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घर्षण

पने ट्रैफिक सिग्नल पर कार अथवा ट्रक चालक को अपने वाहन को मंद करते देखा होगा। जब भी आवश्यक होता है आप भीब्रेक लगाकर अपनी साइकिल को मंद करते हैं। क्या आपने कभी सोचा है कि ब्रेक लगाने पर वाहन मंद क्यों हो जाते हैं? केवल वाहन ही नहीं, कोई भी वस्तु जो किसी अन्य वस्तु के पृष्ठ पर गति कर रही होती है, उस स्थिति में भी मंद हो जाती है जब उस पर कोई बाहरी बल न लगाया हो। अन्ततः वह रुक जाती है। क्या आपने फर्श पर लुढ़कती गेंद को कुछ समय पश्चात् रुकते देखा है? केले के छिलके पर कदम पड़ते ही हम क्यों फिसल जाते हैं (चित्र 12.1)? किसी चिकने तथा गीले फर्श पर चलना क्यों कठिन होता है?

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चित्र 12.1 : जब कोई लड़का किसी केले के छिलके पर कदम रखता है तो वह गिर पड़ता है।

इस अध्याय में आप इसी प्रकार के प्रश्नों के उत्तर पाएँगे।

12.1 घर्षण बल

क्रियाकलाप 12.1


मेज़ पर रखी किसी पुस्तक [चित्र 12.2(a)] को धीरे से धकेलिए। आप यह देखेंगे कि कुछ दूरी चलकर यह रुक जाती है। इसी क्रियाकलाप को विपरीत दिशा में बल लगाकरदोहराइए [चित्र 12.2(b)]। क्या इस बार भी पुस्तक रुक जाती है? क्या आप इसका स्पष्टीकरण सोच सकते हैं? क्या हम यह कह सकते हैं कि पुस्तक की गति का विरोध करने के लिए उस पर कोई बल लगना चाहिए? इस बल को घर्षण बल कहते हैं।

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चित्र 12.2 (a) तथा (b) : षण पुस्तक तथा फर्श के पृष्ठों की सापेक्ष गति का विरोध करता है।


आपने देखा कि यदि आप बाईं दिशा में बल लगाते हैं तो घर्षण दाईं दिशा में कार्य करता है। यदि आप दाईं दिशा में बल लगाते हैं तो घर्षण बाईं दिशा में कार्य करता है। दोनों स्थितियों में घर्षण पुस्तक की गति का विरोध करता है। घर्षण बल सदैव ही लगाए गए बल का विरोध करता है।

उपरोक्त क्रियाकलाप में घर्षण बल पुस्तक तथा मेज़ के पृष्ठों के बीच कार्य करता है।

क्या सभी पृष्ठों पर समान घर्षण बल लगता है? क्या यह पृष्ठों के चिकनेपन पर निर्भर करता है? आइए पता लगाएँ।


12.2 घर्षण को प्रभावित करने वाले कारक

क्रियाकलाप 12.2


किसी ईंट के चारों ओर एक डोरी बाँधिए। ईंट को कमानीदार तुला द्वारा खींचिए (चित्र 12.3)। आपको कुछ बल लगाना पड़ता है। जैसे ही ईंट गति करना आरम्भ करे, कमानीदार तुला का पाठ्यांक लीजिए। इससे आपको उस घर्षण बल की माप प्राप्त होगी जो ईंट तथा फर्श के पृष्ठों के बीच लगता है।

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चित्र 12.3 : कमानीदार तुला द्वारा ईंट को खींचा जा रहा है।

अब ईंट पर पॉलिथीन का टुकड़ा लपेटिए और क्रियाकलाप को दोहराइए। क्या आप उपरोक्त दोनों स्थितियों में कमानीदार तुला के पाठ्यांकों में कोई अन्तर पाते हैं? इस अन्तर का क्या कारण हो सकता है? ईंट पर जूट का एक टुकड़ा लपेटकर इस क्रियाकलाप को दोहराइए। आपने क्या पाया?

कमानीदार तुला

कमानीदार तुला वह युक्ति है जिसके द्वारा किसी वस्तु पर लगने वाले बल को मापा जाता है। इसमें एक कुण्डलित कमानी होती है जिसमें बल लगाने पर प्रसार हो जाता है। कमानी के इस प्रसार की माप इसके अंशांकित पैमाने पर चलने वाले संकेतक द्वारा की जाती है। पैमाने के पाठ्यांक द्वारा बल का परिमाण प्राप्त होता है।

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क्रियाकलाप 12.3


किसी चिकने फर्श अथवा किसी मेज़ पर कोई आनत समतल बनाइए। इसके लिए आप ईंटों के सहारे रखा कोई लकड़ी का तख्ता उपयोग कर सकते हैं [चित्र 12.4(a)]। आनत समतल के किसी बिन्दु A पर पेन से कोई चिह्न अंकित कीजिए। अब कोई पेंसिल सेल इस बिन्दु से नीचे लुढ़कने दीजिए। रुकने से पूर्व यह मेज़ पर कितनी दूरी तय करता है? इस दूरी को नोट कीजिए। अब मेज़ पर कोई कपड़ा बिछा दीजिए। यह सुनिश्चित कीजिए कि कपड़े में सिलवट न हों। उपरोक्त क्रियाकलाप को फिर कीजिए [चित्र 12.4(b)]। 

मेज़ पर रेत की पतली पर्त बिछाकर इस क्रियाकलाप को दोहराइए। समस्त क्रियाकलाप में आनत समतल का ढलान समान रखिए।

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चित्र 12.4 :  पेंसिल सेल विभिन्न पृष्ठों पर भिन्न-भिन्न दूरियाँ तय करता है।


किसी चिकने फर्श अथवा किसी मेज़ पर कोई आनत समतल बनाइए। इसके लिए आप ईंटों के सहारे रखा कोई लकड़ी का तख्ता उपयोग कर सकते हैं [चित्र 12.4(a)]। आनत समतल के किसी बिन्दु A पर पेन से कोई चिह्न अंकित कीजिए। अब कोई पेंसिल सेल इस बिन्दु से नीचे लुढ़कने दीजिए। रुकने से पूर्व यह मेज़ पर कितनी दूरी तय करता है? इस दूरी को नोट कीजिए। अब मेज़ पर कोई कपड़ा बिछा दीजिए। यह सुनिश्चित कीजिए कि कपड़े में सिलवट न हों। उपरोक्त क्रियाकलाप को फिर कीजिए [चित्र 12.4(b)]

मेज़ पर रेत की पतली पर्त बिछाकर इस क्रियाकलाप को दोहराइए। समस्त क्रियाकलाप में आनत समतल का ढलान समान रखिए।

किस स्थिति में पेंसिल सेल द्वारा तय की गई दूरी सबसे कम है? सेल द्वारा हर बार तय की गईं दूरियाँ भिन्न-भिन्न क्यों होती हैं? इसका कारण जानने का प्रयास कीजिए। अपने परिणाम पर चर्चा कीजिए।

क्या सेल द्वारा चली दूरी जिस पृष्ठ पर वह चलता है, उसकी प्रकृति पर निर्भर करती है? क्या पेंसिल सेल के पृष्ठ का चिकनापन भी चली गई दूरी को प्रभावित करता है?

 घर्षण सम्पर्क में आने वाले दो पृष्ठों की अनियमितताओं के कारण होता है। एेसे पृष्ठ जो देखने में बहुत चिकने लगते हैं, उनमें भी बहुत सारी सूक्ष्म अनियमितताएँ होती हैं (चित्र 12.5)। दो पृष्ठों की अनियमितताएँ एक-दूसरे के भीतर धँस जाती हैं। जब हम एक पृष्ठ पर दूसरे पृष्ठ को गति कराने का प्रयास करते हैं तो हमें इस अन्तः- बंधन (interlocking) पर पार पाने के लिए कुछ बल लगाना पड़ता है। खुरदरे (रूक्ष) पृष्ठों पर ये अनियमितताएँ अधिक संख्या में होती हैं। अतः यदि पृष्ठ रूक्ष हो तो घर्षण बल अधिक होता है।


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मैं इस क्रियाकलाप को सेल पर रेगमाल का टुकड़ा लपेट कर करूँगा।

 

हमने यह सीखा कि दो पृष्ठों के बीच अनियमितताओं के अन्तःबंधन के कारण घर्षण होता है। स्पष्ट है कि यदि पृष्ठों को बलपूर्वक दबाएँ तो घर्षण में वृद्धि हो जाएगी। इसका अनुभव आप किसी चटाई को उस समय खींचकर कर सकते हैं जब उस पर कोई व्यक्ति नहीं बैठा है, तथा जब कोई व्यक्ति उस पर बैठा हो।

अपने उस अनुभव को याद कीजिए जब पिछली बार आपने किसी भारी बॉक्स को एक स्थान से दूसरे स्थान पर सरकाया था (चित्र 12.6) यदि आपको इस प्रकार का कोई अनुभव नहीं है तो अब इस प्रकार का अनुभव कीजिए। कौन-सा कार्य आसान है विराम अवस्था से किसी बॉक्स को गतिशील कराना अथवा किसी गतिशील बॉक्स को उसी दिशा में सरकाना।

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चित्र 12.5 : पृष्ठीय अनियमितताएँ।

किसी रुकी हुई वस्तु को विराम से गति प्रारम्भ करने की स्थिति में घर्षण पर पार पाने के लिए वस्तु पर लगाया जाने वाला बल स्थैतिक घर्षण की माप होती है। इसके विपरीत, किसी वस्तु को उसी चाल से गतिशील रखने के लिए आवश्यक बल उसके सर्पी घर्षण की माप होती है।

जब बॉक्स सरकना आरम्भ कर देता है, तो उसके पृष्ठ के सम्पर्क बिन्दुओं को उतना समय नहीं मिल पाता कि वे फर्श के संपर्क बिन्दुओं में धँस सकें। अतः सर्पी घर्षण स्थैतिक घर्षण से कुछ कम होता है। इसीलिए किसी बॉक्स में गति आरम्भ करने की अपेक्षा पहले से ही गतिमान बॉक्स की गति बनाए रखना सरल होता है।

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चित्र 12.6 : बॉक्स को गतिमान रखने के लिए लगातार धकेलना पड़ता है।


12.3 घर्षण : हानिकारक परंतु अनिवार्य

अब अपने कुछ अनुभवों को याद कीजिए। किसी काँच के गिलास अथवा किसी कुल्हड़ में से किसे पकड़े रखना आसान है? मान लीजिए किसी गिलास का बाहरी पृष्ठ चिकना है अथवा उस पर पकाने के तेल की परत चढ़ी है तो क्या उसे हाथ में पकड़ना आसान होगा अथवा अधिक कठिन हो जाएगा? ज़रा सोचिए! यदि घर्षण न हो तो क्या आपके लिए गिलास को पकड़े रखना संभव हो पाएगा?

यह भी याद कीजिए कि मारबल के गीले फर्श अथवा कीचड़ वाली पगडंडी पर चलना कितना कठिन होता है। क्या आप घर्षण न होने की स्थिति में चलने की कल्पना कर सकते हैं?

यदि घर्षण न हो तो आप पेन अथवा पेंसिल से नहीं लिख सकते। जब आपके शिक्षक चाक से श्यामपट्ट पर लिखते हैं तो श्यामपट्ट का रूक्ष पृष्ठ रगड़ द्वारा चाक के कुछ कणों को उतार देता है जो श्यामपट्ट से चिपक जाते हैं और इस प्रकार श्यामपट्ट पर आपको लिखावट दिखाई देती है। यदि सड़क तथा वाहन के टायरों के बीच घर्षण न होता तो उन वाहनों की न तो गति आरम्भ की जा सकती थी, न ही उन्हें रोका जा सकता था और न ही दिशा परिवर्तित की जा सकती थी।

यदि कोई वस्तु गति आरम्भ कर दे तो वह कभी नहीं रुकेगी, यदि वहाँ घर्षण न हो। आप दीवार में कील नहीं ठोंक पाते (चित्र 12.7) अथवा धागे में गाँठ नहीं बाँध पाते। घर्षण के बिना कोई भवन निर्माण नहीं हो सकता था।


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चित्र 12.7 : घर्षण के कारण दीवार में कील गड़ जाती है।

इसके विपरीत घर्षण हानिकारक भी है। घर्षण के कारण वस्तुएँ घिस जाती हैं चाहे वह पेंच, बॉल बेयरिंग अथवा जूतों के सोल ही क्यों न हों (चित्र 12.8)। आपने रेलवे स्टेशनों पर पैदल-उपरिपुलों की घिसीपिटी सीढ़ियाँ देखी होंगी।

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चित्र 12.8 : घर्षण के कारण जूतों के तले घिस जाते हैं।

घर्षण से ऊष्मा भी उत्पन्न हो सकती है। कुछ मिनट तक अपनी हथेलियों को तेज़ी से एक दूसरे के साथ रगड़िए (चित्र 12.9)। आप क्या अनुभव करते हैं? जब आप माचिस की तीली को किसी रूक्ष पृष्ठ से रगड़ते हैं, तो वह आग पकड़ लेती है (चित्र 12.10)।

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चित्र 12.9 : हाथों को रगड़ने पर आप गरमी अनुभव करते हैं।


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चित्र 12.10 : घर्षण के कारण माचिस की तीली को रगड़ने पर वह आग पकड़ लेती है।

आपने यह देखा होगा कि विद्युत मिक्सर को कुछ मिनट तक चलाने पर उसका जार गरम हो जाता है। आप एेसे बहुत से उदाहरण दे सकते हैं जिनमें घर्षण द्वारा ऊष्मा उत्पन्न होती है। वास्तव में जब हम किसी मशीन का उपयोग करते हैं तो घर्षण से उत्पन्न ऊष्मा के कारण अत्यधिक ऊर्जा नष्ट हो जाती है। निम्नलिखित अनुभाग में हम घर्षण को कम करने के उपायों पर चर्चा करेंगे।

12.4 घर्षण बढ़ाना तथा घटाना

पिछले अनुभाग में आपने देखा कि कुछ परिस्थितियों में घर्षण वांछनीय होता है।

क्या आपने कभी यह सोचा है कि आपके जूतों की तली खाँचेदार क्यों है [चित्र 12.11(a)]। खाँचे जूतों की फर्श से पकड़ बनाते हैं जिसके कारण आप चलते समय सुरक्षित रहते हैं। इसी प्रकार कारों, ट्रकों तथा बुलडोज़रों के टायर भी खाँचेदार होते हैं जिससे सड़क से उनकी पकड़ अच्छी बनती है।

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(a) (b)

चित्र 12.11 : (a) जूते तथा (b) टायरों की तलियों को खाँचेदार बनाकर घर्षण अधिक किया जाता है।


स्वचालित वाहनों तथा साइकिलों की ब्रेक प्रणालियों में ब्रेक पैडों का उपयोग करके हम जानबूझकर घर्षण में वृद्धि करते हैं। जब आप कोई साइकिल चलाते हैं तो उसके ब्रेक पैड पहिए को स्पर्श नहीं करते। परन्तु जब आप ब्रेक लीवर को दबाते हैं तो ये पैड घर्षण के कारण रिम की गति को रोक देते हैं और पहिया गति करना बन्द कर देता है। आपने यह देखा होगा कि कबड्डी के खिलाड़ी अपने हाथों पर मिट्टी रगड़ते हैं ताकि वे अपने प्रतिद्वंदी को और अच्छी तरह पकड़ सकें। व्यायामी (जिमनैस्ट) अपने हाथों पर कोई रूक्ष पदार्थ लगा लेते हैं ताकि घर्षण में वृद्धि करके अच्छी पकड़ बना सकें।

यद्यपि कुछ अन्य स्थितियों में घर्षण अवांछनीय होता है। अतः हम उसे कम करना चाहेंगे

 कैरम बोर्ड पर आप महीन पाउडर क्यों छिड़कते हैं (चित्र 12.12)? आपने यह नोट किया होगा कि जब हम दरवाज़ों के कब्ज़ों (चूलों) में तेल की कुछ बूँदें डालते हैं, तो दरवाज़ा सहज ही घूमने लगता है। साइकिल तथा मोटर के मेकैनिक (मिस्त्री) इन मशीनों के गतिशील भागों के बीच ग्रीज़ लगाते हैं। उपरोक्त सभी परिस्थितियों में हम दक्षता में वृद्धि के लिए घर्षण को कम करते हैं। जब तेल, ग्रीज़ अथवा ग्रेफाइट को किसी मशीन के गतिशील पुर्जों (भागों) के बीच लगाते हैं तो वहाँ इनकी एक पतली परत बन जाती है तथा गतिशील पृष्ठ सीधे ही एक-दूसरे को रगड़ नहीं पाते (चित्र 12.13)। इस प्रकार अनियमितताओं का अंतःबंधन का अंतःपाशन काफी सीमा तक दूर हो जाता है। गति सहज बन जाती है। घर्षण कम करने वाले पदार्थों को स्नेहक कहते हैं। कुछ मशीनों में स्नेहक के रूप में तेल का उपयोग न करने की सलाह दी जाती है। वहाँ पर घर्षण कम करने के लिए गतिशील पुर्जों के बीच वायु की गद्दी का उपयोग किया जाता है।

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चित्र 12.12 : घर्षण कम करने के लिए कैरम बोर्ड पाउडर छिड़का गया है।

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चित्र 12.13 : स्नेहक का प्रभाव।



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घर्षण कदापि पूर्णतः समाप्त नहीं हो सकता है। कोई पृष्ठ पूर्णतः चिकना नहीं होता उसमें कुछ अनियमितताएँ अवश्य होती हैं।


12.5 पहिए घर्षण कम कर देते हैं

आपने अटैचियों तथा अन्य भारी सामानों (असबाबों) पर रोलर जड़े देखे होंगे। एेसे सामानों को कोई छोटा बच्चा भी आसानी से खींच सकता है (चित्र 12.14)। एेसा क्यों होता है? आइए पता लगाएँ।

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चित्र 12.14 : लोटन घर्षण कम कर देता है।

 

क्रियाकलाप 12.4

बेलनाकार आकृति की कुछ पेंसिलें लीजिए। इन्हें मेज़ पर एक-दूसरे के समान्तर रखिए। इनके ऊपर कोई मोटी पुस्तक रखिए (चित्र 12.15)। अब पुस्तक को धकेलिए। आप यह पाएँगे कि पुस्तक के गतिशील होने पर पेंसिल लुढ़कती है। पेंसिल की इस प्रकार की गति को लोटनिक गति कहते हैं। क्या आप यह अनुभव करते हैं कि पुस्तक को सरकाने की तुलना में इस प्रकार गतिशील कराने से घर्षण कम हो गया है? क्या आपने भारी मशीनों को उनके नीचे लकड़ी के लट्ठे रखकर एक स्थान से दूसरे स्थान तक ले जाते देखा है?

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चित्र 12.15 : रोलरों पर पुस्तक की गति।


जब एक वस्तु किसी दूसरी वस्तु के पृष्ठ पर लुढ़कती है तो उसकी गति के प्रतिरोध को लोटनिक घर्षण कहते हैं। लोटन घर्षण कम कर देता है। किसी वस्तु को दूसरी वस्तु पर सरकने की तुलना में लोटन करना सदैव आसान होता है। यही कारण है कि रोलर जड़ा सामान खींचना सुविधाजनक होता है। क्या अब आप यह समझ सकते हैं कि पहिए के आविष्कार कोे मानव जाति की महानतम खोजों में क्यों गिना जाता है?

क्योंकि लोटनिक घर्षण सर्पी घर्षण से कम होता है इसलिए अधिकांश मशीनों में सर्पण को बाल बेयरिंग के उपयोग द्वारा लोटन में प्रतिस्थापित किया जाता है। छत के पंखों तथा साइकिलों में धुरी तथा नाभि (हब) के बीच बाल बेयरिंग का उपयोग इसके सामान्य उदाहरण हैं (चित्र 12.16)।

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चित्र 12.16 : बाल बेयरिंग घर्षण कम कर देते हैं।

12.6 तरल घर्षण

आप जानते हैं कि वायु अत्यन्त हलकी तथा विरल होती है। फिर भी इससे होकर गति करने वाली वस्तुओं पर वायु घर्षण बल लगाती है। इसी प्रकार जल तथा अन्य द्रव भी इनसे होकर गति करने वाली वस्तुओं पर घर्षण बल लगाते हैं। विज्ञान में गैसों तथा द्रवों को एक ही नाम ‘तरल’ दिया गया है। अतः हम कह सकते हैं कि तरल इनसे होकर गति करने वाली वस्तुओं पर घर्षण बल लगाते हैं।

तरलों द्वारा लगाए गए घर्षण बल को कर्षण भी कहते हैं।

किसी तरल पर लगने वाला घर्षण बल उसकी तरल के सापेक्ष गति पर निर्भर करता है। घर्षण बल वस्तु की आकृति तथा तरल की प्रकृति पर भी निर्भर करता है।

स्पष्ट है कि जब वस्तुएँ किसी तरल में गति करती हैं तो उन्हें उन पर लगे घर्षण बल पर पार पाना होता है। इस प्रक्रिया में उनकी ऊर्जा का क्षय होता है। अतः घर्षण को कम से कम करने के लिए प्रयास किए जाते हैं। अतः वस्तुओं को विशिष्ट आकृतियाँ दी जाती हैं। आपके विचार से वैज्ञानिकों को इन विशिष्ट आकृतियाें के बारे में कहाँ से संकेत प्राप्त होते हैं? वास्तव में उन्हें ये संकेत प्रकृति से मिलते हैं। पक्षी तथा मछलियाँ तरल में गति करते हैं। उनके शरीर का विकास इस प्रकार हुआ होगा कि तरल में गति करते समय घर्षण पर पार पाने में उनकी ऊर्जा का क्षय यथासंभव कम हो। आपने इन आकृतियों के बारे में कक्षा VI में अध्ययन किया था। वायुयान की आकृति को सावधानीपूर्वक देखिए (चित्र 12.17)। क्या आप इसकी आकृति तथा किसी पक्षी की आकृति में कोई समानता पाते हैं? वास्तव में, सभी वाहनों के डिज़ाइन इस प्रकार बनाए जाते हैं कि तरल घर्षण कम हो जाए।


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चित्र 12.17 : एक हवाई जहाज और पक्षी की आकृति में समानता।


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अभ्यास

1. रिक्त स्थानों की पूर्ति कीजिए–

(क) घर्षण एक दूसरे के सम्पर्क में रखी दो वस्तुओं के पृष्ठों के बीच 1906.png का विरोध करता है।

(ख) घर्षण पृष्ठों के 1908.png पर निर्भर करता है।

(ग) घर्षण से 1910.png उत्पन्न होती है।

(घ) कैरम बोर्ड पर पाउडर छिड़कने से घर्षण 1912.png हो जाता है।

(ङ) सर्पी घर्षण स्थैतिक घर्षण से 1914.png होता है।

2. चार बच्चों को लोटनिक, स्थैतिक तथा सर्पी घर्षण के कारण बलों को घटते क्रम में व्यवस्थित करने के लिए कहा गया । उनकी व्यवस्था नीचे दी गयी है। सही व्यवस्था का चयन कीजिए–

(क) लोटनिक, स्थैतिक, सर्पी

(ख) लोटनिक, सर्पी, स्थैतिक

(ग) स्थैतिक, सर्पी, लोटनिक 

(घ) सर्पी, स्थैतिक, लोटनिक

3. आलिदा अपनी खिलौना कार को संगमरमर के सूखे फर्श, संगमरमर के गीले फर्श, फर्श पर बिछे समाचार पत्र तथा तौलिए पर चलाती है। कार पर विभिन्न पृष्ठों द्वारा लगे घर्षण बल का बढ़ता क्रम होगा– 

(क) संगमरमर का गीला फर्श, संगमरमर का सूखा फर्श, समाचारपत्र, तौलिया

(ख) समाचारपत्र, तौलिया, संगमरमर का सूखा फर्श, संगमरमर का गीला फर्श

(ग) तौलिया, समाचारपत्र, संगमरमर का सूखा फर्श, संगमरमर का गीला फर्श

(घ) संगमरमर का गीला फर्श, संगमरमर का सूखा फर्श, तौलिया, समाचारपत्र

4. मान लीजिए आप अपने डेस्क को थोड़ा झुकाते हैं। उस पर रखी कोई पुस्तक नीचे की ओर सरकना आरम्भ कर देती है। इस पर लगे घर्षण बल की दिशा दर्शाइए।

5. मान लीजिए दुर्घटनावश साबुन के पानी से भरी बाल्टी संगमरमर के किसी फर्श पर उलट जाए। इस गीले फर्श पर आपके लिए चलना आसान होगा या कठिन। अपने उत्तर का कारण बताइए।

6. खिलाड़ी कीलदार जूते (स्पाइक्स) क्यों पहनते हैं? व्याख्या कीजिए।

7. इकबाल को हलकी पेटिका धकेलनी है तथा सीमा को उसी फर्श पर भारी पेटिका धकेलनी है। कौन अधिक घर्षण बल अनुभव करेगा और क्यों?

8. व्याख्या कीजिए, सर्पी घर्षण स्थैतिक घर्षण से कम क्यों होता है।

9. वर्णन कीजिए, घर्षण किस प्रकार शत्रु एवं मित्र दोनों है।

10. वर्णन कीजिए, तरल में गति करने वाली वस्तुओं की आकृति विशेष प्रकार की क्यों बनाते हैं। विस्तारित अधिगम - क्रियाकलाप एवं परियोजनाएँ 


 


विस्तारित अधिगम - क्रियाकलाप एवं परियोजनाएँ

1. आपकी रुचि के खेल में घर्षण की क्या भूमिका है? इस खेल के कुछ एेसे चित्र एकत्र कीजिए जिसमें खेलते समय घर्षण या तो सहायता कर रहा है अथवा विरोध कर रहा है। अपनी कक्षा के बुलेटिन बोर्ड पर इन चित्रों को उचित शीर्षक सहित प्रदर्शित कीजिए।

2. कल्पना कीजिए कि घर्षण यकायक समाप्त हो जाए। इससे जीवन किस प्रकार प्रभावित होगा। एेसी दस परिस्थितियों की सूची बनाइए।

3. किसी एेसी दुकान पर जाइए जहाँ खेलों के जूते मिलते हैं। विभिन्न खेलों के जूतों की तलियों का प्रेक्षण कीजिए। अपने प्रेक्षणों का वर्णन कीजिए।

4. एक खिलौना बनाइए- माचिस की एक खाली डिब्बी लीजिए। इसकी ट्रे निकालिए। चित्र में दर्शाए अनुसार किसी बाल पेन की अनुपयोगी रिफिल लेकर उसे ट्रे की चौड़ाई के बराबर काटिए। रिफिल को चित्र 12.18 में दर्शाए अनुसार दो पिनों की सहायता से ट्रे के ऊपरी भाग में जड़िए। ट्रे के सम्मुख फलकों पर छिद्र बनाइए। यह सुनिश्चित कीजिए कि छिद्र इतने बड़े हों कि धागे को छिद्रों से आसानी से गुजारा जा सके। एक मीटर लम्बा धागा लेकर उसे चित्र में दर्शाए अनुसार छिद्रों से गुजारिए। धागे के दोनों सिरों पर मनके बाँध दीजिए ताकि वह ट्रे के छिद्रों से बाहर न निकल सके। अब ट्रे में माचिस की डिब्बी का ढक्कन लगा दीजिए।

माचिस की डिब्बी को धागे से लटकाइए। धागा ढीला छोड़ दीजिए। 

माचिस की डिब्बी गुरुत्व बल के कारण नीचे गिरना आरम्भ कर देगी।

अब धागे को कस दीजिए और प्रेक्षण कीजिए क्या होता है।

अपने प्रेक्षण की व्याख्या कीजिए। क्या आप इस घटना का घर्षण से संबंध स्थापित कर सकते हैं?

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चित्र 12.18

नीचे दी गई वेबसाइट पर आप संबंधित विषय पर और अधिक अध्ययन कर सकते हैंः

  •  http://www.school-for-champions.com/science/friction.htm
  •  http//hyperphysics.phy-astr.gsu.edu/hbase/firct2.html