शाम-एक किसान 8


आकाश का साफ़ा बाँधकर

सूरज की चिलम खींचता

बैठा है पहाड़,

घुटनों पर पड़ी है नदी चादर-सी,

पास ही दहक रही है

पलाश के जंगल की अँगीठी

अँधकार दूर पूर्व में

सिमटा बैठा है भेड़ों के गल्ले-सा।



अचानक-बोला मोर।

जैसे किसी ने आवाज़ दी-

‘सुनते हो’।

चिलम औंधी

धुआँ उठा-

सूरज डूबा

अँधेरा छा गया।
सर्वेश्वरदयाल सक्सेना

कविता के बारे में

कवि ने किसान के रूप में जाड़े की शाम के प्राकृतिक दृश्य का चित्रण किया है। इस प्राकृतिक दृश्य में पहाड़-बैठे हुए एक किसान की तरह दिखाई दे रहा है, आकाश-उसके सिर पर बँधे साफ़े के समान, पहाड़ के नीचे बहती हुई नदी-घुटनों पर रखी चादर-सी, पलाश के पेड़ों पर खिले लाल-लाल फूल-जलती अँगीठी के समान, पूर्व क्षितिज पर घना होता अँधकार-झुँड में बैठी भेड़ों जैसा और पश्चिम दिशा में डूबता सूरज-चिलम पर सुलगती आग की भाँति दिख रहा है। यह पूरा दृश्य शांत है। अचानक मोर बोल उठता है। मानो किसी ने आवाज़ लगाई-‘सुनते हो’। इसके बाद यह दृश्य घटना में बदल जाता है-चिलम उलट जाती है, आग बुझ जाती है, धुआँ उठने लगता है, सूरज डूब जाता है, शाम ढल जाती है और रात का अँधेरा छा जाता है।

प्रश्न-अभ्यास

कविता से


  1. इस कविता में शाम के दृश्य को किसान के रूप में दिखाया गया है-यह एक रूपक है। इसे बनाने के लिए पाँच एकरूपताओं की जोड़ी बनाई गई है। उन्हें उपमा कहते हैं। पहली एकरूपता आकाश और साफ़े में दिखाते हुए कविता में ‘आकाश का साफ़ा’ वाक्यांश आया है। इसी तरह तीसरी एकरूपता नदी और चादर में दिखाई गई है, मानो नदी चादर-सी हो। अब आप दूसरी, चौथी और पाँचवी एकरूपताओं को खोजकर लिखिए।
  2. शाम का दृश्य अपने घर की छत या खिड़की से देखकर बताइए-

    (क) शाम कब से शुरू हुई?

    (ख) तब से लेकर सूरज डूबने में कितना समय लगा?

    (ग) इस बीच आसमान में क्या-क्या परिवर्तन आए?

  3. मोर के बोलने पर कवि को लगा जैसे किसी ने कहा हो-‘सुनते हो’। नीचे दिए गए पक्षियों की बोली सुनकर उन्हें भी एक या दो शब्दों में बाँधिए-

    कबूतर कौआ मैना

    तोता चील हंस

    कविता से आगे

  1. इस कविता को चित्रित करने के लिए किन-किन रंगों का प्रयोग करना होगा?
  2. शाम के समय ये क्या करते हैं? पता लगाइए और लिखिए-

    पक्षी खिलाड़ी फलवाले माँ

    पेड़-पौधे पिता जी किसान बच्चे

  3. हिंदी के एक प्रसिद्ध कवि सुमित्रानंदन पंत ने संध्या का वर्णन इस प्रकार 
    किया है-

    संध्या का झुटपुट-

    बाँसों का झुरमुट-

    है चहक रहीं चिड़ियाँ

    टी-वी-टी--टुट्-टुट्

    ऊपर दी गई कविता और सर्वेश्वरदयाल जी की कविता में आपको क्या मुख्य अंतर लगा? लिखिए।

    अनुमान और कल्पना

    शाम के बदले यदि आपको एक कविता सुबह के बारे में लिखनी हो तो किन-किन चीज़ों की मदद लेकर अपनी कल्पना को व्यक्त करेंगे? नीचे दी गई कविता की पंक्तियों के आधार पर सोचिए-

    पेड़ों के झुनझुने

    बजने लगे;

    लुढ़कती आ रही है

    सूरज की लाल गेंद।

    उठ मेरी बेटी, सुबह हो गई।

    –सर्वेश्वरदयाल सक्सेना

    भाषा की बात

  1. नीचे लिखी पंक्तियों में रेखांकित शब्दों को ध्यान से देखिए-

    (क) घुटनों पर पड़ी है नदी चादर-सी

    (ख) सिमटा बैठा है भेड़ों केल्ले-सा

    (ग) पानी का परदा-सा मेरे आसपास था हिल रहा

    (घ) मँडराता रहता था एक मरियल-सा कुत्ता आसपास

    (ङ) दिल है छोटा-सा छोटी-सी आशा

    (च) घास पर फुदकती न्ही-सी चिड़िया

    इन पंक्तियों में सा/सी का प्रयोग व्याकरण की दृष्टि से कैसे शब्दों के साथ हो रहा है?

    2. निम्नलिखित शब्दों का प्रयोग आप किन संदर्भों में करेंगे? प्रत्येक शब्द से दो-दो वाक्य बनाइए -

    औंधी दहक सिमटा