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अध्याय 2
क्या हमारे आस-पास के पदार्थ शुद्ध हैं
(Is Matter Around Us Pure)
हम कैसे जान सकते हैं कि बाज़ार से खरीदा हुआ दूध, घी, मक्खन, नमक, मसाला, मिनरल जल या जूस शुद्ध हैं?
चित्र 2.1: रसोई में उपयोग की जाने वाली कुछ वस्तुएँ
क्या आपने कभी इन खाने वाले पदार्थों के डिब्बों के ऊपर लिखे ‘शुुद्ध’ शब्द पर ध्यान दिया है? एक साधारण व्यक्ति के लिए शुुद्ध का अर्थ होता है कि पदार्थ में कोई मिलावट न हो लेकिन, वैज्ञानिकों के लिए ये सभी वस्तुएँ विभिन्न पदार्थों के मिश्रण हैं, अतः शुद्ध नहीं हैं। उदाहरण के लिए दूध जल, वसा, प्रोटीन आदि का मिश्रण है। जब एक वैज्ञानिक किसी पदार्थ को शुुद्ध कहता है तो इसका तात्पर्य है कि उस पदार्थ में मौजूद सभी कण समान रासायनिक प्रकृति के हैं। एक शुुद्ध पदार्थ एक ही प्रकार के कणों से मिलकर बना होता है।
जब हम अपने चारों ओर देखते हैं तो पाते हैं कि सभी पदार्थ दो या दो से अधिक शुुद्ध अवयवों के मिलने से बने हैं, उदाहरण के लिए, समुद्र का जल, खनिज, मिट्टी आदि सभी मिश्रण हैं।
2.1 मिश्रण क्या है?
मिश्रण एक या एक से अधिक शुुद्ध तत्वों या यौगिकों से मिलकर बना होता है। हम जानते हैं कि जल में घुले हुए सोडियम क्लोराइड को वाष्पीकरण या आसवन विधि द्वारा जल से पृथक् किया जा सकता है। यद्यपि, सोडियम क्लोराइड अपने आप में एक शुद्ध पदार्थ है और इसे भौतिक विधि के द्वारा इसके रासायनिक अवयवों में पृथक् नहीं किया जा सकता है। इसी प्रकार चीनी एक पदार्थ है क्योंकि यह एक ही प्रकार का शुुद्ध अवयव रखता है और इसका यौगिक समान रहता है।
पेय पदार्थ और मिट्टी में एकसमान कण नहीं होते हैं। शुद्ध पदार्थ किसी भी स्रोत से प्राप्त हो इसके अभिलाक्षणिक गुण एकसमान होंगे।
इस प्रकार हम कह सकतें हैं कि मिश्रण में एक से अधिक शुद्ध पदार्थ होते हैं।
2.1.1 मिश्रण के प्रकार
अवयवों की प्रकृति के अनुसार विभिन्न प्रकार के मिश्रणों का निर्माण होता है। इस तरह मिश्रण के कई प्रकार होते हैं।
क्रियाकलाप 2.1
• कक्षा को अ, ब, स और द समूहों में बाँटें।
• एक बीकर जिसमें 50 mL जल और एक चम्मच कॉपर सल्फ़ेट चूर्ण हो, समूह ‘अ’ को दें।
• समूह ‘ब’ को एक बीकर में 50 mL जल तथा दो चम्मच कॉपर सल्फ़ेट चूर्ण दें।
• कॉपर सल्फ़ेट और पोटैशियम परमैंगनेट या साधारण नमक (सोडियम क्लोराइड) समूह ‘स’ और ‘द’ को दें। (दोनों को अवयवों की पृथक्-पृथक् मात्रा दें)।
• अब पृथक्-पृथक् समूह के उन अवयवों को मिलाकर मिश्रण तैयार करेें।
• उनके रंग और बनावट के आधार पर एक रिर्पोट तैयार करें।
• समूह ‘अ’ और ‘ब’ को एक मिश्रण प्राप्त होता है जिसकी बनावट समान होती है। इस तरह के मिश्रण को हम समांगी मिश्रण अथवा विलयन कहते हैं। इस तरह के मिश्रणों के कुछ अन्य उदाहरण हैं, जल में नमक और जल में चीनी। दोनों समूहों से प्राप्त घोल के रंगों की तुलना करें। यद्यपि दोनों समूह के पास कॉपर सल्फ़ेट का घोल है, लेकिन उन दोनों घोल के रंगों की तीव्रता पृथक्-पृथक् है। यह दिखलाता है कि समांगी मिश्रण पृथक्-पृथक् संघटन रख सकते हैं।
• समूह ‘स’ और ‘द’ ने जो मिश्रण प्राप्त किया है, उनके अंश भौतिक दृष्टि से पृथक् हैं। इस तरह के मिश्रण को विषमांगी मिश्रण कहते हैं। सोडियम क्लोराइड और लोहे की छीलन, नमक और सल्फ़र एवं जल और तेल विषमांगी मिश्रण के अन्य उदाहरण हैं।
क्रियाकलाप 2.2
• आइए पुनः कक्षा को चार समूहों अ, ब, स और द में बाँटें।
• प्रत्येक समूह को नीचे दिए हुए नमूने में से एक देंः
− समूह ‘अ’ को कॉपर सल्फ़ेट के कुछ क्रिस्टल दें।
− समूह ‘ब’ को एक चम्मच कॉपर सल्फ़ेट दें।
− समूह ‘स’ को चॉक का चूर्ण या गेहूँ का आटा दें।
− समूह ‘द’ को दूध या स्याही की कुछ बूँदें दें।
• छात्रों को काँच की छड़ की सहायता से नमूनों को जल में मिलाने को कहें। क्या कण जल में दिखाई देते हैं?
• अब टॉर्च से प्रकाश की किरण को बीकर पर डालें और इसको सामने से देखें। क्या प्रकाश की किरण का मार्ग दिखाई देता है?
• अब मिश्रण को कुछ समय तक शांत छोड़
दें। इस बीच मिश्रण छानने वाले उपकरण
को तैयार कर लें। क्या मिश्रण स्थिर है या कुछ समय के बाद कण नीचे बैठना शुरू करते हैं?
• मिश्रण को छान लें। क्या छानक पत्र पर कुछ शेष बचा है?
• कक्षा में परिणामों पर चर्चा कर इस क्रिया पर एक मत बनाने का प्रयत्न करें।
• समूह ‘अ’ और ‘ब’ एक विलयन पाते हैं।
• समूह ‘स’ एक निलंबन पाता है।
• समूह ‘द’ एक कोलाइड विलयन पाता है।
चित्र 2.2: निस्यंदन (छानने की प्रक्रिया)
अब हम विलयनों, निलंबनों और कोलाइड विलयनों के बारे में पढ़ेंगे।
प्रश्न
1. पदार्थ से आप क्या समझते हैं?
2. समांगी और विषमांगी मिश्रणों में अंतर बताएँ।
2.2 विलयन क्या है?
विलयन दो या दो से अधिक पदार्थों का समांगी मिश्रण है। आप प्रतिदिन बहुत प्रकार के विलयनों को देखते होंगे। नींबू जल, सोडा जल आदि विलयन के उदाहरण हैं। प्रायः हम एक विलयन को एेसे तरल पदार्थ के रूप में विचार करते हैं जिसमें ठोस, द्रव या गैस मिले हों लेकिन प्रकृति में ठोस विलयन (मिश्र धातु) और गैसीय विलयन (वायु) भी होते हैं। एक विलयन के कणों में समांगिकता होती है। उदाहरण के लिए नींबू जल का स्वाद सदैव समान रहता है। यह दर्शाता है कि इस विलयन में चीनी और नमक के कण समान रूप से वितरित होते हैं।
इसे भी जानें
मिश्र धातुएँः ये धातुओं के समांगी मिश्रण होते हैं जिन्हें भौतिक क्रिया द्वारा अवयवों में पृथक् नहीं किया जा सकता है लेकिन फि्ηर भी मिश्र धातुओं को मिश्रण माना जाता है क्योंकि ये अपने घटकों के गुणों को दर्शाते हैं और पृथक्-पृृथक संघटन रखते हैं। उदाहरण के लिए पीतल, ज़िंक (लगभग 30%) और कॉपर (लगभग 70%) का मिश्रण है।
किसी विलयन को दो भागों विलायक और विलय में बाँटा जाता है। विलयन का वह घटक (जिनकी मात्रा दूसरे से अधिक होती है) जो दूसरे घटक को विलयन में मिलाता है उसे विलायक कहते हैं। विलयन का वह घटक (प्रायः कम मात्रा में होता है) जो कि विलायक में घुला होता है उसे विलेय कहते हैं।
उदाहरण के लिएः
(i) चीनी और जल का विलयन एक तरल घोल में ठोस का उदाहरण है। इसमें चीनी विलेय है और जल विलायक हैै।
(ii) आयोडिन और एेल्कोहॉल का विलयन जिसे टिंक्चर आयोडीन के नाम से जाना जाता है, इसमें आयोडीन विलेय है और एेल्कोहॉल विलायक है।
(iii) वातयुक्त पेय जैसे सोडा जल, कोक इत्यादि तरल विलयन में गैस के रूप में हैं। इनमें कार्बन डाइअॉक्साइड गैस विलेय और जल विलायक है।
(iv) वायु गैस में गैस का विलयन है। यह मुख्यतः दो घटकों अॉक्सीजन (21%) और नाइट्रोजन (78%) का समांगी मिश्रण है। नाइट्रोजन को वायु का विलायक कहा जाता है। वायु में दूसरी गैसें बहुत कम मात्रा में उपलब्ध होती हैं।
विलयन के गुण
• विलयन एक समांगी मिश्रण है।
• विलयन के कण व्यास में 1 nm (10-9 metre) से भी छोटे होते हैं। इसलिए वे आँख से नहीं देखे जा सकते हैं।
• अपने छोटे आकार के कारण विलयन के कण, गुजर रही प्रकाश की किरण को फ्ैηलाते नहीं हैं। इसलिए विलयन में प्रकाश का मार्ग दिखाई नहीं देता।
• छानने की विधि द्वारा विलेय के कणों को विलयन में से पृथक् नहीं किया जा सकता है। विलयन को शांत छोड़ देने पर भी विलेय के कण नीचे नहीं बैठते हैं, अर्थात् विलयन स्थाई है।
2.2.1 विलयन की सांद्रता
क्रियाकलाप 2.2 में हमने देखा कि समूह ‘अ’ और समूह ‘ब’ के पास एक ही पदार्थ के विभिन्न आभाओं के रंगों के विलयन हैं। हम लोग जानते हैं कि विलयन में पृथक्-पृथक् मात्रा में विलायक और विलेय पदार्थ होते हैं। विलयन में मौजूद विलेय पदार्थ की मात्रा के आधार पर इसे तनु, सांद्र या संतृप्त घोल कहा जा सकता है। तनु और सांद्र तुलनात्मक शब्द हैं। क्रियाकलाप 2.2 में समूह ‘अ’ द्वारा प्राप्त विलयन समूह ‘ब’ की तुलना में तनु है।
क्रियाकलाप 2.3
• दो पृथक्-पृथक् बीकरों में 50 mL जल लें।
• एक बीकर में नमक और दूसरे में चीनी अथवा बेरियम क्लोराइड मिलाकर अच्छी तरह मिला लें।
• जब विलेय पदार्थ और अधिक न घुले तब 5OC ताप बढ़ाने के लिए बीकर को गर्म करें।
• विलेय पदार्थ को पुनः मिलाना शुरू करें।
क्या किसी दिए गए ताप पर चीनी, नमक अथवा बेरियम क्लोराइड की जल में घोली गई मात्राएँ बराबर हैं?
किसी निश्चित तापमान पर उतना ही विलेय पदार्थ घुल सकता है जितनी कि विलयन की क्षमता होती है। दूसरे शब्दों में, दिए गए निश्चित तापमान पर यदि विलयन में विलेय पदार्थ नहीं घुलता है तो उसे संतृप्त विलयन कहते हैं। विलेय पदार्थ की वह मात्रा, जो इस ताप पर संतृप्त विलयन में उपस्थित है, उसकी घुलनशीलता कहलाती है।
यदि एक विलयन में विलेय पदार्थ की मात्रा संतृप्तता से कम है तो इसे असंतृप्त विलयन कहा जाता है।
यदि विलयन में विलेय पदार्थ की सांद्रता संतृप्त स्तर से कम हो तो उसे असंतृप्त विलयन कहते हैं।
यदि आप किसी विशिष्ट ताप पर एक संतृप्त विलयन लें तथा उसे धीरे-धीरे ठंडा करें तो क्या होगा?
उपरोक्त किए गए क्रियाकलाप से हम कह सकते हैं कि दिए हुए एक निश्चित तापमान पर पृथक्-पृथक् पदार्थों की विलयन क्षमता भिन्न होती है।
विलायक की मात्रा (द्रव्यमान अथवा आयतन) में घुले हुए विलेय पदार्थ की मात्रा को विलयन की सांद्रता कहते हैं।
विलयन की सांद्रता को दर्शाने की बहुत सी विधियाँ हैं, लेकिन हम यहाँ सिर्फ़ तीन विधियों के बारे में चर्चा करेंगे।
(i) द्रव्यमान/विलयन के द्रव्यमान प्रतिशत
(ii) द्रव्यमान/विलयन के आयतन प्रतिशत
(iii) विलयन के आयतन/आयतन प्रतिशत
उदाहरण 2.1 एक विलयन के 320 g विलायक जल में 40 g साधारण नमक विलेय है। विलयन की सांद्रता का परिकलन करें।
हल:
विलेय पदार्थ (नमक) का द्रव्यमान = 40 g
विलायक (जल) का द्रव्यमान = 320 g
हम जानते हैं,
विलयन का द्रव्यमान = विलेय पदार्थ का
द्रव्यमान + विलायक का द्रव्यमान
= 40 g + 320 g
= 360 g
विलयन का द्रव्यमान प्रतिशत
2.2.2 निलंबन क्या है?
क्रियाकलाप 2.2 में समूह ‘स’ के द्वारा पाया गया विषमांगी घोल जो ठोस द्रव में परिक्षेपित हो जाता है, निलंबन कहलाता है। निलंबन एक विषमांगी मिश्रण है, जिसमें विलेय पदार्थ कण घुलते नहीं हैं बल्कि माध्यम की समष्टि में निलंबित रहते हैं। ये निलंबित कण आँखों से देखे जा सकते हैं।
निलंबन के गुणधर्म
• यह एक विषमांगी मिश्रण है।
• ये कण आँखों से देखे जा सकते हैं।
• ये निलंबित कण प्रकाश की किरण को फ्ैηला देते हैं, जिससे उसका मार्ग दृष्टिगोचर हो जाता है।
• जब इसे शांत छोड़ देते हैं तब ये कण नीचे की ओर बैठ जाते हैं अर्थात निलंबन अस्थायी होता है। छानन विधि द्वारा इन कणों को मिश्रण से पृथक् किया जा सकता है।
जब सभी कण नीचे बैठ जाते हैं तो निलंबन समाप्त हो जाता है तथा विलयन में प्रकाश की किरण का प्रकीर्णन रुक जाता है।
2.2.3 कोलाइडल विलयन क्या है?
क्रियाकलाप 2.2 में समूह ‘द’ के द्वारा प्राप्त मिश्रण को कोलाइड या कोलाइडल विलयन कहा जाता है। कोलाइड के कण विलयन में समान रूप से फ्ैηले होते हैं। निलंबन की अपेक्षा कणों का आकार छोटा होने के कारण यह मिश्रण समांगी प्रतीत होता है लेकिन वास्तविकता में विलयन विषमांगी मिश्रण है, जैसे दूध।
कोलाइडल कणों के छोटे आकार के कारण हम इसे आँख से नहीं देख पाते हैं लेकिन ये कण प्रकाश की किरण को आसानी से फ्ैηला देते हैं, जैसा कि हमने क्रियाकलाप 2.2 में देखा है। प्रकाश की किरण का फ्ैηलाना टिनडल प्रभाव (Tyndall effect) कहा जाता है। टिनडल नामक वैज्ञानिक ने इसकी खोज की थी। एक कमरे में छोटे छिद्र के द्वारा जब प्रकाश की किरण आती है तब वहाँ पर हम टिनडल प्रभाव को देख सकते हैं। यह कमरे में मौजूद धूल और कार्बन के कणों के द्वारा प्रकाश के फ्ैηलने के कारण होता है।
जब एक घने जंगल के आच्छादन से सूर्य की किरण गुजरती है वहाँ हम टिनडल प्रभाव को देख सकते हैं। जंगल के कोहरे में छोटे-छोटे जल के कण होते हैं जो कि कोलाइड कणों के समान व्यवहार करते हैं।
चित्र 2.4: टिनडल प्रभाव
कोलाइड के गुणधर्म
• यह एक विषमांगी मिश्रण है।
• कोलाइड के कणों का आकार इतना छोटा होता है कि ये पृथक् रूप में आँखों से नहीं देखे जा सकते हैं।
• ये इतने बड़े होते हैं कि प्रकाश की किरण को फैलाते हैं तथा उसके मार्ग को दृश्य बनाते हैं।
• जब इनको शांत छोड़ दिया जाता है तब ये कण तल पर बैठते हैं अर्थात् ये स्थायी होते हैं।
• ये छानन विधि द्वारा मिश्रण से पृथक् नहीं किए जा सकते। किंतु एक विशेष विधि अपकेंद्रीकरण तकनीक (क्रियाकलाप 2.5) द्वारा पथक् किए जा सकते हैं।
प्रश्न
1. उदाहरण के साथ समांगी एवं विषमांगी मिश्रणों में विभेद कीजिए।
2. विलयन, निलंबन और कोलाइड एक-दूसरे से किस प्रकार भिन्न हैं?
3. एक संतृप्त विलयन बनाने के लिए 36 g सोडियम क्लोराइड को 100 g जल में 293 K पर घोला जाता है। इस तापमान पर इसकी सांद्रता प्राप्त करें।
कोलाइडल विलयन परिक्षिप्त प्रावस्था और परिक्षेपण माध्यम से बनता है। विलेय पदार्थ की तरह का घटक या परिक्षिप्त कण जो कि कोलाइडल रूप में रहता है उसे परिक्षिप्त प्रावस्था (dispersed phase) कहते हैं तथा वह घटक जिसमें परिक्षिप्त प्रावस्था निलंबित रहता है, उसे परिक्षेपण माध्यम (dispersing medium) कहते हैं। कोलाइडल को परिक्षेपण माध्यम (ठोस, द्रव या गैस) की अवस्था और परिक्षिप्त प्रावस्था के अनुसार वर्गीकृत किया जाता है। सारणी 2.1 में कुछ उदाहरण दिए गए हैं।
2.3 मिश्रण के घटकों का पृथक्करण
हम पढ़ चुके हैं कि प्रायः प्राकृतिक पदार्थ रासायनिक तौर पर शुुद्ध नहीं होते हैं। मिश्रण से घटकों को पृथक् करने के लिए विभिन्न प्रकार की विधियाँ प्रयोग में लाई जाती हैं। पृथक् करने से मिश्रण के प्रत्येक घटक के बारे में जानकारी प्राप्त करना और प्रयोग में लाना सुगम हो जाता है।
विषमांगी मिश्रण को साधारण भौतिक क्रिया द्वारा पृथक् किया जा सकता है, जैसे हाथ से चुनकर, छन्नी से छानकर, जो हम प्रतिदिन व्यवहार में लाते हैं। कभी-कभी मिश्रण से घटकों को पृथक् करने के लिए विशेष तकनीकों को प्रयोग में लाया जाता है।
2.3.1 रंग वाले घटक (डाई) को नीले अथवा काले रंग की स्याही से कैसे पृथक् कर सकते हैं?
क्रियाकलाप 2.4
• आधा बीकर जल लें।
• बीकर के मुख पर वाच-ग्लास रखें (चित्र 2.5)।
• कुछ बूँद स्याही वाच-ग्लास पर डाल दें।
• अब बीकर को गर्म करना शुरू करें। हम स्याही को प्रत्यक्ष रूप से गर्म नहीं करना चाहते हैं। आप देखेंगे कि वाच-ग्लास से वाष्पीकरण हो रहा है।
• वाष्पीकरण होने तक गर्म करना जारी रखते हैं। जब वाच-ग्लास पर कोई परिवर्तन नहीं दिखता है तब हम उसे गर्म करना बंद कर देते हैं।
• इसे ध्यान से देखें और प्रेक्षित करेें।
अब उत्तर दें
• आपके विचार में, वाच-ग्लास पर से किसका वाष्पीकरण हुआ?
• क्या वाच-ग्लास पर कोई अवशेष बचा है?
• आप क्या प्रतिपादित करेंगे? क्या स्याही एक शुुद्ध पदार्थ है या मिश्रण है?
हम पाते हैं कि स्याही जल में रंग का एक मिश्रण है। इस तरह से हम विलायक से विलेय पदार्थ को वाष्पीकरण की विधि के द्वारा पृथक् कर सकते हैं।
2.3.2 दूध से क्रीम को कैसे पृथक् कर सकते हैं?
आजकल हम बाज़ार में संपूर्ण (फुल) क्रीम, टोंड, डबल टोंड प्रकार के दूध पोली पैक अथवा टेट्रापैक में पाते हैं। दूध के इन प्रकारों में भिन्न-भिन्न मात्रा में वसा होती है।
क्रियाकलाप 2.5
• एक परखनली में थोड़ी मात्रा में संपूर्ण क्रीम युक्त दूध लें।
• अपकेंद्रीय यंत्र (centrifuging machine) से इसे दो मिनट तक अपकेंद्रित करें। अगर स्कूल में यह यंत्र उपलब्ध नहीं है, तो यह प्रयोग आप घर पर रसोईं में प्रयोग होने वाली मथनी या मिक्सी से भी कर सकते हैं।
• यदि नज़दीक में कोई मिल्क डेयरी है तो वहाँ जाएँ और पूछें (i) वे क्रीम को दूध से कैसे पृथक् करते हैं? (ii) वे दूध से पनीर कैसे बनाते हैं?
अब उत्तर दें
• दूध को मथने पर आपने क्या देखा?
• दूध में से क्रीम का पृथक्करण कैसे करते हैं?
कभी-कभी द्रव में मौजूद ठोस कण इतने छोटे होते हैं कि ये छानक पत्र से बाहर निकल आते हैं। इन कणों को पृथक् करने के लिए छानन विधि का प्रयोग नहीं किया जाता है। एेसे मिश्रणों को अपकेंद्रन के द्वारा पृथक् किया जाता है। इस सिद्धांत के आधार पर जब इसे तेज़ी से घुमाया जाता है, तब भारी कण नीचे बैठ जाते हैं और हलके कण ऊपर ही रह जाते हैं।
अनुप्रयोग
• जाँच प्रयोगशाला में रक्त और मूत्र के जाँच में।
• डेयरी तथा घर में क्रीम से मक्खन निकालने की प्रकिया में।
• कपड़े धोने की मशीन में भीगे हुए कपड़ों से जल निचोड़ने में।
2.3.3 दो अघुलनशील द्रवों के मिश्रण को कैसे पृथक् कर सकते है?
क्रियाकलाप 2.6
• आइए कीप के प्रयोग से मिट्टी के तेल (kerosene oil) को जल से पृथक् करने का प्रयास करें।
• मिट्टी के तेल और जल के मिश्रण को एक पृथक्करण कीप में डालें।
• कुछ देर तक इसे शांत छोड़ दें ताकि जल तथा तेल की पृथक्-पृथक् परत तैयार हो जाएँ।
• पृथक्करण कीप के स्टॅाप-कार्क को खोलें और सावधानीपूर्वक नीचे वाले जल की परत को निकाल लें।
• जैसे ही तेल नीचे पहुँचे स्टॉप-कार्क को बंद कर दें।
चित्र 2.6: अघुलनशील द्रवों का पृथक्करण
अनुप्रयोग
• तेल तथा जल के अघुलनशील मिश्रण को पृथक् करने में।
• धातुशोधन के दौरान लोहे को पृथक् करने में। इस विधि के द्वारा हलके स्लैग (धातुमल) को ऊपर से हटा लिया जाता है तथा भट्टी की निचली सतह पर पिघला हुआ लोहा शेष रह जाता है।
सिद्धांत के अनुसार, आपस में नहीं मिलने वाले द्रव अपने घनत्व के अनुसार विभिन्न परतों में पृथक् हो जाते हैं।
2.3.4 नमक तथा कपूर के मिश्रण को कैसे पृथक् कर सकते हैं?
पिछले अध्याय में हमने पढ़ा है कि कपूर को गर्म करने पर वह ठोस अवस्था से सीधे गैस अवस्था में परिवर्तित हो जाता है। इस प्रकार, उन मिश्रणों, जिनमें ऊर्ध्वपातित हो सकने वाले अवयव हों, को ऊर्ध्वपातित न होने योग्य अशुद्धियों (इस प्रकरण में नमक) से पृथक् करने के लिए ऊर्ध्वपातन (sublimation) की प्रक्रिया का उपयोग करते हैं। अमोनियम क्लोराइड, नेफ्थालीन और एंथ्रासीन इत्यादि ऊर्ध्वपातित होने योग्य ठोस पदार्थों के कुछ उदाहरण हैं।
चित्र 2.7: ऊर्ध्वपातन की प्रकिया द्वारा कपूर तथा नमक का पृथक्करण
2.3.5 क्या काली स्याही में डाई एक ही रंग है?
क्रियाकलाप 2.7
• छानक पत्र की एक पतली परत लें।
• इसके निचले किनारे से 3 cm ऊपर पेंसिल से एक रेखा खींच लें [चित्र 2.8(a)]
• उस रेखा के बीच में जल में घुलनशील काली स्याही की एक बूँद रखें। इसे सूखने दें।
• ज़ार, बीकर या परखनली में जल लें, उसमें इस छानक कागज को इस प्रकार रखें कि वह जल की सतह से ठीक ऊपर रहे जैसा कि चित्र 2.8 (a) में दर्शाया गया है। अब इसे शांत छोड़ दें।
• जैसे ही जल छानक पत्र पर ऊपर की ओर उठे, सावधानीपूर्वक देखें। अवलोकन को लिखें।
अब उत्तर दें
• जैसे-जैसे जल ऊपर की ओर उठता है, आपने छानक पत्र पर क्या देखा?
• क्या आपने छानक पत्र के टुकड़े पर विभिन्न रंगों का अवलोकन किया।
• आपके मतानुसार, रंग के स्थान का छानक पत्र ऊपर की ओर उठने का क्या कारण है?
जो स्याही हमने प्रयोग की उसमें जल विलायक के रूप में है तथा डाई विलेय के रूप में। जैसे ही जल छानक पत्र पर ऊपर की दिशा की ओर अग्रसर होता है, यह डाई के कणों को भी अपने साथ ले लेता है। प्रायः डाई दो या दो से अधिक रंगों का मिश्रण होता है। रंग वाला घटक जो कि जल में अधिक घुलनशील है, तेजी से ऊपर उठता है और इस प्रकार, रंगों का पृथक्करण संभव हो जाता है।
मिश्रण से घटकों को पृथक् करने की इस विधि को क्रोमैटोग्राफ़ी (Chromatography) कहते हैं। ग्रीक में क्रोमा (Kroma) का अर्थ रंग होता है। इस विधि को सबसे पहले रंगों को पृथक् करने में प्रयोग किया गया था इसलिए इसका नाम क्रोमैटोग्राफ़ी पड़ा। यह एक एेसी विधि है जिसका प्रयोग उन विलेय पदार्थों को पृथक् करने में होता है जो एक ही प्रकार के विलायक में घुले होते हैं।
तकनीकी में विकास के साथ ही क्रोमैटोग्राफ़ी में नई तकनीकों का विकास हुआ है, जिसके बारे में आप उच्च कक्षाओं में पढ़ेंगे।
अनुप्रयोग
• डाई में रंगों को पृथक् करने में।
• प्राकृतिक रंगों से पिग्मेंट को पृथक् करने में।
• रक्त से नशीले पद्रार्थों (drugs) को पृथक् करने में।
2.3.6 दो घुलनशील द्रवों के मिश्रण को कैसे पृथक् कर सकते हैं?
क्रियाकलाप 2.8
• आइए हम एसीटोन और जल को उनके मिश्रण से पृथक् करने का प्रयास करें।
• मिश्रण को आसवन फ़्लास्क में लें। इसमें एक थर्मामीटर लगाएँ।
• उपकरण को दिए गए चित्र 2.9 के अनुसार व्यवस्थित करें।
चित्र 2.9: दो घुलनशील द्रवों का आसवन विधि से पृथक्करण
• मिश्रण को धीरे-धीरे गर्म करें और सावधानीपूर्वक थर्मामीटर का अवलोकन करें।
• एसीटोन वाष्पीकृत होता है तथा संघनित होकर संघनक द्वारा बाहर निकालने पर इसे बर्तन में एकत्रित किया जा सकता है।
• जल आसवन फ़्लास्क में शेष रह जाता है।
अब उत्तर दें
• जब आप मिश्रण को गर्म करना शुरू करते हैं तब आप क्या अवलोकित करते हैं?
• कुछ समय के लिए किस तापमान पर थर्मामीटर का पाठ्यांक स्थिर हो जाता है?
• एसीटोन का क्वथनांक क्या है?
• दोनों घटकों को हम पृथक् कर पाते हैं, क्यों?
इस विधि को आसवन कहा जाता है। इसका उपयोग वैसे मिश्रण को पृथक् करने में किया जाता है जो विघटित हुए बिना उबलते हैं तथा जिनके घटकों के क्वथनांकों के मध्य अधिक अंतराल होता है।
दो या दो से अधिक घुलनशील द्रवों जिनके क्वथनांक का अंतर 25 K से कम होता है, के मिश्रण को पृथक् करने के लिए प्रभाजी आसवन विधि का प्रयोग किया जाता है। उदाहरण के लिए, वायु से विभिन्न गैसों का पृथक्करण तथा पेट्रोलियम उत्पादों से उनके विभिन्न घटकों का पृथक्करण। इसका उपकरण साधारण आसवन विधि के समान ही होता है। केवल आसवन ़फ्लास्क और संघनक के बीच एक प्रभाजी स्तंभ का प्रयोग किया जाता है।
साधारण प्रभाजी स्तंभ एक नली होती है जो कि शीशे के गुटकों से भरी होती है। ये गुटके वाष्प को ठंडा और संघनित होने के लिए सतह प्रदान करते हैं, जैसा कि चित्र 2.10 में दर्शाया गया है।
चित्र 2.10: प्रभाजी आसवन
2.3.7 वायु से गैसों को कैसे प्राप्त कर सकते हैं?
वायु एक समांगी मिश्रण है तथा इसके घटकों को प्रभाजी आसवन द्वारा पृथक् किया जा सकता है। प्रवाह चित्र (2.11) इस विधि के विभिन्न चरणों को दर्शाता है।
चित्र 2.11: वायु से गैसों को प्राप्त करने के लिए प्रवाह चित्र
यदि हम वायु से अॉक्सीजन गैस (चित्र 2.12) को प्राप्त करना चाहते हैं तो हमें वायु में उपस्थित दूसरी गैसों को पृथक् करना होगा। द्रव वायु प्राप्त करने के लिए पहले वायु पर दबाव बढ़ाया जाता है और फि्ηर ताप को घटाकर उसे ठंडा कर संपीडित किया जाता है। इस द्रवित गैस को प्रभाजी आसवन स्तंभ में धीरे-धीरे गर्म किया जाता है, जहाँ सभी गैसें विभिन्न ऊँचाइयों पर अपने क्वथनांक के अनुसार पृथक् हो जाती हैं, जैसा कि चित्र 2.12 में दर्शाया गया है।
निम्नलिखित के उत्तर देंः
• वायु में उपस्थित गैसों को उनके बढ़ते हुए क्वथनांक के अनुसार व्यवस्थित करें।
• जब वायु को ठंडा किया जाता है तो कौन सा घटक पहले द्रव में परिवर्तित होता है?
2.3.8 किसी अशुुद्ध नमूने में से शुुद्ध कॉपर सल्फेट कैसे प्राप्त कर सकते हैं?
क्रियाकलाप 2.9
• एक चीनी मिट्टी की प्याली में लगभग 5 g अशुुद्ध कॉपर सल्फ़ेट लें।
• जल की न्यूनतम मात्रा में इसे घोल दें।
• अशुद्धियों को छान लें।
• संतृप्त विलयन प्राप्त करने के लिए जल को कॉपर सल्फ़ेट के घोल से वाष्पीकृत करें।
चित्र 2.13: जलघर में जल शुद्धि निकाय
• विलयन को छानक पत्र से ढक दें तथा कमरे के तापमान पर इसे दिन भर ठंडा होने के लिए शांत छोड़ दें।
• आप कॉपर सल्फेट के क्रिस्टलों को चीनी मिट्टी की प्याली में प्राप्त करेंगे।
• इस प्रक्रम को क्रिस्टलीकरण कहा जाता है।
• चीनी मिट्टी की प्याली में आप क्या अवलोकन करते हैं?
• क्या क्रिस्टल एकसमान दिखाई देता है?
• चीनी मिट्टी की प्याली में रखे द्रव से क्रिस्टल को कैसे पृथक् करेंगे?
क्रिस्टलीकरण विधि का प्रयोग ठोस पदार्थों को शुुद्ध करने में किया जाता है। उदाहरण के लिए, समुद्री जल से जो नमक हम प्राप्त करते हैं उसमें बहुत सी अशुद्धियाँ हो सकती हैं। इन अशुद्धियों को दूर करने के लिए क्रिस्टलीकरण विधि का उपयोग किया जाता है। क्रिस्टलीकरण वह विधि है जिसके द्वारा क्रिस्टल के रूप में शुुद्ध ठोस को विलयन से पृथक् किया जाता है। क्रिस्टलीकरण विधि साधारण वाष्पीकरण विधि से निम्न कारणों से उत्तम होती हैः
• कुछ ठोस विघटित हो जाते हैं या कुछ चीनी के समान गर्म करने पर झुलस जाते हैं।
• छानने फे पश्चात् भी अशुद्ध विलेय पदार्थ को विलायक में घोलने पर विलयन में कुछ अशुद्धियाँ रह सकती हैं। वाष्पीकरण होने पर ये अशुद्धियाँ ठोस को दूषित कर सकती हैं।
अनुप्रयोग
• समुद्री जल द्वारा प्राप्त नमक को शुुद्ध करने में।
• अशुुद्ध नमूने से फ़ि्ηटकरी को पृथक् करने में।
इस प्रकार मिश्रण की प्रकृति के अनुसार ऊपर दी गई विधियों में से किसी का प्रयोग कर हम शुुद्ध पदार्थ प्राप्त कर सकते हैं। तकनीकियों में विकास के साथ कई और पृथक् करने वाली विधियों का आविष्कार हो चुका है।
शहरों में जलघर से पीने योग्य जल की आपूर्ति की जाती है। जलघर का एक रेखा चित्र 2.13 में दर्शाया गया है। जलघर से अपने घर में प्राप्त
होने वाले पेय जल के विभिन्न चरणों पर अपनी कक्षा में चर्चा करें।
प्रश्न
1. पेट्रोल और मिट्टी का तेल (kerosene oil) जो कि आपस में घुलनशील हैं, के मिश्रण को आप कैसे पृथक् करेंगे। पेट्रोल तथा मिट्टी के तेल के क्वथनांकों में 25 °C से अधिक का अंतराल है।
2. पृथक् करने की सामान्य विधियों के नाम देंः
(i) दही से मक्खन,
(ii) समुद्री जल से नमक,
(iii) नमक से कपूर।
3. क्रिस्टलीकरण विधि से किस प्रकार के मिश्रणों को पृथक् किया जा सकता है?
2.4 भौतिक एवं रासायनिक परिवर्तन
पिछले अध्याय में हमने पदार्थ के भौतिक गुणों के बारे में अध्ययन किया है। एेसे गुण जिनका हम अवलोकन एवं वर्णन कर सकते हैं, जैसे कि रंग, कठोरता, दृढ़ता, बहाव, घनत्व, द्रवनांक तथा क्वथनांक इत्यादि को भौतिक गुण कहा जाता है।
अवस्थाओं का अंतःरूपांतरण एक भौतिक परिवर्तन है क्योंकि ये परिवर्तन पदार्थों के संघटन में बिना परिवर्तन किए होते हैं और उनकी रासायनिक प्रकृति में भी कोई परिवर्तन नहीं होता है। यद्यपि बर्फ़ जल और वाष्प अलग-अलग दिखते हैं और ये भिन्न-भिन्न भौतिक गुणों को दर्शाते हैं लेकिन ये रासायनिक रूप से समान होते हैं।
जल तथा खाना पकाने वाले तेल दोनों द्रव हैं, लेकिन इनके रासायनिक गुणधर्म भिन्न हैं। इनकी गंध और ज्वलनशीलता में अंतर है। हम जानते हैं कि तेल हवा में जलता है, जबकि जल आग को बुझाता है। तेल का यह रासायनिक गुण जल से इसे अलग करता है। जलना एक रासायनिक परिवर्तन है। जलने की प्रक्रिया में एक पदार्थ दूसरे से क्रिया करके अपने रासायनिक संघटन में परिवर्तन लाता है। रासायनिक परिवर्तन पदार्थ के रासायनिक गुणधर्मों में परिवर्तन लाता है तथा हम नया पदार्थ पाते हैं। रासायनिक परिवर्तन को रासायनिक प्रतिक्रिया भी कहा जाता है।
मोमबत्ती के जलने की प्रक्रिया में भौतिक एवं रासायनिक दोनों परिवर्तन होते हैं। क्या आप इनकी पहचान कर सकते हैं?
प्रश्न
1. निम्न को रासायनिक और भौतिक परिवर्तनों में वर्गीकृत करें ः
• पेड़ों को काटना,
• मक्खन का एक बर्तन में पिघलना,
• अलमारी में जंग लगना,
• जल का उबलकर वाष्प बनना,
• विद्युत तरंग का जल में प्रवाहित होना तथा उसका हाइड्रोजन और अॉक्सीजन गैसों में विघटित होना,
• जल में साधारण नमक का घुलना,
• फ्ηलों से सलाद बनाना तथा
• लकड़ी और कागज़ का जलना।
2. अपने आस-पास की चीज़ों को शुुद्ध पदार्थाें या मिश्रण से अलग करने का प्रयत्न करें।
2.5 शुुद्ध पदार्थों के क्या प्रकार हैं?
पदार्थों को उनके रासायनिक संघटन के आधार पर तत्वों या यौगिकों में वर्गीकृत किया जा सकता है।
2.5.1 तत्व
रॉबर्ट बायल पहले वैज्ञानिक थे, जिन्होंने सन् 1661 में सर्वप्रथम तत्व शब्द का प्रयोग किया। फ्रांस के रसायनज्ञ एंटोनी लॉरेंट लवाइजिए (सन् 1743 - सन् 1794) ने सबसे पहले तत्व की परिभाषा को प्रयोग द्वारा प्रतिपादित किया। उनके अनुसार तत्व पदार्थ का वह मूल रूप है जिसे रासायनिक प्रतिक्रिया द्वारा अन्य सरल पदार्थों में विभाजित नहीं किया जा सकता।
तत्वों को साधारणतया धातु, अधातु तथा उपधातु में वर्गीकृत किया जा सकता है।
धातुएँ प्रायः दिए हुए निम्न गुणधर्मों में से सभी को या कुछ को प्रदर्शित करती हैं।
• ये चमकीली होती हैं।
• ये चाँदी जैसी सफ़ेद या सोने की तरह पीले रंग की होती हैं।
• ये ताप तथा विद्युत की सुचालक होती हैं।
• ये तन्य होती हैं (और इनको तार के रूप में खींचा जा सकता है)।
• ये आघातवर्ध्य होती हैं। इनको पीटकर महीन चादरों में ढाला जा सकता है।
• ये प्रतिध्वनिपूर्ण होती हैं।
सोना, चाँदी, ताँबा, लोहा, सोडियम, पोटैशियम इत्यादि धातु के उदाहरण हैं। पारा धातु होते हुए भी कमरे के तापमान पर द्रव है।
अधातुएँ दिए गए निम्न गुणों में से प्रायः कुछ को या सभी को प्रदर्शित करती हैंः
• ये विभिन्न रंगों की होती हैं।
• ये ताप और विद्युत की कुचालक होती हैं।
• ये चमकीली, प्रतिध्वनिपूर्ण और आघातवर्ध्य नहीं होती हैं।
हाइड्रोजन, अॉक्सीजन, आयोडीन, कार्बन, (कोल, कोक), ब्रोमीन, क्लोरीन इत्यादि अधातुओं के उदाहरण हैं। कुछ तत्व धातु और अधातु के बीच के गुणों को दर्शाते हैं, जिन्हें उपधातु (metalloid) कहा जाता है, जैसे बोरान, सिलिकन, जर्मेनियम इत्यादि।
इसे भी जानें
• अभी तक ज्ञात तत्वों की संख्या 100 से अधिक है। इनमें से 92 तत्व प्राकृतिक हैं जबकि शेष मानव-निर्मित हैं।
• अधिकतर तत्व ठोस हैं।
• 11 तत्व कमरे के तापमान पर गैसें हैं।
• 2 तत्व पारा तथा ब्रोमीन कमरे के तापमान पर द्रव हैं।
• गैलियम तथा सीज़ियम तत्व कमरे के तापमान (303 K) से कुछ अधिक तापमान पर द्रव अवस्था ले लेते हैं।
2.5.2 यौगिक
एक यौगिक वह पदार्थ है जो कि दो या दो से अधिक तत्वों के नियत अनुपात में रासायनिक तौर पर संयोजन से बना है।
जब दो या दो से अधिक तत्व आपस में मिलते हैं तो हम क्या पाते हैं?
क्रियाकलाप 2.10
• कक्षा को दो समूहों में विभक्त करें। दोनों समूहों को 50 g लोहे का चूर्ण और 3 g सल्फ़र, एक चीनी मिट्टी की प्याली में दें।
समूह I
• लोहे के चूर्ण और सल्फ़र पाउडर को पीसकर मिलाएँ।
समूह II
• लोहे के चूर्ण और सल्फ़र पाउडर को पीसकर मिलाएँ। मिश्रण को तीव्र ताप पर लाल होने तक गर्म करें। अब ज्वाला को हटा दें तथा मिश्रण को ठंडा होने दें।
समूह I और II
• प्राप्त सामग्री में चुंबकीय गुण की जाँच करें। सामाग्री के निकट एक चुंबक को लाएँ। जाँच करें कि क्या सामग्री चुंबक की ओर आकर्षित होती है?
• दोनों समूहों द्वारा प्राप्त सामग्री के रंग और बनावट की तुलना करें।
• प्राप्त सामग्री के एक भाग में कार्बन डाइसल्फ़ाइड मिलाएँ। मिश्रण अच्छी तरह मिलाएँ तथा छान लें।
• प्राप्त पदार्थ के दूसरे भाग में तनु सल्फ़्यूरिक अम्ल या तनु हाइड्रोक्लोरिक अम्ल को मिलाएँ। (इस क्रियाकलाप के लिए अध्यापक का निर्देशन आवश्यक है।)
• इस क्रियाकलाप को लोहा तथा सल्फ़र तत्वों के साथ अलग-अलग दोहराएँ। अवलोकनों को नोट करें।
अब उत्तर दें
• क्या दोनों समूहों द्वारा प्राप्त सामग्री दिखने में समान है?
• किस समूह द्वारा प्राप्त सामग्री में चुंबकीय गुण विद्यमान है?
• क्या प्राप्त सामग्री के घटकों को हम पृथक् करने में सक्षम हैं।
• क्या तनु सल्फ़्यूरिक अम्ल या तनु हाइड्रोक्लोरिक अम्ल सामग्री पर डालने से दोनों समूहों को गैस प्राप्त होती है? क्या दोनों स्थितियों में प्राप्त गैस की गंध समान है या अलग-अलग है?
समूह I द्वारा प्राप्त गैस हाइड्रोजन है। यह रंगहीन, गंधहीन और ज्वलनशील है। इसकी ज्वलनशीलता की जाँच कक्षा में न करें।
समूह II द्वारा प्राप्त गैस हाइड्रोजन सल्फ़ाइड है। यह रंगहीन गैस है और इसकी गंध सड़े हुए अंडे जैसी है।
आपने पाया कि दोनों समूहों द्वारा प्राप्त पदार्थ भिन्न गुणों को दर्शाते हैं। यद्यपि प्रारंभ में दिए गए पदार्थ समान थे, समूह I की क्रिया के फलस्वरूप भौतिक परिवर्तन हुआ जबकि समूह II की क्रिया के फलस्वरूप पदार्थों में रासायनिक परिवर्तन हुआ।
• समूह I द्वारा प्राप्त सामग्री दो पदार्थों का मिश्रण है। दिए गए पदार्थ लोहा तथा सल्फ़र हैं।
• मिश्रण का गुण उन दोनों मिले हुए तत्वों के गुण के समान है।
• समूह II द्वारा प्राप्त सामग्री यौगिक है।
• दोनों तत्वों को तीव्रता से गर्म करने पर हमने यौगिक पाया, जिसका गुण मिले हुए तत्वों से पूरी तरह भिन्न है।
• यौगिक का संघटन पूरे पदार्थ में समान है। हम यह भी देख सकते हैं कि यौगिक की बनावट और रंग भी सभी स्थानों पर समान है।
इस प्रकार संक्षेप में हम पदार्थ की भौतिक और रासायनिक प्रकृति को निम्न आरेख द्वारा व्यवस्थित कर सकते हैं।
आपने क्या सीखा
• मिश्रण में एक से अधिक पदार्थ (तत्व तथा/अथवा यौगिक) किसी भी अनुपात में मिले होते हैं।
• मिश्रणों को पृथक् करने के लिए उचित विधियों से शुुद्ध पदार्थों में पृथक्करण किया जा सकता है।
• विलयन दो या दो से अधिक पदार्थों का समांगी मिश्रण है। विलयन के बड़े अवयव को विलायक कहते हैं तथा अवयव को विलेय कहते हैं।
• विलयन की सांद्रता उसके इकाई आयतन में उपस्थित विलेय का द्रव्यमान अथवा आयतन है।
• वह पदार्थ जो विलायक में अघुलनशील तथा आँखों से देखा जा सकता है, निलंबन कहलाता है। निलंबन एक विषमांगी मिश्रण होता है।
• कोलाइड एक विषमांगी मिश्रण है, जिसके कणों का आकार इतना छोटा है कि उन्हें सरलता से देखा नहीं जा सकता, किंतु इतना बड़ा है कि ये प्रकाश का फैलाव कर सकने में सक्षम होते हैं। कोलाइड उद्योगों में तथा दैनिक जीवन में महत्वपूर्ण है। विलेय कणों को परिक्षिप्त प्रावस्था कहते हैं और विलायक जिसमें ये पूरी तरह से वितरित रहते हैं, उसे परिक्षेपण माध्यम कहते हैं।
• शुद्ध पदार्थ तत्व या यौगिक हो सकते हैं। तत्व पदार्थ का मूल रूप होता है, जिसे रासायनिक क्रिया द्वारा सरल पदार्थों में विभाजित नहीं किया जा सकता है। यौगिक वह पदार्थ है जो दो या दो से अधिक तत्वों के स्थिर अनुपात में रासायनिक रूप में संयोजन से निर्मित होता है।
• यौगिकों के गुण उसमें निहित तत्वों के गुणों से भिन्न होते हैें, जबकि मिश्रण में उपस्थित तत्व और यौगिक अपने-अपने गुणों को दर्शाते हैं।
अभ्यास
1. निम्नलिखित को पृथक् करने के लिए आप किन विधियों को अपनाएँगे?
(a) सोडियम क्लोराइड को जल के विलयन से पृथक् करने में।
(b) अमोनियम क्लोराइड को सोडियम क्लोराइड तथा अमोनियम क्लोराइड के मिश्रण से पृथक् करने में।
(c) धातु के छोटे टुकड़े को कार के इंजन आयॅल से पृथक् करने में।
(d) दही से मक्खन निकालने के लिए।
(e) जल से तेल निकालने के लिए।
(f) चाय से चाय की पत्तियों को पृथक् करने में।
(g) बालू से लोहे की पिनों को पृथक् करने में।
(h) भूसे से गेहूँ के दानों को पृथक् करने में।
(i) पानी में तैरते हुए महीन मिट्टी के कण को पानी से अलग करने के लिए।
(j) पुष्प की पंखुड़ियों के निचोड़ से विभिन्न रंजकों को पृथक् करने में।
2. चाय तैयार करने के लिए आप किन-किन चरणों का प्रयोग करेंगे। विलयन, विलायक, विलेय, घुलना, घुलनशील, अघुलनशील, घुलेय (फ़िल्ट्रेट) तथा अवशेष शब्दों का प्रयोग करें।
3. प्रज्ञा ने तीन अलग-अलग पदार्थों की घुलनशीलताओं को विभिन्न तापमान पर जाँचा तथा नीचे दिए गए आँकड़ों को प्राप्त किया। प्राप्त हुए परिणामों को 100 g जल में विलेय पदार्थ की मात्रा, जो संतृप्त विलयन बनाने हेतु पर्याप्त है, निम्नलिखित तालिका में दर्शाया गया है।
(a) 50 g जल में 313 K पर पोटैशियम नाइट्रेट के संतृप्त विलयन को प्राप्त करने हेतु कितने ग्राम पोटैशियम नाइट्रेट की आवश्यकता होगी?
(b) प्रज्ञा 353 K पर पोटैशियम क्लोराइड का एक संतृप्त विलयन तैयार करती है और विलयन को कमरे के तापमान पर ठंडा होने के लिए छोड़ देती है। जब विलयन ठंडा होगा तो वह क्या अवलोकित करेगी? स्पष्ट करें।
(c) 293 K पर प्रत्येक लवण की घुलनशीलता का परिकलन करें। इस तापमान पर कौन-सा लवण सबसे अधिक घुलनशील होगा?
(d) तापमान में परिवर्तन से लवण की घुलनशीलता पर क्या प्रभाव पड़ता है?
4. निम्न की उदाहरण सहित व्याख्या करेंः
(a) संतृप्त विलयन
(b) शुुद्ध पदार्थ
(c) कोलाइड
(d) निलंबन
5. निम्नलिखित में से प्रत्येक को समांगी और विषमांगी मिश्रणों में वर्गीकृत करेंः
सोडा जल, लकड़ी, बर्फ़, वायु, मिट्टी, सिरका, छनी हुई चाय।
6. आप किस प्रकार पुष्टि करेंगे कि दिया हुआ रंगहीन द्रव शुुद्ध जल है?
7. निम्नलिखित में से कौन-सी वस्तुएँ शुद्ध पदार्थ हैं?
(a) बर्फ़
(b) दूध
(c) लोहा
(d) हाइड्रोक्लोरिक अम्ल
(e) कैल्सियम अॉक्साइड
(f) पारा
(g) ईंट
(h) लकड़ी
(i) वायु
8. निम्नलिखित मिश्रणों में से विलयन की पहचान करें।
(a) मिट्टी
(b) समुद्री जल
(c) वायु
(d) कोयला
(e) सोडा जल
9. निम्नलिखित में से कौन टिनडल प्रभाव को प्रदर्शित करेगा?
(a) नमक का घोल
(b) दूध
(c) कॉपर सल्फ़ेट का विलयन
(d) स्टार्च विलयन
10. निम्नलिखित को तत्व, यौगिक तथा मिश्रण में वर्गीकृत करेंः
(a) सोडियम
(b) मिट्टी
(c) चीनी का घोल
(d) चाँदी
(e) कैल्सियम कार्बोनेट
(f) टिन
(g) सिलिकन
( h) कोयला
(i) वायु
(j) साबुन
(k) मीथेन
(l) कार्बन डाइअॉक्साइड
(m) रक्त
11. निम्नलिखित में से कौन-कौन से परिवर्तन रासायनिक हैं?
(a) पौधाें की वृद्धि
(b) लोहे में जंग लगना
(c) लोहे के चूर्ण तथा बालू को मिलाना
(d) खाना पकाना
(e) भोजन का पाचन
(f) जल से बर्फ़ बनना
(g) मोमबत्ती का जलना
समूह क्रियाकलाप
एक मिट्टी का मटका, बालू तथा कुछ कंकड़ लें। मटमैले जल को साफ़ करने हेतु छोटे स्तर पर एक छानक युत्तिη (Filteration plant) की डिज़ाइन बनाएँ।