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कोशिका – संरचना एवं प्रकार्य


प पहले ही पढ़ चुके हैं कि हमारे आस-पास की वस्तुएँ या तो सजीव हैं अथवा निर्जीव। साथ ही आपको यह भी याद होगा कि सभी सजीव कुछ मूलभूत कार्य संपादित करते हैं। क्या आप इन कार्यों की सूची बना सकते हैं?

विभिन्न अंगों के समूह विभिन्न कार्य करते हैं जो आपके द्वारा सूचीबद्ध किए गए हैं। इस अध्याय में आप अंगों की संरचनात्मक मूलभूत इकाई के विषय में पढ़ेंगे जिसे कोशिका कहते हैं। कोशिकाओं की तुलना हम ईंटों से कर सकते हैं। जिस प्रकार विभिन्न ईंटों को जोड़ कर भवन का निर्माण किया जाता है; उसी प्रकार विभिन्न कोशिकाएँ एक दूसरे से जुड़कर प्रत्येक सजीव के शरीर का निर्माण करती हैं।

8.1 कोशिका की खोज

रॉबर्ट हुक ने 1665 में कॉर्क के स्लाइस का सामान्य आवर्धक यंत्र की सहायता से अध्ययन किया। कॉर्क पेड़ की छाल का एक भाग है। उन्होंने कॉर्क की पतली स्लाइस ली और उसका सूक्ष्मदर्शी की सहायता से अध्ययन किया। उन्होंने कॉर्क की स्लाइस में अनेक कोष्ठयुक्त अथवा विभाजित बक्से देखे (चित्र 8.1)। ये बक्से मधुमक्खी के छत्ते के समान दिखाई दिए।


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चित्र 8.1 :  रॉबर्ट हुक द्वारा देखी गई कॉर्क की कोशिकाएँ।

उन्होंने यह भी देखा कि एक कोष्ठ अथवा बॉक्स दूसरे से एक दीवार अथवा विभाजन पट्टी द्वारा अलग है। हुक ने प्रत्येक कोष्ठ को ‘कोशिका’ का नाम दिया। हुक द्वारा देखी गई यह बक्सेनुमा संरचनाएँ वास्तव में मृत कोशिकाएँ थीं।

सजीवों की जीवित कोशिकाओं को संवर्धित सूक्ष्मदर्शी की खोज के बाद ही देखा जा सका। रॉबर्ट हुक के प्रेक्षण के लगभग 150 वर्षों बाद तक भी कोशिका के विषय में बहुत कम जानकारी थी। आज हमें कोशिका की संरचना एवं कार्यों के विषय में बहुत अधिक जानकारी है। यह अधिक आवर्धन क्षमता वाले संवर्धित सूक्ष्मदर्शी एवं अन्य तकनीक द्वारा ही संभव हो सका है।


8.2 कोशिका

भवन के लिए ईंट एवं सजीवों में कोशिका, दोनों ही मूलभूत संरचनात्मक इकाई हैं [चित्र 8.2(a),(b)] यद्यपि भवन निर्माण में एकसमान ईंटों का प्रयोग होता है परन्तु उनकी आकृति, डिज़ाइन एवं साइज़ अलग-अलग होते हैं। इसी प्रकार सजीव जगत के जीव एक-दूसरे से भिन्न होते हुए भी कोशिकाओं के बने होते हैं। निर्जीव ईंट की अपेक्षा सजीवों की कोशिकाओं की संरचना अधिक जटिल होती है।

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मुर्गी का अंडा आसानी से दिखाई दे जाता है। क्या यह एकल कोशिका है अथवा कोशिकाओं का एक समूह?


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(a) ईंट की दीवार
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(b) प्याज की झिल्ली

चित्र 8.2  :  (a) ईंट की दीवार, (b) प्याज की झिल्ली।

मुर्गी का अंडा एक एकल कोशिका है तथा आकार में बड़ा होने के कारण इसे नग्न आँखों से भी देखा जा सकता है।

8.3 सजीवों में कोशिका की संख्या, आकृति एवं साइज़ में विभिन्नता होती है

वैज्ञानिक किस प्रकार सजीव कोशिकाओं का प्रेक्षण एवं अध्ययन करते हैं? वह सूक्ष्मदर्शी का उपयोग करते हैं जिसकी सहायता से वस्तु के आवर्धित प्रतिबिम्ब का अध्ययन किया जा सकता है। कोशिका की संरचना का विस्तृत अध्ययन करने के लिए अभिरंजक का उपयोग किया जाता है।

पृथ्वी पर लाखों जीव हैं। वह आकृति एवं साइज़ में भिन्न हैं। उनके अंगों की आकृति, साइज़ एवं कोशिकाओं की संख्या में भी भिन्नता होती है। आइए, इनमें से कुछ का अध्ययन करें।

कोशिकाओं की संख्या

क्या आप किसी लम्बे वृक्ष अथवा हाथी जैसे विशाल जंतु के शरीर में पाई जाने वाली कोशिकाओं की संख्या का अनुमान लगा सकते हैं? यह संख्या अरबों-खरबों में हो सकती है। मनुष्य के शरीर में खरब कोशिकाएँ पाई जाती हैं जो आकृति एवं साइ में भिन्न होती हैं। कोशिकाओं के विभिन्न समूह अनेक प्रकार के कार्य करते हैं।

एक अरब में 100 करोड़ होते हैं एक करोड़ में 100 लाख होते हैं ।

वह जीव जिनका शरीर एक से अधिक कोशिकाओं का बना होता है बहुकोशिक (multicellular(multi = अनेक, cellular = कोशिका) कहलाते हैं। छोटे जीवों में कोशिकाओं की कम संख्या उनके क्रियाकलापों को किसी प्रकार प्रभावित नहीं करती। आपको जानकर आश्चर्य होगा कि अरबों कोशिकाओं वाले जीवों के जीवन का प्रारम्भ एक कोशिका से ही होता है जो एक निषेचित अंडा है। निषेचित अंडा गुणन करता है तथा वृद्धि एवं परिवर्धन के साथ कोशिकाओं की संख्या बढ़ती जाती है।

चित्र 8.3(a) वं (b) को देखिए। दोनों जीव एकल कोशिका के बने हैं। एक कोशिका वाले जीवों को एककोशिक (unicellular - uni = एक; cellular = कोशिका) जीव कहते हैं। एककोशिक जीव भी वह सभी आवश्यक क्रियाएँ करता है जो बहुकोशिक जीवों द्वारा की जाती हैं।

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चित्र 8.3  :  (a) अमीबा   (b) पैरामीशियम।

एककोशिक जीव, जैसे कि अमीबा भोजन का अंतर्ग्रहण करता तथा पचाता है और श्वसन, उत्सर्जन, वृद्धि एवं प्रजनन भी करता है। बहुकोशिक जीवों में यह सभी कार्य विशिष्ट कोशिकाओं के समूह द्वारा संपादित किए जाते हैं। कोशिकाओं का यह समूह ऊतक का निर्माण करते हैं तथा विभिन्न ऊतक अंगों का निर्माण करते हैं।

क्रियाकलाप 8.1

अध्यापक अमीबा एवं पैरामीशियम की स्थायी स्लाइड सूक्ष्मदर्शी यंत्र से दिखा सकते हैं। इसके अतिरिक्त, अध्यापक तालाब से जल एकत्र करके स्लाइड बना कर उस जल में उपस्थित जीवों को दिखा सकते हैैैं।

कोशिका की आकृति

चित्र 8.3(a) को देखिए। चित्र में दर्शाए गए अमीबा की आकृति को आप किस प्रकार परिभाषित करेंगे? आप कह सकते हैं कि इसकी आकृति अनियमित है। वास्तव में अमीबा की कोई सुनिश्चित आकृति नहीं होती। यह अपनी आकृति बदलता रहता है। इसके मुख्य शरीर से बाहर की ओर परिवर्ती लंबाई के प्रवर्ध उभरते हुए दिखाई देते हैं। इन्हें पादाभ कहते हैं, जैसा कि आप कक्षा VII में पढ़ चुके हैैं। यह प्रवर्ध अमीबा की गति के समय अथवा भोजन का अधिग्रहण करते समय बनते एवं बिगड़ते रहते हैं।

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अपनी आकृति बदलने से अमीबा को क्या लाभ होता है?




मनुष्य के रक्त में पाई जाने वाली श्वेत रक्त कोशिकाएँ (WBC) भी एक-कोशिकीय संरचना का उदाहरण हैं जो अपनी आकृति बदल सकती हैं। WBC एक कोशिका है, जबकि अमीबा एक पूर्ण विकसित जीव है जिसका स्वतंत्र अस्तित्व है।

आपके विचार में उन जीवों में कोशिकाओं की आकृति कैसी होगी जिनमें लाखों कोशिकाएँ होती हैं? चित्र 8.4 (a, b, c) में मानव की विभिन्न प्रकार की कोशिकाएँ जैसे कि, रक्त, पेशी एवं तंत्रिका कोशिका दिखाई गई हैं। ये विभिन्न आकृतियाँ उनके विशिष्ट कार्यों से संबंधित हैं।


कोशिकाएँ सामान्यतः गोलीय, चपटी गोल अथवा लम्बी [चित्र 8.4(a)] होती हैं। कुछ कोशिकाएँ लंबी होती हैं जिनके दोनों सिरे नुकीले होते हैं। इनका आकार तर्कुरूप होता है [चित्र 8.4(b]। कभी-कभी कोशिकाएँ बहुत लंबी होती हैं। कुछ कोशिकाएँ शाखान्वित होती हैं जैसे तंत्रिका कोशिका [चित्र 8.4(c)]। तंत्रिका कोशिका संदेश प्राप्त कर उनका स्थानान्तरण करती हैं, जिसके द्वारा यह शरीर में नियंत्रण एवं समन्वय का कार्य करती हैं।

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(a)  (b)
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(c)

चित्र 8.4 :  (a) गोलाकार रक्त कोशिकाएँ  (b) तर्कुरूपी पेशी कोशिका (c) लम्बी शाखान्वित तंत्रिका कोशिका।


क्या आप अनुमान लगा सकते हैं कि कोशिका का कौन-सा भाग इसे आकृति प्रदान करता है? कोशिका के विभिन्न संघटक एक झिल्ली द्वारा परिबद्ध होते हैं। यह झिल्ली पौधों एवं जंतुओं की कोशिका को आकृति प्रदान करती है। पादप कोशिका में एक अतिरिक्त आवरण होता है जिसे कोशिका भित्ति कहते हैं। यह कोशिकाओं को आकार एवं दृढ़ता प्रदान करती है (चित्र 8.7)। जीवाणु कोशिका में भी कोशिका भित्ति पाई जाती है।

कोशिका का साइज़

सजीवों में कोशिका का साइज़ 1 मीटर का 10 लाखवें भाग (माइक्रोमीटर अथवा माइक्रोन) के बराबर छोटा हो सकता है अथवा कुछ सेंटीमीटर लंबा भी। परन्तु अधिकतर कोशिकाएँ अति सूक्ष्मदर्शीय होती हैं, एवं नग्न आँखों से दिखाई नहीं देतीं। उन्हें सूक्ष्मदर्शी द्वारा बड़ा अथवा आवर्धित करना आवश्यक है। सबसे छोटी कोशिका का साइज़ 0.1 से 0.5 माइक्रोमीटर है जो कि जीवाणु कोशिका है। सबसे बड़ी कोशिका शुतुर्मुर्ग का अंडा है जिसका साइज़ 170 mm × 130 mm होता है।

क्रियाकलाप 8.2

मुर्गी का एक अंडा उबालिए। उसका छिलका अलग करिए। आप क्या देखते हैं? एक सफेद पदार्थ केन्द्र के पीले भाग को घेरे हुए है। सफेद भाग एेल्ब्यूमिन है जो उबालने पर ठोस में परिवर्तित हो गया। पीला भाग योक है। यह एक एकल कोशिका का भाग है। आप इसे आवर्धक उपकरण के बिना भी देेख सकते हैं।

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अपनी आकृति बदलने से अमीबा को क्या लाभ होता है?


किसी कोशिका के साइज़ का संबंध किसी पौधे अथवा जंतु के साइज़ से नहीं होता। एेसा बिलकुल भी आवश्यक नहीं है कि हाथी की कोशिकाएँ चूहे की कोशिकाओं से बहुत अधिक बड़ी हों। कोशिका के साइज़ का संबंध उसके प्रकार्य से है। उदाहरण के लिए, तंत्रिका कोशिकाएँ हाथी एवं चूहे दोनों में ही लम्बी एवं शाखान्वित होती हैं। वह संदेश के स्थानान्तरण का कार्य करती हैं।

8.4 कोशिका संरचना एवं प्रकार्य

आप पढ़ चुके हैं कि प्रत्येक जीव के अनेक अंग होते हैं। आप कक्षा VII में पाचन अंगों के विषय में पढ़ चुके हैं जो सम्मिलित रूप से पाचन तंत्र बनाते हैं, किसी तंत्र में प्रत्येक अंग अलग-अलग प्रकार्य करता है, जैसे–पाचन, स्वांगीकरण तथा अवशोषण। इसी प्रकार विभिन्न पादप अंग भी विशिष्ट या विशेष प्रकार्य करते हैं। उदाहरण के लिए, जड़ जल एवं खनिजों के अवशोषण में सहायता करती है। आपने कक्षा VII में पढ़ा है कि पत्तियाँ भोजन के संश्लेषण का कार्य करती हैं।

प्रत्येक अंग पुनः छोटे भागों से बना होता है जिसे ऊतक कहते हैं। ऊतक एकसमान कोशिकाओं का वह समूह है जो एक विशिष्ट प्रकार्य करता है।

पहेली को समझ में आ गया कि अंग ऊतक के बने होते हैं और ऊतक कोशिकाओें से बने होते हैं। सजीव की संरचनात्मक इकाई कोशिका है।

8.5 कोशिका के भाग

कोशिका झिल्ली

कोशिका के मूल घटक हैं– कोशिका झिल्ली, कोशिका द्रव्य एवं केन्द्रक (चित्र 8.7)। कोशिका द्रव्य एवं केन्द्रक कोशिका झिल्ली के अंदर परिबद्ध होते हैं। कोशिका झिल्ली एक कोशिका को दूसरी कोशिका एवं घेरे हुए माध्यम से अलग करती है। कोशिका झिल्ली जिसे प्लैज्मा झिल्ली भी कहते हैं, सरंध्र होती है तथा विभिन्न पदार्थों के कोशिका में आवागमन का नियमन करती है।

क्रियाकलाप 8.3

किसी कोशिका के मूल संघटकों का प्रेक्षण करने के लिए एक प्याज लीजिए। ऊपर की सूखी गुलाबी पर्त/आवरण को हटा दीजिए। आप इसे प्याज की सफेद मांसल परत से चिमटी की सहायता से अथवा  ी भी अलग कर सकते हैं। आप प्याज को तोड़ कर भी इसकी पतली झिल्ली को अलग कर सकते हैं। प्याज की झिल्ली का एक छोटा टुकड़ा काँच की स्लाइड पर जल की बूँद में रखिए। पतली झिल्ली को ब्लेड या चिमटी की सहायता से छोटे टुकड़ों में काटा जा सकता है। इस पर मिथाइलिन ब्लू की एक बूँद डाल कर कवर स्लिप रखिए। कवर स्लिप रखते समय इस बात का ध्यान रखिए कि कवर स्लिप के अंदर वायु के बुलबुले न हों। सूक्ष्मदर्शी के नीचे स्लाइड का प्रेक्षण कीजिए। इसका आरेख बनाकर नामांकित कीजिए। आप इसकी तुलना चित्र 8.5 से कर सकते हैं।

प्याज की कोशिका की सीमा कोशिका झिल्ली द्वारा परिबद्ध होती है जो एक ओर दृढ़ आवरण द्वारा आबद्ध होती है जिसे कोशिका भित्ति कहते हैं। कोशिका के केन्द्र में घनी एवं गोलाकार संरचना होती है जिसे केन्द्रक कहते हैं। केन्द्रक एवं कोशिका झिल्ली के मध्य एक जेली के समान पदार्थ होता है जिसे कोशिका द्रव्य कहते हैं।

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चित्र 8.5ः प्याज की झिल्ली की कोशिकाएँ।

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मैं जानना चाहता हूँ कि पौधों को कोशिका भित्ति की आवश्यकता क्यों होती है।


हम पहले ही पढ़ चुके हैं कि कोशिका झिल्ली कोशिका को आकार प्रदान करती है। पौधों में कोशिका झिल्ली के अतिरिक्त एक बाहरी मोटी परत होती है जिसे कोशिका भित्ति कहते हैं। कोशिका झिल्ली को आबद्ध करने वाली यह अतिरिक्त संरचना पौधों की कोशिकाओं की सुरक्षा के लिए आवश्यक है। पादप कोशिकाओं को ताप में परिवर्तन, तीव्र गति से चलने वाली वायु, वायुमण्डलीय नमी इत्यादि विभिन्न परिवर्तनों से सुरक्षा की आवश्यकता होती है। वह इन परिवर्तनों से प्रभावित है क्योंकि वे चल नहीं सकते। कोशिकाओं का प्रेक्षण ट्राडेस्केंशिया, इलोडिया अथवा रोइयो की पत्ती की झिल्ली में किया जा सकता है। आप इनकी स्लाइड भी उसी प्रकार बना सकते हैं जिस प्रकार प्याज की झिल्ली की स्लाइड बनाई थी।

पहेली ने बूझो से पूछा कि क्या वह जंतु कोशिका का भी प्रेक्षण कर सकता है।

क्रियाकलाप 8.4


एक स्वच्छ दाँत खोदनी (टूथपिक) अथवा माचिस की तीली जिसका मसाले वाला सिरा तोड़ कर हटा दिया गया हो, लीजिए। इनकी सहायता से गाल की आंतरिक परत को धीरे से खुरचिए (स्क्रेप कीजिए)। इसे काँच की स्लाइड पर रखे पानी में रखिए। इसमेें आयोडीन विलयन की एक बूँद डाल कर इस पर कवर स्लिप रखिए। आयोडीन विलयन के स्थान पर आप मिथाइलिन ब्लू की 1-2 बूँद डाल सकते हैं। सूक्ष्मदर्शी के नीचे इसका प्रेक्षण कीजिए। आपको खुरची हुई परत में अनेक कोशिकाएँ दिखाई देंगी (चित्र 8.6)। आप कोशिका भित्ति, कोशिका द्रव्य एवं केन्द्रक को पहचान सकते हैं। जंतु कोशिका में कोशिका भित्ति अनुपस्थित होती है।

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चित्र 8.6 : मनुष्य की गाल (कपोल) कोशिकाएँ।


कोशिका द्रव्य

यह एक जैली जैसा पदार्थ है जो कोशिका झिल्ली एवं केन्द्रक के बीच पाया जाता है। कोशिका के अन्य संघटक अथवा कोशिकांग कोशिका द्रव्य में ही पाए जाते हैं। यह हैं, माइटोकांड्रिया, गाल्जीकाय, राइबोसोम इत्यादि। आप इनके विषय में अगली कक्षाओं में पढ़ेंगे।

केन्द्रक

सजीव कोशिका का यह एक महत्वपूर्ण संघटक है। सामान्यतः यह गोलाकार होता है तथा कोशिका के मध्य भाग में स्थित होता है। इसे सरलतापूर्वक अभिरंजित करके सूक्ष्मदर्शी के नीचे आसानी से देखा जा सकता है। केन्द्रक कोशिका द्रव्य से एक झिल्ली द्वारा अलग रहता है जिसे केन्द्रक झिल्ली अथवा केन्द्रकावरण कहते हैं। यह झिल्ली भी सरंध्र होती है तथा कोशिका द्रव्य एवं केन्द्रक के बीच पदार्थों के आवागमन को नियंत्रित करती है।

उच्च आवर्धन क्षमता वाले सूक्ष्मदर्शी द्वारा देखने पर हमें केन्द्रक में एक छोटी सघन संरचना दिखाई देती है। इसे केन्द्रिका अथवा न्यूक्लिओलस कहते हैं। इसके अतिरिक्त केन्द्रक में धागे के समान संरचनाएँ भी होती हैं जो क्रोमोसोम अथवा गुणसूत्र कहलाते हैं। यह जीन के धारक हैं तथा आनुवंशिक गुणों अथवा लक्षणों को जनक से अगली पीढ़ी में स्थानांतरित करते हैं। गुणसूत्र कोशिका विभाजन के समय ही दिखाई देते हैं।


जीन

जीन सजीव में आनुवंशिक की इकाई है। यह जनक से संतति को आनुवंशिक लक्षण के स्थानांतरण का नियंत्रण करते हैं। इसका अर्थ है कि आपके माता-पिता के कुछ लक्षण उनसे आपको प्राप्त हुए हैं। यदि आपके पिताजी की आँख भूरी है, तो संभव है कि आपकी आँख भी भूरी है। यदि आपकी माताजी के घुँघराले बाल हैं तो हो सकता है आपके बाल भी घुँघराले हों। परंतु जनक प्राप्त विभिन्न जीन के संयुक्त होने के परिणामस्वरूप लक्षण भिन्न भी हो सकते हैैं।


वंशानुगत अथवा आनुवांशिक गुणों के अतिरिक्त केन्द्रक कोशिका के क्रियाकलापों का भी नियंत्रण करता है।


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पहेली जानना चाहती है कि क्या पौधों, जंतु और जीवाणु की कोशिका में केन्द्रक की संरचना एकसमान होती है।


जीवाणु कोशिका का केन्द्रक बहुकोशिक जीवों के केन्द्रक के समान सुसंगठित नहीं होता। इसमें केन्द्रक झिल्ली अनुपस्थित होती है। एेसी कोशिकाएँ जिनमें केन्द्रक पदार्थ केन्द्रक झिल्ली के बिना होता है प्रोकैरियोटिक कोशिका कहलाती है। इस प्रकार की कोशिकाओं वाले जीव प्रोकैरियोट्स कहलाते हैं। जीवाणु और नीले-हरे शैवाल इसके उदाहरण हैं। प्याज की झिल्ली एवं गाल की कोशिकाओं जैसी कोशिकाओं में झिल्लीयुक्त सुसंगठित केन्द्रक पाया जाता है। वे यूकैरियोटिक कोशिका कहलाती हैं। एेसी कोशिकाओं वाले जीव यूकैरियोट्स कहलाते हैं।

प्याज की झिल्ली की कोशिकाओं का प्रेक्षण करते समय क्या आपने कोशिका द्रव्य के बीच खाली अथवा दिखने वाली संरचनाओं पर ध्यान दिया? इन्हें रिक्तिका कहते हैं। यह मात्र एक एवं बड़ी हो सकती है, जैसे कि प्याज की झिल्ली की कोशिका में दिखाई देती हैं। गाल कोशिका में अनेक छोटी-छोटी रिक्तिकाएँ होती हैं। बड़ी रिक्तिकाएँ आमतौर पर पौधों की कोशिकाओं में पाई जाती हैं। जंतुओं में ये रिक्तिकाएँ बहुत छोटी होती हैं।

ट्राडेस्केंशिया पत्ती की कोशिकाओं में आपने अनेक छोटी रंगीन संरचनाएँ देखी होंगी। वे पत्ती की कोशिकाओं के कोशिका द्रव्य में छितरी रहती हैं। इन्हें प्लैस्टिड कहते हैं। यह विभिन्न रंगों के होते हैं। उनमें से कुछ में हरा रंजक उपस्थित होता है जिसे क्लोरोफिल कहते हैं। हरे रंग के प्लैस्टिड्स को क्लोरोप्लास्ट अथवा हरितलवक कहते हैं। वे पत्तियों को हरा रंग प्रदान करते हैं। आपको याद होगा कि पत्तियों के क्लोरोप्लास्ट में उपस्थित क्लोरोफिल प्रकाश संश्लेषण के लिए आवश्यक है

8.6 पादप एवं जंतु कोशिका की तुलना

यदि आप पिछले क्रियाकलाप 8.3 एवं 8.4 को याद करें तो उसके आधार पर आप पादप कोशिका एवं जंतु कोशिका की संरचना की तुलना कर सकते हैं। चित्र 8.7 (a), (b) का ध्यानपूर्वक प्रेक्षण कीजिए।

आइए, पादप एवं जंतुकोशिका की समानताओं और अंतर को सूचीबद्ध करें। सारणी 8.1 में केवल कुछ ही लक्षणों का उल्लेख किया गया है। आप और लक्षणों का उल्लेख कर सकते हैं।

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सारणी 8.1ः पादप कोशिका एवं जंतु कोशिका की तुलना

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अभ्यास

1. निम्न कथन सत्य (T) है अथवा असत्य (F)

(क) एककोशिक जीव में एक ही कोशिका होती है। (T/F)

(ख) पेशी कोशिका शाखान्वित होती हैं। (T/F)

(ग) किसी जीव की मूल संरचना अंग है। (T/F)

(घ) अमीबा की आकृति अनियमित होती है। (T/F)

2. मानव तंत्रिका कोशिका का रेखाचित्र बनाइए। तंत्रिका कोशिकाओं द्वारा क्या कार्य किया जाता है?

3. निम्न पर संक्षिप्त नोट लिखिए–

(क) कोशिका द्रव्

(ख) कोशिका का केन्द्रक

4. कोशिका के किस भाग में कोशिकांग पाए जाते हैं।

5. पादप कोशिका एवं जंतु कोशिका के रेखाचित्र बनाकर उनमें तीन अंतर लिखिए।

6. यूकैरियोट्स तथा प्रोकैरियोट्स में अंतर लिखिए।

7. कोशिका में क्रोमोसोम अथवा गुणसूत्र कहाँ पाए जाते हैं? उनका कार्य बताइए।

8. ‘सजीवों में कोशिका मूलभूत संरचनात्मक इकाई है’। समझाइए।

9. बताइए कि क्लोरोप्लास्ट अथवा हरितलवक केवल पादप कोशिकाओं में ही क्यों पाए जाते हैं? 

बाईं से दाईं ओर

4. यह कोशिका द्रव्य से एक झिल्ली द्वारा अलग होता है।

3. कोशिका द्रव्य के बीच रिक्त स्थान।

1. सजीवों की मूलभूत संरचनात्मक इकाई।

ऊपर से नीचे की ओर

2. यह प्रकाश संश्लेषण के लिए आवश्यक है।

1. कोशिका झिल्ली और केन्द्रिका झिल्ली के बीच का पदार्थ।

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विस्तारित अधिगम - क्रियाकलाप एवं परियोजनाएँ

1. अपने विद्यालय अथवा निकट के विद्यालय की सीनियर सेकेंडरी विज्ञान प्रयोगशाला में जाइए। सूक्ष्मदर्शी की कार्यविधि के विषय में जानकारी प्राप्त कीजिए। यह भी देखिए कि सूक्ष्मदर्शी के नीचे स्लाइड का प्रेक्षण किस प्रकार करते हैं।

2. अपने विद्यालय अथवा निकट के जीवविज्ञान के सीनियर अध्यापक से चर्चा कीजिए। पता लगाइए कि क्या कुछ व्याधियाँ माता-पिता (जनक) से उनकी संतति को स्थानांतरित होती हैं। पता लगाइए कि यह व्याधियाँ किस प्रकार संवहित होती हैं और क्या इनका उपचार किया जा सकता है। इस जानकारी को प्राप्त करने के लिए आप किसी चिकित्सक से भी चर्चा कर सकतेे हैं।

3. अपने क्षेत्र के कृषि विस्तरण केन्द्र का भ्रमण कीजिए। आनुवांशिक रूप से रूपांतरित (GM) फसलों के विषय में जानकारी प्राप्त कीजिए। इस विषय पर अपनी कक्षा के लिएएक संक्षिप्त भाषण तैयार कीजिए। 

4. किसी कृषि विशेषज्ञ से बीटी कपास (Bt Cotton) के विषय में जानकारी प्राप्त कीजिए। उसके लाभ और हानि के बारे में एक संक्षिप्त लेख लिखें।

क्या आप जानते हैं?

हमारी त्वचा के बाह्य स्तर में पाई जाने वाली कोशिकाएँ मृत होती हैं। एक सामान्य वयस्क में लगभग 2 kg मृत त्वचा होती है। प्रतिदिन त्वचा की लाखों मृत कोशिकाओं का क्षय होता रहता है। हर बार जब अपनी अंगुली से मेज की धूल को साफ करते हैं तो पुरानी त्वचा का बहुत भाग क्षयित हो जाता है।


क्या आप जानते हैं?

हमारी त्वचा के बाह्य स्तर में पाई जाने वाली कोशिकाएँ मृत होती हैं। एक सामान्य वयस्क में लगभग 2 kg मृत त्वचा होती है। प्रतिदिन त्वचा की लाखों मृत कोशिकाओं का क्षय होता रहता है। हर बार जब अपनी अंगुली से मेज की धूल को साफ करते हैं तो पुरानी त्वचा का बहुत भाग क्षयित हो जाता है।