बहुत जल उपलब्ध होता है, लोग वहाँ कृषि करने के लिए बस जाते हैं।

गर्म रेगिस्तान-सहारा

विश्व एवं अफ़्रीका महाद्वीप के मानचित्र को देखिए। उत्तरी अफ़्रीका के बड़े भू-भाग पर फैले सहारा के रेगिस्तान का पता लगाएँ। यह विश्व का सबसे बड़ा रेगिस्तान है। यह लगभग 8.54 लाख वर्ग किलोमीटर के क्षेत्र में फैला हुआ है। क्या आपको याद है कि भारत का क्षेत्रफल 3.2 लाख वर्ग किलोमीटर है? सहारा रेगिस्तान ग्यारह देशों से घिरा हुआ है। ये देश हैं-अल्जीरिया, चाड, मिस्र, लीबिया, माली, मौरितानिया, मोरक्को, नाइजर, सूडान, ट्यूनिशिया एवं पश्चिमी सहारा।


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चित्र 9.1:सहारा रेगिस्तान

रेगिस्तान के बारे में सोचते समय आपके मस्तिष्क में तुरंत ही रेत का दृश्य उभरता है। परंतु सहारा मरुस्थल बालू की विशाल परतों से ढँका हुआ ही नहीं वरन् वहाँ बजरी के मैदान और नग्न चट्टानी सतह वाले उत्थित पठार भी पाए जाते हैं। ये चट्टानी सतहें कुछ स्थानों पर 2500 मीटर से भी अधिक ऊँची हैं।


क्या आप जानते हैं ?

आपको यह जानकर आश्चर्य होगा कि आज का सहारा रेगिस्तान एक समय में पूर्णतया हरा-भरा मैदान था। सहारा की गुफ़ाओं से प्राप्त चित्रों से ज्ञात होता है कि यहाँ नदियाँ तथा मगर पाए जाते थे। हाथी, शेर, जिराफ़, शतुरमुर्ग, भेड़, पशु तथा बकरियाँ सामान्य जानवर थे। परंतु यहाँ के जलवायु परिवर्तन ने इसे बहुत गर्म व शुष्क प्रदेश में बदल दिया है।

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चित्र 9.2: अफ़्रीका महाद्वीप में सहारा


जलवायु

सहारा रेगिस्तान की जलवायु अत्यधिक गर्म एवं शुष्क है। यहाँ की वर्षा ऋतु अल्पकाल के लिए होती है। यहाँ आकाश बादल रहित एवं निर्मल होता है। यहाँ नमी संचय होने की अपेक्षा तेजी से वाष्पित हो जाती है। दिन अविश्वसनीय रूप से गर्म होते हैं। दिन के समय तापमान 50° सेल्सियस से ऊपर पहुँच जाता है, जिससे रेत एवं नग्न चट्टानें अत्यधिक गर्म हो जाती हैं। इनके ताप का विकिरण होने से चारों तरफ़ सब कुछ गर्म हो जाता है। रातें अत्यधिक ठंडी होती हैं तथा तापमान गिरकर हिमांक बिंदु, लगभग 0° सेल्सियस तक पहुँच जाता है।

क्या आप जानते हैं ?

सहारा के अल अज़ीज़िया क्षेत्र में, जो त्रिपोली, लीबिया के दक्षिणी भाग में स्थित है, यहाँ का सबसे अधिक तापमान 1922 में 57.7° सेल्सियस दर्ज किया गया था।


वनस्पतिजात एवं प्राणिजात

सहारा रेगिस्तान की वनस्पतियों में कैक्टस, खजूर के पेड़ एवं एेकेशिया पाए जाते हैं। यहाँ कुछ स्थानों पर मरूद्यान-खजूर के पेड़ों से घिरे हरित द्वीप पाए जाते हैं। ऊँट, लकड़बग्घा, सियार, लोमड़ी, बिच्छू, साँपों की विभिन्न जातियाँ एवं छिपकलियाँ यहाँ के प्रमुख जीव-जंतु हैं।

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चित्र 9.3: सहारा रेगिस्तान में मरूद्यान

क्या आप जानते हैं ?

वैज्ञानिकों को तो यहाँ से मछलियों के कंकाल भी मिले हैं। आपके अनुसार, ये क्या हो सकते हैं?


लोग

सहारा रेगिस्तान की कष्टकारी जलवायु में भी विभिन्न समुदायों के लोग निवास करते हैं, जो भिन्न-भिन्न क्रियाकलापों में भाग लेते हैं। इनमें बेदुईन एवं तुआरेग भी शामिल हैं। चलवासी जनजाति वाले ये लोग बकरी, भेड़, ऊँट एवं घोड़े जैसे पशुधन को पालते हैं। इन पशुओं से इन लोगों को दूध मिलता है, इनकी खाल से ये पेटी, जूते, पानी की बोतल बनाने के लिए चमड़ा प्राप्त करते हैं तथा पशुओं के बालों का उपयोग चटाई, कालीन, कपड़े एवं कंबल बनाने के लिए होता है। धूल भरी आँधियों एवं गर्म वायु से बचने के लिए ये लोग भारी वस्त्र पहनते हैं।

क्या आप जानते हैं ?
जब रेत को पवन उड़ा ले जाती है, तो वहाँ गर्त बन जाती है। जहाँ गर्त में भूमिगत जल सतह पर आ जाता है, वहाँ मरूद्यान बनते हैं। ये क्षेत्र उपजाऊ होते हैं। लोग इनके आसपास निवास करते हैं एवं खजूर के पेड़ तथा अन्य फसलें उगाते हैं। कभी-कभी यह मरूद्यान असामान्य रूप से बड़ा भी हो सकता है। मोरक्को में टैफ़िलालेट मरूद्यान एेसा ही एक विशाल मरूद्यान है, जो 13,000 वर्ग किलोमीटर के क्षेत्र में फैला हुआ है।


सहारा में मरूद्यान एवं मिस्र में नील घाटी लोगों को निवास में मदद करती है। यहाँ जल की उपलब्धता होने से लोग खजूर के पेड़ उगाते हैं। यहाँ चावल, गेहूँ, जौ एवं सेम जैसी फसलें भी उगाई जाती हैं। मिस्र में उगाए जाने वाली कपास पूरे विश्व में प्रसिद्ध है।

तेल की खोज संपूर्ण विश्व में अत्यधिक माँग वाले, इस उत्पाद का अल्जीरिया, लीबिया एवं मिस्र में होने के कारण सहारा रेगिस्तान में तेज़ी से परिवर्तन हो रहा है। इस क्षेत्र में प्राप्त अन्य महत्वपूर्ण खनिजों में लोहा, फॉस्फोरस, मैंगनीज़ एवं यूरेनियम सम्मिलित हैं।

सहारा की सांस्कृतिक जीवनशैली में भी परिवर्तन आ रहा है। आज यहाँ मस्जिदों से ऊँचे काँच की खिड़कियाें वाले भवन तथा ऊँटों के प्राचीन मार्ग के स्थान पर सुपर महामार्ग बन गए हैं। नमक के व्यापार में ऊँटों का स्थान ट्रक ले रहे हैं। तुआरेग लोग विदेशी पर्यटकों के लिए मार्गदर्शक का काम कर रहे हैं। आज अनेक चलवासी जनजाति के लोग शहरी जीवन की ओर जा रहे हैं, जहाँ वे तेल एवं गैस के कार्यों में नौकरी ढूँढ़ते हैं।

ठंडा रेगिस्तान-लद्दाख

जम्मू एवं कश्मीर के पूर्व में बृहत् हिमालय में स्थित लद्दाख एक ठंडा रेगिस्तान है (चित्र 9.4)। इसके उत्तर में काराकोरम पर्वत श्रेणियाँ एवं दक्षिण में जास्कर पर्वत स्थित है। लद्दाख से होकर अनेक नदियाँ बहती हैं, जिनमें सिंधु नदी प्रमुख है। ये नदियाँ गहरी घाटियों एवं महाखड्ड (गॉर्ज) का निर्माण करती हैं। लद्दाख में अनेक हिमानियाँ हैं जैसे– गैंग्री हिमानी।


शब्द  की  उत्पत्ति 


लद्दाख शब्द दो शब्दों से बना है- ‘‘ला’’ का अर्थ है-‘पवर्तीय दर्रा’ तथा ‘‘दाख’’ का अर्थ है-‘देश’।


क्या आप जानते हैं ?
पृथ्वी के सबसे ठंडे स्थानों में से एक ‘द्रास’, लद्दाख में स्थित है।


लद्दाख की ऊँचाई कारगिल में लगभग 3000 मीटर से लेकर काराकोरम में 8000 मीटर से भी अधिक पाई जाती है। अधिक ऊँचाई के कारण यहाँ की जलवायु अत्यधिक शीतल एवं शुष्क होती है। इस ऊँचाई पर वायु परत पतली होती है जिससे सूर्य की गर्मी की अत्यधिक तीव्रता महसूस होती है। ग्रीष्म ऋतु में दिन का तापमान 0° सेल्सियस से कुछ ही अधिक होता है एवं रात में तापमान शून्य से–30° सेल्सियस से नीचे चला जाता है। शीत ऋतु में यह बर्फ़ीला ठंडा हो जाता है, तापमान लगभग हर समय–40° सेल्सियस से नीचे ही रहता है। चूँकि यह हिमालय के वृष्टि-छाया क्षेत्र में स्थित है, अतः यहाँ वर्षा बहुत ही कम होती है, मुश्किल से 10 सेंटीमीटर प्रति वर्ष। यह क्षेत्र बर्फ़ीली हवाओं एवं तेज जलाने वाले सूर्य ताप का अनुभव करता है। यह जानकर आपको आश्चर्य होगा कि यदि आप सूर्य की धूप में इस तरह बैठें कि आपके पैर छाया में हों, तो आप एक साथ एक समय पर ही ऊष्माघात एवं तुषार-उपघात से ग्रसित हो सकते हैं।

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चित्र 9.4:लद्दाख


वनस्पतिजात एवं प्राणिजात

यहाँ उच्च शुष्कता के कारण वनस्पति विरल है। यहाँ जानवरों के चरने के लिए कहीं-कहीं पर ही घास एवं छोटी झाड़ियाँ मिलती हैं। घाटी में शरपत (विलो)एवं पॉप्लर के उपवन देखे जा सकते हैं। ग्रीष्म ऋतु में सेब, खुबानी एवं अखरोट जैसे पेड़ पल्लवित होते हैं। लद्दाख में पक्षियों की विभिन्न प्रजातियाँ नजर आती हैं। इनमें रॉबिन, रेडस्टार्ट, तिब्बती स्नोकॉक, रैवेन एवं हूप यहाँ पाए जाने वाले सामान्य पक्षी हैं। इनमें से कुछ प्रवासी पक्षी हैं। लद्दाख के पशुओं में जंगली बकरी, जंगली भेड़, याक एवं विशेष प्रकार के कुत्ते आदि पाए जाते हैं। इन पशुओं को दूध, मांस एवं खाल प्राप्त करने के लिए पाला जाता है। याक के दूध का उपयोग पनीर एवं मक्खन बनाने के लिए होता है। भेड़ एवं बकरी के बालों का उपयोग ऊनी वस्त्र बनाने के लिए किया जाता है।


क्या आप जानते हैं ?

लद्दाख को खा-पा-चान भी कहते हैं जिसका अर्थ होता है हिमभूमि।


क्या आप जानते हैं ?

चीरू या तिब्बती एंटीलोप एक विलुप्त प्रायः जीव है। इसका शिकार ‘शाहतूश’ नामक इसके ऊन के लिए होता है। जो वजन में हल्का एवं अत्यधिक गर्म होता है।


लोग


क्या आप जानते हैं ?

क्रिकेट का सबसे अच्छा बल्ला शरपत (विलो) पेड़ की लकड़ी से बनाया जाता है।


क्या आप लद्दाख एवं तिब्बत तथा मध्य एशिया के निवासियों के बीच कोई समानता पाते हैं? यहाँ के अधिकांश लोग या तो मुसलमान हैं या बौद्ध। वास्तव में लद्दाख क्षेत्र में अनेक बौद्ध मठ अपने परंपरागत ‘गोंपा’ के साथ स्थित हैं। कुछ प्रसिद्ध मठ हैं - हेमिस, थिकसे, शे एवं लामायुरू (चित्र 9.5)।

ग्रीष्म ऋतु में यहाँ के निवासी जौ, आलू, मटर, सेम एवं शलजम की खेती करते हैं। शीत ऋतु में जलवायु इतनी कष्टकारी होती है कि लोग धार्मिक अनुष्ठानों एवं उत्सवों में अपने आपको व्यस्त रखते हैं। यहाँ की महिलाएँ अत्यधिक परिश्रमी होती हैं। वे केवल घर एवं खेतों में ही काम नहीं करती बल्कि छोटे व्यवसाय एवं दुकानें भी संभालती हैं। लद्दाख की राजधानी लेह, सड़क एवं वायुमार्ग द्वारा भलीभाँति जुड़ी हुई है। राष्ट्रीय राजमार्ग-1ए लेह को जोजीला दर्रा होते हुए कश्मीर घाटी से जोड़ता है। क्या आप हिमालय के कुछ अन्य दर्रों के बारे में बता सकते हैं?

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चित्र 9.5: थिकसे मठ


यहाँ का मुख्य क्रियाकलाप पर्यटन है, देश-विदेश से अनेक पर्यटक यहाँ पर्यटन के लिए आते हैं। गोंपा-दर्शन, घास के मैदानों व हिमनदों की सैर एवं उत्सवों तथा अनुष्ठानों को देखना यहाँ के प्रमुख पर्यटक आकर्षण हैं।

आधुनिकीकरण के फलस्वरूप यहाँ के जनजीवन में परिवर्तन आ रहा है। लेकिन लद्दाख के लोगों ने शताब्दियों से प्रकृति के साथ समन्वय एवं संतुलन करना सीखा है। जल एवं ईंधन जैसे संसाधनों की कमी के कारण ये आवश्यकतानुसार एवं मितव्ययिता से ही इनका उपयोग करते हैं और कुछ भी व्यर्थ नहीं करते।

क्या आप जानते हैं ?

मनाली-लेह राजमार्ग चार दर्रों से गुजरता है - रोहतांग ला, बारालाचा ला, लुनगालाचा ला एवं टंगलंग ला। यह राजमार्ग केवल जुलाई से सितंबर के बीच खुलता है जब बर्फ़ को मार्ग से हटा दिया जाता है।

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बारालाचा ला

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चित्र 9.6: पारंपरिक वेशभूषा मे लद्दाखी महिलाएँ

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1. निम्न प्रश्नों के उत्तर दीजिए–

(क) विश्व में कौन-से दो प्रकार के रेगिस्तान पाए जाते हैं?

(ख) सहारा रेगिस्तान किस महाद्वीप में स्थित है?

(ग) लद्दाख रेगिस्तान की जलवायुगत परिस्थितियाँ क्या हैं?

(घ) लद्दाख में पर्यटकों के लिए प्रमुख आकर्षण क्या हैं?

(च) सहारा रेगिस्तान के लोग किस प्रकार के वस्त्र पहनते हैं?

(छ) लद्दाख में उगने वाले पेड़ों के नाम बताएँ।

2. सही () उत्तर चिह्नित कीजिए–

(क) सहारा अफ्रीका के किस भाग में स्थित है?

(i) दक्षिणी (ii) उत्तरी (iii) पश्चिमी

(ख) सहारा किस प्रकार का रेगिस्तान है?

(i) ठंडा (ii) गर्म (iii) मृदु

(ग) लद्दाख रेगिस्तान के अधिकांश निवासी हैं -

(i) ईसाई एवं मुसलमान (ii) बौद्ध एवं मुसलमान (iii) ईसाई एवं बौद्ध

(घ) रेगिस्तान की विशेषता है -

(i) विरल वनस्पति (ii) अधिक वर्षण (iii) अल्प जलवाष्पण

(च) लद्दाख में ‘हेमिस’ प्रसिद्ध है -

(i) मंदिर (ii)र्च (iii) बौद्ध मठ

(छ) मिस्र निम्नलिखित फसल के लिए प्रसिद्ध है -

(i) गेहूँ (ii) मकई (iii) कपास

3. निम्नलिखित स्तंभों को मिलाकर सही जोड़े बनाइए–

(क) मरूद्यान (i) लीबिया

(ख) बेदूईन (ii) बौद्ध मठ

(ग) तेल (iii) हिमनद

(घ) गैंग्री (iv) जल के साथ गर्त

(च) लामायुरू (v) ठंडा रेगिस्तान

(vi) सहारा

4. कारण बताइए–

(क) रेगिस्तान में अत्यल्प वनस्पति होती है।

(ख) सहारा रेगिस्तान के लोग भारी वस्त्र पहनते हैं।

5. मानचित्र कौशल–

(क) अफ़्रीका के मानचित्र पर सहारा रेगिस्तान एवं इसके आस-पास किन्हीं चार देशों को
चिह्नित करें।

(ख) भारत के रूपरेखा मानचित्र पर काराकोरम श्रेणी, जास्कर श्रेणी, लद्दाख एवं ज़ोज़ीला दर्रा को चिह्नित करें।

6. आओ खेलें–

रेगिस्तानी खेल

कक्षा में किए जा सकने वाले इस क्रियाकलाप में सभी विद्यार्थी सम्मिलित हो सकते हैं। शिक्षक/शिक्षिका रेगिस्तानी जंतुओं की सूची बनाएँगे। सूची में जंतुओं की संख्या उतनी ही होगी जितनी कि कक्षा में विद्यार्थियों की संख्या। स्तनपायी, चिड़ियों एवं सरीसर्प जंतुओं की श्रेणियों से जंतुओं को चुना जा सकता है। स्तनपायी जंतुओं में ऊँट, याक, लोमड़ी, भेड़, बकरी, एंटीलोप आदि, चिड़ियों में रैवेन, चील, गिद्ध, टर्की आदि तथा सरीसर्प में साँप आदि प्रजातियाँ सम्मिलित की जा सकती हैं।

प्रत्येक विद्यार्थीं के लिए एक रेगिस्तानी जंतु निर्धारित करें। छात्र से उस जंतु के तीन लक्षणों को सादे कागज़ पर लिखने के लिए कहें। (विद्यार्थी 10 सेंटीमीटर × 15 सेंटीमीटर आकार के सूची पत्र का उपयोग कर सकते हैं।) किस प्रकार के रेगिस्तान में ये पाए जाते हैं? अनुकूलता के प्रकार? मानव के लिए उपयोगिता जैसे प्रश्नों के उत्तर दिए जा सकते हैं।

अनुमान के खेल में ये लक्षण संकेतों के रूप में उपयोग किए जाएँगे। एक बोर्ड पर तीन कॉलम बनाएँ - स्तनपायी जीव, चिड़िया एवं सरीसर्प। प्रत्येक श्रेणी के नीचे कॉलम में एक कागज़ चिपकाएँ। कक्षा को तीन-चार भागों में विभाजित कर सकते हैं। इस ‘रेगिस्तानी खेल’ में वे एक-दूसरे के साथ स्पर्धा करेंगे। अब प्रत्येक समूह सही उत्तर जानने का प्रयास करेगा। कक्षा को समझाएँ कि वे अनुमान करें कि कागज़ पर दी गईं विशेषताएँ किस जंतु से मिलती हैं। जैसे–

• गर्म रेगिस्तान के पशु।

• रेत से बचने के लिए दोहरी बरौनियाँ होती हैं।

• खाल से पानी की बोतलें बनाई जाती हैं।

सही उत्तर ‘ऊँट’ है। विद्यार्थियों में से किसी एक ने इस जंतु पर कार्ड बनाया होगा। उस विद्यार्थी को उत्तर नहीं देना होगा। सही उत्तर के लिए दस अंक दिए जाएँ।

इस खेल से विद्यार्थी रेगिस्तान को समझ सकेंगे। इसी खेल को आप विभिन्न प्रकार के फल-फूल तथा लोगों के वस्त्र आदि को उदाहरण के रूप में लेकर भी खेल सकते हैं।

 

परिशिष्ट

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http://school.discovery.com/

http://nationalgeographic.com/

http://www.incredibleindia.org/

http://www.wikipedia.org/

http://www.greenpeace.org/

http://www.britannica.com/

http;//www.animalplanet.co.uk/

 

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