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संश्लेषित रेशे और प्लास्टिक
पोशाक जिन्हें हम पहनते हैं, कपड़े (fabric) से निर्मित होते हैं। कपड़े प्राकृतिक अथवा कृत्रिम स्रोतों से प्राप्त रेशों (fibres) से बनाये जाते हैं। क्या आप कुछ प्राकृतिक रेशों के नाम बता सकते हैं? रेशों का उपयोग विविध प्रकार की अनेक घरेलू वस्तुओं के निर्माण हेतु भी किया जाता है। रेशों से निर्मित कुछ सामान्य वस्तुओं की सूची बनाइए। उन्हें प्राकृतिक और कृत्रिम रेशों से निर्मित वस्तुओं में विभाजित करने का प्रयास कीजिए। सारणी 3.1 को भरिए।
सारणी 3.1 : प्राकृतिक और कृत्रिम रेशे
आपने कुछ वस्तुओं को कृत्रिम चिह्नित क्यों किया?
आपने अपनी पिछली कक्षाओं में पढ़ा है कि प्राकृतिक रेशे, जैसे - कपास, ऊन, रेशम, आदि पौधों अथवा जंतुओं से प्राप्त होते हैं। दूसरी ओर संश्लेषित रेशे मनुष्यों द्वारा बनाए जाते हैं। इसलिए ये संश्लेषित अथवा मानव निर्मित रेशे कहलाते हैं।
3.1 संश्लेषित रेशे क्या हैं?
धागे से जुड़े मनकों के हार में पायी जाने वाली एक रूप बनावट को स्मरण करने का प्रयास कीजिए [चित्र 3.1(a)] अथवा [चित्र 3.1(b)] के समान कुछ कागज़ क्लिपों को जोड़कर एक लम्बी शृंखला बनाने का प्रयास कीजिए। क्या दोनों में कोई समानता है?
(a) (b)
चित्र 3.1 : (a) मनके
(b) कागज़ क्लिप जोड़कर बनायी गयी लम्बी शृंखलाएँ।
एक संश्लेषित रेशा भी छोटी इकाइयों को जोड़कर बनायी गयी एक शृंखला है। प्रत्येक छोटी इकाई वास्तव में एक रासायनिक पदार्थ है। इस प्रकार की अनेक छोटी इकाइयाँ मिलकर एक बड़ी एकल इकाई बनाते हैं जो बहुलक (अंग्रेजी में पॉलीमर) कहलाती है। ‘पालीमर’ शब्द ग्रीक भाषा के दो शब्दों (poly तथा mer) से मिलकर बना है। ‘पॉली’ का अर्थ अनेक तथा ‘मर’ का अर्थ भाग अथवा इकाई है। अतः, एक पॉलीमर या बहुलक बहुत सी इकाइयों के दोहराने से बनता है।
बहुलक प्रकृति में भी पाये जाते हैं। उदाहरण के लिए, कपास एक बहुलक है जो सेलुलोज़ कहलाता है। सेलुलोज़ बड़ी संख्या में ग्लूकोज़ इकाइयों द्वारा निर्मित होता है।
3.2 संश्लेषित रेशों के प्रकार
A. रेयॉन
आपने कक्षा VII में पढ़ा है कि रेशम कीट से प्राप्त किया जाता है। इसकी खोज चीन में हुई थी और इसे लम्बे समय तक कड़ी सुरक्षा में गोपनीय रखा गया। रेशम रेशे से प्राप्त कपड़ा बहुत मँहगा होता है परन्तु इसकी सुन्दर बुनावट (texture) ने प्रत्येक व्यक्ति को मोह लिया। रेशम को कृत्रिम रूप से बनाने के प्रयास किये गए। उन्नीसवीं शताब्दी के अन्तिम छोर पर वैज्ञानिकों को रेशम समान गुणों वाले रेशे प्राप्त करने में सफलता प्राप्त हुई। इस प्रकार का रेशा काष्ठ लुगदी के रासायनिक उपचार से प्राप्त किया गया। यह रेशा रेयॉन अथवा कृत्रिम रेशम कहलाया। यद्यपि रेयॉन प्राकृतिक स्रोत काष्ठ लुगदी से प्राप्त किया जाता है, यह एक मानव निर्मित रेशा है। यह रेशम से सस्ता होता है परन्तु इसे रेशम रेशों के समान बुना जा सकता है। इसे रंगों की कई किस्मों में रँगा जा सकता है। रेयॉन को कपास के साथ मिलाकर बिस्तर की चादरें बनाते हैं अथवा ऊन के साथ मिलाकर कालीन या गलीचा बनाते हैं। (चित्र 3.2)।
चित्र 3.2 : रेयॉन निर्मित वस्तुओं का चित्र!
B. नाइलॉन
नाइलॉन एक अन्य मानव-निर्मित रेशा है। इसे 1931 में बिना किसी प्राकृतिक कच्चे माल (पौधे या जंतु से प्राप्त) का उपयोग किये बनाया गया। इसका निर्माण कोयले, जल और वायु से किया गया। यह प्रथम पूर्ण रूप से संश्लेषित रेशा था।
चित्र 3.3 : नाइलॉन से निर्मित
विभिन्न वस्तुएँ।
क्या नाइलॉन के रेशे सचमुच इतने मजबूत होते हैं कि हम उससे पैराशूट और चट्टानों पर चढ़ने की रस्सी का निर्माण कर सकते हैं?
क्या नाइलॉन रेशा वास्तव में इतना प्रबल है कि हम इससे नाइलॉन पैराशूट और चट्टानों पर चढ़ने हेतु रस्से बना सकते हैं?
हम नाइलॉन से निर्मित कई वस्तुओं को उपयोग में लाते हैं, जैसे– जुराबें, रस्से, तम्बू, दाँत साफ़ करने का ब्रुश, कारों की सीट के पट्टे, स्लीपिंग बैग (शयन थैला), परदे, आदि (चित्र 3.3)। नाइलॉन का उपयोग पैराशूट और चट्टानों पर चढ़ने हेतु रस्सों के निर्माण में भी किया जाता है (चित्र 3.4)। एक नाइलॉन का तार, इस्पात के तार से अधिक प्रबल होता है।
आइए हम जानें
चित्र 3.4 : नाइलॉन रेशों के उपयोग।
क्रियाकलाप 3.1
एक क्लैम्प युक्त लोहे का स्टैण्ड लीजिए। लगभग 60 सेमी लम्बा एक सूती धागा लीजिए। इसे क्लैम्प से बाँध दीजिए जिससे यह स्वतंत्र रूप से लटक जाए, जैसा चित्र 3.5 में प्रदर्शित है। मुक्त सिरे पर एक हुक लगा पलड़ा बाँध दीजिए, जिसमें बाट रखे जा सकें। पलड़े में एक-एक करके बाट तब तक रखते चले जाइए जब तक कि धागा टूट न जाए। धागे को तोड़ने हेतु आवश्यक कुल भार को लिख लीजिए। यह भार रेशे की सामर्थ्य
चित्र 3.5 : एक लोहे के स्टैण्ड पर क्लैम्प से लटकता हुआ एक धागा।
बताता है। इसी प्रक्रिया को ऊन, पॉलिएस्टर, रेशम और नाइलॉन के धागों के साथ दोहराइए। आंकड़ों को सारणी 3.2 की भांति सारणीबद्ध करिए। धागों को उनके बढ़ते सामर्थ्य के क्रम में व्यवस्थित करिए।
प्रेक्षण सारणी 3.2
आप रेशों (धागों) को लटकाने हेतु दीवार पर लगे एक हुक अथवा कील का उपयोग कर सकते हैं और दूसरे सिरे पर पॉलिथीन की थैली बाँध सकते हैं। बाट के स्थान पर आप एक ही आकार वाली काँच की गोलियों (या गुटिकाओं) का उपयोग कर सकते हैं।
C. पॉलिएस्टर और एेक्रिलिक
पॉलिएस्टर एक अन्य संश्लेषित रेशा है। इस रेशे से बने कपड़े में आसानी से सिलवटें नहीं पड़तीं। यह सपाट रहता है और सरलतापूर्वक धुल जाता है। अतः यह वस्त्र सामग्री हेतु पर्याप्त उपयोगी पदार्थ है। आपने लोगों को सुन्दर पॉलिएस्टर कमीज़ें और अन्य परिधान पहने अवश्य देखा होगा। टेरीलीन एक लोकप्रिय पॉलिएस्टर है। इसे बहुत महीन रेशों में खींचा जा सकता है, जिन्हें फिर किसी भी अन्य तंतु समान बुना जा सकता है।
मेरी माँ जल के लिए सदैव पेट (PET) बोतलें और चावल तथा चीनी संचयन के लिये पेट जार खरीदती हैं। मैं जानने के लिए उत्सुक हूँ कि आखिर यह पेट है क्या!
पेट (PET) (पॉली एथीलीन टरथेलेट) एक बहुत सुपरिचित प्रकार का पॉलिएस्टर है। इसका उपयोग बोतलें, बर्तन, फिल्म, तार और अन्य बहुत से उपयोगी उत्पादों के निर्माण हेतु किया जाता है।
चारों ओर दृष्टि घुमाइए और पॉलिएस्टर से निर्मित वस्तुओं की एक सूची बनाइए।
पॉलिएस्टर (पॉलि + एस्टर) वास्तव में एक रसायन जो एस्टर कहलाता है, की इकाइयों की पुनरावर्ती से बनता है। एस्टर वे रसायन हैं जो फलों को उनकी गंध प्रदान करते हैं। निर्मित कपड़े पॉलिकॉट, पॉलिवूल, टेरीकॉट, आदि नामों से बेचे जाते हैं। जैसा कि नाम सुझाते हैं, ये कपड़े दो प्रकार के रेशों को मिलाकर बनाये जाते हैं। पॉलिकॉट, पॉलिएस्टर और कपास का मिश्रण है। पॉलिवूल, पॉलिएस्टर और ऊन का मिश्रण है।
हम सर्दियों में स्वैटर पहनते हैं तथा शाल अथवा कम्बलों का उपयोग करते हैं। इनमें से बहुत से वास्तव में प्राकृतिक ऊन से निर्मित नहीं होते, यद्यपि वे ऊन के सदृश दिखाई देते हैं। ये अन्य प्रकार के संश्लेषित रेशे से तैयार किये जाते हैं जो एेक्रिलिक कहलाता है। प्राकृतिक स्रोतों से प्राप्त ऊन काफी मँहगी होती है जबकि एेक्रिलिक से बनी वस्तुएँ अपेक्षाकृत सस्ती होती हैं। ये विविध रंगों में उपलब्ध होती हैं। संश्लेषित रेशे अधिक टिकाऊ और पहुँच के भीतर होते हैं जिससे ये प्राकृतिक रेशों की अपेक्षा अधिक लोकप्रिय हैं।
आप पूर्व में प्राकृतिक रेशों को जलाने का क्रियाकलाप कर चुके हैं (क्रियाकलाप 3.6 कक्षा VII)। यदि आप संश्लेषित रेशों को जलाने का प्रयास करें तो आप पाएँगे कि इनका व्यवहार प्राकृतिक रेशों से भिन्न है। आप यह भी पाएँगे कि संश्लेषित रेशे गर्म करने पर पिघल जाते हैं। यह वास्तव में संश्लेषित रेशों का एक हानिकारक गुण है। यदि वस्त्रों में आग लग जाती है तो यह बहुत आपदाजनक हो सकता है। कपड़ा पिघल जाता है और पहनने वाले व्यक्ति के शरीर से चिपक जाता है। अतः हमें प्रयोगशाला अथवा रसोईघर में कार्य करते समय संश्लेषित वस्त्र नहीं पहनने चाहिए।
ओह! अब मैं समझी कि मेरी माँ रसोईघर में काम करते समय पॉलिएस्टर से बने वस्त्र क्यों नहीं पहनती।
सभी संश्लेषित रेशे पेट्रोलियम मूल के कच्चे माल जो पेट्रोरसायन कहलाते हैं, से विविध प्रक्रमों द्वारा तैयार किये जाते हैं।
3.3 संश्लेषित रेशों के गुणधर्म
कल्पना करिए कि आज वर्षा का दिन है। आप किस प्रकार का छाता प्रयोग में लाएँगे और क्यों? संश्लेषित रेशे अद्वितीय गुणधर्मों वाले होते हैं जो इन्हें परिधान सामग्री हेतु लोकप्रिय बनाते हैं। ये शीघ्र सूखते हैं, अधिक चलाऊ, कम मँहगे, आसानी से उपलब्ध और रख-रखाव में सुविधाजनक हैं। निम्नलिखित क्रियाकलाप सम्पादित कीजिए और स्वयं सीखिए।
क्रियाकलाप 3.2
एक आकार के दो कपड़े के टुकड़े लीजिए। प्रत्येक लगभग आधा मीटर वर्ग का हो। इनमें से एक प्राकृतिक रेशों से निर्मित होना चाहिए। दूसरा संश्लेषित रेशों से बना हो सकता है। इन टुकड़ों के चयन हेतु अपने माता-पिता की मदद ले सकते हैं। टुकड़ों को पृृथक बीकरों या मगों में भिगोइए जिनमें बराबर मात्रा में जल भरा हो। पाँच मिनट बाद कपड़े के टुकड़ों को पात्रों से निकाल लीजिए और उन्हें कुछ मिनट धूप में फैलाइए। प्रत्येक पात्र में शेष रहे जल के आयतन की परस्पर तुलना कीजिए।
क्या संश्लेषित रेशे प्राकृतिक रेशों की अपेक्षा कम जल सोखते हैं? क्या वे सूखने में कम समय लेते हैं?
यह क्रियाकलाप आपको संश्लेषित कपड़ों के गुणधर्मों के बारे में क्या बतलाता है?
अपने माता-पिता से इन कपड़ों के प्राकृतिक रेशों की तुलना में चिरस्थायित्व (टिकाऊपन), मूल्य और रख-रखाव के विषय में जानकारी प्राप्त कीजिए।
3.4 प्लास्टिक
आप घर पर प्रतिदिन काम में आने वाली बहुत सी प्लास्टिक की वस्तुओं से परिचित होंगे। इस प्रकार की वस्तुओं और उनके उपयोगों की एक सूची बनाइए।
संश्लेषित रेशे की तरह प्लास्टिक भी एक बहुलक है। सभी प्लास्टिकों में इकाइयों की व्यवस्था एक ही प्रकार की नहीं होती। कुछ में यह रैखीय होती है तो अन्य में यह तिर्यकबद्ध (क्रॉसबद्ध) होती है (चित्र 3.6)।
(a)
(b)
चित्र 3.6 : (a) रैखीय (b) क्रॉसबद्ध व्यवस्थाएँ।
प्लास्टिक की वस्तुएँ सभी सम्भव आकारों और साइज़ों में उपलब्ध हैं, जैसा आप चित्र 3.7 में देख सकते हैं। क्या आपको आश्चर्य नहीं होता कि यह कैसे संभव है? तथ्य यह है कि प्लास्टिक आसानी से साँचे में ढाला जा सकता है अर्थात् इसे कोई भी आकार दिया जा सकता है। प्लास्टिक का पुनः चक्रण हो सकता है, इसे पुनः प्रयुक्त किया जा सकता है, इसे रँगा और पिघलाया जा सकता है, इसे बेलकर चद्दरों में बदला जा सकता है अथवा इसकी तारें बनायी जा सकती हैं। इसलिए इनके इतने विभिन्न प्रकार के उपयोग हैं।
चित्र 3.7 : प्लास्टिक-निर्मित विभिन्न वस्तुएँ।
पॉलिथीन (पॉलि + एथीन) प्लास्टिक का एक उदाहरण है जो सामान्य उपयोग में आने वाली पॉलिथीन थैलियाँ बनाने के काम आता है।
अब, आप स्वयं प्लास्टिक के टुकड़े को मोड़िए। क्या सभी प्लास्टिक वस्तुएँ सरलतापूर्वक मोड़ी जा सकती हैं?
आप देखेंगे कि कुछ प्लास्टिक की वस्तुएँ सरलतापूर्वक मोड़ी जा सकती हैं जबकि कुछ मोड़ने हेतु बल लगाने पर टूट जाती हैं। जब हम एक प्लास्टिक की बोतल में गर्म जल डालते हैं तो वह विकृत हो जाती है। एेसा प्लास्टिक जो गर्म करने पर आसानी से विकृत हो जाता है और सरलतापूर्वक मुड़ जाता है, थर्मोप्लास्टिक कहलाता है। पॉलिथीन और पीवीसी (PVC) थर्मोप्लास्टिक के कुछ उदाहरण हैं। इनका उपयोग खिलौने, कंघियाँ और विभिन्न प्रकार के पात्रों के बड़े पैमाने पर निर्माण हेतु किया जाता है।
दूसरी ओर, कुछ प्लास्टिक एेसे हैं जिन्हें एक बार साँचे में ढाल दिया जाता है तो इन्हें ऊष्मा देकर नर्म नहीं किया जा सकता। ये थर्मोसेटिंग प्लास्टिक कहलाते हैं। दो उदाहरण हैं - बैकेलाइट और मेलामाइन। बैकेलाइट ऊष्मा और विद्युत का कुचालक है। यह बिजली के स्विच, विभिन्न बर्तनों के हत्थे, आदि बनाने में काम आता है। मेलामाइन एक बहुउपयोगी पदार्थ है। यह आग का प्रतिरोधक है तथा अन्य प्लास्टिक की अपेक्षा ऊष्मा को सहने की अधिक क्षमता रखता है। यह फर्श की टाइलें, रसोई के बर्तन और कपड़े बनाने के उपयोग में लिया जाता है जो आग का प्रतिरोध करते हैं। चित्र 3.8 में थर्मोप्लास्टिक और थर्मोसेटिंग प्लास्टिक के विभिन्न उपयोगों को प्रदर्शित किया गया है।
थर्मोसेटिंग प्लास्टिक से निर्मित वस्तुएँ
थर्मोप्लास्टिक से निर्मित वस्तुएँ
चित्र 3.8 : प्लास्टिक-निर्मित कुछ वस्तुएँ।
3.5 विकल्प पदार्थ–प्लास्टिक
आज यदि हम कोई खाद्य सामग्री, जल, दूध, अचार, सूखे मेवे आदि के संचयन करने की सोचें तो प्लास्टिक पात्र सबसे सुविधाजनक लगते हैं। इसका कारण उनका हलका भार, कम कीमत, अच्छा सामर्थ्य और उपयोग में आसानी है। धातुओं की अपेक्षा हलके होने के कारण प्लास्टिक का उपयोग कारों, वायुयानों और अंतरिक्षयानों में भी होता है। उपयोग की यह सूची असीमित है, यदि हम चप्पल, फर्नीचर और सजावट की वस्तुओं, आदि से गिनना प्रारम्भ करें।
आइये, अब प्लास्टिक के अभिलाक्षणिक गुणों की विवेचना करें।
A. प्लास्टिक अनभिक्रियाशील है
आप जानते हैं कि लोहे जैसी धातुओं को जब नमी और वायु में खुला छोड़ दिया जाता है तो उनमें जंग लग जाता है। परन्तु प्लास्टिक जल और वायु से अभिक्रिया नहीं करते। उनका संक्षारण आसानी से नहीं होता। इसलिए इनका उपयोग बहुत से रसायनों सहित, विभिन्न प्रकार के पदार्थों के संचयन हेतु किया जाता है।
B. प्लास्टिक हलका, प्रबल और चिरस्थायी है
पूर्व काल में उपयोग में आने वाली बाल्टियों के बारे में अपने माता-पिता और दादा-दादी से बात करिए। किस पदार्थ की बनी बाल्टियाँ और मग आज आप उपयोग में ले रहे हैं? प्लास्टिक पात्रों को उपयोग में लाने के क्या लाभ हैं? क्योंकि प्लास्टिक बहुत हलका, प्रबल, चिरस्थायी और विभिन्न आकारों और साइज़ों में ढाला जा सकता है, अतः यह विभिन्न उद्देश्यों हेतु उपयोग में लाया जाता है। प्लास्टिक सामान्यतः धातुओं की अपेक्षा सस्ते होते हैं। ये उद्योगों और घरेलू कार्यों में व्यापक रूप से उपयोग में लिए जाते हैं। विभिन्न प्रकार के प्लास्टिक पात्रों की सूची बनाइए जिन्हें आप दैनिक जीवन में उपयोग में लाते हैं।
C. प्लास्टिक कुचालक हैं
आपने ऊपर सीखा है कि प्लास्टिक ऊष्मा और विद्युत् के कुचालक हैं। इसलिए बिजली के तार प्लास्टिक से ढके रहते हैं और खाना बनाने वाले पात्रों के हत्थे इसके बने होते हैं।
क्या आप जानते हैं?
प्लास्टिक का स्वास्थ्य-देखभाल उद्योग में व्यापक उपयोग होता है। इनके उपयोगों के कुछ उदाहरण हैं– दवा की गोलियोंटिकियों को पैक करने हेतु, घावों को सीने हेतु धागे, सिरिंज, चिकित्सकों के दस्ताने और विविध प्रकार के चिकित्सीय यंत्र।
माइक्रोवेव ओवन में भोजन पकाने हेतु विशिष्ट प्लास्टिक पात्र उपयोग में लिए जाते हैं। माइक्रोवेव ओवन में ऊष्मा खाद्य पदार्थ को पका देती है, परन्तु प्लास्टिक पात्र कोप्रभावित नहीं करती।
टेफ्लॉन एक विशिष्ट प्लास्टिक है जिस पर तेल
और जल चिपकता नहीं है। यह भोजन पकाने के पात्रों पर न चिपकने वाली परत लगाने के काम आता है।
अग्निसह प्लास्टिक : यद्यपि संश्लेषित रेशे आसानी से आग पकड़ लेते हैं, परन्तु यह जानना रोचक होगा कि आग बुझाने वाले कर्मचारियों के परिधानों पर मेलामाइन प्लास्टिक की परत चढ़ी होती है जो उसे अग्निरोधक बनाती है।
3.6 प्लास्टिक और पर्यावरण
जब हम बाज़ार जाते हैं तो हमें प्लास्टिक अथवा पॉलिथीन थैली में लपेटी वस्तुएँ मिलती हैं। यह एक कारण है कि हमारे घरों में प्लास्टिक का कचरा इकट्ठा होता रहता है। फिर यह प्लास्टिक कूड़ेदान में चला जाता है। प्लास्टिक का निस्तारण एक प्रधान समस्या है। क्यों?
पदार्थ जो प्राकृतिक प्रक्रिया, जैसे जीवाणु की क्रिया, द्वारा अपघटित हो जाता है, जैव निम्नीकरणीय कहलाता है। पदार्थ जो प्राकृतिक प्रक्रियाओं द्वारा सरलता से विघटित नहीं होता, जैव अनिम्नीकरणीय कहलाता है। सारणी 3.3 देखिए।
सारणी 3.3
क्योंकि प्लास्टिक अपघटित होने में कई वर्ष ले लेता है, यह पर्यावरण हितैषी नहीं है। यह पर्यावरण प्रदूषण का कारण बनता है। इसके अतिरिक्त जब इस संश्लेषित पदार्थ को जलाया जाता है तो पूर्णतया जलने में लम्बा समय लेता है। इस प्रक्रम में यह भारी मात्रा में विषैली धूम उत्सर्जित कर पर्यावरण प्रदूषित करता है। इस समस्या का समाधान कैसे किया जा सकता है?
यथासंभव प्लास्टिक के उपयोग से बचिए। कपास या जूट के बने थैलों का प्रयोग कीजिए। जैव निम्नीकरणीय और जैव अनिम्नीकरणीय अपशिष्ट को अलग इकट्ठा करिए और इनका अलग निस्तारण करिए। इसे अपने घरों पर व्यवहार में लाइए। कुछ और तरीके भी सुझाइए जिनके द्वारा आप प्लास्टिक पदार्थों के उपयोग को कम करने में सहयोग दे सकते हैं।
प्लास्टिक अपशिष्ट को पुनः चक्रित करना बेहतर होगा। अधिकांश थर्मोप्लास्टिक पुनः चक्रित किये जा सकते हैं। जिन वस्तुओं का पुनः चक्रण किया जा सकता है, उनकी सूची बनाइए। पुनः चक्रण के समय कुछ रंग प्रदान करने वाले अभिकर्मक मिला दिये जाते हैं। इससे पुनः चक्रित सामग्री का उपयोग, विशेष रूप से खाद्य पदार्थों के संचयन हेतु, सीमित हो जाता है।
एक उत्तरदायी नागरिक के रूप में 5 R सिद्धांत को याद रखिए– उपयोग कम करिए (Reduce), पुनः उपयोग करिए (Reuse), पुनः चक्रित करिए (Recycle), पुनः प्राप्त करिए (Recover) और उपयोग ना करना (Refuse)। इस प्रकार की आदतें विकसित करिए जो पर्यावरण (Refuse) हितैषी हों।
क्या आपने कोई एेसा कचरे का ढेर देखा है जहाँ पशु, विशेष रूप से गायें, कचरा खा रही हों? खाद्य अपशिष्ट खाने के प्रक्रम में ये पशु पॉलिथीन की थैलियाँ और खाद्य पदार्थों के रैपर भी निगल लेते हैं। क्या आप इसके परिणामों की कल्पना कर सकते हैं? प्लास्टिक पदार्थ इन पशुओं के श्वसन तंत्र में कण्ठरोध उत्पन्न करते हैं अथवा आमाशय में एक अस्तर बनाते हैं और अन्ततः यह उनकी मृत्यु का कारण बन
सकते हैं।
लापरवाही से इधर-उधर फेंकी गयी पॉलिथीन की थैलियाँ नालियों को रोक देती हैं। कभी-कभी हम बहुत अधिक लापरवाही दिखाते हैं और चिप्स, बिस्कुट और अन्य खाद्य पदार्थों के रैपर सड़क पर, उद्यान अथवा पिकनिक के स्थानों पर फेंक देते हैं। क्या हमें एेसा करने से पहले सोचना नहीं चाहिए? एक उत्तरदायी नागरिक के रूप में आप क्या उपाय सुझाते हैं जिससे सार्वजनिक स्थल स्वच्छ और प्लास्टिक मुक्त रहें?
रेशा-विवेक
- प्लास्टिक की थैलियाँ जलाशयों में अथवा सड़क पर नहीं फेंकिए।
- खरीददारी के लिए जाते समय एक सूती कपड़े का थैला या जूट का थैला लेकर जाइए।
- प्लास्टिक पदार्थों का उपयोग कम से कम
करिए। उदाहरण के लिए, प्लास्टिक के स्थान पर स्टील से बने भोजन रखने के डिब्बे को प्रयोग में लाइए।
संश्लेषित रेशे और प्लास्टिक
क्या आप जानते हैं?
- प्लास्टिक का स्वास्थ्य-देखभाल उद्योग में व्यापक उपयोग होता है। इनके उपयोगों के कुछ उदाहरण हैं– दवा की गोलियोंटिकियों को पैक करने हेतु, घावों को सीने हेतु धागे, सिरिंज, चिकित्सकों के दस्ताने और विविध प्रकार के चिकित्सीय यंत्र।
- माइक्रोवेव ओवन में भोजन पकाने हेतु विशिष्ट प्लास्टिक पात्र उपयोग में लिए जाते हैं। माइक्रोवेव ओवन में ऊष्मा खाद्य पदार्थ को पका देती है, परन्तु प्लास्टिक पात्र को प्रभावित नहीं करती।
- टेफ्लॉन एक विशिष्ट प्लास्टिक है जिस पर तेल
- और जल चिपकता नहीं है। यह भोजन पकाने के पात्रों पर न चिपकने वाली परत लगाने के काम आता है।
- अग्निसह प्लास्टिक ः यद्यपि संश्लेषित रेशे आसानी से आग पकड़ लेते हैं, परन्तु यह जानना रोचक होगा कि आग बुझाने वाले कर्मचारियों के परिधानों पर मेलामाइन प्लास्टिक की परत चढ़ी होती है जो उसे अग्निरोधक बनाती है।
अभ्यास
1. कुछ रेशे संश्लेषित क्यों कहलाते हैं?
2. सही उत्तर को चिह्नित () कीजिए–
रेयॉन एक संश्लेषित रेशा नहीं है, क्योंकि :
(क) इसका रूप रेशम समान होता है।
(ख) इसे काष्ठ लुगदी से प्राप्त किया जाता है।
(ग) इसके रेशों को प्राकृतिक रेशों के समान बुना जा सकता है।
3. उचित शब्दों द्वारा रिक्त स्थानों की पूर्ति कीजिए–
(क) संश्लेषित रेशे अथवा रेशे भी कहलाते हैं।
(ख) संश्लेषित रेशे कच्चे माल से संश्लेषित किये जाते हैं, जो कहलाता है।
(ग) संश्लेषित रेशे की भांति प्लास्टिक भी एक है।
4. नाइलॉन रेशों से निर्मित दो वस्तुओं के नाम बताइए जो नाइलॉन रेशे की प्रबलता दर्शाती हों।
5. खाद्य पदार्थों का संचयन करने हेतु प्लास्टिक पात्रों के उपयोग के तीन प्रमुख लाभ बताइए।
6. थर्मोप्लास्टिक और थर्मोसेटिंग प्लास्टिक के मध्य अन्तर को स्पष्ट कीजिए।
7. समझाइए, थर्मोसेटिंग प्लास्टिक से निम्नलिखित क्यों बनाये जाते हैं–
(क) डेगची के हत्थे
(ख) विद्युत प्लगस्विचप्लग बोर्ड
8. निम्नलिखित पदार्थों को ‘‘पुनः चक्रित किये जा सकते हैं’’ और ‘‘ पुनः चक्रित नहीं किये जा सकते हैं’’ में वर्गीकृत कीजिए–
टेलीफोन यंत्र, प्लास्टिक खिलौने, कुकर के हत्थे, सामग्री लाने वाले थैले, बाल प्वाइंट पेन, प्लास्टिक के कटोरे, विद्युत तारों के प्लास्टिक आवरण, प्लास्टिक की कुर्सियाँ, विद्युत स्विच।
9. राणा गर्मियों के लिए कमीज़ें खरीदना चाहता है। उसे सूती कमीज़ें खरीदनी चाहिए या संश्लेषित? कारण सहित राणा को सलाह दीजिए।
10. उदाहरण देकर प्रदर्शित कीजिए कि प्लास्टिक की प्रकृति असंक्षारक होती है।
11. क्या दाँत साफ़ करने के ब्रुश का हैन्डल और शूक (ब्रिस्टल) एक ही पदार्थ के बनाने चाहिए? अपना उत्तर स्पष्ट करिए।
12. "जहाँ तक सम्भव हो प्लास्टिक के उपयोग से बचिए", इस कथन पर सलाह दीजिए।
13. कॉलम A के पदों का कॉलम B में दिए गए वाक्य खण्डों से सही मिलान करिए।
कॉलम A कॉलम B
पॉलिएस्टर काष्ठ लुगदी का उपयोग कर तैयार किया जाता है।
टेफ्लॉन पैराशूट और मोजा बनाने में उपयोग किया जाता है।
रेयॉन न चिपकने वाले भोजन बनाने के पात्रों के निर्माण में उपयोग में लाया जाता है।
नाइलॉन कपड़े में आसानी से बल नहीं पड़ते।
14. ‘‘संश्लेषित रेशों का औद्योगिक निर्माण वास्तव में वनों के संरक्षण में सहायक हो रहा है।’’ टिप्पणी कीजिए।
15. यह प्रदर्शित करने हेतु एक क्रियाकलाप का वर्णन करिए कि थर्मोप्लास्टिक विद्युत का कुचालक है।
विस्तारित अधिगम – क्रियाकलाप एवं परियोजनाएँ
1. क्या आपने एक अभियान के विषय में सुना हैः ‘‘प्लास्टिक का उपयोग न करें’’। इस प्रकार की कुछ गतिविधियाँ और नारे बनाइए। कुछ राजकीय और अराजकीय संस्थाएँ हैं जो सामान्य जनसमुदाय को शिक्षित करती हैं कि किस प्रकार प्लास्टिक का सद्उपयोग करें और पर्यावरण हितैषी आदतें विकसित करें। अपने क्षेत्र में उन संस्थाओं का पता लगाइए जो जागरूकता कार्यक्रम चला रही हैं। यदि इस प्रकार की कोई संस्था नहीं है तो गठित करिए।
2. विद्यालय में वाद-विवाद प्रतियोगिता आयोजित करिए। बच्चों को इच्छानुसार संश्लेषित कपड़े अथवा प्राकृतिक स्रोतों से प्राप्त कपड़ों के औद्योगिक निर्माता का अभिनय करने का अवसर दीजिए। तब वे ‘‘मेरा कपड़ा श्रेष्ठ है’’ विषय पर वाद-विवाद कर सकते हैं।
3. अपने अड़ोस-पड़ोस के पाँच परिवारों में जाइए और पता लगाइए कि वे किस प्रकार के वस्त्रों का उपयोग करते हैं। उनकी पसंद का कारण क्या है और मूल्य, चिरस्थायित्व तथा रख-रखाव के संदर्भ में इनके उपयोग के क्या लाभ हैं। एक छोटी रिपोर्ट बनाइए और अपने शिक्षक को दीजिए।
4. कार्बनिक अपशिष्ट जैव निम्नीकरणीय है जबकि प्लास्टिक नहीं है। इसको प्रदर्शित करने के लिए एक क्रियाकलाप का निर्माण करिए।
क्या आप जानते हैं?
नाइलॉन रेशम जैसा दिखता है। यह प्रबल और लचीला होता है। जब 1939 में नाइलॉन सामने आया तो उसके मोहक गुणों ने जनता में सनसनी अथवा नाइलॉनउन्मादउत्पन्नकर दिया। इस नये रेशे से बने महिलाओं के मोजों की भारी माँग थी। परन्तु दुर्भाग्य से द्वितीय विश्वयुद्ध (1939-1945) के चलते नाइलॉन उत्पादन का अधिकांश भाग पैराशूट बनाने हेतु काम में लिया जाने लगा। युद्ध के बाद, जब मोजों का उत्पादन पुनः प्रारम्भ हुआ तो उनकी पूर्ति माँग के अनुसार नहीं हो सकी। इस उत्पाद के लिए एक भारी काला बाजार था। एक जोड़ा मोजे के लिए महिलाओं को कई घंटे लाइन में लगना पड़ता था। कई बार नाइलॉन उपद्रव भी हो जाते थे।