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खनिज और शक्ति संसाधान


किरी सुकान्त से मिलने धनबाद के निकट उसके पैतृक स्थान पर जा रही थी। किरी विशाल काले क्षेत्र को देखकर आश्चर्यचकित थी। "सुकान्त, यह स्थान इतना काला और धूल भरा क्यों है?" उसने पूछा। "यह कोयला खदान के निकट होने के कारण है। क्या आप वहाँ ट्रकों को देख रही हो? ये सभी खनिज कोयले को ले जा रहे हैं।" सुकान्त ने उत्तर दिया।

"खनिज क्या हैं?" किरी पूछती है। सुकान्त कहता है, "क्या आपने कभी नानबाई को बिस्कुट बनाते हुए देखा है? उसमें आटा, दूध, चीनी और कभी-कभी अंडे को भी मिलाया जाता है। जब आप पके हुए बिस्कुट खाते हैं तो क्या आप इनके अवयवों को पृथक रूप में देख सकते हैं? जिस प्रकार बिस्कुट में मिली हुई कई वस्तुओं को आप नहीं देख सकती हैं, उसी प्रकार, इस पृथ्वी पर चट्टानों में कई पदार्थ मिले होते हैं जो खनिज कहलाते हैं। ये खनिज पृथ्वी की चट्टान पर्पटी पर सभी जगह फैले हुए हैं।"



चित्र 3ण्1 : कोयले की खदान में ट्रक का भारण



क्या आप जानते हैं?

आपके भोजन में नमक और आपकी पेंसिल में ग्रैफाइट भी खनिज हैं।


प्राकृतिक रूप से प्राप्त होने वाला पदार्थ जिसका निश्चित रासायनिक संघटन हो, वह एक खनिज है। खनिज सभी स्थानों पर समान रूप से वितरित नहीं हैं। वे किसी विशेष क्षेत्र में या शैल समूहों में संकेंद्रित हैं। कुछ खनिज एेसे क्षेत्रों में पाए जाते हैं जो आसानी से अभिगम्य नहीं हैं जैसे आर्कटिक महासागर संस्तर और अंटार्कटिका।

खनिज विभिन्न प्रकार के भूवैज्ञानिक परिवेश में अलग-अलग दशाओं में निर्मित होते हैं। वेे बिना किसी मानवीय हस्तक्षेप के, प्राकृतिक प्रक्रियाओं द्वारा निर्मित होते हैं। वे अपने भौतिक गुणों, जैसे रंग, घनत्व, कठोरता और रासायनिक गुणों यथा विलेयता के आधार पर पहचाने जा सकते हैं।

खनिजों के प्रकार

पृथ्वी पर तीन हज़ार से अधिक विभिन्न खनिज हैं। संरचना के आधार पर, खनिजों को मुख्यत: धात्विक और अधात्विक खनिजों में वर्गीकृत किया गया है (चित्र 3.2)।


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चित्र 3.2: खनिजों का वर्गीकरण


धात्विक खनिजों में धातु कच्चे रूप में होती है। धातुएँ कठोर पदार्थ हैं, जो ऊष्मा और विद्युत को सुचालित करती हैं और जिनमें द्युति या चमक की विशेषता होती है। लौह अयस्क, बॉक्साइट, मैंगनीज अयस्क इनके कुछ उदाहरण हैं। धात्विक खनिज लौह अथवा अलौह हो सकते हैं। लौह खनिजों, जैसे लौह अयस्क, मैंगनीज और क्रोमाइट में लोहा होता है। अलौह खनिज में लोहा नहीं होता है किंतु कुछ अन्य धातु, यथा सोना, चाँदी, ताँबा या सीसा हो सकती है।


क्या आप जानते हैं?

शैल खनिज अवयवों के अनिश्चित संघटन वाले एक या एक से अधिक खनिजों का एक समूहन है।

शैल जिनसे खनिजों का खनन किया जाता है, अयस्क कहे जाते हैं।

यद्यपि 2,800 से अधिक खनिजों की पहचान की गई है जिनमें से केवल लगभग 100 अयस्क खनिज समझे जाते हैं।


अधात्विक खनिजों में धातुएँ नहीं होती हैं। चूना पत्थर, अभ्रक और जिप्सम इन खनिजों के उदाहरण हैं। खनिज ईंधन जैसे कोयला और पेट्रोलियम भी अधात्विक खनिज हैं।

खनिजों को खनन, प्रवेधन या आखनन द्वारा निष्कर्षित किया जा सकता है (चित्र 3.3)।


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चित्र 3.3: खनिजों का निष्कर्षण


पृथ्वी की सतह के अंदर दबी शैलों से खनिजों को बाहर निकालने की प्रक्रिया खनन कहलाती है। खनिज जो कम गहराई में स्थित हैं वे पृष्ठीय स्तर को हटाकर निकाले जाते हैं, इसे विवृत खनन कहते हैं। गहन वेधन जिन्हें कूपक कहते हैं, अधिक गहराई में स्थित खनिज निक्षेपों तक पहुँचने के लिए बनाए जाते हैं। इसे कूपकी खनन कहते हैं। पेट्रोलियम और प्राकृतिक गैस धरातल के बहुत नीचे पाए जाते हैं। उन्हें बाहर निकालने के लिए गहन कूपों की खुदाई की जाती है, इसे प्रवेधन कहते हैं (चित्र 3.4)। सतह के निकट स्थित खनिजों को जिस प्रक्रिया द्वारा आसानी से खोदकर निकाला जाता है, उसे आखनन कहते हैं।


चित्र 3.4 : अपतट तेल का प्रवेधन

क्या आप जानते हैं?

आप शैल को देख कर बता सकते हैं यदि इसमें ताँबा है क्योंकि तब शैेल का रंग नीला प्रतीत होगा।


खनिजों का वितरण

खनिज विभिन्न प्रकार की शैलों में पाए जाते हैं। कुछ आग्नेय शैलों में पाए जाते हैं, कुछ कायांतरित शैलों में जबकि अन्य अवसादी शैलों में पाए जाते हैं। धात्विक खनिज आग्नेय और कायांतरित शैल समूहों, जिनसे विशाल पठारों का निर्माण होता है, में पाए जाते हैं। उत्तरी स्वीडन में लौह अयस्क, औंटेरियो (कनाडा) में ताँबा और निकेल के निक्षेप, दक्षिण अफ्रीका में लोहा, निकेल, क्रोमाइट और प्लेटिनम, आग्नेय और कायांतरित शैलों में पाए जाने वाले खनिजों के उदाहरण हैं। मैदानों और नवीन वलित पर्वतों के अवसादी शैल समूहों में अधात्विक खनिज जैसे चूना पत्थर पाए जाते हैं। फ्रांस के कॉकेशस प्रदेश के चूना पत्थर निक्षेप, जार्जिया और यूक्रेन के मैंगनीज निक्षेप और अल्जीरिया के फास्फेट संस्तर इसके कुछ उदाहरण हैं। खनिज ईंधन जैसे कोयला और पेट्रोलियम भी अवसादी स्तर में पाए जाते हैं।


चित्र 3.5 : विश्व : लोहे, ताँबे और बॉक्साइट का वितरण


एशिया

चीन और भारत के पास विशाल लौह अयस्क निक्षेप हैं। यह महाद्वीप विश्व का आधे से अधिक टिन उत्पादन करता है। चीन, मलेशिया और इंडोनेशिया विश्व के अग्रणी टिन उत्पादकों में है। चीन सीसा, एन्टीमनी और टंगस्टन के उत्पादन में भी अग्रणी है। एशिया में मैंगनीज, बॉक्साइट, निकेल, जस्ता और ताँबा के भी निक्षेप हैं।


क्या आप जानते हैं?

स्विटजरलैण्ड में कोई ज्ञात खनिज निक्षेप नहीं है।


यूरोप

यूरोप विश्व में लौह अयस्क का अग्रणी उत्पादक है। रूस, यूक्रेन, स्वीडन और फ्रांस लौह अयस्क के विशाल निक्षेप वाले देश हैं। ताँबा, सीसा, जस्ता, मैंगनीज और निकेल खनिजों के निक्षेप पूर्वी यूरोप और यूरोपीय रूस में पाए जाते हैं।


आओ कुछ करके सीखें

विश्व के रूपरेखा मानचित्र में कनाडियन शील्ड, अप्लेशियन पर्वत, ग्रेट लेक और पश्चिमी कार्डीलेरा पर्वत शृंखला को मानचित्रावली की सहायता से चिह्नित कीजिए।


उत्तर अमेरिका

उत्तर अमेरिका में खनिज निक्षेप तीन क्षेत्रों में अवस्थित हैं -ग्रेट लेक के उत्तर में कनाडियन शील्ड प्रदेश, अप्लेशियन प्रदेश और पश्चिम की पर्वत शृंखलाएँ। लौह अयस्क, निकेल, सोना, यूरेनियम और ताँबा का खनन कनाडियन शील्ड प्रदेश में और कोयले का अप्लेशियन प्रदेश में होता है। पश्चिमी कार्डीलेरा में ताँबा, सीसा, जस्ता, सोना और चाँदी के विशाल निक्षेप हैं।


चित्र 3.6 : विश्व : खनिज तेल और कोयले का वितरण

दक्षिण अमेरिका

ब्राजील विश्व में उच्च कोटि के लौह-अयस्क का सबसे बड़ा उत्पादक है। चिली और पेरू ताँबे के अग्रणी उत्पादक हैं। ब्राजील और बोलीविया विश्व में टिन के सबसे बड़े उत्पादकों में से हैं। दक्षिण अमेरिका के पास सोना, चाँदी, जस्ता, क्रोमियम, मैंगनीज, बॉक्साइट, अभ्रक, प्लैटिनम, एसबेस्टस और हीरा के विशाल निक्षेप भी हैं। खनिज तेल वेनेजुएला, अर्जेंटीना, चिली, पेरू और कोलंबिया में पाया जाता है।


क्या आप जानते हैं?

  • हरा हीरा एक दुर्लभतम हीरा है।
  • विश्व की प्राचीनतम शैलें पश्चिमी आस्ट्रेलिया में हैं। वे 430 करोड़ वर्ष पूर्व बने, पृथ्वी के निर्माण के मात्र 30 करोड़ वर्ष पश्चात।


अफ्रीका

अफ्रीका खनिज संसाधनों में धनी है। यह हीरा, सोना और प्लेटिनम का विश्व में सबसे बड़ा उत्पादक है। दक्षिण अफ्रीका, जिम्बाब्वे और जायरे विश्व के सोने का एक बड़ा भाग उत्पादित करते हैं। ताँबा, लौह अयस्क, क्रोमियम, यूरेनियम, कोबाल्ट और बॉक्साइट दक्षिण अफ्रीका में पाए जाने वाले अन्य खनिज हैं। तेल नाइजीरिया, लीबिया और अंगोला में पाया जाता है।


आस्ट्रेलिया

आस्ट्रेलिया विश्व में बॉक्साइट का सबसे बड़ा उत्पादक है। यह सोना, हीरा, लौह-अयस्क, टिन और निकेल का अग्रणी उत्पादक है। यह ताँबा, सीसा, जस्ता और मैंगनीज में भी संपन्न है। पश्चिम आस्ट्रेलिया के कालगूर्ली और कूलगार्डी क्षेत्रों में सोने के सबसे बड़े निक्षेप हैं।


क्रियाकलाप

मानचित्रावली की सहायता से भारत के रूपरेखा मानचित्र पर लोहा, बॉक्साइट, मैंगनीज और अभ्रक के वितरण को चिह्नित कीजिए।


अंटार्कटिका

विभिन्न खनिज निक्षेपों, पूर्वानुमान से कुछ संभवत: विशाल, के लिए अंटार्कटिका का भूविज्ञान पर्याप्त रूप से सुप्रसिद्ध है। ट्रांस-अंटार्कटिक पर्वत में कोयले और पूर्वी अंटार्कटिका के प्रिंस चार्ल्स पर्वत के निकट लोहे के महत्त्वपूर्ण मात्रा में निक्षेपों का पूर्वानुमान किया गया है। लौह अयस्क, सोना, चाँदी और तेल भी वाणिज्यिक मात्रा में उपलब्ध हैं।


खनिजों के उपयोग

खनिजों का उपयोग कई उद्योगों में होता है। रत्नों के लिए प्रयोग किए जाने वाले खनिज प्राय: कठोर होते हैं। इन्हें आभूषण बनाने के लिए विभिन्न शैलियों में जड़ा जाता है। ताँबा एक अन्य धातु है जिसका उपयोग सिक्के से लेकर पाइप तक प्रत्येक वस्तु में किया जाता है। कंप्यूटर उद्योग में प्रयुक्त होने वाला सिलिकन, क्वार्ट्ज से प्राप्त किया जाता है। एेलुमिनियम जिसे उसके अयस्क बॉक्साइट से प्राप्त किया जाता है, का उपयोग अॉटोमोबाइल और हवाई  जहाज, बोतलबंदी उद्योग, भवन निर्माण और रसोई के बर्तन तक में होता है।


आओ कुछ करके सीखें

किन्हीं पाँच खनिजों के उपयोग की सूची बनाइए।


खनिजों का संरक्षण

खनिज अनवीकरणीय संसाधन है। खनिजों के निर्माण और संचयन में ह”ाारों वर्ष लगते हैं। मानवीय उपभोग की दर की तुलना में निर्माण की दर बहुत धीमी है। खनन की प्रक्रिया में बर्बादी को घटाना आवश्यक है। धातुओं का पुनर्चक्रण एक अन्य तरीका है जिससे खनिज संसाधनों को संरक्षित किया जा सकता है।


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शक्ति संसाधन

सन्नी की माँ अपने दिन की शुरुआत गाइजर का बटन दबाने से करती है। वह सन्नी को जगाने से पहले उसके विद्यालय की वर्दी पर इस्त्री करती है। इसके बाद वह उनके लिए ब्लेंडर में एक गिलास संतरे का जूस तैयार करने के लिए रसोईघर में ते”ाी से पहुँचती है।


चित्र 3.7 : विद्युत संभरण हेतु राष्ट्रीय शक्ति ग्रिड


"सन्नी! क्या आपने स्नान कर लिया? आओ और अपना नाश्ता करो," सन्नी के लिए गैस स्टोव पर नाश्ता बनाते हुए माँ पुकारती है।

विद्यालय जाते समय सन्नी बत्तियों और पंखों के बटन बंद करना भूल जाता है। माँ उन बटनों को बंद करते समय सोचती है कि शहरों में जीवन आरामदायक प्रतीत होता है, लेकिन विद्युत उपकरणों (गजट) जो सभी बिजली की खपत करते हैं पर अधिक से अधिक निर्भरता माँग और पूर्ति के बीच विशाल अंतर पैदा करती है। विज्ञान एवं प्रौद्योगिकी के नए प्रचालन से जीवन शैलियों में बहुत  तेज़ी से परिवर्तन आ रहे हैं।

शक्ति अथवा ऊर्जा हमारे जीवन में बहुत महत्त्वपूर्ण भूमिका निभाते हैं। हमें उद्योग, कृषि, परिवहन, संचार और प्रतिरक्षा के लिए भी शक्ति की आवश्यकता होती है। ऊर्जा संसाधनों को विस्तृत रूप से परंपरागत और गैर-परंपरागत संसाधनों में वर्गीकृत किया जा सकता है।


परंपरागत स्रोत

ऊर्जा के परंपरागत स्रोत वे हैं जो लंबे समय से सामान्य उपयोग में लाए जा रहे हैं। ईंधन और जीवाश्मी ईंधन परंपरागत ऊर्जा के दो मुख्य स्रोत हैं।

ईंधन

इसका उपयोग पकाने और ऊष्मा प्राप्त करने के लिए व्यापक रूप से होता है। हमारे देश में ग्रामीणों द्वारा उपयोग की गई पचास प्रतिशत से अधिक ऊर्जा ईंधन से प्राप्त होती है।

चित्र 3.8: ऊर्जा के परंपरागत स्रोत




चित्र 3.9 : उत्तर पूर्व भारत में ईंधन ले जाती महिला


पौधों और जानवरों के अवशेष जो लाखों वर्षों तक धरती के अंदर दबे रहे थे, ताप और दाब के प्रभाव से जीवाश्मी ईंधनों में परिवर्तित हो गए। जीवाश्मी ईंधन, जैसे कोयला, पेट्रोलियम और प्राकृतिक गैस परंपरागत ऊर्जा के मुख्य स्रोत हैं। इन खनिजों के भंडार सीमित हैं। विश्व की बढ़ती जनसंख्या जिस दर से इनका उपयोग कर रही है वह इनके निर्माण की दर से कहीं अधिक है। इसलिए ये शीघ्र ही समाप्त होने वाले हैं।


कोयला

यह बहुतायत में पाया जाने वाला जीवाश्मी ईंधन है। इसका उपयोग घरेलू ईंधन, उद्योगों जैसे लोहा और इस्पात, वाष्प इंजनों और विद्युत उत्पन्न करने में किया जाता है। कोयले से प्राप्त विद्युत को तापीय ऊर्जा कहा जाता है। कोयला जिसका हम आज उपयोग कर रहे हैं वह लाखों वर्ष पूर्व विशाल फर्न और दलदल के पृथ्वी की परतों में दबने से बना। कोयला इसलिए अंतर्हित धूप के रूप में जाना जाता है।


चित्र 3.10 : तापीय ऊर्जा संयंत्र का दृश्य


विश्व में अग्रणी कोयला उत्पादक देशों में चीन, संयुक्त राज्य अमेरिका, जर्मनी, रूस, दक्षिण अफ्रीका और फ्रांस हैं। भारत के कोयला उत्पादक क्षेत्र रानीगंज, पश्चिमी बंगाल में तथा झरिया, धनबाद और बोकारो झारखंड में हैं।


पेट्रोलियम

पेट्रोल जिससे आपकी कार चलती है और तेल जो आपकी साइकिल को चरमराने से रोकता है, दोनों की शुरुआत गाढ़े, काले द्रव से होती है जिसेे पेट्रोलियम कहते हैं। यह शैलों की परतों के मध्य पाया जाता है और इसका वेधन अपतटीय व तटीय क्षेत्रों में स्थित तेल क्षेत्रों से किया जाता है। तदुपरांत इसे परिष्करणशाला भेजा जाता है जहाँ अपरिष्कृत पेट्रोलियम के प्रक्रमण से विभिन्न तरह के उत्पाद जैसे  डीज़ल, पेट्रोल, मिट्टी का तेल, मोम, प्लास्टिक और स्नेहक तैयार किए जाते हैं। पेट्रोलियम और इससे बने उत्पादों को काला सोना कहा जाता है क्योंकि ये बहुत अधिक मूल्यवान हैं। पेट्रोलियम के मुख्य उत्पादक देश ईरान, इराक, सऊदी अरब और कतर हैं। अन्य मुख्य उत्पादक संयुक्त राज्य अमेरिका, रूस, वेनेजुएला और अल्जीरिया हैं। भारत में मुख्य उत्पादक क्षेत्र असम में डिग्बोई, मुंबई में ‘बाम्बे हाई’ तथा कृष्णा और गोदावरी नदियों के डेल्टा हैं।

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चित्र 3.11 : अपरिष्कृत पेट्रोलियम


शब्द उत्पत्ति

पेट्रोलियम शब्द लैटिन के शब्दों पेट्रा अर्थ शैल, ओलियम अर्थ तेल, से लिया गया है। इसलिए पेट्रोलियम का अर्थ शैल तेल है।


क्या आप जानते हैं?

संपीडित प्राकृतिक गैस (CNG) एक प्रचलित पर्यावरण हितैषी अॉटोमोबाइल ईंधन है, क्योंकि यह पेट्रोलियम और डीजल की तुलना में कम प्रदूषण करती है।


प्राकृतिक गैस

प्राकृतिक गैस पेट्रोलियम निक्षेपों के साथ पायी जाती है और तब निर्मुक्त होती है जब अपरिष्कृत तेल को धरातल पर लाया जाता है। इसका प्रयोग घरेलू और वाणिज्यिक ईंधनों के रूप में किया जा सकता है। रूस, नार्वे, यूण्केण् और नीदरलैंड प्राकृतिक गैस के प्रमुख उत्पादक हैं।

भारत में जैसलमेर, कृष्णा-गोदावरी डेल्टा, त्रिपुरा और मुंबई के कुछ अपतटीय क्षेत्रों में प्राकृतिक गैस संसाधन हैं। विश्व के बहुत कम देशों के पास प्राकृतिक गैस के अपने पर्याप्त भंडार हैं।

हमारे द्वारा जीवाश्मी ईंधनों के उपभोग की तीव्र वृद्धि ने चिंताजनक दर से इन्हें समाप्ति तक पहुँचा दिया है। इन ईंधनों के जलने से निकलने वाले विषैले प्रदूषक भी चिंता का विषय हैं। जीवाश्मी ईंधन का अनियंत्रित जलना अनियंत्रित टोंटी के टपकने के समान है जो अंतत: सूख जाती है। इसने हमारा ध्यान ऊर्जा के विभिन्न गैर-परंपरागत स्रोतों के दोहन की ओर बढ़ाया जो कि जीवाश्मी ईंधनों के स्वच्छतर विकल्प हैं।


चित्र 3.12 : सलल जल विद्युत परियोजना, जम्मू और कश्मीर


जल विद्युत

बाँधों में वर्षा जल अथवा नदी जल ऊँचाई से गिराने के लिए संग्रहित किया जाता है। बाँध के अंदर से पाइप के द्वारा बहता जल बाँध के नीचे स्थित टरबाइन के ऊपर गिरता है। घूमते हुए ब्लेड जेनरेटर को विद्युत के लिए घुमाते हैं। यह जल विद्युत कहलाती है। विद्युत उत्पन्न करने के बाद जो जल बहता है उसका उपयोग कृषि में किया जाता है। विश्व की ऊर्जा का एक-चौथाई हिस्सा जल विद्युत से उत्पन्न होता है।


चित्र 3.13 : जल विद्युत

विश्व में जल विद्युत के अग्रणी उत्पादक देश पराग्वे, नार्वे, ब्राजील और चीन हैं। भारत में कुछ महत्त्वपूर्ण जल विद्युत केंद्र भाखड़ा नंगल, गाँधी सागर, नागार्जुन सागर और दामोदर नदी घाटी परियोजनाएँ हैं।


क्या आप जानते हैं?

विश्व का पहला जल विद्युत उत्पन्न करने वाला देश नार्वे था।


ऊर्जा के गैर-परंपरागत स्रोत

जीवाश्मी ईंधनों के बढ़ते उपयोग से ऊर्जा के गैर-परंपरागत स्रोत का अभाव उत्पन्न हो रहा है। एेसा अनुमान किया जाता है कि यदि वर्तमान दर से इनका उपभोग लगातार होता रहा तो इन ईंधनों के भंडार समाप्त हो जाएँगे। इसके अतिरिक्त, इनका उपयोग पर्यावरणीय प्रदूषण भी पैदा करता है। इसलिए, गैर-परंपरागत स्रोत जैसे सौर ऊर्जा, पवन ऊर्जा, ज्वारीय ऊर्जा जो कि नवीकरणीय हैं, के उपयोग की आवश्यकता है।


क्या आप जानते हैं?

विश्व का प्रथम सौर और पवन चालित बस अड्डा स्कॉटलैंड में है।


सौर ऊर्जा

सूर्य की ऊष्मा और प्रकाश ऊर्जा हमारे द्वारा प्रतिदिन अनुभव की जा सकती है। सूर्य से प्राप्त सौर ऊर्जा, सौर सेलों में विद्युत उत्पन्न करने के लिए प्रयोग की जा सकती है। इनमें से कई सेलों को सौर पैनलों से तापन व प्रकाश के लिए शक्ति उत्पन्न करने के लिए जोड़ा जाता है। धूप की प्रचुरता वाले उष्ण कटिबंधीय देशों के लिए सौर ऊर्जा के उपयोग की प्रौद्योगिकी बहुत लाभदायक है। सौर ऊर्जा उपयोग का सौर तापक, सौर कुकर, सोलर ड्रायर के साथ-साथ समुदाय को रोशनी देने और यातायात संकेतों में भी होता है।



चित्र 3.14 : उर्जा के गैर -परंपरागत स्त्रोत


चित्र 3.15 : सौर ऊर्जा प्राप्त करने के लिए सौर पैनल


पवन ऊर्जा

पवन ऊर्जा का एक असमाप्य स्रोत है। पवन चक्कियों का उपयोग अनाजों को पीसने और जल निकालने के लिए चिरकाल से चला आ रहा है। वर्तमान पवन चक्कियों में तीव्र गति से चलती हवाएँ पवन चक्की को घुमाती हैं जो विद्युत उत्पादन करने के लिए जेनरेटर से जुड़ी होती हैं। पवन चक्कियों के समूह से युक्त पवन फार्म तटीय क्षेत्रों और पर्वत घाटियों में जहाँ प्रबल और लगातार हवाएँ चलती हैं, वहाँ स्थित हैं। पवन फार्म नीदरलैंड, जर्मनी, डेनमार्क, यूण्केण्, यूण्एसण्एण् तथा स्पेन में पाए जाते हैं जो पवन ऊर्जा उत्पादन में उल्लेखनीय हैं।


क्रियाकलाप

सौर कुकर

कार की एक पुरानी ट्यूब लें और इसमें हवा भरकर लकड़ी के एक चबूतरे पर रखें। एल्युमिनियम के नलीदार बर्तन को बाहर से काला कर दें और इसमें एक कप चावल के साथ दो कप जल मिलाएँ। इसको एक ढक्कन से बंद करें और उसे ट्यूब के भीतरी हिस्से में रखें। अब शीशे के एक फ्रेम को ट्यूब के ऊपर रखें और इसे धूप में खड़ा कर दें। शीशे के फ्रेम को खड़ा करने के बाद हवा न तो अंदर आ सकती है और न ही बाहर जा सकती है जबकि सूर्य की किरणें ट्यूब से घिरी इस बंद खाली जगह में रोक ली जाती हैं और यह बाहर नहीं निकल पाती हैं। तापमान धीरे-धीरे बढ़ता है और इसमें रखा चावल कुछ समय में पक जाता है।


परमाणु ऊर्जा


चित्र 3.16 : आण्विक ऊर्जा संयंत्र, कलपक्कम


परमाणु ऊर्जा प्राकृतिक तौर से प्राप्त रेडियोसक्रिय पदार्थ जैसे यूरेनियम और थोरियम के परमाणुओं के केंद्रक में संग्रहित ऊर्जा से प्राप्त की जाती है। ये पदार्थ नाभिकीय रिएेक्टरों में नाभिकीय विखंडन से गु”ारते हैं और उत्सर्जन ऊर्जा की प्राप्ति होती है। परमाणु ऊर्जा के सबसे बड़े उत्पादक संयुक्त राज्य अमेरिका और यूरोप हैं। भारत में राजस्थान और झारखंड के पास यूरेनियम के विशाल निक्षेप हैं। थोरियम विशाल मात्रा में केरल के मोनो”ााडट बालू में पाए जाते हैं। भारत में स्थित परमाणु ऊर्जा के केंद्र तमिलनाडु में कलपक्कम, महाराष्ट्र में तारापुर, राजस्थान में कोटा के निकट राणा प्रताप सागर, उत्तर प्रदेश में नरोरा और कर्नाटक में कैगा हैं।



भूतापीय ऊर्जा


ताप ऊर्जा जो पृथ्वी से प्राप्त की जाती है भूतापीय ऊर्जा कहलाती है। पृथ्वी के अंदर गहराई बढ़ने के साथ तापमान में लगातार वृद्धि होती जाती है। कभी-कभी यह तापमान ऊर्जा भू-सतह पर गर्म जल के झरनों के रूप में प्रकट हो सकती है। यह ताप ऊर्जा शक्ति उत्पादन करने में प्रयुक्त की जा सकती है। वर्षों से गर्म जल के स्रोतों के रूप में भूतापीय ऊर्जा खाना बनाने, ऊष्मा प्राप्त करने और नहाने के लिए प्रयोग में लाई जाती है। यूण्एसण्एण् विश्व का सबसे बड़ा भूतापीय ऊर्जा का सयंत्र है, इसके बाद न्यूजीलैंड, आइसलैंड, फिलीपींस और मध्य अमेरिका हैं। भारत में भूतापीय ऊर्जा के संयंत्र हिमाचल प्रदेश में मणिकरण और लद्दाख में पूगाघाटी में स्थित हैं।

चित्र 3.17 : परमाणु ऊर्जा


(क)
(ख)

चित्र 3.18:(क) मणिकरण में भूतापीय ऊर्जा (ख) भूतापीय ऊर्जा की सहायता से भोजन पकाना

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चित्र 3.19 : भूतापीय ऊर्जा प्राकृतिक दरार


क्या आप जानते हैं?

विश्व का पहला ज्वारीय ऊर्जा स्टेशन फ्रांस में बनाया गया था।


ज्वारीय उर्जा

ज्वार से उत्पन्न ऊर्जा को ज्वारीय ऊर्जा कहते हैं। इस ऊर्जा का विदोहन समुद्र के सँकरे मुँहाने में बाँध के निर्माण से किया जाता है। उच्च ज्वार के समय ज्वारों की ऊर्जा का उपयोग बाँध में स्थापित टरबाइन को घुमाने के लिए किया जाता है। रूस, फ्रांस और भारत में कच्छ की खाड़ी में विशाल ज्वारीय मिल के क्षेत्र हैं।


चित्र 3.20: ज्वारीय ऊर्जा

बायोगैस


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चित्र 3.21: बायोगैस


जैविक अपशिष्ट जैसे मृत पौधे और जंतुओं के अवशेष, पशुओं का गोबर, रसोई के अपशिष्ट को गैसीय ईंधन में बदला जा सकता है, इसे बायोगैस कहते हैं। जैविक अपशिष्ट बैक्टीरिया द्वारा बायोगैस संयंत्र में अपघटित होते हैं जो कि अनिवार्य रूप में मिथेन और कार्बन डाईअॉक्साइड का मिश्रण है। बायोगैस खाना पकाने तथा विद्युत उत्पादन का सर्वोत्तम ईंधन है और इससे प्रति वर्ष बड़ी मात्रा में जैव खाद का उत्पादन होता है।

ऊर्जा सर्वव्यापी है लेकिन इस ऊर्जा का विदोहन बहुत ही कठिन और खर्चीला है। हममें से प्रत्येक व्यक्ति ऊर्जा को नष्ट न करके एक भिन्नता ला सकता है। ऊर्जा की बचत ही ऊर्जा का उत्पादन है। अभी कार्य करें एवं ऊर्जा के भविष्य को सुनहरा बनाएँ।


अभ्यास

1. निम्नलिखित प्रश्नों के उत्तर दीजिए -

(1) प्रतिदिन आपके उपयोग में आने वाले तीन सामान्य खनिजों के नाम बताइए।

(2) अयस्क क्या है? धात्विक खनिजों के अयस्क सामान्यत: कहाँ पाए जाते हैं?

(3) प्राकृतिक गैस संसाधनों में संपन्न दो प्रदेशों के नाम बताइए।

(4) निम्न के लिए आप ऊर्जा के किन स्रोतों का सुझाव देंगे μ

(क) ग्रामीण क्षेत्रों (ख) तटीय क्षेत्रों (ग) शुष्क प्रदेशों

(5) पाँच तरीके दीजिए जिनसे कि आप घर पर ऊर्जा बचा सकते हैं।

2. सही उत्तर को चिह्नित कीजिए -

(1) निम्नलिखित में से कौन-सी एक खनिजों की विशेषता नहीं है?

(क) वे प्राकृतिक प्रक्रियाओं द्वारा निर्मित होते हैं।

(ख) उनका एक निश्चित रासायनिक संघटन होता है।

(ग) वे असमाप्य होते हैं।

(घ) उनका वितरण असमान होता है।

(2) निम्नलिखित में से कौन-सा अभ्रक का उत्पादक नहीं है?

(क) झारखंड (ख) राजस्थान

(ग) कर्नाटक (घ) आंध्र प्रदेश

(3) निम्नलिखत में से कौन विश्व में ताँबे का अग्रणी उत्पादक है?

(क) बोलीविया (ख) चिली

(ग) घाना (घ) जिंबाब्वे

(4) निम्नलिखित प्रक्रियाओं में से कौन-सी आपके रसोईघर में द्रवित पेट्रोलियम गैस (एलण्पीण्जीण्)

को संरक्षित नहीं करेगी-

(क) पकाने से पहले दाल को कुछ समय के लिए भिगोना।

(ख) प्रेशर कुकर में खाना पकाना।

(ग) पकाने के लिए गैस जलाने से पूर्व सब्”ाी को काट लेना।

(घ) खुली कढ़ाई में कम ज्वाला पर भोजन पकाना।

3. कारण बताइए -

(1) बड़े बाँधों के निर्माण के पूर्व पर्यावरणीय पहलुओं को ध्यानपूर्वक देखना चाहिए।

(2) अधिकांश उद्योग कोयला खानों के पास केंद्रित होते हैं।

(3) पेट्रोलियम को ‘काला सोना’ कहा जाता है।

(4) आखनन पर्यावरणीय चिंता का विषय हो सकता है।

4ण् निम्नलिखित में अंतर स्पष्ट कीजिए -

(1) परंपरागत और गैर-परंपरागत ऊर्जा के स्रोत

(2) बायो गैस और प्राकृतिक गैस

(3) लौह और अलौह खनिज

(4) धात्विक और अधात्विक खनिज

5. क्रियाकलाप

(1) हमारे जीवन में उपयोग किए जाने वाले विभिन्न प्रकार के ईंधनों को प्रदर्शित करने के लिए पुरानी पत्रिकाओं से चित्रों का प्रयोग करें और उन्हें अपने सूचनापट पर प्रदर्शित करें।

(2) ऊर्जा संरक्षण की युक्तियाँ जिन्हें आप अपने विद्यालय में अपनाएँगे, पर प्रकाश डालते हुए एक चार्ट बनाइए।

(3) सलमा की कक्षा ने विद्युत उपभेाग सर्वेक्षण के द्वारा अपने विद्यालय का ऊर्जा लेखा परीक्षण करने के लिए एक कार्य अभियान चलाया। उन्होंने विद्यालय के छात्रों के लिए सर्वेक्षण पत्रक तैयार किए।


विद्युत लेखा

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सर्वेक्षण के दौरान एकत्र किए गए आँकड़ों का प्रयोग करते हुए विद्यार्थियों ने एक माह मेें उपभोग की गई इकाइयों एवं अनुमानित व्यय की गणना की और पिछले माह के विद्युत बिल से इसकी तुलना की। उन्होनें पंखों, बत्तियों और बंद न किए गए अन्य उपकरणों द्वारा उपभोग की गई विद्युत के अनुमानित मूल्य की भी गणना की। इस प्रकार, उन्होंने उस मात्रा पर प्रकाश डाला जो बचाई जा सकती थी और ऊर्जा संरक्षण के लिए सामान्य आदतों के सुझाव दिए, जैसे-

  • आवश्यकता न होने पर उपकरणों को बंद कर देना।
  • आवश्यकतानुसार न्यूनतम उपयोग।
  • खिड़कियों को खुली रखकर प्राकृतिक हवा और प्रकाश का अधिकतम उपयोग करना।
  • बत्तियों को धूलरहित रखना।
दए गए निर्देशों के अनुसार उपकरणों की उचित देखभाल और उपयोग करना।
क्या आप इस सूची में कुछ और युक्तियाँ जोड़ सकते हैं?
आप घर पर इसी प्रकार का सर्वेक्षण कर सकते हैं और तब इसका विस्तार अपने पड़ोस तक कर सकते हैं और अपने पड़ोसियों को भी ऊर्जा के प्रति जागरूक कर सकते हैं।