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विप्लव-गायन 20
कवि, कुछ ऐसी तान सुनाओ- जिससे उथल पुथल मच जाए, एक हिलोर इधर से आए, एक हिलोर उधर से आए। सावधान! मेरी वीणा में चिनगारियाँ आन बैठी हैं, टूटी हैं मिज़राबें, अंगुलियाँ दोनों मेरी ऐंठी हैं। कंठ रुका है महानाश का मारक गीत रुद्ध होता है, आग लगेगी क्षण में, हृत्तल में अब क्षुब्ध-युद्ध होता है। झाड़ और झंखाड़ दग्ध है इस ज्वलंत गायन के स्वर से, रुद्ध-गीत की क्रुद्ध तान है निकली मेरे अंतरतर से। कण-कण में है व्याप्त वही स्वर रोम-रोम गाता है वह ध्वनि, वही तान गाती रहती है, कालकूट फणि की चिंतामणि। आज देख आया हूँ-जीवन के सब राज़ समझ आया हूँ, भ्रू-विलास में महानाश के पोषक सूत्र परख आया हूँ। |
बालकृष्ण शर्मा ‘नवीन’
कविता के बारे में
"विप्लव गायन’ जड़ता के विरुद्ध विकास एवं गतिशीलता की कविता है। विकास और गतिशीलता को अवरुद्ध करनेवाली प्रवृत्ति से संघर्ष करके कवि नया सृजन करना चाहता है। इसलिए कवि विप्लव के माध्यम से परिवर्तन की हिलोर लाना चाहता है।
प्रश्न-अभ्यास
कविता से
- ‘कण-कण में है व्याप्त वही स्वर......कालकूट फणि की चिंतामणि’
(क) ‘वही स्वर’, ‘वह ध्वनि’ एवं ‘वही तान’ आदि वाक्यांश किसके लिए / किस भाव के लिए प्रयुक्त हुए हैं?
(ख) वही स्वर, वह ध्वनि एवं वही तान से संबंधित भाव का ‘रुद्ध-गीत की
क्रुद्ध तान है / निकली मेरी अंतरतर से’-पंक्तियों से क्या कोई संबंध
बनता है? - नीचे दी गई पंक्तियों का भाव स्पष्ट कीजिए-
‘सावधान! मेरी वीणा में......दोनों मेरी ऐंठी हैं।’
कविता से आगे
स्वाधीनता संग्राम के दिनों में अनेक कवियों ने स्वाधीनता को मुखर करनेवाली ओजपूर्ण कविताएँ लिखीं। माखनलाल चतुर्वेदी, मैथिलीशरण गुप्त और
सूर्यकांत त्रिपाठी ‘निराला’ की ऐसी कविताओं की चार-चार पंक्तियाँ इकट्ठा कीजिए जिनमें स्वाधीनता के भाव ओज से मुखर हुए हैं।अनुमान और कल्पना
कविता के मूलभाव को ध्यान में रखते हुए बताइए कि इसका शीर्षक ‘विप्लव-गायन’ क्यों रखा गया होगा?
भाषा की बात
- कविता में दो शब्दों के मध्य (-) का प्रयोग किया गया है, जैसे-‘जिससे उथल-पुथल मच जाए’ एवं ‘कण-कण में है व्याप्त वही स्वर’। इन पंक्तियों को पढ़िए और अनुमान लगाइए कि कवि ऐसा प्रयोग क्यों करते हैं?
- कविता में (,–। आदि) विराम चिह्नों का उपयोग रुकने, आगे-बढ़ने अथवा किसी खास भाव को अभिव्यक्त करने के लिए किया जाता है। कविता पढ़ने में इन विराम चिह्नों का प्रभावी प्रयोग करते हुए काव्य पाठ कीजिए। गद्य में आमतौर पर है शब्द का प्रयोग वाक्य के अंत में किया जाता है, जैसे-देशराज जाता है। अब कविता की निम्न पंक्तियों को देखिए-
‘कण-कण में है व्याप्त......वही तान गाती रहती है,’
इन पंक्तियों में है शब्द का प्रयोग अलग-अलग जगहों पर किया गया है। कविता में अगर आपको ऐसे अन्य प्रयोग मिलें तो उन्हें छाँटकर लिखिए।
- निम्न पंक्तियों को ध्यान से देखिए-
‘कवि कुछ ऐसी तान सुनाओ......एक हिलोर उधर से आए,’
इन पंक्तियों के अंत में आए, जाए जैसे तुक मिलानेवाले शब्दों का प्रयोग किया गया है। इसे तुकबंदी या अंत्यानुप्रास कहते हैं। कविता से तुकबंदी के अन्य शब्दों को छाँटकर लिखिए। छाँटे गए शब्दों से अपनी कविता बनाने की कोशिश कीजिए।