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लेखांकन में कंप्यूटर का अनुप्रयोग


अधिगम उद्देश्य

इस अध्याय के अध्ययन के पश्चात आपः

  • कंप्यूटर प्रणाली का अर्थ, मुख्य भाग व क्षमता जान सकेंगे।
  • लेखाकंन में कंप्यूटर की उपयोगिता क्या है, समझ सकेंगे।
  • लेखांकन प्रक्रिया के स्वचालन का विवरण, जान सकेंगे।
  • आंकड़ों का लेखांकन और उसके विवरण की रूपरेखा, समझ सकेंगे।
  • विभिन्न प्रबन्धन सूचना प्रणाली की सूची व उपयोग समझ सकेंगे।
  • सूचना प्रणाली में डाटा इंटरफेस का उपयोग कैसे करें, समझ सकेंगे।


पिछले तीन दशकों में कंप्यूटर प्रौद्योगिकी ने महत्वपूर्ण विकास किया है और इसकी उपयोगिता बढ़ी है। एेतिहासिक दृष्टि से देखें तो कम्ंयूटर ने विज्ञान एवं प्रौद्योगिकी की जटिल गणनायें एवं तर्कसंगत समस्याओं का कारगर समाधान किया है। आर्थिक योजनायें बनाने एवं उनके पूर्वानुमान में भी इसका उपयोग किया गया है। हाल ही में आधुनिक कंप्यूटर ने व्यवसाय एवं उद्योगों में अपनी उपस्थिति दर्ज करायी है। कंप्यूटर का सर्वाधिक असर कार्यालयों एवं संस्थानों में डाटा के भण्डारण एवं उसकी प्रक्रिया पर पड़ा है। पहले प्रबन्धन सूचना प्रणाली (प्र.सू.प्र.) के डाटा को मानवीय तौर पर कराया जाता था। किन्तु आधुनिक युग में प्रबंधन सूचना प्रणाली कंप्यूटर के बिना संभव नहीं है। इस अध्याय में हम लेखांकन में कंप्यूटर की आवश्यकता, लेखांकन सूचना प्रणाली की प्रकृति और लेखांकन संबंधी प्रबन्धन सूचना प्रणाली प्रतिवेदन के प्रकार के संदर्भ में अध्ययन करेंगे।

12.1 कंप्यूटर प्रणाली का अर्थ एवं तत्व

कंप्यूटर एक विद्युत युक्ति है जो कि एक निर्देशों के समूह के आदेश पर विभिन्न प्रकार के कार्य करने में सक्षम है। निर्देशों के समूह को कंप्यूटर प्रोग्राम कहा जाता है। एक कंप्यूटर प्रणाली के छः घटक होते हैं।

12.1.1 यंत्र सामग्री हार्डवेयर

की-बोर्ड, माउस, मॉनीटर और प्रोसेसर कम्प्यूटर यंत्र सामग्री (हार्डवेयर) के अंग होते हैं। ये सभी विद्युत एवं विद्युत यंत्रिकीय स्विचन तंत्र के अंग होते हैं।

12.1.2 प्रक्रिया सामग्री (सॉफ्टवेयर)

प्रक्रिया सामग्री प्रोग्रामों का वह समूह है जो कि हार्डवेयर के साथ काम करता है। कूट निर्देशों जो परिपथ के रूप में एकत्र किया जाता है, इन्हें प्रक्रिया यंत्र सामग्री (फर्मवेयर) कहते है। निम्नलिखित छः प्रकार की प्रक्रिया सामग्री होती हैंः

(अ) प्रचालन प्रणालीः यह विशेष प्रोग्रामों का वह समूह जो कि कंप्यूटर के स्र्रोतों को व्यवस्थित कर उसके कार्यों को सरल बनाता है जिसे प्रचालन प्रणाली कहते है। यह एक एेसे

आवश्यक इंटरफेस का निर्माण करता जो कि कंप्यूटर और उसके उपयोगकर्ता के मध्य पारस्परिक संबंध स्थापित करता है।

(ब) उपयोगिता क्रमादेशः यह कंप्यूटर प्रोग्रामों का समूह होता है जो कि सहयोगी संक्रियाओं को चलाने के लिए बनाया जाता है। जैसे डिस्क को संरूपित करने का प्रोग्राम, डिस्क को कापी करना, एकत्रित डाटा को प्रोग्राम के अनुसार सुव्यवस्थित करना।

(स) अनुप्रयोग प्रक्रिया सामग्रीः ये प्रोग्राम उपयोगकर्त्ता की आवश्यकता के अनुसार निर्मित एवं विकसित किये जाते हैं जिससे कुछ विशिष्ट कार्य किये जा सकते हैं, जैसे - वेतन पत्रक, तालिका लेखांकन, वित्तीय लेखांकन आदि।

(द) भाषा संसाधकः ये सॉफ्टवेयर वाक्य रचना की जांच और स्रोत क्रमादेश का अनुवाद (कम्प्यूटर की भाषा में लिखा प्रोग्राम) मशीनी भाषा (वह भाषा जो कंप्यूटर समझता है) में करता है।

(य) प्रक्रिया सामग्री प्रणालीः यह प्रोग्रामों का वह समूह होता है जो आंतरिक क्रियाओं को नियंत्रित करता है जैसे निवेशी युक्ति से डाटा पढ़ना, प्रक्रम डाटा को निर्गम युक्ति मेें भेजना एवं कंप्यूटर प्रणाली की जांच कर यह सुनिश्चित करना कि सभी अंग भली-भांति कार्य कर रहे हैं।

(र) संयोजक प्रक्रिया सामग्रीः यह क्रमादेश परिसेवक और कंप्यूटर के मध्य संबंध स्थापित एवं नियंत्रित करता है ताकि कंप्यूटर परिसेवक एवं अन्य कंप्यूटरों से सूचनाओं का आदान-प्रदान कर सकें।

12.1.3 उपयोगकर्त्ता

कंप्यूटर प्रणाली का उपयोग करने वाले को लाइव वेयर भी कहा जाता है। ये कंप्यूटर प्रणाली के महत्वपूर्ण अंग की रचना करते हैंः

• प्रणाली विश्लेषकः ये वो लोग होते हैं जो डाटा प्रक्रम प्रणलियों की रचना करते हैं।

• क्रमादेशकः डाटा प्रक्रम प्रणाली की रचना को क्रियान्वित करने के लिये प्रोग्रामों को लिखने वाले को क्रमादेशक (प्रोग्रामर) कहते हैं। कंप्यूटर चलाने वाले को प्रचालक कहते है। कंप्यूटर प्रोग्राम को कार्यान्वित करने के लिए बनायी गयी क्रियाविधि में भाग लेने वाले लोग भी लाइव वेयर का हिस्सा होते हैं।

12.1.4 क्रियाविधियाँ

क्रियाविधि का अर्थ - एेच्छिक परिणाम प्राप्त करने के लिये संक्रिया (अॉपरेशन) के क्रम को निश्चित तरीके से चलाना है। क्रियाविधि तीन प्रकार की होती हैं जिनमें कंप्यूटर प्रणाली: यंत्र सामग्री की ओर, प्रक्रिया सामग्री की ओर और आंतरिक क्रियाविधि शामिल हैं। यंत्र सामग्री की ओर की क्रियाविधि कंप्यूटर के अंगों एवं उनके परिचालन की विधि का विस्तृत विवरण प्रदान करती है। प्रक्रिया सामग्री की ओर प्रक्रिया कंप्यूटर प्रणाली के सॉफ्टवेयर को उपयोग करने के लिए आदेशों का समूह प्रदान करती है। सम्पूर्ण कंप्यूटर प्रणाली की प्रत्येक उपप्रणाली की संक्रिया को क्रमानुसार चलाना एवं डाटा का कंप्यूटर की धारा का प्रवाह सुनिश्चित करना आंतरिक क्रियाविधि कहलाता है।

12.1.5 डाटा

ये वे तथ्य होते हैं जो अंकों व लेख के रूप में होते हैं। इन्हें इकट्ठा करके कंप्यूटर प्रणाली में डाला जाता है। पूर्वनिर्धारित आदेशानुसार सूचनाएं प्रदान करने हेतु कम्प्यूटर इन डाटों का भण्डारण करता है, पुनः प्राप्ति योग्य, वर्गीकृत एवं व्यवस्थित कर इनका समन्वय करता है। कंप्यूटर डाटों को प्रक्रियान्वित एवं व्यवस्थित करता है जिससे निर्णय लेने में उससे संबंधित जानकारी का उपयोग किया जा सके।

12.1.6 संयुक्तिकरण

यह कंप्यूटर प्रणाली के छठे घटक के रूप में जाना जाता है। जब एक कंप्यूटर प्रणाली को अन्य किसी उपकारण जैसे दूरभाष लाइन, सूक्ष्म तंरग संचरण, उपग्रह संबंध आदि से जोड़ा जाता है तो उसे संयुक्तिकरण के अंग कहते हैं।

12.2 कंप्यूटर प्रणाली की क्षमतायें

कंप्यूटर प्रणाली की कुछ विशेषताएं होती हैं जो इसे मनुष्य से अधिक सामर्थ्यवान बनाती हैं। इनका संक्षिप्त वर्णन नीचे दिया गया हैः

12.2.1 गति

किसी विशेष कार्य अथवा संक्रिया को पूरा करने में कंप्यूटर जितना समय लेता है, उसे उसकी गति कहते हैं। किसी काम को पूरा करने में मनुष्य जितना समय लेता है कंप्यूटर उससे काफी कम समय में ही वह कार्य कर लेता है। आमतौर पर मनुष्य समय की गणना मिनट या सेकन्ड में करता है किन्तु कंप्यूटर समय की गणना सेकन्ड के कई अंशों तक करने की क्षमता रखता है। अत्याधुनिक कंप्यूटर की क्षमता सौ मिलयन प्रति सेकेण्ड की दर से गणना करने की होती है। इसी कारण उद्योगों में विभिन्न प्रकार के कंप्यूटरों को उनकी गति के अनुसार वर्गीकृत करने के लिए दस लाख आदेश प्रति सेकन्ड का सिद्धांत लागू होता है।

12.2.2 परिशुद्धता

संक्रिया एवं गणनाओं की सम्पूर्णता के स्तर को परिशुद्धता कहा जाता है। अशुद्ध अभिलेख को शुद्ध करने तथा कंप्यूटरीकृत गणनाओं में अशुद्धि ढूंढ़ने में कई वर्षों का समय लग जाता है जो कंप्यूटर आधारित सूचना तंत्र में अधिकतर अशुद्धियां त्रुटिपूर्ण प्रोग्रामिंग, अशुद्ध डाटों एवं क्रियाविधि से विचलन के कारण होती हैं। ये सारी अशुद्धियां मनुष्य जाति द्वारा की जाती हैं। वे अशुद्धियां जिनके लिये हार्डवेयर उत्तरदायी होता है उन्हें कंप्यूटर प्रणाली द्वारा स्वतः ढूंढकर सही कर लिया जाता है। कंप्यूटर द्वारा कदाचित ही अशुεंद्धयां होती हैं एवं वे सभी प्रकार के जटिल से जटिल कार्य भी शुद्धतम रूप से पूर्ण करते हैं।

12.2.3 विश्वसनीयता

उपयोगकर्त्ता की सेवा में जिस निपुणता से कंप्यूटर क्रियाशील रहता है वह विश्वसनीयता कहलाती है। कंप्यूटर प्रणाली पुनरावृत्ति कार्यों को करने के अनूकूल होती है। ये थकान केे प्रति रक्षित होते हैं। इसलिए ये मनुष्य जाति की तुलना में अधिक विश्वसनीय होते हैं फिर भी आन्तरिक एवं बाहरी कारणों से कंप्यूटर प्रणाली भी असफल हो सकती है। कंप्यूटर की किसी भी प्रकार की असफलता को उच्च स्वचालित उद्योगों में स्वीकार नहीं किया जा सकता, इसलिए कम्पनियां एेसी स्थिति में पूर्तिकर सुविधा की मदद से बिना समय नष्ट किए तत्परता से संक्रिया को पूरा करती हैं।

12.2.4 बहुआयामी

कंप्यूटर द्वारा विविध प्रकार के कार्य करने की क्षमता बहुआयामी कहलाती है। कम्प्यूटर सामान्यतः बहुआयामी होते हैं जब तक कि वे किसी विशिष्ट अनुप्रयोग के लिये न बनायें जाएें। एक साधारण कंप्यूटर का उपयोग व्यवसाय, उद्योग, विज्ञान, सांख्यिकीय, तकनीक, संचार आदि जैसे भिन्न-भिन्न क्षेत्रों में किया जा सकता है। एक संस्था में जब एक साधारण कंप्यूटर प्रतिस्थापित किया जाता है तो वह अपनी बहुआयामी क्षमता के कारण कई विशेषज्ञों के बराबर काम कर सकता है। कंप्यूटर प्रतिस्थापित करने पर वह सभी विषयों के काम अपनी उच्च बहुआयामी क्षमता के कारण कर सकता है। यह अपनी क्षमता को पूर्ण रूप से प्रयोग करता है।

12.2.5 संचयन

एक कंप्यूटर द्वारा डाटों को एकत्र कर एवं उन तक पहुंचने को संचयन कहते हैं। डाटा पर अपनी अविलंब पहुंच होने के अलावा कंप्यूटर प्रणाली मेें डाटा को बहुत छोटी जगह में रखने की विशाल क्षमता होती है। 4.7" व्यास के CD-ROM में 1,000 पृष्ठ प्रति किताब के अनुसार से बहुत अधिक मात्रा में किताबों का संचय करने के बाद भी अन्य सामग्री का संचय करने के लिये काफी जगह खाली रह जाती है। एक प्रारूपिक वृहत अभिकलित्र कंप्यूटर प्रणाली करोड़ों अक्षरों और हजारों चित्रों को अॉनलाइन प्रदान कर सकती है और उनका संचय भी कर सकती है।

उपरोक्त विवेचना से यह स्पष्ट हो गया कि कंप्यूटर की क्षमता मानवीय क्षमता से कहीं अधिक होती है। यदि कंप्यूटर का उचित रूप से उपयोग किया जाये तो वह किसी भी संस्था की दक्षता में सुधार लायेगा।

12.3 कंप्यूटर प्रणाली की सीमाएं

कंप्यूटर की उपरोक्त सभी क्षमताएं होने के बाद भी यह निम्नलिखित सीमाओं में बंधा हुआ है एवं ये सीमायें मनुष्य जाति की शक्तियां ही हैं।

12.3.1 सामान्य चेतना का अभाव

आज तक कंप्यूटर में सामान्य चेतना का अभाव है क्योंकि सामान्य चेतना का कोई भी स्पष्ट (त्रृटिरहित) प्रोग्राम अभी तक नहीं बनाया गया है, जबकि कंप्यूटर एक निर्धारित प्रोग्राम के अनुसार ही कार्य करते हैं। इसलिए उनमें सामान्य चेतना का अभाव होता है।

12.3.2 शून्य आई.क्यू.

कंप्यूटर एक शून्य आई.क्यू. वाली मूक युक्ति है। किसी विशिष्ट परिस्थिति के अंतर्गत ये विचारों को न ही सोच और न ही दृष्टिगत कर सकते हैं कि उन्हें क्या करना चाहिए जब तक कि उन्हें किसी स्थिति से निपटने के लिये प्रोग्राम न किया जाता हो। किसी भी छोटे-छोटे कार्य को करने के लिए कंप्यूटर को आदेश देना पड़ता है।

12.3.3 निर्णय लेने में असमर्थ

जानकारी, ज्ञान, बुद्विमता एवं फैसला लेने की क्षमता को ध्यान में रखते हुए निर्णय लेना एक जटिल प्रक्रिया है। कंप्यूटर स्वयं कोई निर्णय नहीं ले सकता क्योंकि निर्णय लेने के लिए सभी आवश्यक गुण उनमें नहीं पाये जाते हैं उन्हें निर्णय लेने के लिए प्रोग्राम किया जाता है जोकि विशुद्ध रूप से क्रियाविधि विमुख से संबंधित होता है। यदि कंप्यूटर को किसी विशेष अवस्था में निर्णय लेने के लिये प्रोग्राम नहीं किया गया है तो वह स्वज्ञान के अभाव में निर्णय नहीं ले सकता जबकि मानव जाति में निर्णय लेने की अद्भुत क्षमता विद्यमान है।

12.4 कंप्यूटर के अंग

निवेश एकक, केन्द्रीय प्रक्रम प्रणाली एवं निर्गम एकक कंप्यूटर के क्रियाशील अंग हैं। इन्हें कंप्यूटर में जिस प्रकार स्थापित किया जाता है वे स्थापना के तरीके में भिन्नता के कारण दूसरे कंप्यूटर से भिन्न हो सकते हैं किन्तु फिर भी सभी अंग कंप्यूटर प्रणाली को तैयार करने में अति आवश्यक हैं। इन अंगो को निम्न आकृति के अनुसार दर्शाया जा सकता है।

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चित्र 12.1: कंप्यूटर के प्रमुख अंगों का चित्र

12.4.1 निवेश एकक

कंप्यूटर प्रणाली में डाटों को डालने के लिये उपयोग की जाने वाली इनपुट युक्ति को यह नियंत्रित करता है। की-बोर्ड आमतौर पर उपयोग में आने वाली इनपुट युक्ति है। चुंबकीय टेप, चुंबकीय डिस्क, लाइट पेन, अॉप्टिकल स्केनर, चुंबकीय स्याही अक्षर, पहचान, प्रकाशित संप्रतीक अभिज्ञान रेखिका कूट पठित्र स्मार्ट कार्ड पठित्र आदि इसी प्रकार के अन्य अंग होते हैं। इनके अलावा और भी अंग हैं जो कि ध्वनि एवं भौतिक संपर्क होने पर कार्य करते हैं। एक मेन्यू लेआउट स्पर्श संवेदी स्क्रीन पर दर्शाया जाता है। जब भी उपयोगकर्त्ता मेन्यू आइटम को स्पर्श स्क्रीन पर छूता है तब कंप्यूटर समझ लेता है कि किस मेन्यू को छुआ गया है और उसके अनुसार उस मेन्यू से जुड़े सारे कार्य पूर्ण हो जाते हैं। इस प्रकार की स्पर्श स्क्रीन को रेलवे स्टेशनों पर गाड़ियों के आने-जाने की आनलाइन जानकारी प्राप्त करने में लाया जाता है।

12.4.2 केन्द्रीय प्रक्रम एकक

यह कंप्यूटर हार्डवेयर का एक प्रमुख अंग है जो आदेश प्राप्त होने पर तुरन्त ही डाटों को प्रक्रमित करता है। यह उन डाटों की प्रणाली में प्रविष्ट कराके डाटों को नियंत्रित करता है साथ ही डाटों को अपनी जानकारी में सुरक्षित रखता है एवं आवश्यकता पड़ने पर उन डाटों को पुनः प्रस्तुत करता है और भण्डार आदेशों के समूह के अनुसार डाटों को निर्गत करता है। इसकी प्रमुख तीन इकाइयां निम्नलिखित हैंः

(अ) अंकगणित एवं तर्क एककः सभी प्रकार की अंकगणितीय गणनाओं को करता है जैसे, जोड़ना, घटाना, गुणा करना, भाग देना, और घांतांको में, इसके साथ यह तार्किक कार्य करने में सक्षम है जिसमें परिवर्ती संख्या एवं डाटा मद के मध्य तुलना भी शामिल है।

(ब) स्मृति एककः इस एकक में डाटों की प्रक्रिया होने से पहले एकत्र होते हैं। इन डाटों को इनपुट युक्ति द्वारा मेमोरी में संचारित करने से पूर्व कंप्यूटर की स्मरण एकक में भण्डारित आदेशों के अनुसार उन्हें जांच कर संसाधित किया जाता है।

(स) नियंत्रण एककः कंप्यूटर प्रणाली की अन्य इकाइयों के क्रियाकलापों को नियंत्रित रखना एवं उनमें समन्वय बनाये रखने की जिम्मेदारी नियंत्रण एकक की होती है। यह निम्नलिखित कार्यों को पूर्ण करता है।

• स्मरण एकक में एकत्रित आदेशों को पढ़ना।

• आदेशों को क्रमानुसार करना।

• डाटों को आन्तरिक परिपथ द्वारा सही समय व स्थान पर पहुंचाना।

• वर्तमान आदेश को पूर्ण करने के बाद अगला आदेश कहां से प्राप्त करना है इसके लिए इनपुट युक्ति को निर्धारित करना।

12.4.3 निर्गम एकक

प्रक्रम द्वारा डाटों को संसाधित करने पर आदेशानुसार जो जानकारी प्राप्त होती हैं उसे उपयोगकर्त्ता के समक्ष पढ़ने व समझाने के लिये ठीक ढंग से प्रस्तुत करना आवश्यक है। इसलिए कम्प्यूटर प्रणाली को सभी जानकारियों को उपयोगकर्त्ता संचारित करने के लिए एक निर्गत युक्ति की आवश्यकता होती है। निर्गत युक्ति मशीन के सांकेतिक डाटों को प्रक्रियात्मक डाटों में रूपातांरित करके लोगों द्वारा पढ़ने योग्य प्रस्तुत करता है। आमतौर पर प्रयोग में आने वाले बाहय यंत्र जैसे मॉनिटर जिसे दृश्यात्मक इकाई भी कहते हैं। प्रिंटर, ग्राफिक प्लाटर जो ग्राफ बनाता है, तकनीकी चित्र, चार्ट एवं आंतरिक यंत्र जैसे चुंबकीय भण्डारण यंत्र, आउट पुट यंत्र हैं। हाल ही में एक नया यंत्र तैयार हुआ है जिसे वाक् संश्लेषक कहते हैं यह मौखिक आउटपुट उत्पन्न करता है जो मानवीय भाषा विज्ञान की तरह होता है।

12.5 कंप्यूटरीकृत लेखांकन का उद्भव

परंपरागत रूप से किसी संस्था के वित्तीय लेन-देन का विवरण, मानवीय लेखा प्रणाली द्वारा पूर्ण किया जाता था। लेखाधिकारी रोकड़ बही, रोजनामचा एवं बही-खाता जैसी लेखा पुस्तकें अपने पास रखते थे जिनकी सहायता से लेन-देन का पूरा एवं निर्णायात्मक लेखा हस्तरूपी तौर पर तैयार किया जाता है। तकनीकी आविष्कारों की सहायता से कई मशीनें विकसित की गयी जो विभिन्न प्रकार की लेखा प्रक्रिया करने में सक्षम हो उदाहरणार्थ प्रचलित बिंलिग मशीन का निर्माण लेन-देन के विवरण, ग्राहक के नाम, पते के साथ टंकित करने के लिये किया जाता था। यह मशीन बट्टे की गणना, शुद्ध जोड़ को जमा करना तथा आवश्यक डाटों को उससे संबंधित खातों में डालने के लिये सक्षम थी। प्रचालक द्वारा आवश्यक सूचना डालने पर ग्राहक की रसीद स्वचालित रूप से तैयार होती थी। इन मशीनों में एक टंकन मशीन एवं परिकलित्र के गुणों का मिश्रण था। आदान-प्रदान की प्रक्रियाओं में बढ़ोतरी होने पर यह तकनीक भी आगे बढ़ी। गति भण्डारण एवं प्रक्रिया क्षमता में प्रतिवादक बढ़ोतरी होने पर इस मशीन के नये रूप विकसित हुये। इन मशीनों को कंप्यूटर द्वारा चलाया जाता था। लेन-देन की जटिलताओं के साथ एक उभरते हुए संगठन की सफलता संसाधनों का ठीक ढंग से प्रयोग, तुरंत निर्णय लेने की क्षमता एवं नियंत्रण पर आश्रित होती है। इसलिए लेखा डाटों को इस प्रकार लिपिबद्ध करना आवश्यक हो गया कि आवश्यकता पड़ने पर उनका सही समय पर उपयोग किया जा सके। लेखा जानकारी को इस प्रकार लिपिबद्ध करना केवल कंप्यूटरीकृत लेखा प्रणाली द्वारा ही संभव हो सकता है।

12.5.1 सूचना एवं निर्णय

संगठन एक पारस्परिक निर्णय लेने वाली प्रणालियों का संग्रह है जो कि अपने उद्देश्यों को पूरा करने के लिए कार्य करती है। एेसी प्रणाली प्रत्येक संगठन की कुछ सूचनाओं को प्राप्तकर उसे अपने अनुकूल रूपान्तरित कर देती है जिससे वह एक महत्वपूर्ण सूचना का रूप ले लेती हैं। प्रत्येक संगठन के कुछ उद्देश्य होते हैं जिनके आधार पर वह संसाधनों का बंटवारा करता है और निरन्तर कार्य करता रहता है। संगठन के प्रबंधन के लिए प्रबंधक द्वारा लिये गये निर्णयों से अपने उन उद्देश्यों को प्राप्त करता है। संगठन के कार्यकारी संसाधनों को बांटने में सूचनाएं एवं जानकारियों से मदद मिलती है। संगठन के किसी भी कार्य के लिए सूचना एक महत्वपूर्ण साधन है। हर छोटे बड़े संगठन के पास स्वयं द्वारा स्थापित सूचना विभाग होता है जो कि संगठन के प्रबंधक या प्रबंध समिति द्वारा लिये जाने वाले निर्णय के लिए महत्वपूर्ण सूचनाओं का प्रबंध करता है। संगठन के सूचना विभाग में होने वाली बढ़ोतरी के परिणामस्वरूप लेन-देन प्रक्रम प्रणाली भी अब कारोबार संक्रिया के लिए महत्वपूर्ण हो गया है। प्रत्येक लेन देन प्रक्रम प्रणाली के तीन अंग होते है। निवेश, संसाधन, और निर्गम क्योंकि सूचना प्रौद्योगिकी गारबेज इन गारबेज आऊट का अनुसरण करती है, इसलिए आवश्यक है कि सूचना प्रौद्योगिकी पर आधारित सभी सूचनायें शुद्ध, पूर्ण एवं अधिकृत हों। निर्गम को स्वचालित करने से इसे प्राप्त किया जा सकता है। अब निर्गम प्रक्रिया को स्वचालित करने के लिए विभिन्न युक्तियां मौजूद हैं।

12.5.2 लेन-देन प्रक्रम संसाधन प्रणाली

लेन-देन प्रक्रम प्रणाली सबसे पहली कंप्यूटरीकृत प्रणाली है जो कि बड़ी से बड़ी कारोबारी कंपनियों की जरूरतों को पूरा करती है। लेन-देन प्रक्रम संसाधन प्रणाली का उद्देश्य है लिपिबद्ध, प्रक्रम, वैधता एवं सौदा का संग्रह करना जो कि किसी भी कारोबार क्रिया के परवर्तित क्रिया की पुनः प्राप्ति एवं प्रयोग के लिए विभिन्न प्रकार के विभागों में काम आती हैं। यह लेन-देन आन्तरिक या बाहरी हो सकते हैं। जब विभाग सामग्री के लिये अपने ही विक्रय केन्द्र को निवेदन करता है तो उसे आन्तरिक लेन-देन कहते हैं। जबकि क्रय विभाग कोई सामग्री किसी विक्रेता द्वारा खरीदता है तो उसे बाहरी लेन-देन कहते हैं। वित्त लेखा विभाग में संभावित अवसर केवल बाहरी लेन-देन तक सीमित हैं। लेन-देन प्रक्रम प्रणाली में एक सौदे के लिये निम्न क्रमों में प्रक्रम मौजूद है, इन क्रमों को समझने के लिए हम एक उदाहरण लेते हैं जहां बैंक का ग्राहक ए.टी.एम. द्वारा अपने पैसे को निकालता है जिसका वर्णन नीचे किया गया है।

  • डाटा प्रविष्टिः उसके प्रयोग से पहले कार्य संबंधित डाटों को मशीन मेें प्रविष्टि करना होता है। डाटों को मशीन में प्रविष्ट कराने के लिये विभिन्न प्रकार की युक्तियां उपलब्ध हैं जैसे की-बोर्ड, माउस आदि। उदाहरण के तौर पर एक बैंक ग्राहक ए.टी.एम. का प्रयोग धन राशि निकालने के लिये करता है। इस कार्य को करने के लिए ग्राहक जो विभिन्न क्रियाएं करता है, उस क्रिया वैधता की जांच कंप्यूटरीकृत निजी बैंकिग सेवा द्वारा की जाती है।
  • डाटों की वैधताः यह निवेश डाटा का कुछ पूर्वनिर्धारित मानक ज्ञात डाटों के साथ तुलना करते हुए उसकी शुद्धता एवं विश्वसनीयता सुनिश्चित करता है। यह वैधता अशुद्धि की खोज एवं सुधार प्रक्रिया द्वारा सम्पन्न की जाती है। नियंत्रण मशीनी यंत्र, जहां वास्तविक निवेश को मानक के साथ तुलना किया जाता है, को अशुद्धियों को पकड़ने के लिये बनायी जाती है। जबकि अशुद्धि सुधार प्रक्रिया सही डाटा निवेश दर्ज के लिये सुझाव देता है। ग्राहक का पिन ज्ञात डाटा द्वारा विधिमान्य किया जाता है। यदि यह गलत हैं तो यह सुझाव दिया जाता है कि पिन अमान्य है। पिन को मान्य करने के बाद ग्राहक द्वारा निकाली जाने वाली राशि की भी जांच की जाती हैं ताकि यह सुनिश्चित किया जा सके कि एक निश्चित सीमा का उल्लंघन न हो।
  • प्रक्रम एवं पुनः वैधता : डाटाें का प्रक्रम, ए टी एम उपभोक्ता के क्रिया-कलापों को बताते हुए ओ एल टी पी (Online Transaction Processing) प्रणाली की स्थिति में, लगभग उसी वक्त घटित होता है बशर्ते उपभोक्ता की क्रियाओं का प्रतिनिधित्व करने वाले एक मान्य एक मान्य आंकड़े का चलता हैं इसे जांच निवेश वैधता कहते है। पुनः वैधता इस बात को सुनिश्चित करने के लिए होती है कि ए. टी. एम. द्वारा मुद्रा प्राप्ति का कार्य-संपादन पूरा हो गया। इसे जांच निर्गम वैधता कहते हैं।
  • संचयनः ऊपर वर्णित संसाधित क्रियाओं की परिणति वित्तीय सौदा डाटों में होती है जो एक निश्चित ग्राहक द्वारा अहरण को वर्णित करते हैं। ये संसाधिनित क्रियाएं कंप्यूटरीकृत व्यक्तिगत बैंकिग प्रणाली के लेन देन डाटा बेस में जमा होती हैं। इसका यह मतलब है कि केवल मान्य व लेन-देन ही डाटाबेस में संग्रहित हैं
  • सूचनाः संग्रहित डाटों को प्रश्न सुविधा का उपयोग करते हुए इच्छित सूचना प्राप्त करने के लिए संवर्धित किया जाता है। एक डाटाबेस जो कि डी.बी.एम.
  • प्रतिवेदन: अन्ततः प्रतिवेदन की निर्णय उपयोगिता के अनुसार अपेक्षित सूचना अन्तर्वस्तु के आधार पर अनेक प्रतिवेदन तैयार किये जा सकते हैं। एक सरल कंप्यूरीकृत लेखा प्रणाली सम्पूर्ण लेन-देन डाटों को निवेश के रूप में ग्रहण करता है। उन डाटों को कंप्यूटर संग्रहण माध्यम से हार्ड डिस्क में करता है और लेखा डाटों को कंप्यूटर से पुनः प्रक्रम के लिये पुनः प्राप्त कर लेता है जब भी लेखा विवरण को निर्गम के रूप में प्रस्तुत करना होता है। निम्नलिखित निवेश प्रक्रम निर्गम आरेख इंगित करता है कि केसे लेखा सॉफ्टवेयर डाटों को सूचना में परिवर्तित करता है। डाटों का यह संवर्धन प्रचय प्रक्रम या संद्य अनुक्रिया संसाधन द्वारा पूरा किया जाता है।
  • प्रचय प्रक्रम: यह बड़े आकार के डाटोें के साथ लागू होता है जो विविध इकाइयों, शाखा या विभाग के लाइनेतर जमा रहता है। सम्पूर्ण जमा डाटा एक ही बार में प्रक्रमित हो जाता है ताकि निर्णय की जरूरत के अनुसार इच्छित विवरण प्राप्त किया जा सके।
  • संद्य अनुक्रिया प्रक्रम: सूचना एवं प्रतिवेदन के रूप में लेन देन और प्रक्रम के बीच बिना समयान्तराल के अॉनलाइन निष्कर्ष प्रदान करता है।
  • संरचना पृच्छाः भाषा के द्वारा लेखा प्रतिवेदन कसे तैयार किया जाता है। यह उपभोक्ता को प्रतिवेदन एवं उससे सम्बद्व सूचना प्राप्त करने में मदद करता है जिसे पूर्व निर्धारित लेखा विवरण में शामिल करना सम्भव है। लेखा सॉफ्टवेयर को एेसे अवयवों के साथ तैयार किया जाता है जो कि क्रय-विक्रय तालिका समान आदि की विस्तृत सूची, वेतन रजिस्टर एवं अन्य वित्तीय सौदों से संबंधित डाटों का भण्डारण एवं प्रक्रिया में सहयोग करता है। (देखें चित्र 12.2)

12.6 कंप्यूटरीकृत लेखा प्रणाली की विशेषता

लेखांकन सॉफ्टवेयर का प्रयोग कंप्यूटरीकृत लेखांकन प्रणाली को लागू करने के लिए किया जाता है। इसमें रोजनामचा, बही खाता आदि बनाने एवं उसके रख-रखाव की जरूरत नहीं होती है जो मानवीय लेखा प्रणाली के साथ काम करने के लिये आवश्यक है। सामान्यतः कंप्यूटरीकृत लेखा प्रणाली की निम्नलिखित विशेषताएं हैंः

  • लेखांकन डाटों का अॉनलाइन निवेश एवं भण्डारण
  • क्रय एवं विक्रय रसीद की प्रिंट आउट
  • लेखा और लेन-देन के कूटीकरण के लिए तर्क संगत योजना। प्रत्येक सौदे को एक विशेष कोड दिया जाता है।
  • खातों का समूहीकरण प्रारंभ से ही किया जाता है।
  • प्रबंधन के लिए तत्काल प्रतिवेदन, जैसे आयु वर्णन, संग्रह विवरण, पेशगी बकाया, व्यापार और लाभ व हानि लेखा, तुलन पत्र, संग्रह मूल्यांकन, वस्तु एवं सेवा कर रिटर्न, वेतन रजिस्टर के विवरण आदि।

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चित्र 12.2ः कंप्युटरीकृत लेखांकन प्रणाली सॉफ्टवेयर के तत्व

स्वंय जाँचिये

रिक्त स्थान में सही शब्द भरेंः

1. उपभोक्ता के अनुकूल बनाया गया प्रोग्राम कुछ विशेष कार्य के लिये डिजाइन एवं विकसित किया गया है, उसे .......... कहते हैं।

2. भाषा की वाक्य संरचना को जिस सॉफ्टवेयर से जांचा जाता है उसे ........ कहते हैं।

3. वे लोग जो डाटा लेन-देन प्रणाली डिजाइन को लागू करने के लिये प्रोग्राम लिखते हैं, .......... कहते हैं।

4. ............. कंप्यूटर का मस्तिष्क है।

5. .......... एवं ......... लेखा प्रतिवेदन की दो महत्वपूर्ण आवश्यकताएं हैं।

6. उत्तरदायित्व विवरण का एक उदाहरण .......... है।


12.7 प्रबंधन सूचना प्रणाली व लेखांकन सूचना प्रणाली

सदा प्रतियोगी बने रहने के लिए संस्थाएं सूचना प्रणाली पर काफी निर्भर रहती हैं। प्रबंधन सूचना प्रणाली एक एेसी प्रणाली है जो निर्णय लेने एवं किसी संस्था के सुचारू रूप से प्रबंधन के लिये जरूरी सूचना तैयार करती हैं। संस्था के दीर्घकालीन नीतिगत लक्ष्यों एवं उद्देश्यों को पूरा करने में प्रबंधन सूचना प्रणाली सहयोग करती है। प्रबंधन द्वारा लेखांकन सूचना प्रणाली का प्रयोग अनेक स्तरों पर किया जाता है: संचालन, कौशल एवं सामरिक।

लेखांकन सूचना प्रणाली किसी वस्तु या व्यक्ति के बारे में आर्थिक सूचना को अनेक प्रकार के उपभोक्ताओं के लिये पहचान, संग्रह, एवं प्रक्रम तैयार करती है और उसे दूसरों तक पहुंचाता है। सूचना उपयोगी डाटों इस तरह से व्यवस्थित होते हैं कि उसकी मदद से सही निर्णय लिया जा सके। एक प्रणाली अन्योन्याश्रित अंगों से बनी होती है जो एक दूसरे के लिये निरंतर एवं सचेत आदान प्रदान मेें सक्षम हैं ताकि इच्छित उद्देेश्य प्राप्त किया जा सके।

प्रत्येक लेखा प्रणाली लेखांकन सूचना प्रणाली का निश्चित रूप से एक अंग है जो दूसरे शब्दों में संस्था की प्रबंध सूचना प्रणाली का एक अंग है।

निम्नलिखित आरेख परिकलन प्रणाली का अन्य कार्यशील प्रबंध सूचना प्रणालियों के साथ उसके संबंध को दर्शाता है।

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चित्र 12.3ः लेखांकन प्रणाली का अन्य कार्यशील प्रबंधन सूचना प्रणाली के साथ संबंध


ऊपर दर्शाये गये चित्र में प्रबंधन के चार बहुप्रचलित कार्य क्षेत्र को बताता है। संस्था, एक आपूर्तिकर्त्ता एवं उपभोक्ता द्वारा घिरे एक दिए हुए माहौल में काम करती है। सूचना संबंधी जरूरतें व्यावसायिक प्रक्रियाओं से निकलती हैं जो विभिन्न कार्यक्षेत्रों में बँटी होती हैं जहां लेखांकन उनमें से एक है। लेखांकन सूचना प्रणाली संस्थागत प्रबंधन सूचना प्रणाली के विभिन्न उपप्रणालियों के साथ सूचना के साथ सूचना का आदान-प्रदान करता है।

लेखांकन सूचना प्रणाली संसाधनों एवं उपकरण का एक संग्रह है जिसे वित्तीय एवं अन्य डाटों को सूचना में परिवर्तित करने के लिए डिजाइन किया गया है। यह सूचना विविध प्रकार के निर्णयकर्ताओं को प्रदान की जाती है। प्राप्त करने वाली सूचना प्रणालियां इस परिवर्तित कार्य को पूरा करती हैं चाहे वे मानवीय प्रणाली हों या पूर्ण कंप्यूटरीकृत।

परंपरागत तौर पर प्रबंध सूचना प्रणाली को भी रोजमर्रा के वित्तीय लेखा प्रणालियों की तरह देखा गया जिसका प्रयोग इस बात को सुनिश्चित करने के लिए किया गया कि वित्तीय सौदों के वितरण पर मूलभूत नियंत्रण किया जा सके, लेकिन अब ये साफ तौर पर संकल्पना के रूप मेें मान्य हैं एवं लेखा प्रणाली का एक अवयव है।

लेखांकन प्रणाली द्वारा तैयार किया गया विवरण विभिन्न उपभोक्ताओं को सम्प्रेषित किया जाता है - संस्था के अंदर व बाहर। बाहरी पार्टी में कंपनी के मालिक निवेशक, लेनदार, पूंजीपति, सरकारी अपूर्तिकर्त्ता एवं विक्रेता और सामान्यता समाज भी शामिल है। इन पार्टियों द्वारा प्रयोग किया जाने वाला विवरण रोज के कार्यों जैसा है। हालांकि आन्तरिक पार्टी - कर्मचारी, प्रबंधक आदि लेखा सूचना का उपयोग निर्णय लेते एवं नियंत्रण के लिये करते हैं।

12.7.1 लेखांकन प्रतिवेदन का प्रारूप

विभिन्न प्रक्रियाओं से गुजरकर डाटा का सूचना बनते हैं। जब सम्बद्ध सूचना को एक खास जरूरत को पूरा करने के लिए संक्षेप में प्रस्तुत किया जाता है तो वह प्रतिवेदन कहलाता है। प्रतिवेदन का विषय एवं प्रारूप अलग-अलग स्तरों के लिये अलग-अलग होता है। प्रतिवेदन को उपभोक्ता के लिये प्रभावी एवं योग्य होना चाहिए एवं निर्णय लेने की प्रक्रिया को व्याख्यायित करना चाहिए। अन्य प्रतिवेदन की तरह प्रत्येक लेखांकन प्रतिवेदन निम्नलिखित शर्तों को भी अवश्य पूरा करना होता हैः

अ. प्रासंगिकता

ब. समयबद्धता

स. परिशुद्धता

द. पूर्णता

य. संक्षिप्तता

लेखांकन का सॉफ्टवेयर द्वारा तैयार किया गया लेखांकन प्रतिवेदन या तो दैनिक विवरण की तरह हो सकता है या फिर उपभोक्ता की खास जरूरतों पर आधारित हो सकता है। उदाहरण के लिये पार्टी के अनुसार बही खाता एक आम प्रतिवेदन है जबकि किसी पार्टी द्वारा एक खास वस्तु की आपूर्ति पर तैयार किया गया विवरण मांग पर आधारित विवरण है। हालांकि एक बड़े परिप्रेक्ष्य के लिहाज से लेखांकन संबंधित प्रबंधन सूचना प्रणाली प्रतिवेदन निम्नलिखित प्रकार के हो सकते हैंः

अ. संक्षिप्त प्रतिवेदनः संस्था के सभी गतिविधियों को संक्षिप्त बनाता है और संक्षिप्त प्रतिवेदन के तौर पर प्रस्तुत करता है। लाभ-हानि और तुलन-पत्र का लेखा जोखा।

ब. मांग प्रतिवेदनः यह प्रतिवेदन तभी तैयार किया जाता है जब प्रबंध समिति इस बात के लिये आग्रह करती है जैसे कि उत्पादन के लिये खराब ऋण का प्रतिवेदन, सामान के मूल्यांकन का प्रतिवेदन।

स. ग्राहक/आपूर्तिकर्ता विवरणः प्रबंध समिति की जरूरत के मुताबिक इसे तैयार किया जाता है। जैसे शीर्ष के दस ग्राहकों का विवरण, ग्राहक के खाते में ब्याज, खाता विवरण, ग्राहक के खाते मेें ब्याज का विवरण, ग्राहक स्मरण पत्र, क्रय विश्लेषण, विक्रेता विश्लेषण का विवरण।

द. अपवाद प्रतिवेदनः शर्त या अपवाद के अनुसार प्रतिवेदन तैयार किया जाता है जैसे कम आपूर्ति के सामान सूची का विवरण, स्टॉक की स्थिति से संबंधित प्रश्न, ओवर स्टॉक की अवस्था आदि।

य. उत्तरदायित्व प्रतिवेदनः प्रबंधन सूचना प्रणाली ढ़ाचा प्रबंध उत्तरदायित्व आधार को निर्धारित करता है। जैसे वित्त एवं लेखा विभाग द्वारा जमा धन की स्थिति नकद अवस्था का विवरण।

लेखांकन डाटों से लेखांकन प्रतिवेदनों को तैयार करने में निम्नलिखित कदम उठाए जाते हैंः

  1. उद्देश्य की परिभाषा: प्रतिवेदन का उद्देश्य स्पष्ट रूप से परिभाषित किये जाने चाहिए, विवरण का उपभोक्ता कौन है और प्रतिवेदन के आधार पर क्या निर्णय लिया जायेगा।
  2. प्रतिवेदन का ढाँचाः उसमें शामिल की जाने वाली सूचनाएं एवं प्रस्तुति की शैली।
  3. डाटा बेस से संबंधित प्रश्नः लेखा सूचना से संबंधित प्रश्न स्पष्ट रूप से परिभाषित होने चाहिए एवं डाटा बेस के साथ संपर्क के लिए अपनायी गयी पद्धति।
  4. प्रतिवेदन को अंतिम रूप देना

12.7.2  सूचना प्रणाली में डाटा इंटरफेस

किसी संस्था में लेखांकन सूचना प्रणाली संस्था का एक महत्वपूर्ण तत्व है। यह किसी अन्य क्रियाशील 

प्रबंध सूचना प्रणाली के लिए सूचनाओं का आदान-प्रदान करता है। प्रबंध सूचना प्रणाली के विभिन्न उप-अवयवों के बीच के संबंध और डाटा इंन्टरफेस को निम्नलिखित उदाहरण स्पष्ट करते हैंः

I. लेखांकन सूचना प्रणाली, विनिर्माण सूचना प्रणाली व मानव संसाधन सूचना प्रणाली

उत्पादन विभाग मानव संसाधन विभाग से मजदूरों का ब्यौरा लेता है। यह मजदूरों के द्वारा उत्पादन प्राप्त करने की जानकारी मानव संसाधन विभाग व लेखा-विभाग को भेजता है ताकि उनका पारिश्रमिक देय हो। लेखांकन विभाग द्वारा देय पारिश्रमिक का विवरण उत्पादन विभाग व मानव संसाधन विभाग को दिया जाता है ताकि मजदूरों की कार्यशैली पर नजर रख सकें। मानव संसाधन विभाग उन मजदूरों की अच्छी व खराब कार्यशैली की जानकारी अन्य विभाग को देता है।

II. लेखांकन सूचना प्रणाली और विपणन सूचना प्रणाली

व्यापार की प्रगति में विपणन व विक्रय विभाग निम्नलिखित कार्य सक्रियता का पालन करते हैंः

  • पूछताछ
  • संपर्क स्थापना
  • प्रवेश का क्रम
  • माल भेजना
  • उपभोक्ता रसीद

लेखांकन परितंत्र के लेन-देन के कार्यो में विक्रय विवरण, प्रतिष्ठा प्राधिकृत, तालिका सुरक्षा, तालिका स्थान, परिवहन सूचना, प्राप्तांक आदि भी होते हैं। इसके अतिरिक्त उपभोक्ता के खातों पर नजर रखना उदाहरणार्थ एजिंग प्रतिवेदन, जो कि प्रणाली द्वारा उत्पन्न की जानी चाहिए।

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चित्र 12.4ः लेखांकन सूचना प्रणाली, निर्माण सूचना प्रणाली और मानव सूचना प्रणाली के मध्य संबंध


III लेखांकन सूचना प्रणाली और निर्माण सूचना प्रणाली इसी तरह व्यापार प्रगति में उत्पादन विभाग निम्नलिखित कार्य करता हैः

  • योजना की तैयारी व सूची
  • वस्तुमांग की विज्ञप्ति और नौकरीधारक
  • तालिका सूची
  • कच्चे माल की खरीद की विज्ञप्ति का आदेश
  • विक्रेता बीजक को संभालना
  • विक्रेताओं का भुगतान

लेनदेन परितंत्र लेन-देन वृत्त में खरीद बही, विक्रेता/सप्लायर की अग्रिम, सूची को बढ़ाना, खाते की देनदारी आदि सभी कुछ होती है। ये सभी सूचनायें प्रबंध सूचना प्रणाली संस्था के अन्य विभागों को वितरित करता है। अतः यह निर्णय लेने वाले व्यक्तियों को जरूरी वित्तीय डाटों की सूचना देता है जोकि कंप्यूटरीकृत सूचना प्रणाली का एक उपभाग है। इस विवरण की मांग नियमित अथवा विशिष्ट भी हो सकती है।

इस अध्याय में प्रयुक्त शब्द

  • प्रचालन प्रणाली
  • प्रबंधन सूचना प्रणाली
  • प्रणाली विश्लेषक
  • लेन देन प्रक्रम प्रणाली
  • लेखांकन सूचना प्रणाली 
  • उपयोगिता क्रमादेश
  • आंकड़ा
  • डाटा इंटरफेस
  • अनुप्रयोग प्रक्रिया सामग्री  लेखांकन प्रतिवेदन
  • सूचना
  • सूचना प्रणाली

अधिगम उद्देश्य के संदर्भ में सारांश

1. कंप्यूटर का अभिप्राय: कंप्यूटर एक एेसी विद्युत युक्ति है जिससे विविध प्रक्रिया द्वारा अपेक्षित निर्देशों का पालन कराया जा सकता है।

2. कंप्यूटर प्रणाली के तत्वः

  • यंत्र सामग्री
  • प्रक्रिया सामग्री
  • लाइव वेयर
  • क्रियाविधि
  • डाटा
  • संबंधन

3. कंप्यूटर की सामर्थ्य:

  • गति
  • परिशुद्धता
  • विश्वसनीयता
  • बहुआयामी
  • भंडारण

4. लेखांकन में कंप्यूटरों की उपयोगिताः भूमंडलीकरण के आगमन से व्यापार संक्रिया में नये आयामों का उदय हुआ, फलस्वरूप मध्यम व बड़े आकार की संस्थाओं के अपने उद्देश्यों को पूर्ण करने के लिये उससे संबंधित निर्णय लेने के लिए सुव्यस्थित सूचना पद्वति की आवश्यकता हुई। सूचना प्रौद्योगिकी की विविध भूमिका से व्यापार संक्रिया में सहायता हुई।

5. प्रबंध सूचना प्रणाली और लेखांकन सूचना प्रणालीः प्रबंधन सूचना प्रणाली द्वारा संस्था को प्रभावशाली ढंग से चलाने के लिए उसके प्रबंधन से संबंधित निर्णय हेतु सभी आवश्यक सूचनायें देता है। लेखांकन सूचना प्रणाली विभिन्न प्रकार के उपभोक्ताओं की अर्थ संबंधी, अस्तित्व, पहचान, एकत्र करना एवं कार्यवाही की सूचनायें देता है।

6. लेखांकन प्रतिवेदनः सूचना को एक निश्चित कार्य हेतु बनाए जाने को प्रतिवेदन कहते है। लेखांकन प्रतिवेदन के लिए निम्नलिखित शर्तें होनी चाहिएः

  • प्रांसगिक
  • समयोचित
  • परिशुद्वता
  • पूर्णता
  • संपेक्षण

अभ्यास के प्रश्न

लघु उत्तरीय प्रश्न

1. कंप्यूटर प्रणाली के विभिन्न अंगों का वर्णन करें।

2. मानवीय प्रणाली पर कंप्यूटर प्रणाली की विशिष्ट उपयोगिता को सूचीबद्ध करें।

3. कंप्यूटर के मुख्य अंगों को चौकोर खाने में दर्शाते हुए रेखांकित करें।

4. लेन देन प्रक्रम प्रणाली के तीन उदाहरण दीजिए।

5. सूचना व निर्णय के बीच संबंध का वर्णन करें।

6. लेखांकन सूचना प्रणाली क्या है?

7. लेखांकन प्रतिवेदन के विभिन्न लक्षणों का वर्णन करो।

8. लेन-देन प्रक्रम प्रणाली के तीन अंगों के नाम बताएं।

9. मानव संसाधन सूचना प्रणाली व प्रबंधन सूचना प्रणाली के बीच संबंध का उदाहरण दें।

दीर्घ उत्तरीय प्रश्न

1. ‘एक संस्था पारस्परिक निर्णयों का समूह है’, जो कि एक संस्थागत उद्देश्यों को प्राप्त करने के लिए कार्य करता है। इस कथन के अनुसार सूचना एवं निर्णय के बीच संबंध को समझाइये।

2. संस्थागत प्रबंधन सूचना प्रणाली और सूचना प्रणाली तथा अन्य क्रियाओं के मध्य एक संस्था के संबंध का उदाहरण देकर स्पष्ट करो। लेखांकन सूचना प्रणाली व प्रबंधन सूचना प्रणाली की क्रियाओं में सूचनाओं में होने वाले आदान-प्रदान का वर्णन करें।

3. एक लेखांकन प्रतिवेदन एेसा प्रतिवेदन है जो सभी मूल आवश्यकताओं के मापदण्डों को पूर्ण करता है। इस कथन को स्पष्ट करें। लेखांकन प्रतिवेदन के विभिन्न प्रकारों की सूची बनायें।

4. कंप्यूटर प्रणाली के विभिन्न अंगों का विवरण करें तथा कंप्यूटर प्रणाली व मानवीय प्रणाली की आवश्यक विशेषताओं को स्पष्ट करें।

स्वयं जाँचिये की जाँच सूची

1. अनुप्रयोग प्रक्रिया सामग्री

2. भाषा संसाधक

3. क्रमादेशक

4. केंद्रीय प्रक्रम एकक

5. समयोचित, प्रासंगिक

6. धन की स्थिति, प्रबंध उत्तरदायित्व