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सूरदास के पद
(1)
मैया, कबहिं बढ़ैगी चोटी?
किती बार मोहिं दूध पियत भई, यह अजहूँ है छोटी।
तू जो कहति बल की बेनी ज्यौं, ह्वै है लाँबी-मोटी।
काढ़त-गुहत न्हवावत जैहै, नागिनी सी भुइँ लोटी।
काँचौ दूध पियावत पचि-पचि, देति न माखन-रोटी।
सूर चिरजीवौ दोउ भैया, हरि-हलधर की जोटी।
(2)
तेरैं लाल मेरौ माखन खायौ।
दुपहर दिवस जानि घर सूनो ढूँढ़ि-ढँढ़ोरि आपही आयौ।
खोलि किवारि, पैठि मंदिर मैं, दूध-दही सब सखनि खवायौ।
ऊखल चढ़ि, सींके कौ लीन्हौ, अनभावत भुइँ मैं ढरकायौ।
दिन प्रति हानि होति गोरस की, यह ढोटा कौनैं ढँग लायौ।
सूर स्याम कौं हटकि न राखै तैं ही पूत अनोखौ जायौ।
प्रश्न-अभ्यास
पदों से
1. बालक श्रीकृष्ण किस लोभ के कारण दूध पीने के लिए तैयार हुए?
2. श्रीकृष्ण अपनी चोटी के विषय में क्या-क्या सोच रहे थे?
3. दूध की तुलना में श्रीकृष्ण कौन-से खाद्य पदार्थ को अधिक पसंद करते हैं?
4. ‘तैं ही पूत अनोखौ जायौ’– पंक्तियों में ग्वालन के मन के कौन-से भाव मुखरित हो रहे हैं?
5. मक्खन चुराते और खाते समय श्रीकृष्ण थोड़ा-सा मक्खन बिखरा क्यों
देते हैं?
6. दोनों पदों में से आपको कौन-सा पद अधिक अच्छा लगा और क्यों?
अनुमान और कल्पना
1. दूसरे पद को पढ़कर बताइए कि आपके अनुसार उस समय श्रीकृष्ण की उम्र क्या रही होगी?
2. एेसा हुआ हो कभी कि माँ के मना करने पर भी घर में उपलब्ध किसी स्वादिष्ट वस्तु को आपने चुपके-चुपके थोड़ा-बहुत खा लिया हो और चोरी पकड़े जाने पर कोई बहाना भी बनाया हो। अपनी आपबीती की तुलना
श्रीकृष्ण की बाल लीला से कीजिए।
3. किसी एेसी घटना केे विषय में लिखिए जब किसी ने आपकी शिकायत की हो और फिर आपके किसी अभिभावक (माता-पिता, बड़ा भाई-बहिन इत्यादि) ने आपसे उत्तर माँगा हो।
भाषा की बात
1. श्रीकृष्ण गोपियों का माखन चुरा-चुराकर खाते थे इसलिए उन्हें माखन चुरानेवाला भी कहा गया है। इसके लिए एक शब्द दीजिए।
2. श्रीकृष्ण के लिए पाँच पर्यायवाची शब्द लिखिए।
3. कुछ शब्द परस्पर मिलते-जुलते अर्थवाले होते हैं, उन्हें पर्यायवाची कहते हैं। और कुछ विपरीत अर्थवाले भी। समानार्थी शब्द पर्यायवाची कहे जाते हैं और विपरीतार्थक शब्द विलोम, जैसे–
पर्यायवाची– चंद्रमा–शशि, इंदु, राका
मधुकर–भ्रमर, भौंरा, मधुप
सूर्य–रवि, भानु, दिनकर
विपरीतार्थक– दिन–रात
श्वेत–श्याम
शीत–उष्ण
पाठों से दोनों प्रकार के शब्दों को खोजकर लिखिए।
शब्दार्थ
अजहूँ – आज भी
बल – बलराम
बेनी – चोटी
ह्वै – होगी
काढ़त – बाल बनाना
गुहत – गूँथना
भुइँ – पृथ्वी, भूमि
लोटी – लोटने लगी
पचि-पचि – बार-बार
हरि-हलधर – कृष्ण-बलराम
जोटी – जोड़ी
पैठि – घुसकर
सींके – छींका जिसमें दूध-दही आदि रखा जाता है
गोरस – गाय के दूध से बने पदार्थ दही, मक्खन, घी आदि
ढोटा – लड़का