Table of Contents
अध्याय 6
रेखाएँ और कोण
6.1 भूमिका
अध्याय 5 में, आप पढ़ चुके हैं कि एक रेखा को खींचने के लिए न्यूनतम दो बिंदुओं की आवश्यकता होती है। आपने कुछ अभिगृहीतों (axioms) का भी अध्ययन किया है और उनकी सहायता से कुछ अन्य कथनों को सिद्ध किया है। इस अध्याय में, आप कोणों के उन गुणों का अध्ययन करेंगे जब दो रेखाएँ परस्पर प्रतिच्छेद करती हैं और कोणों के उन गुणों का भी अध्ययन करेंगे जब एक रेखा दो या अधिक समांतर रेखाओं को भिन्न-भिन्न बिंदुओं पर काटती है। साथ ही, आप इन गुणों का निगमनिक तर्कण (deductive reasoning) द्वारा कुछ कथनों को सिद्ध करने में भी प्रयोग करेंगे (देखिए परिशिष्ट 1)। आप पिछली कक्षाओं में इन कथनों की कुछ क्रियाकलापों द्वारा जाँच (पुष्टि) कर चुके हैं।
आप अपने दैनिक जीवन में समतल पृष्ठों के किनारों (edges) के बीच बने अनेक प्रकार के कोण देखते हैं। समतल पृष्ठों का प्रयोग करके, एक ही प्रकार के मॉडल बनाने के लिए, आपको कोणों के बारे में विस्तृत जानकारी की आवश्यकता होती है। उदाहरणार्थ, आप अपने विद्यालय की प्रदर्शिनी के लिए बाँसों का प्रयोग करके एक झोंपड़ी का मॉडल बनाना चाहते हैं। सोचिए, आप इसे कैसे बनाएँगे। कुछ बाँसों को आप परस्पर समांतर रखेंगे और कुछ को तिरछा रखेंगे। जब एक आर्किटेक्ट (architect) एक बहुतलीय भवन के लिए एक रेखाचित्र खींचता है, तो उसे विभिन्न कोणों पर प्रतिच्छेदी और समांतर रेखाएँ खींचनी पड़ती हैं। क्या आप सोचते हैं कि वह रेखाओं और कोणों के ज्ञान के बिना इस भवन की रूपरेखा खींच सकता है?
विज्ञान में, आप प्रकाश के गुणों का किरण आरेख (ray diagrams) खींच कर अध्ययन करते हैं। उदाहरणार्थ, प्रकाश के अपवर्तन (refraction) गुण का अध्ययन करने के लिए, जब प्रकाश की किरणें एक माध्यम (medium) से दूसरे माध्यम में प्रवेश करती हैं, आप प्रतिच्छेदी रेखाओं और समांतर रेखाओं के गुणों का प्रयोग करते हैं। जब एक पिंड पर दो या अधिक बल कार्य कर रहे हों, तो आप इन बलों का उस पिंड पर परिणामी बल ज्ञात करने के लिए, एक एेसा आरेख खींचते हैं जिसमें बलों को दिष्ट रेखाखंडों (directed line segments) द्वारा निरूपित किया जाता है। उस समय, आपको उन कोणों के बीच संबंध जानने की आवश्यकता होगी जिनकी किरणें (अथवा रेखाखंड) परस्पर समांतर या प्रतिच्छेदी होंगी। एक मीनार की ऊँचाई ज्ञात करने अथवा किसी जहाज की एक प्रकाश पुंज (light house) से दूरी ज्ञात करने के लिए, हमें क्षैतिज और दृष्टि रेखा (line of sight) के बीच बने कोण की जानकारी की आवश्यकता होगी। प्रचुर मात्रा में एेसे उदाहरण दिए जा सकते हैं जहाँ रेखाओं और कोणों का प्रयोग किया जाता है। ज्यामिति के आने वाले अध्यायों में, आप रेखाओं और कोणों के इन गुणों का अन्य उपयोगी गुणों को निगमित (निकालने) करने में प्रयोग करेंगे।
आइए पहले हम पिछली कक्षाओं में रेखाओं और कोणों से संबंधित पढ़े गए पदों और परिभाषाओं का पुनर्विलोकन करें।
6.2 आधारभूत पद और परिभाषाएँ
याद कीजिए कि एक रेखा का वह भाग जिसके दो अंत बिंदु हों एक रेखाखंड कहलाता है और रेखा का वह भाग जिसका एक अंत बिंदु हो एक किरण कहलाता है। ध्यान दीजिए कि रेखाखंड AB को से व्यक्त किया जाता है और उसकी लंबाई को AB से व्यक्त किया जाता है। किरण AB को से और रेखा AB को से व्यक्त किया जाता है। परन्तु हम इन संकेतनों का प्रयोग नहीं करेंगे तथा रेखा AB, किरण AB, रेखाखंड AB और उसकी लंबाई को एक ही संकेत AB से व्यक्त करेंगे। इनका अर्थ संदर्भ से स्पष्ट हो जाएगा। कभी-कभी छोटे अक्षर जैसे l, m, n इत्यादि का प्रयोग रेखाओं को व्यक्त करने में किया जाएगा।
यदि तीन या अधिक बिंदु एक ही रेखा पर स्थित हों, तो वे संरेख बिंदु (collinear points) कहलाते हैं, अन्यथा वे असंरेख बिंदु (non-collinear points) कहलाते हैं।
याद कीजिए कि जब दो किरणें एक ही अंत बिंदु से प्रारम्भ होती हैं, तो एक कोण (angle) बनता है। कोण को बनाने वाली दोनों किरणें कोण की भुजाएँ (arms या sides) कहलाती हैं और वह उभयनिष्ठ अंत बिंदु कोण का शीर्ष (vertex) कहलाता है। आप पिछली कक्षाओं में, विभिन्न प्रकार के कोणों जैसे न्यून कोण (acute angle), समकोण (right angle), अधिक कोण (obtuse angle), ऋजु कोण (straight angle) और प्रतिवर्ती कोण (reflex angle) के बारे में पढ़ चुके हैं (देखिए आकृति 6.1)।
(i) न्यून कोण : 0° < x < 90° (ii) समकोण : y = 90° (iii) अधिक कोण : 90° < z < 180°
(iv) ऋजु कोण : s = 180° (v) प्रतिवर्ती कोण : 180° < t < 360°
आकृति 6.1 : कोणों के प्रकार
एक न्यून कोण का माप 0º और 90º के बीच होता है, जबकि एक समकोण का माप ठीक 90º होता है। 90º से अधिक परन्तु 180º से कम माप वाला कोण अधिक कोण कहलाता है। साथ ही, याद कीजिए कि एक ऋजु कोण 180º के बराबर होता है। वह कोण जो 180º से अधिक, परन्तु 360º से कम माप का होता है एक प्रतिवर्ती कोण कहलाता है। इसके अतिरिक्त, यदि दो कोणों का योग एक समकोण के बराबर हो, तो एेसे कोण पूरक कोण (complementary angles) कहलाते हैं और वे दो कोण, जिनका योग 180º हो, संपूरक कोण (supplementary angles) कहलाते हैं।
आकृति 6.2 : आसन्न कोण
आप पिछली कक्षाओं में आसन्न कोणों (adjacent angles) के बारे में भी पढ़ चुके हैं (देखिए आकृति 6.2)। दो कोण आसन्न कोण (adjacent angles) कहलाते हैं, यदि उनमें एक उभयनिष्ठ शीर्ष हो, एक उभयनिष्ठ भुजा हो और उनकी वे भुजाएँ जो उभयनिष्ठ नहीं हैं, उभयनिष्ठ भुजा के विपरीत ओर स्थित हों। आकृति 6.2 में, ∠ ABD और ∠ DBC आसन्न कोण हैं। किरण BD इनकी उभयनिष्ठ भुजा है और B इनका उभयनिष्ठ शीर्ष है। किरण BA और किरण BC वे भुजाएँ हैं जो उभयनिष्ठ नहीं हैं। इसके अतिरिक्त, जब दो कोण आसन्न कोण होते हैं, तो उनका योग उस कोण के बराबर होता है जो इनकी उन भुजाओं से बनता है, जो उभयनिष्ठ नहीं हैं। अतः हम लिख सकते हैं कि
∠ ABC = ∠ ABD + ∠ DBC है।
आकृति 6.3 : कोणों का रैखिक युग्म
ध्यान दीजिए कि ∠ ABC और ∠ ABD आसन्न कोण नहीं हैं। क्यों? इसका कारण यह है कि अउभयनिष्ठ भुजाएँ (अर्थात् वे भुजाएँ जो उभयनिष्ठ नहीं हैं) BD और BC उभयनिष्ठ भुजा BA के एक ही ओर स्थित है।
यदि आकृति 6.2 में, अउभयनिष्ठ भुजाएँ BA और BC एक रेखा बनाएँ, तो यह आकृति 6.3 जैसा लगेगा। इस स्थिति में, ∠ ABD और ∠ DBC कोणों का एक रैखिक युग्म (linear pair of angles) बनाते हैं।
आकृति 6.4 : शीर्षाभिमुख कोण
आप शीर्षाभिमुख कोणों (vertically opposite angles) को भी याद कर सकते हैं, जो दो रेखाओं, मान लीजिए, AB और CD को परस्पर बिंदु O पर प्रतिच्छेद करने पर बनते हैं (देखिए आकृति 6.4)। यहाँ शीर्षाभिमुख कोणों के दो युग्म हैं। इनमें से एक युग्म ∠ AOD और ∠ BOC का है। क्या आप दूसरा युग्म ज्ञात कर सकते हैं?
6.3 प्रतिच्छेदी रेखाएँ और अप्रतिच्छेदी रेखाएँ
एक कागज़ पर दो भिन्न रेखाएँ PQ और RS खींचिए। आप देखेंगे कि आप इन रेखाओं को दो प्रकार से खींच सकते हैं, जैसा कि आकृति 6.5 (i) और आकृति 6.5 (ii) में दर्शाया गया है।
(i) प्रतिच्छेदी रेखाएँ (ii) अप्रतिच्छेदी (समांतर) रेखाएँ
आकृति 6.5 : दो रेखाएँ खींचने के विभिन्न प्रकार
रेखा की इस अवधारणा को भी याद कीजिए कि वह दोनों दिशाओं में अनिश्चित रूप से विस्तृत होती है। रेखाएँ PQ और RS आकृति 6.5 (i) में प्रतिच्छेदी रेखाएँ हैं और आकृति 6.5 (ii) में ये समांतर रेखाएँ हैं। ध्यान दीजिए कि इन दोनों समांतर रेखाओं के विभिन्न बिंदुओं पर उनके उभयनिष्ठ लम्बों की लंबाइयाँ समान रहेंगी। यह समान लंबाई दोनों समांतर रेखाओं के बीच की दूरी कहलाती है।
6.4 कोणों के युग्म
अनुच्छेद 6.2 में, आप कोणों के कुछ युग्मों जैसे पूरक कोण, संपूरक कोण, आसन्न कोण, कोणों का रैखिक युग्म, इत्यादि की परिभाषाओं के बारे में पढ़ चुके हैं। क्या आप इन कोणों में किसी संबंध के बारे में सोच सकते हैं? आइए अब उन कोणों में संबंध पर विचार करें जिन्हें कोई किरण किसी रेखा पर स्थित होकर बनाती है, जैसा कि आकृति 6.6 में दर्शाया गया है। रेखा को AB और किरण को OC कहिए। बिंदु O पर बनने वाले कोण क्या हैं?
आकृति 6.6 : कोणों का रैखिक युग्म
ये
∠ AOC, ∠ BOC और ∠ AOB हैं।
क्या हम ∠ AOC + ∠ BOC = ∠ AOB लिख सकते हैं? (1)
हाँ! (क्यों? अनुच्छेद 6.2 में दिए आसन्न कोणों को देखिए।)
∠ AOB का माप क्या है? यह 180° है। (क्यों?) (2)
क्या (1) ओर (2) से, आप कह सकते हैं कि ∠ AOC + ∠ BOC = 180° है? हाँ! (क्यों?)
उपरोक्त चर्चा के आधार पर, हम निम्न अभिगृहीत को लिख सकते हैंः
अभिगृहीत 6.1 : यदि एक किरण एक रेखा पर खड़ी हो, तो इस प्रकार बने दोनों आसन्न कोणों का योग 180º होता है।
याद कीजिए कि जब दो आसन्न कोणों का योग 180º हो, तो वे कोणों का एक रैखिक युग्म बनाते हैं।
अभिगृहीत 6.1 में यह दिया है कि ‘एक किरण एक रेखा पर खड़ी हो’। इस दिए हुए से, हमने निष्कर्ष निकाला कि इस प्रकार बने दोनों आसन्न कोणों का योग 180º होता है। क्या हम अभिगृहीत 6.1 को एक विपरीत प्रकार से लिख सकते हैं? अर्थात् अभिगृहीत 6.1 के निष्कर्ष को दिया हुआ मानें और उसके दिए हुए को निष्कर्ष मानें। तब हमें यह प्राप्त होगाः
(A) यदि दो आसन्न कोणों का योग 180º है, तो एक किरण एक रेखा पर खड़ी होती है (अर्थात् अउभयनिष्ठ भुजाएँ एक ही रेखा में हैं)।
अब आप देखते हैं कि अभिगृहीत 6.1 और कथन (A) एक दूसरे के विपरीत हैं। हम इनमें से प्रत्येक को दूसरे का विलोम (converse) कहते हैं। हम यह नहीं जानते कि कथन (A) सत्य है या नहीं। आइए इसकी जाँच करें। विभिन्न मापों के, आकृति 6.7 में दर्शाए अनुसार, आसन्न कोण खींचिए। प्रत्येक स्थिति में, अउभयनिष्ठ भुजाओं में से एक भुजा के अनुदिश एक पटरी (ruler) रखिए। क्या दूसरी भुजा भी इस पटरी के अनुदिश स्थित है?
आकृति 6.7 : विभिन्न मापों के आसन्न कोण
आप पाएँगे कि केवल आकृति 6.7 (iii) में ही दोनों अउभयनिष्ठ भुजाएँ पटरी के अनुदिश हैं, अर्थात् A, O और B एक ही रेखा पर स्थित हैं और किरण OC इस रेखा पर खड़ी है। साथ ही, यह भी देखिए कि ∠ AOC + ∠ COB = 125º + 55º = 180º है। इससे आप निष्कर्ष निकाल सकते हैं कि कथन (A) सत्य है। अतः, आप इसे एक अभिगृहीत के रूप में निम्न प्रकार लिख सकते हैं :
अभिगृहीत 6.2 : यदि दो आसन्न कोणों का योग 180º है, तो उनकी अउभयनिष्ठ भुजाएँ एक रेखा बनाती हैं।
स्पष्ट कारणों से, उपरोक्त दोनों अभिगृहीतों को मिला कर रैखिक युग्म अभिगृहीत (Linear Pair Axiom) कहते हैं।
आइए अब उस स्थिति की जाँच करें जब दो रेखाएँ प्रतिच्छेद करती हैं।
पिछली कक्षाओं से आपको याद होगा कि यदि दो रेखाएँ परस्पर प्रतिच्छेद करें, तो शीर्षाभिमुख कोण बराबर होते हैं। आइए अब इस परिणाम को सिद्ध करें। एक उपपत्ति (proof) में निहित अवयवों के लिए, परिशिष्ट 1 को देखिए और नीचे दी हुई उपपत्ति को पढ़ते समय इन्हें ध्यान में रखिए।
प्रमेय 6.1 : यदि दो रेखाएँ परस्पर प्रतिच्छेद करती हैं, तो शीर्षाभिमुख कोण बराबर होते हैं।
उपपत्ति : उपरोक्त कथन में यह दिया है कि दो रेखाएँ परस्पर प्रतिच्छेद करती हैं। अतः मान लीजिए कि AB और CD दो रेखाएँ हैं जो परस्पर बिंदु O पर प्रतिच्छेद करती हैं, जैसा कि आकृति 6.8 में दर्शाया गया है। इससे हमें शीर्षाभिमुख कोणों के निम्न दो युग्म प्राप्त होते हैंः
आकृति 6.8 : शीर्षाभिमुख कोण
(i) ∠ AOC और ∠ BOD (ii) ∠ AOD और ∠ BOC
हमें सिद्ध करना है कि ∠ AOC = ∠ BOD है और ∠ AOD = ∠ BOC है।
अब किरण OA रेखा CD पर खड़ी है।
अतः, ∠ AOC + ∠ AOD = 180º (रैखिक युग्म अभिगृहीत) (1)
क्या हम ∠ AOD + ∠ BOD = 180º लिख सकते हैं? हाँ। (क्यों?) (2)
(1) और (2) से, हम लिख सकते हैं किः
∠ AOC + ∠ AOD = ∠ AOD + ∠ BOD
इससे निष्कर्ष निकलता है कि ∠ AOC = ∠ BOD (अनुच्छेद 5.2 का अभिगृहीत 3 देखिए)
इसी प्रकार, सिद्ध किया जा सकता है कि ∠AOD = ∠BOC है।
आइए अब रैखिक युग्म अभिगृहीत और प्रमेय 6.1 पर आधारित कुछ उदाहरण हल करें।
उदाहरण 1 : आकृति 6.9 में, रेखाएँ PQ और RS परस्पर बिंदु O पर प्रतिच्छेद करती हैं। यदि ∠ POR : ∠ ROQ = 5 : 7 है, तो सभी कोण ज्ञात कीजिए।
आकृति 6.9
हल : ∠ POR + ∠ ROQ = 180º
(रैखिक युग्म के कोण)
परन्तु, ∠ POR : ∠ ROQ = 5 : 7 (दिया है)
अतः, ∠ POR = × 180° = 75°
इसी प्रकार, ∠ ROQ = × 180° = 105°
अब ∠ POS = ∠ROQ = 105° (शीर्षाभिमुख कोण)
और ∠ SOQ = ∠POR = 75° (शीर्षाभिमुख कोण)
उदाहरण 2 : आकृति 6.10 में, किरण OS रेखा POQ पर खड़ी है। किरण OR और OT क्रमशः ∠ POS और ∠ SOQ के समद्विभाजक हैं। यदि ∠ POS = x है, तो ∠ ROT ज्ञात कीजिए।
हल : किरण OS रेखा POQ पर खड़ी है।
अतः, ∠ POS + ∠ SOQ = 180º
आकृति 6.10
परन्तु, ∠ POS = x
अतः, x + ∠ SOQ = 180º
इसलिए, ∠ SOQ = 180º – x
अब किरण OR, ∠ POS को समद्विभाजित करती है।
इसलिए, ∠ ROS = × ∠ POS
= × x =
इसी प्रकार, ∠ SOT = × ∠ SOQ
= × (180° – x)
=
अब, ∠ ROT = ∠ ROS + ∠ SOT
=
= 90°
उदाहरण 3 : आकृति 6.11 में, OP, OQ, OR और OS चार किरणें हैं। सिद्ध कीजिए कि ∠ POQ + ∠ QOR + ∠ SOR + ∠ POS = 360° है।
आकृति 6.11
हल : आकृति 6.11 में, आपको किरणों OP, OQ, OR और OS में से किसी एक को पीछे एक बिंदु तक बढ़ाए जाने की आवश्यकता है। आइए किरण OQ को एक बिंदु T तक पीछे बढ़ा दें ताकि TOQ एक रेखा हो (देखिए आकृति 6.12)।
अब किरण OP रेखा TOQ पर खड़ी है।
अतः, ∠ TOP + ∠ POQ = 180° (1)
(रैखिक युग्म अभिगृहीत)
इसी प्रकार, किरण OS रेखा TOQ पर खड़ी है।
आकृति 6.12
अतः, ∠ TOS + ∠ SOQ = 180° (2)
परन्तु ∠ SOQ = ∠ SOR + ∠ QOR है।
अतः, (2) निम्न हो जाती है ः
∠ TOS + ∠ SOR + ∠ QOR = 180° (3)
अब, (1) और (3) को जोड़ने पर, आपको प्राप्त होगाः
∠ TOP + ∠ POQ + ∠ TOS + ∠ SOR + ∠ QOR = 360° (4)
परन्तु ∠ TOP + ∠ TOS = ∠ POS है।
अतः, (4) निम्न हो जाती है ः
∠ POQ + ∠ QOR + ∠ SOR + ∠ POS = 360°
प्रश्नावली 6.1
1. आकृति 6.13 में, रेखाएँ AB और CD बिंदु O पर प्रतिच्छेद करती हैं। यदि ∠ AOC + ∠ BOE = 70° है और
∠ BOD = 40° है, तो ∠ BOE और प्रतिवर्ती ∠ COE ज्ञात कीजिए।
आकृति 6.13
2. आकृति 6.14 में, रेखाएँ XY और MN बिंदु O पर प्रतिच्छेद करती हैं। यदि ∠ POY = 90° और
a : b = 2 : 3 है, तो c ज्ञात कीजिए।
आकृति 6.14
3. आकृति 6.15 में, यदि ∠ PQR = ∠ PRQ है, तो सिद्ध कीजिए कि ∠ PQS = ∠ PRT है।
आकृति 6.15
4. आकृति 6.16 में, यदि x + y = w + z है, तो सिद्ध कीजिए कि AOB एक रेखा है।
आकृति 6.16
5. आकृति 6.17 में, POQ एक रेखा है। किरण OR रेखा PQ पर लम्ब है। किरणों OP और OR के बीच में OS एक अन्य किरण है। सिद्ध कीजिएः
∠ ROS = (∠ QOS – ∠ POS)
आकृति 6.17
6. यह दिया है कि ∠ XYZ = 64° है और XY को बिंदु P तक बढ़ाया गया है। दी हुई सूचना से एक आकृति खींचिए। यदि किरण YQ, ∠ ZYP को समद्विभाजित करती है, तो ∠ XYQ और प्रतिवर्ती ∠ QYP के मान ज्ञात कीजिए।
6.5 समांतर रेखाएँ और तिर्यक रेखा
आपको याद होगा कि वह रेखा जो दो या अधिक रेखाओं को भिन्न बिंदुओं पर प्रतिच्छेद करती है एक तिर्यक रेखा (transversal) कहलाती है(देखिए आकृति 6.18)।
रेखा l रेखाओं m और n को क्रमशः बिंदुओं P और Q पर प्रतिच्छेद करती है। अतः रेखा l रेखाओं m और n के लिए एक तिर्यक रेखा है। देखिए कि प्रत्येक बिंदु P और Q पर चार कोण बन रहे हैं।
आकृति 6.18
आइए इन कोणों को आकृति 6.18 में दर्शाए अनुसार ∠ 1, ∠ 2, . . ., ∠8 से नामांकित करें।
∠ 1, ∠ 2, ∠ 7 और ∠ 8 बाह्यः कोण (exterior angles) कहलाते हैं। ∠ 3, ∠ 4, ∠ 5 और ∠ 6 अंतः कोण (interior angles) कहलाते हैं।
याद कीजिए कि पिछली कक्षाओं में, आपने कुछ कोणों के युग्मों का नामांकन किया था, जो एक तिर्यक रेखा द्वारा दो रेखाओं को प्रतिच्छेद करने से बनते हैं। ये युग्म निम्न हैंः
(a) संगत कोण (Corresponding angles) :
(i) ∠ 1 और ∠ 5 (ii) ∠ 2 और ∠ 6
(iii) ∠ 4 और ∠ 8 (iv) ∠ 3 और ∠ 7
(b) एकांतर अंतः कोण (Alternate interior angles) :
(i) ∠ 4 और ∠ 6 (ii) ∠ 3 और ∠ 5
(c) एकांतर बाह्यः कोण (Alternate exterior angles) :
(i) ∠ 1 और ∠ 7 (ii) ∠ 2 और ∠ 8
(d) तिर्यक रेखा के एक ही ओर के अंतः कोणः
(i) ∠ 4 और ∠ 5 (ii) ∠ 3 और ∠ 6
तिर्यक रेखा के एक ही ओर के अंतः कोणों को क्रमागत अंतः कोण
(consecutive interior angles) या संबंधित कोण (allied angles) या सह-अंतः कोण (co-interior angles) भी कहा जाता है। साथ ही, अनेक बार हम एकांतर अंतः कोणों के लिए केवल शब्दों एकांतर कोणों का प्रयोग करते हैं।
आकृति 6.19
आइए अब इन कोणों में संबंध ज्ञात करें जब रेखाएँ m और n समांतर हैं। आप जानते हैं कि आपकी अभ्यास-पुस्तिका पर बनी सीधी लकीरें (ruled lines) परस्पर समांतर होती हैं। इसलिए, इन लकीरों के अनुदिश पटरी और पेंसिल की सहायता से दो समांतर रेखाएँ भी खींचिए, जैसा कि आकृति 6.19 में दर्शाया गया है।
अब संगत कोणों के किसी भी युग्म को मापिए और उनके बीच में संबंध ज्ञात कीजिए। आप ज्ञात कर सकते हैं कि ∠ 1 = ∠ 5, ∠ 2 = ∠ 6, ∠ 4 = ∠ 8 और ∠ 3 = ∠ 7 है। इससे आप निम्न अभिगृहीत को स्वीकृत कर सकते हैंः
अभिगृहीत 6.3 : यदि एक तिर्यक रेखा दो समांतर रेखाओं को प्रतिच्छेद करे, तो संगत कोणों का प्रत्येक युग्म बराबर होता है।
अभिगृहीत 6.3 को संगत कोण अभिगृहीत भी कहा जाता है। आइए अब इस अभिगृहीत के विलोम (converse) की चर्चा करें, जो निम्न हैः
‘यदि एक तिर्यक रेखा दो रेखाओं को इस प्रकार प्रतिच्छेद करे कि संगत कोणों का एक युग्म बराबर हो, तो दोनों रेखाएँ समांतर होती हैं’।
क्या यह कथन सत्य है? इसकी जाँच निम्न प्रकार की जा सकती है ः एक रेखा AD खींचिए और उस पर दो बिंदु B और C अंकित कीजए। B और C पर क्रमशः ∠ ABQ और ∠ BCS की रचना कीजिए जो परस्पर बराबर हों, जैसा कि आकृति 6.20 (i) में दर्शाया गया है।
आकृति 6.20
QB और SC को AD के दूसरी ओर बढ़ाकर रेखाएँ PQ और RS प्राप्त कीजिए, जैसा कि आकृति 6.20 (ii) में दर्शाया गया है। आप देख सकते हैं कि ये रेखाएँ परस्पर प्रतिच्छेद नहीं करतीं। आप दोनों रेखाओं PQ और RS के विभिन्न बिंदुओं पर उभयनिष्ठ लम्ब खींच कर और उनकी लम्बाइयाँ माप कर देख सकते हैं कि ये लंबाइयाँ प्रत्येक स्थान पर बराबर हैं। अतः आप निष्कर्ष निकाल सकते हैं कि ये रेखाएँ समांतर हैं। अर्थात् संगत कोण अभिगृहीत का विलोम भी सत्य है। इस प्रकार, हम निम्न अभिगृहीत प्राप्त करते हैं :
अभिगृहीत 6.4 : यदि एक तिर्यक रेखा दो रेखाओं को इस प्रकार प्रतिच्छेद करे कि संगत कोणों का एक युग्म बराबर है, तो दोनों रेखाएँ परस्पर समांतर होती हैं।
क्या हम एक तिर्यक रेखा द्वारा दो समांतर रेखाओं को प्रतिच्छेद करने से बने एकांतर अंतः कोणों के बीच कोई संबंध ज्ञात करने के लिए संगत कोण अभिगृहीत का प्रयोग कर सकते हैं? आकृति 6.21में, तिर्यक रेखा PS समांतर रेखाओं AB और CD को क्रमशः बिंदुओं Q और R पर प्रतिच्छेद करती है।
क्या ∠ BQR = ∠ QRC और ∠ AQR = ∠ QRD हैं?
आप जानते हैं कि ∠ PQA = ∠ QRC (1)
आकृति 6.21
(संगत कोण अभिगृहीत)
क्या ∠ PQA = ∠ BQR है? हाँ! (क्यों?) (2)
इसलिए (1) और (2) से, हम निष्कर्ष निकाल सकते हैं कि
∠ BQR = ∠ QRC
इसी प्रकार, ∠ AQR = ∠ QRD
उपरोक्त परिणाम को एक प्रमेय (theorem) के रूप में निम्न प्रकार से लिखा जा सकता हैः
प्रमेय 6.2 : यदि एक तिर्यक रेखा दो समांतर रेखाओं को प्रतिच्छेद करे, तो एकांतर अंतः कोणों का प्रत्येक युग्म बराबर होता है।
अब, संगत कोण अभिगृहीत के विलोम का प्रयोग करके क्या हम एकांतर अंतः कोणों के एक युग्म के बराबर होने पर दोनों रेखाओं को समांतर दर्शा सकते हैं? आकृति 6.22 में, तिर्यक रेखा PS रेखाओं AB और CD को क्रमशः बिंदुओं Q और R पर इस प्रकार प्रतिच्छेद करती है कि ∠ BQR = ∠ QRC है।
आकृति 6.22
क्या AB || CD है?
∠ BQR = ∠ PQA (क्यों?) (1)
परन्तु, ∠ BQR = ∠ QRC (दिया है) (2)
अतः, (1) और (2) से आप निष्कर्ष निकाल सकते हैं कि
∠ PQA = ∠ QRC
परन्तु ये संगत कोण हैं।
अतः, AB || CD है। (संगत कोण अभिगृहीत का विलोम)
इस कथन को एक प्रमेय के रूप में निम्न प्रकार व्यक्त किया जा सकता हैः
प्रमेय 6.3 : यदि एक तिर्यक रेखा दो रेखाओं को इस प्रकार प्रतिच्छेद करे कि एकांतर अंतः कोणों का एक युग्म बराबर है, तो दोनों रेखाएँ परस्पर समांतर होती हैं।
इसी प्रकार, आप तिर्यक रेखा के एक ही ओर के अंतः कोणों से संबंधित निम्नलिखित दो प्रमेय प्राप्त कर सकते हैंः
प्रमेय 6.4 : यदि एक तिर्यक रेखा दो समांतर रेखाओं को प्रतिच्छेद करे, तो तिर्यक रेखा के एक ही ओर के अंतः कोणों का प्रत्येक युग्म संपूरक होता है।
प्रमेय 6.5 : यदि एक तिर्यक रेखा दो रेखाओं को इस प्रकार प्रतिच्छेद करे कि तिर्यक रेखा के एक ही ओर के अंतः कोणों का एक युग्म संपूरक है, तो दोनों रेखाएँ परस्पर समांतर होती हैं।
आपको याद होगा कि इन सभी अभिगृहीतों और प्रमेयों की जाँच पिछली कक्षाओं में आप कुछ क्रियाकलापों के द्वारा कर चुके हैं। आप इन क्रियाकलापों को यहाँ दोहरा सकते हैं।
6.6 एक ही रेखा के समांतर रेखाएँ
आकृति 6.23
यदि दो रेखाएँ एक ही रेखा के समांतर हों, तो क्या वे परस्पर समांतर होंगी? आइए इसकी जाँच करें।
आकृति 6.23 को देखिए, जिसमें m || l है और n || l है। आइए रेखाओं l, m और n के लिए एक तिर्यक रेखा
t खींचें। यह दिया है कि m || l है और n || l है।
अतः, ∠ 1 = ∠ 2 और ∠ 1 = ∠ 3 है।
(संगत कोण अभिगृहीत)
इसलिए, ∠ 2 = ∠ 3 (क्यों?)
परन्तु ∠ 2 और ∠ 3 संगत कोण हैं और बराबर हैं।
अतः, आप कह सकते हैं कि
m || n (संगत कोण अभिगृहीत का विलोम)
इस परिणाम को एक प्रमेय के रूप में निम्न प्रकार व्यक्त किया जा सकता हैः
प्रमेय 6.6 : वे रेखाएँ जो एक ही रेखा के समांतर हों, परस्पर समांतर होती हैं।
टिप्पणी : उपरोक्त गुण को दो से अधिक रेखाओं के लिए भी लागू किया जा सकता है।
आइए अब समांतर रेखाओं से संबंधित कुछ प्रश्न हल करेंः
उदाहरण 4 : आकृति 6.24 में, यदि PQ || RS, ∠ MXQ = 135° और ∠ MYR = 40° है, तो
∠ XMY ज्ञात कीजिए।
आकृति 6.24 आकृति 6.25
हल : यहाँ हमें m से होकर, रेखा PQ के समांतर एक रेखा AB खींचने की आवश्यकता है, जैसा कि आकृति 6.25 में दिखाया गया है। अब, AB || PQ और PQ || RS है।
अतः, AB || RS है। (क्यों?)
अब, ∠ QXM + ∠ XMB = 180°
(AB || PQ, तिर्यक रेखा XM के एक ही ओर के अंतः कोण)
परन्तु, ∠ QXM = 135° है। इसलिए,
135° + ∠ XMB = 180°
अतः, ∠ XMB = 45° (1)
अब, ∠ BMY = ∠ MYR (AB || RS, एकांतर कोण)
अतः, ∠ BMY = 40° (2)
(1) और (2) को जोड़ने पर, आपको प्राप्त होगा ः
∠ XMB + ∠ BMY = 45° + 40°
अर्थात, ∠ XMY = 85°
उदाहरण 5 : यदि एक तिर्यक रेखा दो रेखाओं को इस प्रकार प्रतिच्छेद करे कि संगत कोणों के एक युग्म के समद्विभाजक परस्पर समांतर हों, तो सिद्ध कीजिए कि दोनों रेखाएँ भी परस्पर समांतर होती हैं।
हल : आकृति 6.26 में, एक तिर्यक रेखा AD दो रेखाओं PQ और RS को क्रमशः बिंदुओं B और C पर प्रतिच्छेद करती है। किरण BE, ∠ ABQ की समद्विभाजक है और किरण CG,
∠ BCS की समद्विभाजक है तथा BE || CG है।
हमें सिद्ध करना है कि PQ || RS है।
आकृति 6.26
यह दिया है कि किरण BE, ∠ ABQ की समद्विभाजक है।
अतः, ∠ ABE = ∠ ABQ (1)
इसी प्रकार किरण CG, ∠ BCS की समद्विभाजक है।
अतः, ∠ BCG = ∠ BCS (2)
परन्तु, BE || CG है और AD एक तिर्यक रेखा है।
अतः, ∠ ABE = ∠ BCG
(संगत कोण अभिगृहीत) (3)
(3) में, (1) और (2) को प्रतिस्थापित करने पर, आपको प्राप्त होगाः
∠ ABQ = ∠ BCS
अर्थात्, ∠ ABQ = ∠ BCS
परन्तु, ये तिर्यक रेखा AD द्वारा रेखाओं PQ और RS के साथ बनाए गए संगत कोण हैं और ये बराबर हैं।
अतः, PQ || RS
आकृति 6.27
(संगत कोण अभिगृहीत का विलोम)
उदाहरण 6 : आकृति 6.27 में, AB || CD और CD || EF है। साथ ही, EA ⊥ AB है। यदि ∠ BEF = 55° है, तो x, y और z के मान ज्ञात कीजिए।
हल : y + 55° = 180° (CD || EF, तिर्यक
रेखा ED के एक ही ओर के अंतः कोण)
अतः, y = 180° – 55° = 125°
पुनः, x = y (AB || CD, संगत कोण अभिगृहीत)
इसलिए, x = 125°
अब चूंँकि AB || CD और CD || EF है, इसलिए AB || EF है।
अतः, ∠ EAB + ∠ FEA = 180°
(तिर्यक रेखा EA के एक ही ओर के अंतः कोण)
इसलिए, 90° + z + 55° = 180°
जिससे, z = 35° प्राप्त होता है।
प्रश्नावली 6.2
1. आकृति 6.28 में, x और y के मान ज्ञात कीजिए और फिर दर्शाइए कि AB || CD है।
आकृति 6.28
2. आकृति 6.29 में, यदि AB || CD, CD || EF और y : z = 3 : 7 है, तो x का मान ज्ञात कीजिए।
आकृति 6.29
3. आकृति 6.30 में, यदि AB || CD, EF ⊥ CD और ∠ GED = 126° है, तो ∠ AGE, ∠ GEF और ∠ FGE ज्ञात कीजिए।
आकृति 6.30
4. आकृति 6.31में, यदि PQ || ST, ∠ PQR = 110° और ∠ RST = 130° है, तो ∠ QRS ज्ञात कीजिए।
[संकेत : बिंदु R से होकर ST के समांतर एक रेखा खींचिए।]
आकृति 6.31
5. आकृति 6.32 में, यदि AB || CD, ∠ APQ = 50° और ∠ PRD = 127° है, तो x और y ज्ञात कीजिए।
आकृति 6.32
6. आकृति 6.33 में, PQ और RS दो दर्पण हैं जो एक दूसरे के समांतर रखे गए हैं। एक आपतन किरण (incident ray) AB, दर्पण PQ से B पर टकराती है और परावर्तित किरण (reflected ray) पथ BC पर चलकर दर्पण RS से C पर टकराती है तथा पुनः CD के अनुदिश परावर्तित हो जाती है। सिद्ध कीजिए कि AB || CD है।
आकृति 6.33
6.7 त्रिभुज का कोण योग गुण
पिछली कक्षाओं में आप क्रियाकलापों द्वारा यह सीख चुके हैं कि एक त्रिभुज के सभी कोणों का योग 180° होता है। हम इस कथन को समांतर रेखाओं से संबंधित अभिगृहीतों और प्रमेयों का प्रयोग करके सिद्ध कर सकते हैं।
प्रमेय 6.7 : किसी त्रिभुज के कोणों का योग 180° होता है।
उपपत्ति : आइए देखें कि हमें उपरोक्त कथन में क्या दिया है, अर्थात् हमारी परकिल्पना (hypothesis) क्या है और हमें क्या सिद्ध करना है। हमें एक त्रिभुज PQR दिया है तथा ∠ 1, ∠ 2 और ∠ 3 इस त्रिभुज के कोण हैं (देखिए आकृति 6.34)।
आकृति 6.34
हमें, ∠ 1 + ∠ 2 + ∠ 3 = 180° सिद्ध करना है। आइए भुजा QR के समांतर उसके सम्मुख शीर्ष P से होकर एक रेखा XPY खींचें, जैसा कि आकृति 6.35 में दर्शाया गया है। इससे हम समांतर रेखाओं से संबंधित गुणों का प्रयोग कर सकते हैं।
आकृति 6.35
अब, XPY एक रेखा है।
अतः, ∠ 4 + ∠ 1 + ∠ 5 = 180° है। (1)
परन्तु XPY || QR तथा PQ और PR तिर्यक रेखाएँ हैं।
इसलिए, ∠ 4 = ∠ 2 और ∠ 5 = ∠ 3
(एकांतर कोणों के युग्म)
∠ 4 और ∠ 5 के ये मान (1) में, रखने पर हमें प्राप्त होता हैः
∠ 2 + ∠ 1 + ∠ 3 = 180°
अर्थात्, ∠ 1 + ∠ 2 + ∠ 3 = 180° है।
याद कीजिए कि आपने पिछली कक्षाओं में, एक त्रिभुज के बहिष्कोणों (exterior angles) के बारे में अध्ययन किया था (देखिए आकृति 6.36)। भुजा QR को बिंदु S तक बढ़ाया गया है। ∠ PRS त्रिभुज PQR का एक बहिष्कोण (exterior angle) है।
आकृति 6.36
क्या ∠ 3 + ∠ 4 = 180° है? (क्यों?) (1)
साथ ही, यह भी देखिए कि ∠ 1 + ∠ 2 + ∠ 3 = 180° है। (क्यों?) (2)
(1) और (2) से, आप देख सकते हैं कि ∠ 4 = ∠ 1 + ∠ 2 है।
इस परिणाम को एक प्रमेय के रूप में निम्न प्रकार व्यक्त किया जा सकता हैः
प्रमेय 6.8 : यदि एक त्रिभुज की एक भुजा बढ़ाई जाए, तो इस प्रकार बना बहिष्कोण दोनों अंतः अभिमुख (विपरीत) कोणों (interior opposite angles) के योग के बराबर होता है।
उपरोक्त प्रमेय से यह स्पष्ट है कि किसी त्रिभुज का एक बहिष्कोण अपने दोनों अंतः अभिमुख कोणों में से प्रत्येक से बड़ा होता है।
आइए इन प्रमेयों का प्रयोग करके कुछ उदाहरण हल करें।
उदाहरण 7 : आकृति 6.37 में, यदि QT ⊥ PR,∠ TQR = 40° और ∠ SPR = 30° है, तो x और y ज्ञात कीजिए।
आकृति 6.37
हल ः ∆ TQR में, 90° + 40° + x = 180°
(त्रिभुज का कोण योग गुण)
अतः, x = 50°
अब, y = ∠ SPR + x (प्रमेय 6.8)
अतः, y = 30° + 50° = 80°
उदाहरण 8 : आकृति 6.38 में, ∆ABC की भुजाओं
AB और AC को क्रमशः E और D तक बढ़ाया गया है। यदि ∠ CBE और ∠ BCD के समद्विभाजक क्रमशः BO और CO बिंदु O पर मिलते हैं, तो सिद्ध कीजिए कि
∠ BOC = 90° – ∠BAC है।
आकृति 6.38
हल : किरण BO कोण CBE की समद्विभाजक है।
अतः, ∠ CBO = ∠ CBE
= (180° – y)
= 90° – (1)
इसी प्रकार, किरण CO कोण BCD की समद्विभाजक है।
अतः, ∠ BCO = ∠ BCD
= (180° – z) = 90° – (2)
∆ BOC में, ∠ BOC + ∠ BCO + ∠ CBO = 180° है। (3)
(1) और (2) को (3) में रखने पर, आपको प्राप्त होगा ः
∠ BOC + 90° – + 90° – = 180°
इसलिए, ∠ BOC = +
या, ∠ BOC = (y + z) (4)
परन्तु, x + y + z = 180° (त्रिभुज का कोण योग गुण)
अतः, y + z = 180° – x
इससे (4) निम्न हो जाता है ः
∠ BOC = (180° – x)
= 90° –
= 90° – ∠ BAC
प्रश्नावली 6.3
1. आकृति 6.39 में, ∆ PQR की भुजाओं QP और RQ को क्रमशः बिंदुओं S और T तक बढ़ाया गया है। यदि ∠ SPR = 135° है और ∠ PQT = 110° है, तो ∠ PRQ ज्ञात कीजिए।
आकृति 6.39
2. आकृति 6.40 में, ∠ X = 62° और ∠ XYZ = 54° है। यदि YO और ZO क्रमशः ∆ XYZ के ∠ XYZ और ∠ XZY के समद्विभाजक हैं, तो ∠ OZY और ∠ YOZ ज्ञात कीजिए।
आकृति 6.40
3. आकृति 6.41में, यदि AB || DE, ∠ BAC = 35° और ∠ CDE = 53° है, तो ∠ DCE ज्ञात कीजिए।
आकृति 6.41
4. आकृति 6.42 में, यदि रेखाएँ PQ और RS बिंदु T पर इस प्रकार प्रतिच्छेद करती हैं कि ∠ PRT = 40°, ∠ RPT = 95° और ∠ TSQ = 75° है, तो ∠ SQT ज्ञात कीजिए।
आकृति 6.42
5. आकृति 6.43 में, यदि PQ ⊥ PS, PQ || SR, ∠ SQR = 28° और ∠ QRT = 65° है, तो x और y के मान ज्ञात कीजिए।
आकृति 6.43
6. आकृति 6.44 में, ∆ PQR की भुजा QR को बिंदु S तक बढ़ाया गया है। यदि ∠ PQR और ∠ PRS के समद्विभाजक बिंदु T पर मिलते हैं, तो सिद्ध कीजिए कि ∠ QTR = ∠ QPR है।
आकृति 6.44
6.8 सारांश
इस अध्याय में, आपने निम्न बिंदुओं का अध्ययन किया हैः
1. यदि एक किरण एक रेखा पर खड़ी हो, तो इस प्रकार बने दोनों आसन्न कोणों का योग 180º होता है और विलोमतः यदि दो आसन्न कोणों का योग 180º है, तो उनकी अउभयनिष्ठ भुजाएँ एक रेखा बनाती हैं। इन गुणों को मिलाकर रैखिक युग्म अभिगृहीत कहते हैं।
2. यदि दो रेखाएँ परस्पर प्रतिच्छेद करें, तो शीर्षाभिमुख कोण बराबर होते हैं।
3. यदि एक तिर्यक रेखा दो समांतर रेखाओं को प्रतिच्छेद करे, तो
(i) संगत कोणों का प्रत्येक युग्म बराबर होता है।
(ii) एकांतर अंतः कोणों का प्रत्येक युग्म बराबर होता है।
(iii) तिर्यक रेखा के एक ही ओर के अंतः कोणों का प्रत्येक युग्म संपूरक होता है।
4. यदि एक तिर्यक रेखा दो रेखाओं को इस प्रकार प्रतिच्छेद करे कि या तो
(i) संगत कोणों का कोई एक युग्म बराबर हो या
(ii) एकांतर अंतः कोणों का कोई एक युग्म बराबर हो या
(iii) तिर्यक रेखा के एक ही ओर के अंतः कोणों का कोई एक युग्म संपूरक हो, तो ये दोनों रेखाएँ समांतर होती हैं।
5. वे रेखाएँ जो एक ही रेखा के समांतर होती हैं परस्पर समांतर होती हैं।
6. एक त्रिभुज के तीनों कोणों का योग 1800 होता है।
7. यदि किसी त्रिभुज की एक भुजा को बढ़ाया जाए, तो इस प्रकार बना बहिष्कोण अपने दोनों अंतः अभिमुख कोणों के योग के बराबर होता है।