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मानव संसाधान


लोग ही एक राष्ट्र के सबसे बड़े संसाधन होते हैं। प्रकृति की देन केवल उस समय महत्त्वपूर्ण होती है जब वह लोगों के लिए उपयोगी होती है। लोग अपनी आवश्यकताओं और योग्यताओं से उसे संसाधन में परिवर्तित कर देते हैं। इस प्रकार मानव संसाधन ही अंतिम संसाधन है। स्वस्थ, शिक्षित और अभिप्रेरित लोग अपनी आवश्यकताओं के अनुरूप संसाधनों का विकास करते हैं।

अन्य संसाधनों की भाँति मानव संसाधन विश्व में समान रूप से वितरित नहीं है। अपने शैक्षिक स्तर, आयु और लिंग में वे एक-दूसरे से भिन्न हैं। उनकी संख्या और लक्षण भी बदलते रहते हैं।


क्या आप जानते हैं?

भारत सरकार के अधीन एक मानव संसाधन मंत्रालय है। 1985 में इस मंत्रालय का निर्माण लोगों के कौशल को बढ़ाने के लिए किया गया था। इससे यह प्रदर्शित होता है कि लोग देश के लिए कितने महत्त्वपूर्ण संसाधन हैं।


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क्या आप जानते हैं?

प्रधानमंत्री कौशल विकास योजना (पीकेवीवाई) को 2015 में एक करोड़ भारतीय युवाओं को 2016 से 2020 तक प्रशिक्षित करने के उद्देश्य से शुरू किया गया था। इस योजना का उद्देश्य संभाव्य और मौजूदा रोज़गार अर्जक को गुणवत्ता प्रशिक्षण प्रदान करके रोज़गार योग्य कौशल की योग्यता को प्रोत्साहित करना है।



जनसंख्या का वितरण

भूपृष्ठ पर जिस प्रकार लोग फैले हैं, उसे जनसंख्या वितरण का प्रतिरूप कहते हैं। विश्व की जनसंख्या का 90 प्रतिशत से अधिक भाग भूपृष्ठ के लगभग 30 प्रतिशत भाग पर निवास करता है। विश्व में जनसंख्या का वितरण अत्यंत असमान है। कुछ क्षेत्र बहुत घने बसे हैं और कुछ विरल बसे क्षेत्र हैं।

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चित्र 6.1 : महाद्वीपों के अनुसार विश्व जनसंख्या


दक्षिण और दक्षिण-पूर्वी एशिया, यूरोप और उत्तर-पूर्वी उत्तर अमेरिका घने बसे क्षेत्र हैं। उच्च अक्षांशीय क्षेत्रों, उष्णकटिबंधीय मरुस्थलों, उच्च पर्वतों और विषुवतीय वनों के क्षेत्रों में बहुत कम लोग रहते हैं।

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चित्र 6.2 : विश्व की घनी आबादी वाले देश

विश्व के रूपरेखा मानचित्र पर इन देशों को चिह्नित करें।

स्रोत : भारत की जनगणना, 2011, अस्थायी जनसख्ंया आंकड़े, भारत शृंखला 1, पेपर 1, 2011



क्रियाकलाप

चित्र 6.1 का अध्ययन कीजिए और खोजिए:

विश्व की कुल जनसंख्या में से किस महाद्वीप में निम्न के अनुसार
जनसंख्या है-

(क) केवल 5 प्रतिशत

(ख) केवल 13 प्रतिशत

(ग) केवल 1 प्रतिशत

(घ) केवल 12 प्रतिशत


विषुवत वृत्त के दक्षिण की अपेक्षा विषुवत वृत्त के उत्तर में बहुत अधिक लोग रहते हैं। विश्व की कुल जनसंख्या के लगभग तीन-चौथाई लोग दो महाद्वीपों एशिया और अफ्रीका में रहते हैं। विश्व के 60 प्रतिशत लोग केवल दस देशों में रहते हैं। इन सभी देशों में 10 करोड़ से अधिक लोग रहते हैं।


क्या आप जानते हैं?

भारत की जनसंख्या का औसत घनत्व 382 व्यक्ति प्रति वर्ग किलोमीटर है।


जनसंख्या का घनत्व

पृथ्वी पृष्ठ के एक इकाई क्षेत्र में रहने वाले लोगों की संख्या को जनसंख्या का घनत्व कहते हैं। सामान्य रूप से यह प्रतिवर्ग किलोमीटर में व्यक्त किया जाता है संपूर्ण विश्व का औसत जनसंख्या घनत्व 51 व्यक्ति प्रति वर्ग किलोमीटर है। सबसे अधिक जनसंख्या घनत्व दक्षिण मध्य एशिया में है, इसके पश्चात क्रमश: पूर्वी एशिया एवं दक्षिण-पूर्वी एशिया में है।


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क्रियाकलाप

चित्र 6.2 को देखें एवं पता लगाएँ कि इनमें से कितने देश एशिया में हैं? संसार के मानचित्र पर उन्हें विभिन्न रंगों से चिह्नित करें।



जनसंख्या वितरण को प्रभावित करने वाले कारक


भौगोलिक कारक

स्थलाकृति : लोग सदैव पर्वतों और पठारों की तुलना में मैदानी भागों में ही रहना पसंद करते हैं क्योंकि ये क्षेत्र खेती, विनिर्माण और सेवा क्रियाओं के लिए उपयुक्त होते हैं। गंगा के मैदान विश्व के सबसे अधिक घने बसे क्षेत्र हैं जबकि एंडीज़, आल्पस और हिमालय जैसे पर्वत विरल बसे हुए हैं।

जलवायु : लोग सामान्य रूप से चरम जलवायु जो अत्यधिक गरम अथवा अत्यधिक ठंडी जैसे सहारा मरुस्थल, रूस के ध्रुवीय प्रदेश, कनाडा और अंटार्कटिक में रहने से बचते हैं।

मृदा : उपजाऊ मृदाएँ कृषि के लिए उपयुक्त भूमि प्रदान करती हैं। भारत में गंगा और ब्रह्मपुत्र, चीन में ह्वांग-ही, चांग जियांग तथा मिस्र में नील नदी के उपजाऊ मैदान घने बसे हुए क्षेत्र हैं।

जल : लोग उन क्षेत्रों में रहने को प्राथमिकता देते हैं जहाँ अलवणीय जल आसानी से उपलब्ध होता है। विश्व की नदी घाटियाँ घने बसे क्षेत्र हैं जबकि मरुस्थल विरल जनसंख्या वाले हैं।

खनिज : खनिज निक्षेपों वाले क्षेत्र अधिक बसे हुए हैं। दक्षिणी अफ्रीका की हीरे की खानें और मध्य पूर्व में तेल की खोज ने इन क्षेत्रों में लोगों को रहने के लिए प्रेरित किया है।


सामाजिक, सांस्कृतिक और आर्थिक कारक

आर्थिक कारक : औद्योगिक क्षेत्र रोज़गार के अवसर प्रदान करते हैं। लोग बड़ी संख्या में इन क्षेत्रों की ओर आकर्षित होते हैं। जापान में ओसाका और भारत में मुंबई दो घने बसे क्षेत्र हैं।

सांस्कृतिक कारक : धर्म और सांस्कृतिक महत्ता वाले स्थान लोगों को आकर्षित करते हैं। वाराणसी, येरूसलम और वेटिकन सिटी इसके कुछ उदाहरण हैं।

सामाजिक कारक : अच्छे आवास, शिक्षा और स्वास्थ्य सुविधाओं के क्षेत्र अत्यधिक घने बसे हैं, उदाहरण के लिए पुणे।


शब्दावली

जीवन प्रत्याशा

यह उन वर्षों की संख्या है जिसमें औसत व्यक्ति के जीवित रहने की आशा की जा सकती है।



चित्र 6.3 : विश्व जनसंख्या वृद्धि


जनसंख्या परिवर्तन

जनसंख्या परिवर्तन से तात्पर्य एक निश्चित अवधि के दौरान लोगों की संख्या में परिवर्तन से है। विश्व की जनसंख्या स्थिर नहीं रही है। यह कई गुना बढ़ गई है जैसा चित्र 6.3 में दिखाया गया है। क्यों? एेसा वास्तव में जन्म और मृत्यु की संख्या में परिवर्तन के कारण हुआ है। मानव इतिहास की लंबी अवधि में, सन् 1800 तक विश्व की जनसंख्या धीरे-धीरे बढ़ी है। बड़ी संख्या में बच्चे जन्म लेते थे लेकिन शीघ्र ही उनकी मृत्यु भी हो जाती थी। एेसा इसलिए था क्योंकि वहाँ उचित स्वास्थ्य सुविधाएँ नहीं थी। सभी लोगों के लिए पर्याप्त भोजन उपलब्ध नहीं था। किसान सभी लोगों की भोजन की आवश्यकताओं को पूरा करने के लिए पर्याप्त उत्पादन करने में सक्षम नहीं थे। इसके परिणामस्वरूप जनसंख्या में वृद्धि बहुत कम थीं।

सन् 1804 में, विश्व की जनसंख्या एक अरब हो गई थी। 150 वर्षों बाद, 1959 में विश्व की जनसंख्या 3 अरब पहुँच गई। इसे प्राय: जनसंख्या विस्फोट कहते हैं। 1999 में, 30 वर्ष की अवधि से कम में जनसंख्या दुगुनी 6 अरब हो गई। इस वृद्धि का मुख्य कारण खाद्य आपूर्ति एवं औषधियों के कारण मृत्यु दर कम होना है। जबकि जन्म दर अभी भी बहुत अधिक रही।

जन्मों को साधारणत: जन्म दर में आँका जाता है। जन्मदर अर्थात् प्रति 1000 व्यक्तियों पर जीवित जन्मों की संख्या में मापा जाता है। मृत्युदर को प्रति 1000 व्यक्तियों पर मृतकों की संख्या में मापा जाता है। किसी क्षेत्र विशेष में लोगों के आने-जाने को प्रवास कहते हैं।

जन्म और मृत्यु जनसंख्या परिवर्तन के प्राकृतिक कारण हैं। एक देश के जन्म दर और मृत्यु दर के बीच के अंतर को प्राकृतिक वृद्धि दर कहते हैं। विश्व में जनसंख्या के बढ़ने का मुख्य कारण प्राकृतिक वृद्धि दर का तीव्रता से

बढ़ना है।


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चित्र 6.4 : जनसंख्या का संतुलन


प्रवास एक अन्य कारण है जिससे जनसंख्या के आकार में परिवर्तन होता है। लोग एक देश में अथवा देशों के बीच एक स्थान से दूसरे स्थान पर जा सकते हैं। उत्प्रवासी वे लोग होते हैं जो देश को छोड़ते हैं, आप्रवासी वे लोग होते हैं जो देश में आते हैं।

संयुक्त राज्य अमेरिका और आस्ट्रेलिया जैसे देशों में भीतरी प्रवास अथवा आप्रवास द्वारा संख्या बढ़ी है। सूडान देश एक एेसा उदाहरण है जिसमें लोगों के बाहर चले जाने अथवा उत्प्रवास के कारण जनसंख्या में कमी का अनुभव किया गया है।

अंतर्राष्ट्रीय प्रवास की सामान्य प्रवृत्ति यह है कि लोग अच्छे आर्थिक अवसरों की खोज में कम विकसित राष्ट्रों से अधिक विकसित राष्ट्रों में चले जाते हैं। देशों के अंदर बड़ी संख्या में लोग रोज़गार, शिक्षा और स्वास्थ्य सुविधाओं की खोज में ग्रामीण क्षेत्रों से नगरीय क्षेत्रों की ओर चले जाते हैं।


शब्दावली

आप्रवास

जब व्यक्ति नए देश में जाता है।

उत्प्रवास

जब व्यक्ति एक देश को छोड़ता है।


जनसंख्या परिवर्तन के प्रतिरूप

जनसंख्या वृद्धि की दर विश्व में अलग-अलग है (चित्र 6.5)। यद्यपि विश्व की कुल जनसंख्या तीव्रता से बढ़ रही है, तथापि सभी देशों में यह वृद्धि अनुभव नहीं की जा रही है। कुछ देशों में जैसे केन्या में जनसंख्या वृद्धि दर ऊँची है। उन देशों में जन्म दर और मृत्यु दर दोनों ही उच्च हैं। हाल ही में स्वास्थ्य सेवाओं में सुधार के साथ मृत्यु दर कम हो गई है परंतु जन्म दर अभी भी अधिक है जिससे वृद्धि दर बढ़ रही है।

अन्य देशों में जैसे यूनाइटेड किंगडम में निम्न जन्म दर और मृत्यु दर के कारण जनसंख्या वृद्धि की दर मंद है।


चित्र 6.5 : विश्व - जनसंख्या वृद्धि की अलग-अलग दरें


जनसंख्या संघटन

किसी देश की जनसंख्या कितनी भी अधिक हो उसका उस देश के आर्थिक विकास के स्तर से कुछ अंतर नहीं पड़ता। उदाहरण के लिए बांग्लादेश और जापान अति घने बसे देश हैं लेकिन जापान बांग्लादेश से आर्थिक रूप से अधिक विकसित देश है।


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एक संसाधन के रूप में लोगों की भूमिका को समझने के लिए हमें उनके गुणों के बारे में जानने की आवश्यकता होती है। लोग अपनी आयु, लिंग, साक्षरता स्तर, स्वास्थ्य दशाओं, व्यवसाय और आय के स्तर पर एक-दूसरे से भिन्न होते हैं। लोगों की इन विशेषताओं के बारे में जानना आवश्यक है। जनसंख्या संघटन जनसंख्या की संरचना को दर्शाता है।

जनसंख्या संघटन हमारी यह जानने में सहायता करता है कि कितने पुरुष हैं और कितनी स्त्रियाँ हैं, वे किस आयु वर्ग के हैं, कितने शिक्षित हैं और वे किस प्रकार के व्यवसाय में लगे हैं, उनकी आय का क्या स्तर है और स्वास्थ्य दशाएँ कैसी हैं? एक देश के जनसंख्या संघटन का अध्ययन करने की एक रुचिकर विधि ‘जनसंख्या पिरामिड’ है जिसे आयु लिंग पिरामिड भी कहते हैं।

  • कुल जनसंख्या विभिन्न आयु वर्गों में विभाजित है, उदाहरणार्थ 5 से 9 वर्ष, 10 से 14 वर्ष
  • कुल जनसंख्या का प्रतिशत इन वर्गों में से प्रत्येक वर्ग में पुरुष और स्त्रियाँ उपविभाजित हैं।

जनसंख्या पिरामिड का आकार उस विशिष्ट देश में रहने वाले लोगों की कहानी बताता है। बच्चों की संख्या (15 वर्ष से नीचे) निचले भाग में दिखाई गई है और यह जन्म के स्तर को दर्शाती है। ऊपर का आकार वृद्ध लोगों (65 वर्ष से अधिक) की संख्या दर्शाता है और मृतकों की संख्या को दर्शाता है।

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जनसंख्या पिरामिड एक देश में आश्रित लोगों की संख्या भी बताता है। युवा आश्रित लोग (15 वर्ष से कम आयु के) और वृद्ध आश्रित लोग (65 वर्ष से अधिक आयु के) आश्रित आयु जनसंख्या के अंतर्गत आते हैं। कार्यरत आयु वर्ग (15-65) के लोगों को आर्थिक रूप से सक्रिय वर्ग में रखा गया है।

एक देश का जनसंख्या पिरामिड जिसमें जन्म दर और मृत्यु दर दोनों ही ऊँचे हैं, आधार पर चौड़ा है और ऊपर तीव्रता से सँकरा हो जाता है। एेसा इसलिए है कि बहुत से बच्चे जन्म लेते हैं लेकिन उनमें से अधिकतर की मृत्यु शैशव काल में ही हो जाती है और कुछ ही बड़े हो पाते हैं। इसलिए वहाँ वृद्ध लोग बहुत कम हैं। इस स्थिति को केन्या के पिरामिड द्वारा दर्शाया गया है (चित्र 6.7)।


चित्र 6.7 : केन्या का पिरामिड


जिन देशों में मृत्यु दर (विशेष रूप से बहुत छोटे बच्चों में) कम हो रही है, युवा आयु वर्ग का पिरामिड चौड़ा है क्याेंकि शिशु प्रौढ़ावस्था तक जीवित रहते हैं। यह भारत के पिरामिड में दृष्टिगोचर होता है (चित्र 6.8)। इस प्रकार की जनसंख्या में युवा सापेक्षत: अधिक हैं इसका अर्थ मज़बूत और वर्धमान बढ़ती हुई श्रम शक्ति है।



चित्र 6.8 : भारत का पिरामिड


कम जन्म दर वाले जापान जैसे देशों में आधार पर पिरामिड सँकरा है (चित्र 6.9)। घटी मृत्यु दर के कारण अधिक लोग वृद्ध आयु तक पहुँच जाते हैं।

चित्र 6.9 : जापान का पिरामिड मानव संसाधन


कुशल, उत्साही, आशावादी और सकारात्मक दृष्टि जैसे युवा जन किसी राष्ट्र के भविष्य होते हैं। हम भारतवासी भाग्यशाली हैं कि हमारे पास एेसा संसाधन है। उन्हें योग्य एवं उत्पादक बनाने के लिए, कुशल बनाने और अवसर प्रदान करने के लिए अवश्य ही शिक्षित किया जाना चाहिए।


अभ्यास

1. निम्नलिखित प्रश्नों के उत्तर दीजिए -

(1) लोगों को एक संसाधन क्यों समझा जाता है?

(2) विश्व में जनसंख्या के असमान वितरण के क्या कारण हैं?

(3) विश्व की जनसंख्या अत्यंत तीव्रता से बढ़ रही है। क्यों?

(4) जनसंख्या परिवर्तन को प्रभावित करने वाले किन्हीं दो कारकों की भूमिका का वर्णन कीजिए।

(5) जनसंख्या संघटन से क्या तात्पर्य है?

(6) जनसंख्या पिरामिड क्या है? ये किसी देश की जनसंख्या को समझने में किस प्रकार मदद करते हैं?

2. सही को चिह्नित कीजिए -

(1) जनसंख्या वितरण शब्द से क्या तात्पर्य है?

(क) किसी विशिष्ट क्षेत्र में समय के साथ जनसंख्या में किस प्रकार परिवर्तन होता है।

(ख) किसी विशिष्ट क्षेत्र में जन्म लेने वाले लोगों की संख्या के संदर्भ में मृत्यु प्राप्त करने वाले लोगों की संख्या।

(ग) किसी दिए हुए क्षेत्र में लोग किस रूप में वितरित हैं।

(2) वे तीन मुख्य कारक कौन से हैं जिनसे जनसंख्या में परिवर्तन होता है?

(क) जन्म, मृत्यु और विवाह

(ख) जन्म, मृत्यु और प्रवास

(ग) जन्म, मृत्यु और जीवन प्रत्याशा

(3) 1999 में विश्व की जनसंख्या हो गई -

(क) 1 अरब

(ख) 3 अरब

(ग) 6 अरब

(4) जनसंख्या पिरामिड क्या है?

(क) जनसंख्या का आयु-लिंग संघटन का आलेखीय निरूपण।

(ख) जब किसी क्षेत्र का जनघनत्व इतना बढ़ जाता है कि लोग ऊँची इमारतों में

रहते हैं।

(ग) बड़े नगरीय क्षेत्रों में जनसंख्या वितरण का प्रतिरूप।

3. नीचे दिए शब्दों का उपयोग करके वाक्यों को पूरा कीजिए -

विरल, अनुकूल, परती, कृत्रिम, उर्वर, प्राकृतिक, चरम, घना।

जब लोग किसी क्षेत्र की ओर आकर्षित होते हैं तब यह............... बसा हुआ बन जाता है। इसे प्रभावित करने वाले कारकों के अंतर्गत..............जलवायु,...............संसाधनों की आपूर्ति और..............ज़मीन आते हैं।

4. क्रियाकलाप

जिस समाज में ‘15 वर्ष से कम आयु के बहुत से लोग’ हैं और ‘15 वर्ष से कम आयु के बहुत कम लोग’ हैं उस समाज की विशेषताओं का वर्णन करो -

संकेत: विद्यालय की आवश्यकता, पेंशन स्कीम, शिक्षक, खिलौने, पहिएदार कुर्सी, श्रम आपूर्ति, अस्पताल।



अधिक जानकारी के लिए इंटरनेट पर कुछ महत्त्वपूर्ण स्रोत

www.ndmindia.nic.in

www.environmentdefense.org

www.freefoto.com

www.worldgame.org/worldmeters

www.cseindia.org

www.mnes.nic.in

www.undp.org/popin



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