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9.1 भूमिका
पिछले अध्याय में आपने त्रिकोणमितीय अनुपातों के बारे में अध्ययन किया है। इस अध्याय में आप कुछ उन विधियों के बारे में अध्ययन करेंगे जिनमें त्रिकोणमिति का प्रयोग आपके आस-पास के जीवन से जुड़ा होता है। त्रिकोणमिति एक प्राचीनतम विषय है जिसका अध्ययन पूरे जगत के विद्वान करते आए हैं। जैसा कि हम अध्याय 8 में बता चुके हैं कि त्रिकोणमिति का आविष्कार इस बात को ध्यान में रखकर किया गया था कि इसकी खगोलकी में आवश्यकता पड़ती थी। तब से आज तक खगोलविद् इसका प्रयोग पृथ्वी से ग्रहों और तारों की दूरियाँ परिकलित करने में करते आए हैं। त्रिकोणमिति का प्रयोग भूगोल और नौचालन में भी किया जाता है। त्रिकोणमिति के ज्ञान का प्रयोग मानचित्र बनाने और देशांतर (longitude) और अक्षांश (latitude) के सापेक्ष एक द्वीप की स्थिति ज्ञात करने में की जाती है।
इस अध्याय में हम यह देखेंगे कि किस प्रकार वास्तव में मापन किए बिना ही त्रिकोणमिति का प्रयोग विभिन्न वस्तुओं की ऊँचाइयाँ और दूरियाँ ज्ञात करने में किया जाता है।
9.2 ऊँचाइयाँ और दूरियाँ
आइए हम अध्याय 8 में दी गई आकृति 8.1 पर विचार करें, जिसे नीचे आकृति 9.1 में पुनः खींचा गया है।
आकृति 9.1
इस आकृति में, छात्र की आँख से मीनार के शिखर तक खींची गई रेखा AC को दृष्टि-रेखा (line of sight) कहा जाता है। छात्र मीनार के शिखर की ओर देख रहा है। दृष्टि-रेखा और क्षैतिज रेखा से बने कोण BAC को छात्र की आँख से मीनार के शिखर का उन्नयन कोण (angle of elevation) कहा जाता है।
इस प्रकार, दृष्टि-रेखा प्रेक्षक की आँख के उस वस्तु के बिंदु को मिलाने वाली रेखा होती है जिसे प्रेक्षक देखता है। देखे गए बिंदु का उन्नयन कोण उस स्थिति में, दृष्टि-रेखा और क्षैतिज रेखा से बना कोण होता है, जबकि देखा जा रहा बिंदु क्षैतिज स्तर से ऊपर होता है अर्थात् वह स्थिति जबकि वस्तु को देखने के लिए हमें अपना सिर उठाना होता है। (देखिए आकृति 9.2)।
आकृति 9.2
आइए अब हम आकृति 8.2 में दी गई स्थिति पर विचार करें। बालकनी में बैठी लड़की मंदिर की सीढ़ी पर रखे गमले को नीचे की ओर देख रही है। इस स्थिति में, दृष्टि-रेखा क्षैतिज स्तर से नीचे है। दृष्टि-रेखा और क्षैतिज रेखा से इस प्रकार बने कोण को अवनमन कोण (angle of depression) कहा जाता है।
अतः देखी जा रही वस्तु पर स्थित बिंदु का अवनमन कोण उस स्थिति में दृष्टि-रेखा और क्षैतिज रेखा से बना कोण होता है जबकि बिंदु क्षैतिज रेखा से नीचे होता है अर्थात् वह स्थिति जबकि देखे जाने वाले बिंदु को देखने के लिए हमें अपना सिर नीचे झुकाना होता है (देखिए आकृति 9.3)।
आकृति 9.3
अब आप आकृति 8.3 में बनी दृष्टि-रेखाएँ और इस तरह बने कोणों को पहचान सकते हैं। ये कोण उन्नयन कोण हैं या अवनमन कोण?
आइए हम आकृति 9.1 को पुनः देखें। यदि आप सही मायने में बिना मापे ही मीनार की ऊँचाई CD ज्ञात करना चाहते हैं तो इसके लिए आपको किस जानकारी की आवश्यकता होती है? इसके लिए निम्नलिखित तथ्यों का ज्ञान होना आवश्यक होता हैः
(i) दूरी DE जहाँ छात्र मीनार के पाद-बिंदु से इस दूरी पर खड़ा है।
(ii) मीनार के शिखर का उन्नयन कोण ∠ BAC
(iii) छात्र की ऊँचाई AE
यह मानकर कि ऊपर बतायी गयीं तीनों जानकारियाँ हमें ज्ञात हैं तो हम किस प्रकार मीनार की ऊँचाई ज्ञात कर सकते हैं?
आकृति में CD = CB + BD यहाँ BD = AE है जो कि छात्र की ऊँचाई है।
BC ज्ञात करने के लिए हम ∠ BAC या ∠ A के त्रिकोणमिति अनुपातों का प्रयोग करेंगे।
∆ ABC में, भुजा BC ज्ञात कोण ∠ A के संबंध में सम्मुख भुजा है। यहाँ हम किन-किन त्रिकोणमिति अनुपातों का प्रयोग कर सकते हैं? इनमें से किसके दो मान हमें ज्ञात है और हमें किसका मान ज्ञात करने की आवश्यकता होती है? tan A या cot A का प्रयोग करने से हमारी खोज का क्षेत्र कम हो जाता है, क्योंकि इन अनुपातों में AB और BC का प्रयोग होता है।
अतः tan A = या cot A = जिसे हल करने पर हमें BC प्राप्त हो जाएगा। BC और AE जोड़ने पर मीनार की ऊँचाई प्राप्त हो जाएगी।
आइए अब हम कुछ उदाहरण हल करके अभी-अभी चर्चित किए गए प्रक्रम की व्याख्या करें।
उदाहरण 1 : धरती पर एक मीनार ऊर्ध्वाधर खड़ी है। धरती के एक बिंदु से, जो मीनार के पाद-बिंदु से 15 m दूर है, मीनार के शिखर का उन्नयन कोण 60° है। मीनार की ऊँचाई ज्ञात कीजिए।
हल : आइए पहले हम प्रश्न को निरूपित करने के लिए एक सरल आरेख बनाएँ (देखिए आकृति 9.4)। यहाँ AB मीनार को निरूपित करता है, CB मीनार से बिंदु की दूरी है और ∠ ACB उन्नयन कोण है। हम मीनार की ऊँचाई अर्थात् AB ज्ञात करना चाहते हैं और, यहाँ ACB एक त्रिभुज है जो B पर समकोण है।
प्रश्न को हल करने के लिए हम त्रिकोणमितीय अनुपात
tan 60° (या cot 60°) लेते हैं, क्योंकि इस अनुपात में AB और BC दोनों होते हैं
अब tan 60° =
अर्थात् =
अर्थात् AB =
अतः मीनार की ऊँचाई m है।
उदाहरण 2 : एक बिजली मिस्त्री को एक 5m ऊँचे खंभे पर आ गई खराबी की मरम्मत करनी है। मरम्मत का काम करने के लिए उसे खंभे के शिखर से 1.3m नीचे एक बिंदु तक वह पहुँचना चाहती है (देखिए आकृति 9.5)। यहाँ तक पहुँचने के लिए प्रयुक्त सीढ़ी की लंबाई कितनी होनी चाहिए जिससे कि क्षैतिज से 60º के कोण से झुकाने पर वह अपेक्षित स्थिति तक पहुुँच जाए? और यह भी बताइए कि खंभे का पाद-बिंदु कितनी दूरी पर सीढ़ी के पाद-बिंदु से होना चाहिए? (यहाँ आप = 1.73 ले सकते हैं।)
हल : आकृति 9.5 में, बिजली मिस्त्री को खंभे AD पर बिंदु B तक पहुँचना है।
अतः BD = AD – AB = (5 – 1.3)m = 3.7 m
यहाँ BC सीढ़ी को प्रकट करता है। हमें इसकी लंबाई अर्थात् समकोण त्रिभुज BDC का कर्ण ज्ञात करना है।
अब, क्या आप यह बता सकते हैं कि हमें किस त्रिकोणमिति अनुपात का प्रयोग करना चाहिए?
यह त्रिकोणमिति अनुपात sin 60° होना चाहिए।
अतः उसे सीढ़ी के पाद को खंभे से 2.14 m की दूरी पर रखना चाहिए।
उदाहरण 3 : 1.5 m लंबा एक प्रेक्षक एक चिमनी से 28.5 m की दूरी पर है। उसकी आँखों से चिमनी के शिखर का उन्नयन कोण 45° है। चिमनी की ऊँचाई बताइए।
आकृति 9.6
हल : यहाँ AB चिमनी है, CD प्रेक्षक है और ∠ ADE उन्नयन कोण है (देखिए आकृति 9.6)। यहाँ ADE एक त्रिभुज है जिसमें कोण E समकोण है और हमें चिमनी की ऊँचाई ज्ञात करनी है।
यहाँ AB = AE + BE = (AE + 1.5) m और DE = CB = 28.5 m
AE ज्ञात करने के लिए हमें एक एेसा त्रिकोणमिति अनुपात लेना चाहिए जिसमें AE और DE दोनों हो। इसके लिए आइए हम उन्नयन कोण का tangent लें।
अब tan 45° =
अर्थात् 1 =
इसलिए AE = 28.5
अतः चिमनी की ऊँचाई (AB) = (28.5 + 1.5) m = 30 m
उदाहरण 4 : भूमि के एक बिंदु P से एक 10 m ऊँचे भवन के शिखर का उन्नयन कोण 30° है। भवन के शिखर पर एक ध्वज को लहराया गया है और P से ध्वज के शिखर का उन्नयन कोण 45° है। ध्वजदंड की लंबाई और बिंदु P से भवन की दूरी ज्ञात कीजिए। (यहाँ आप = 1.732 ले सकते हैं।)
आकृति 9.7
हल : आकृति 9.7 में, AB भवन की ऊँचाई प्रकट करता है, BD ध्वजदंड प्रकट करता है और P दिया हुआ बिंदु प्रकट करता है। ध्यान दीजिए कि यहाँ दो समकोण त्रिभुज PAB और PAD हैं। हमें ध्वजदंड की लंबाई अर्थात् DB और बिंदु P से भवन की दूरी अर्थात् PA ज्ञात करना है। क्योंकि हमें भवन की ऊँचाई AB ज्ञात है इसलिए पहले हम समकोण ∆ PAB लेंगे।
यहाँ tan 30° =
अर्थात् =
इसलिए AP =
अर्थात् P से भवन की दूरी m = 17.32 m
आइए अब हम यह मान लें कि DB = x m है तब AD = (10 + x) m
अब समकोण ∆ PAD में tan 45° =
इसलिए 1 =
अर्थात् x = 10 = 7.32
अतः ध्वजदंड की लंबाई 7.32 m है।
उदाहरण 5 : एक समतल जमीन पर खड़ी मीनार की छाया उस स्थिति में 40 m अधिक लंबी हो जाती है जबकि सूर्य का उन्नतांश (altitude) 60° से घटकर 30° हो जाता है अर्थात् छाया के एक सिरे से मीनार के शिखर का उन्नयन कोण 60º है और DB छाया की लंबाई है जबकि उन्नयन कोण 30º है। मीनार की ऊँचाई ज्ञात कीजिए।
हल : मान लीजिए कि AB की लंबाई h मीटर है और BC, x मीटर है। प्रश्न के अनुसार DB, BC से 40m अधिक लंबा है।
अतः DB = (40 + x) m
अब, यहाँ दो समकोण त्रिभुज ABC और ABD है।
∆ ABC में tan 60° =
या = (1)
∆ ABD में tan 30° =
अर्थात् = (2)
(1) से हमें यह प्राप्त होता है
h =
इस मान को (2) में प्रतिस्थापित करने पर हमें यह प्राप्त होता है = x + 40, अर्थात् 3x = x + 40
अर्थात् x = 20
इसलिए h = [(1) से]
अतः मीनार की ऊँचाई m है।
उदाहरण 6 : एक बहुमंजिल भवन के शिखर से देखने पर एक 8 m ऊँचे भवन के शिखर और तल के अवनमन-कोण क्रमशः 30° और 45° हैं। बहुमंजिल भवन की ऊँचाई और दो भवनों के बीच की दूरी ज्ञात कीजिए।
आकृति 9.9
हल : आकृति 9.9 में PC बहुमंजिल भवन को और AB, 8 m ऊँचे भवन को प्रकट करता है। हम बहुमंजिल भवन की ऊँचाई, अर्थात् PC और दो भवनों के बीच की दूरी अर्थात् AC ज्ञात करना चाहते हैं।
आकृति को अच्छी तरह देखिए। आप यहाँ देखेंगे कि PB समांतर रेखाओं PQ और BD की एक तिर्यक-छेदी रेखा है। अतः ∠ QPB और ∠ PBD एकांतर कोण हैं और इसलिए बराबर हैं। अतः
∠ PBD = 30°, इसी प्रकार, ∠ PAC = 45°
समकोण ∆ PBD में
= tan 30° = या BD = PD
समकोण ∆ PAC में हम पाते हैं
= tan 45° = 1
अर्थात् PC = AC
और PC = PD + DC इसलिए PD + DC = AC
क्योंकि AC = BD और DC = AB = 8 m, इसलिए PD + 8 = BD = (क्यों?)
इससे यह प्राप्त होता हैः PD =
अतः बहुमंजिल भवन की ऊँचाई m है और दो भवनों के बीच की दूरी भी है।
उदाहरण 7 : एक नदी के पुल के एक बिंदु से नदी के सम्मुख किनारों के अवनमन कोण क्रमशः 30° और 45° हैं। यदि पुल किनारों से 3 m की ऊँचाई पर हो तो नदी की चौड़ाई ज्ञात कीजिए।
आकृति 9.10
हल : आकृति 9.10 में, A और B नदी के सम्मुख किनारों के बिंदुओं को प्रकट करते हैं, जिससे कि AB नदी की चौड़ाई है। 3 m की ऊँचाई पर बने पुल पर एक बिंदु P है
अर्थात् DP = 3 m है। हम नदी की चौड़ाई ज्ञात करना चाहते हैं जो कि ∆ APB की भुजा AB की लंबाई है।
अब AB = AD + DB
समकोण ∆ APD में ∠ A = 30°
अतः tan 30° =
अर्थात् = या AD = m
अतः समकोण ∆ PBD में, ∠ B = 45º है। इसलिए BD = PD = 3 m
अब AB = BD + AD = 3 + = 3 (1 + ) m
इसलिए नदी की चौड़ाई 3 है।
प्रश्नावली 9.1
1. सर्कस का एक कलाकार एक 20m लंबी डोर पर चढ़ रहा है जो अच्छी तरह से तनी हुई है और भूमि पर सीधे लगे खंभे के शिखर से बंधा हुआ है। यदि भूमि स्तर के साथ डोर द्वारा बनाया गया कोण 30° का हो तो खंभे की ऊँचाई ज्ञात कीजिए (देखिए आकृति 9.11)।
आकृति 9.11
2. आँधी आने से एक पेड़ टूट जाता है और टूटा हुआ भाग इस तरह मुड़ जाता है कि पेड़ का शिखर जमीन को छूने लगता है और इसके साथ 30º का कोण बनाता है। पेड़ के पाद-बिंदु की दूरी, जहाँ पेड़ का शिखर जमीन को छूता है, 8m है। पेड़ की ऊँचाई ज्ञात कीजिए।
3. एक ठेकेदार बच्चों को खेलने के लिए एक पार्क में दो फिसलनपट्टी लगाना चाहती है। 5 वर्ष से कम उम्र के बच्चों के लिए वह एक एेसी फिसलनपट्टी लगाना चाहती है जिसका शिखर 1.5 m की ऊँचाई पर हो और भूमि के साथ 30° के कोण पर झुका हुआ हो, जबकि इससे अधिक उम्र के बच्चों के लिए वह 3m की ऊँचाई पर एक अधिक ढाल की फिसलनपट्टी लगाना चाहती है, जो भूमि के साथ 60° का कोण बनाती हो। प्रत्येक स्थिति में फिसलनपट्टी की लंबाई क्या होनी चाहिए?
4. भूमि के एक बिंदु से, जो मीनार के पाद-बिंदु से 30m की दूरी पर है, मीनार के शिखर का उन्नयन कोण 30° है। मीनार की ऊँचाई ज्ञात कीजिए।
5. भूमि से 60 m की ऊँचाई पर एक पतंग उड़ रही है। पतंग में लगी डोरी को अस्थायी रूप से भूमि के एक बिंदु से बांध दिया गया है। भूमि के साथ डोरी का झुकाव 60° है। यह मानकर कि डोरी में कोई ढील नहीं है, डोरी की लंबाई ज्ञात कीजिए।
6. 1.5 m लंबा एक लड़का 30 m ऊँचे एक भवन से कुछ दूरी पर खड़ा है। जब वह ऊँचे भवन की ओर जाता है तब उसकी आँख से भवन के शिखर का उन्नयन कोण 30° से 60° हो जाता है। बताइए कि वह भवन की ओर कितनी दूरी तक चलकर गया है।
7. भूमि के एक बिंदु से एक 20 m ऊँचे भवन के शिखर पर लगी एक संचार मीनार के तल और शिखर के उन्नयन कोण क्रमशः 45° और 60° है। मीनार की ऊँचाई ज्ञात कीजिए।
8. एक पेडस्टल के शिखर पर एक 1.6 m ऊँची मूर्ति लगी है। भूमि के एक बिंदु से मूर्ति के शिखर का उन्नयन कोण 60° है और उसी बिंदु से पेडस्टल के शिखर का उन्नयन कोण 45° है। पेडस्टल की ऊँचाई ज्ञात कीजिए।
9. एक मीनार के पाद-बिंआकृति से एक भवन के शिखर का उन्नयन कोण 30º है और भवन के पाद-बिंदु से मीनार के शिखर का उन्नयन कोण 60º है। यदि मीनार 50m ऊँची हो, तो भवन की ऊँचाई ज्ञात कीजिए।
10. एक 80 m चौड़ी सड़क के दोनों ओर आमने-सामने समान लंबाई वाले दो खंभे लगे हुए हैं। इन दोनों खंभों के बीच सड़क के एक बिंदु से खंभों के शिखर के उन्नयन कोण क्रमशः 60° और 30° है। खंभों की ऊँचाई और खंभों से बिंदु की दूरी ज्ञात कीजिए।
11. एक नहर के एक तट पर एक टीवी टॉवर ऊर्ध्वाधरतः खड़ा है। टॉवर के ठीक सामने दूसरे तट के एक अन्य बिंदु से टॉवर के शिखर का उन्नयन कोण 60° है। इसी तट पर इस बिंदु से 20 m दूर और इस बिंदु को मीनार के पाद से मिलाने वाली रेखा पर स्थित एक अन्य बिंदुु से टॉवर के शिखर का उन्नयन कोण 30° है। (देखिए आकृति 9.12)। टॉवर की ऊँचाई और नहर की चौड़ाई ज्ञात कीजिए।
आकृति 9.12
12. 7 m ऊँचे भवन के शिखर से एक केबल टॉवर के शिखर का उन्नयन कोण 60° है और इसके पाद का अवनमन कोण 45º है। टॉवर की ऊँचाई ज्ञात कीजिए।
13.समुद्र-तल से 75 m ऊँची लाइट हाउस के शिखर से देखने पर दो समुद्री जहाजों के अवनमन कोण 30° और 45° हैं। यदि लाइट हाउस के एक ही ओर एक जहाज दूसरे जहाज के ठीक पीछे हो तो दो जहाजों के बीच की दूरी ज्ञात कीजिए।
14. 1.2 m लंबी एक लड़की भूमि से 88.2 m की ऊँचाई पर एक क्षैतिज रेखा में हवा में उड़ रहे गुब्बारे को देखती है। किसी भी क्षण लड़की की आँख से गुब्बारे का उन्नयन कोण 60° है। कुछ समय बाद उन्नयन कोण घटकर 30° हो जाता है (देखिए आकृति 9.13)। इस अंतराल के दौरान गुब्बारे द्वारा तय की गई दूरी ज्ञात कीजिए।
15. एक सीधा राजमार्ग एक मीनार के पाद तक जाता है। मीनार के शिखर पर खड़ा एक आदमी एक कार को 30° के अवनमन कोण पर देखता है जो कि मीनार के पाद की ओर एक समान चाल से जाता है। छः सेकेंड बाद कार का अवनमन कोण 60° हो गया। इस बिंदु से मीनार के पाद तक पहुँचने में कार द्वारा लिया गया समय ज्ञात कीजिए।
16. मीनार के आधार से और एक सरल रेखा में 4 m और 9 m की दूरी पर स्थित दो बिंदुओं से मीनार के शिखर के उन्नयन कोण पूरक कोण हैं। सिद्ध कीजिए कि मीनार की ऊँचाई 6 m है।
9.3 सारांश
इस अध्याय में, आपने निम्नलिखित तथ्यों का अध्ययन किया है :
1. (i) दृष्टि-रेखा प्रेक्षक की आँख से प्रेक्षक द्वारा देखी गई वस्तु के बिंदु को मिलाने वाली रेखा होती है।
(ii) देखी गई वस्तु का उन्नयन कोण दृष्टि-रेखा और क्षैतिज रेखा से बना कोण होता है जबकि यह क्षैतिज स्तर से ऊपर होता है अर्थात् वह स्थिति जबकि वस्तु को देखने के लिए हमें अपने सिर को ऊपर उठाना होता है।
(iii) देखी गई वस्तु का अवनमन कोण दृष्टि-रेखा और क्षैतिज रेखा से बना कोण होता है जबकि क्षैतिज रेखा क्षैतिज स्तर से नीचे होती है अर्थात् वह स्थिति जबकि वस्तु को देखने के लिए हमें अपने सिर को झुकाना पड़ता है।
2. त्रिकोणमितीय अनुपातों की सहायता से किसी वस्तु की ऊँचाई या लंबाई या दो सुदूर वस्तुओं के बीच की दूरी ज्ञात की जा सकती है।