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अलाभकारी संस्थाओं के लिए लेखांकन

अधिगम उद्देश्य

इस अध्याय को पढ़ने के उपरांत आप :

• अलाभकारी संस्थाओं का अर्थ और विशेषताएँ समझ सकेंगे।

• अलाभकारी संस्थाओं से संबंधित लेखांकन अभिलेखों की प्रकृति और आवश्यकता को पहचान सकेंगे।

• अलाभकारी संस्थाओं द्वारा तैयार किए जाने वाले वित्तीय विवरणों के सिद्धांतों की सूची तैयार कर पाएँगे और उसकी प्रकृति की व्याख्या कर सकेंगे।

• दी गई तिथि पर प्राप्ति एवं भुगतान खाते को तैयार कर सकेंगे।

• दिए गए प्राप्ति एवं भुगतान खाते और अतिरिक्त सूचनाओं से आय और व्यय खाता बनाने की प्रक्रिया की व्याख्या कर सकेंगे।

• आय और व्यय खाता तथा प्राप्ति एवं भुगतान खाते के मध्य अंतर स्पष्ट कर सकेंगे।

• प्राप्ति एवं भुगतान खाते तथा इससे संबंधित अन्य सूचनाओं से आय और व्यय खाता और तुलन-पत्र तैयार कर पाएँगे।

• आय और व्यय खाते की कुछ विशिष्ट मदों जैसे सदस्यों से चंदा, विशिष्ट निधि, वसीयत, पुरानी स्थायी परिसंपत्तियों का विक्रय आदि के व्यवहार की व्याख्या कर पाएँगे।


कुछ संस्थाएँ एेसी होती हैं जो अपने सदस्यों तथा समाज को सेवाएँ प्रदान करने के उद्देश्य से आरंभ की जाती हैं। इन संस्थाओं में धर्मार्थ संस्थान, विद्यालय, धार्मिक संस्थान, व्यापारिक संगठन, कल्याण समितियां और कला तथा संस्कृति को बढ़ावा देने के उद्देश्य से स्थापित संस्थान इत्यादि शामिल हैं। इस संस्थानों का मुख्य उद्देश्य समाज सेवा होता है न कि अन्य व्यापारिक संस्थानों की तरह लाभ कमाना। सामान्यतः इस प्रकार के संस्थान किसी प्रकार की व्यापारिक गतिविधि नहीं करते और इनका संचालन न्यासी द्वारा किया जाता है, जो कि पूर्ण रूप से अपने सदस्यों और समिति की उत्पन्न निधि का उपयोग, संस्था के उद्देश्य को पूरा करने के लिए करते हैं। इसलिए इन्हें प्रत्येक लेखा वर्ष के अंत में (सामान्यतः वित्तीय वर्ष के लिए) खाते और वित्तीय विवरण बनाने होते हैं जो कि प्राप्ति एवं भुगतान खाता तथा आय और व्यय खाता तथा तुलन पत्र के रूप में हो सकते हैं।

यह एक कानूनी आवश्यकता भी है और उनके आय और व्यय खाते जो कि व्यापारिक संस्थानों द्वारा तैयार किए गए खातों से अलग प्रकृति के होते हैं, को बनाने में सहायक होते हैं।

1.1 अलाभकारी संस्थानों का अर्थ एवं विशेषताएँ

अलाभकारी संस्थाओं से आशय एेसे संस्थानों से है जिनका प्रयोग सामाजिक कल्याण के लिए होता है तथा जिनका निर्माण धार्मिक संस्थानों, जिनका उद्देश्य लाभ से प्रेरित नहीं होता के लिए किया जाता है। इनका मुख्य उद्देश्य किसी विशिष्ट समूह या समस्त जनता को सेवाएँ प्रदान करना होता है। आमतौर पर यह किसी प्रकार का उत्पादन, क्रय या वस्तुओं का विक्रय और किसी प्रकार का उधार लेन-देन नहीं करती। इसलिए इन्हें लेखा पुस्तकों (जैसा कि व्यापार से संबंधित) और व्यापारिक और लाभ तथा हानि खाता बनाने की आवश्यकता नहीं होती। इन संस्थानों द्वारा बनाई गई निधि पूँजी निधि अथवा सामान्य निधि में जमा की जाती है। आमतौर पर इनकी आय का मुख्य स्रोत, इसके सदस्यों से प्राप्त अनुदान तथा दान, सहायता विनिवेश से प्राप्त आय इत्यादि हो सकता है। इस प्रकार के संस्थानों द्वारा बहियों को रखने का मुख्य उद्देश्य वैधानिक ज़रूरतों को पूरा करना तथा उनके निधि के प्रयोग पर नियंत्रण में सहायता प्रदान करना है। प्रत्येक लेखा वर्ष की समाप्ति पर (सामान्यतः वित्तीय वर्ष) यह वित्तीय विवरण तैयार करती हैं तथा अपनी वित्तीय स्थिति के लिए आय तथा व्यय विवरण तैयार करती हैं और उन्हें वैधानिक प्राधिकरण में जमा करवाती हैं जिसे समिति पंजीकृत कहा जाता है।

इस प्रकार की संस्थाओं की मुख्य विशेषताएँ इस प्रकार हैंः

1. यह संस्थान किसी विशिष्ट समूह या समस्त जनता को जैसे कि शिक्षण, व्यायामशाला, मनोरंजन, खेलकूद तथा इसी प्रकार की अन्य संस्थाओं को जाति, धर्म तथा रंग को ध्यान दिए बिना सेवाएँ प्रदान करना होता है। इसका मुख्य उद्देश्य सेवाओं को लागत के बिना या नाममात्र की लागत पर उपलब्ध कराना होता है न कि लाभ कमाना।

2. इनका निर्माण धर्मार्थ प्रन्यास/समाज की तरह होता है और इनमें अनुदान करने वाले इसके सदस्य कहलाते हैं।

3. इनके कार्यों का प्रबंध सामान्यतः प्रबंधक/शासन संबंधी कमेटी (समिति) तथा इसके चुने हुए सदस्यों द्वारा किया जाता है।

4. इन संस्थाओं की आय के मुख्य स्रोत हैंः (i) सदस्यों से अनुदान (ii) दान (सामान्य) (iii) वसीयत (सामान्य) (iv) अनुदान में सहायता (v) विनियोग से आय, इत्यादि।

5. इन संस्थाओं द्वारा विभिन्न स्त्रोतों द्वारा बनाई गई निधि को पूँजी निधि अथवा सामान्य निधि में जमा किया जाता है।

6. व्यय पर आय का आधिक्य, अधिशेष के रूप में इसके सदस्यों के मध्य वितरित नहीं किया जाता। इसको सरल रूप से पूँजी निधिों में जोड़ेंगे।

7. अव्यापारिक संस्थाओं की प्रसिद्धि को सामाजिक कल्याण में उनके अंशदान के कारण उत्पन्न किया जाता है, न कि उनके ग्राहकों या मालिक के संतोष के कारण।

8. इन संस्थाओं द्वारा उपलब्ध लेखों की सूचना से आशय इनकी वर्तमान और मज़बूत अंशदान से वैधानिक आवश्यकताओं को पूरा करने से है।

1.2 अलाभकारी संस्थाओं के अभिलेखों का लेखांकन

जैसे कि पहले वर्णन किया जा चुका है कि इस प्रकार की संस्थाएँ किसी भी प्रकार के उत्पादन या व्यापारिक गतिविधि में शामिल नहीं होती है। इनकी आय का मुख्य स्रोत, इसके सदस्यों से प्राप्त अनुदान, दान, सरकारी सहायता और विनियोग से प्राप्त आय है। अधिकतर लेन-देन रोकड़ और बैंक के द्वारा किए जाते हैं। इसलिए सामान्यतः ये संस्थान एक रोकड़ पुस्तक रखते हैं जिसमें सभी प्राप्तियों और भुगतानों को प्रलेखित किया जाता है। यह एक लेखाबही भी प्रतिपादित करते हैं जिसमें सभी आय, व्यय, परिसंपत्तियों और दायित्वों का अभिलेखन किया जाता है जो कि एक लेखा वर्ष की समाप्ति पर वित्तीय विवरण बनाने में सहायता प्रदान करते हैं। इसके अतिरिक्त सभी मूर्त परिसंपत्तियों तथा उपभोग करने लायक को प्रलेखित करने के लिए एक स्टॉक रजिस्टर का प्रयोग भी आवश्यक है।

ये संस्थाएँ कोई पूँजी खाता तैयार नहीं करती हैं। इसके बदले में यह पूँजी निधि, जिनको सामान्य निधि भी कहते हैं, जो कि अधिलाभ, आजीवन सदस्यता, शुल्क इत्यादि प्राप्तियों के रूप में साल दर सालों में हुई हैं, को बनाते हैं, अतः सदस्यों और अन्य दानकर्ताओं द्वारा प्राप्त निधि के गबन, दुरुपयोग की संभावना को कम करने या बचने के लिए उचित लेखांकन प्रणाली की आवश्यकता होती है।

अंतिम खाते तथा अंतिम विवरणः अलाभकारी संस्थानों को भी प्रत्येक लेखा वर्ष के अंत में अंतिम विवरण बनाने की आवश्यकता होती है। हालांकि यह संस्थाएँ लाभ न अर्जित करने वाले संस्थान हैं और इन्हें व्यापारिक खाता या लाभ व हानि खाता बनाने की आवश्यकता नहीं होती परंतु यह जानना भी ज़रूरी है कि क्या वर्ष के दौरान किए जाने वाले व्ययों के लिए पर्याप्त आय है या नहीं। केवल इतना ही नहीं, इन्हें ज़रूरी अंतिम सूचनाएँ इसके सदस्यों, दानकर्ताओं और एकत्रितकर्ताओं तथा समिति के पंजीकर्ता को भी उपलब्ध करवानी होती हैं। इस उद्देश्य के लिए इन्हें प्रत्येक लेखा वर्ष के अंत में इनके अंतिम खाते तैयार करने होते हैं तथा लेखांकन के सामान्य सिद्धांत पूरी तरह से लागू होते हैं। अव्यापारिक संस्थाओं के अंतिम खातों में शामिल हैंः

1. प्राप्ति एवं भुगतान खाता

2. आय और व्यय खाता, तथा

3. तुलन पत्र

प्राप्ति एवं भुगतान खाता रोकड़ तथा बैंक के लेन-देन का एक सारांश है जो कि आय और व्यय खाता और तुलन पत्र को तैयार करने में सहायता प्रदान करता है। इसके साथ ही, यह कानूनी रूप से आवश्यक भी है क्योंकि प्राप्ति एवं भुगतान खाते को भी आय और व्यय खाते के साथ तथा तुलन पत्र के साथ समितियों के पंजीकर्ता के पास जमा करवाना होता है।

आय और व्यय खाता, लाभ तथा हानि खाते के समान ही होता है। अव्यापारिक संस्थाएँ सामान्यतः तुलन पत्र तथा प्राप्ति एवं भुगतान खाते की सहायता से आय और व्यय खाते को तैयार करती हैं। यद्यपि इससे यह आशय नहीं है कि वह तलपट को तैयार नहीं करतीं। लेखा बहियों की शुद्धता की जाँच के लिए वह तलपट को भी तैयार करती हैं, जो कि प्राप्ति एवं भुगतान खाते तथा साथ ही आय और व्यय खाता और तुलनपत्र को तैयार करने में सहायक होता है।

1.3 प्राप्ति एवं भुगतान खाता

यह एक लेखा वर्ष के अंत में रोकड़ प्राप्तियों तथा नकद भुगतानों को रोकड़ बही में प्रलेखन के आधार पर तैयार किया जाता है। सरल रूप से यह रोकड़ तथा बैंक लेनदेन के विभिन्न शीर्षकों का सारांश होता है। उदाहरण के लिए भिन्न-भिन्न तिथियों को सदस्यों से प्राप्त किया गया चंदा, जो कि रोकड़ पुस्तक में नाम पक्ष की ओर दर्शाया जाता है, को प्राप्ति एवं भुगतान खाते में एक मद के रूप में इसकी कुल राशि से प्राप्ति पक्ष में दर्शाया जाएगा। इसी प्रकार वेतन, किराया, बिजली का बिल भुगतान के जो कि समय-समय पर किए जाते हैं, को रोकड़ बही में जमा पक्ष की ओर प्रलेखित किया जाता है परंतु कुल भुगतान वेतन, कुल भुगतान किराया तथा कुल भुगतान विद्युत प्रभार, जो एक वर्ष के दौरान भुगतान किए गए हैं, को प्राप्ति एवं भुगतान खाते के भुगतान पक्ष की ओर प्रकट किया जाएगा। इसलिए प्राप्ति एवं भुगतान खाता विभिन्न प्राप्तियों एवं भुगतानों चाहे वह चालू अवधि से संबंधित हों या धुर्व अवधि या आगामी अवधि से संबंधित पूँजीगत या आयगत प्रकृति के हों, को सारांश के रूप में प्रस्तुत करता है। यह सूचित किया जा सकता है कि यह खाता कोई गैर-मद, जैसे ह्रास की राशि को नहीं दर्शाता है। प्राप्ति एवं भुगतान खाते का प्रारंभिक शेष, हस्तस्थ रोकड़/बैंकस्थ रोकड़ को प्रदर्शित करता है, जो कि इसके प्राप्ति पक्ष की ओर दर्शाया गया है तथा अंतिम शेष, वर्ष के अंत में हस्तस्थ रोकड़ तथा बैंकस्थ रोकड़ के शेष को दर्शाता है जो कि प्राप्ति एवं भुगतान खाते के जमा पक्ष की ओर दर्शायी गई हैं। यद्यपि, यह अंत में बैंक अधिविकर्ष है तो इसे अंतिम मद के रूप में इसके नाम पक्ष की ओर दर्शाया जाएगा। अब हम उदाहरण में दी गई रोकड़ पुस्तक में देखते हैं कि किस प्रकार प्राप्ति एवं भुगतान खाते की प्रत्येक मद की कुल राशि को ज्ञात किया गया है।

दृष्टांत 1

रोकड़ पुस्तक

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भाग अ

विभिन्न प्राप्तियों का मदों के अनुसार समूहन

अभिदान (2014-2015)

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प्रवेश शुल्क

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आजीवन सदस्यता शुल्क

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भाग ब

विभिन्न भुगतानों का मदों के अनुसार समूहन

बीमा प्रीमियम

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छपाई एवं लेखन सामग्री

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दरें एवं कर

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मजदूरी एवं वेतन

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उपरोक्त आँकड़ों को खाताबही में क्रमशः उनके खातों के रूप में भी दर्शाया जा सकता है। प्राप्ति एवं भुगतानों के मदों की एक सूची का विवरण निम्न हैः

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वर्ष – की समाप्ति पर प्राप्ति एवं भुगतान खाता

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* यहाँ दो में से कोई एक राशि आएगी, प्रत्येक बैंक से अथवा बैंक अधिविकर्ष से, दोनों नहीं।

चित्र 1.1: प्राप्ति एवं भुगतान खाते का प्रारूप

यह सूचित है कि प्राप्ति एवं भुगतान खाते का प्राप्ति पक्ष, आयगत प्राप्तियों की (भूतकाल, चालू तथा भविष्य की अवधि के लिए) तथा साथ ही पूँजीगत प्राप्तियों की एक सूची देता है। इसी प्रकार, भुगतान पक्ष आयगत भुगतान तथा साथ ही पूँजीगत भुगतानों की सूची प्रस्तुत करता है।

1.3.1 विशिष्ट लक्षण

1. यह रोकड़ पुस्तक का सारांश है। इसका प्रारूप सामान्य रोकड़ पुस्तक (बट्टा और बैंक स्तंभ के बिना) नाम और जमा पक्ष सहित, के समान है। प्राप्तियाँ नाम पक्ष में दर्ज की जाती हैं, जबकि भुगतान जमा पक्ष में दर्ज होते हैं।

2. यह प्राप्तियों और भुगतानों, जिस अवधि से वह संबंधित हैं, कि कुल राशि को दर्शाता है। उदाहरण के लिए, 31 मार्च, 2015 को समाप्त होने वाले वर्ष के लिए हम 2014-2015 वर्ष के दौरान प्राप्त कुल चंदे की राशि जिसमें 2013-2014 तथा 2015-2016 के चंदे भी सम्मिलित हैं, को प्रलेखित करेंगे। इसी प्रकार वर्ष 2014-2015 के दौरान भुगतान किए गए कर यदि यह वर्ष 2013-2014 और 2015-2016 से संबंधित है तो भी इनका प्रलेखन 2014-2015 के खातों में किया जाएगा।

3. इसमें सभी प्राप्तियों एवं भुगतानों को सम्मिलित किया जाएगा चाहे वह आयगत प्रकृति के हों या फिर पूँजीगत प्रकृति के।

4. रोकड़ तथा बैंक से संबंधित प्राप्तियों/भुगतानों में कोई अंतर नहीं किया जाएगा। आरंभिक और अंतिम शेष को अपवाद माना जाएगा और कुल प्राप्तियों और भुगतान की कुल राशि को इस खाते में दर्शाया जाएगा।

5. किसी भी गैर रोकड़ मद जैसे ह्रास, बकाया व्यय तथा अर्जित आय इत्यादि को इस खाते में नहीं दर्शाया जाएगा।

6. इसका आरंभ, रोकड़ के आरंभिक शेष (हस्तस्थ) और बैंकस्थ (या बैंक अधिविकर्ष) से किया जाएगा और अंत वर्ष के अंत में रोकड़ शेष (हस्तस्थ) बैंकस्थ या बैंक अधिविकर्ष के साथ किया जाएगा। तथ्य यह है कि इस खाते का अंतिम शेष (प्राप्ति और भुगतान खाते के प्राप्ति और भुगतानों का अंतर) जो कि आमतौर पर नाम शेष होता है, रोकड़ हस्तस्थ और बैंकस्थ, यदि बैंक अधिविकर्ष न हो तो, को प्रकट करता है।

1.3.2 प्राप्ति एवं भुगतान खाता बनाने में निहित चरण

1. हस्तस्थ रोकड़ तथा बैंक का आरंभिक शेष लीजिए और इसे नाम पक्ष में प्रलेखित कीजिए। वर्ष के आरंभ में बैंक अधिविकर्ष की स्थिति होने पर, इसे इस खाते के जमा पक्ष में प्रलेखित करेंगे।

2. सभी प्राप्तियों की कुल राशि को नाम पक्ष में उनकी प्रकृति के अनुसार (चाहे पूँजीगत/आगम) और चाहे वह गत, चालू और आगामी अवधि से संबंधित हो, दर्शाया जाएगा।

3. सभी भुगतान की गई राशियों को जमा पक्ष में उनकी प्रकृति के अनुसार (चाहे पूँजीगत/आगम) और चाहे यह गत, चालू और आगामी अवधि से संबंधित हो, दर्शाया जाएगा।

4. अप्रर्याप्त आय और देय व्ययों को इस खाते में नहीं दर्शाया जाएगा, जैसे कि यह रोकड़ के अन्तर्गमन और बाह्यगमन से संबंधित नहीं हैं।

5. इस खाते के नाम पक्ष और जमा पक्ष के बीच अंतर ज्ञात करें और इसे जमा पक्ष में रोकड़/बैंक के अंतिम शेष के रूप में प्रलेखित करें। यद्यपि जमा पक्ष का योग, नाम पक्ष के योग से ज़्यादा है तो अंतर को बैंक अधिविकर्ष के रूप में नाम करेंगे और खाते को बंद करेंगे।

पृष्ठ संख्या 4 पर दिए गए दृष्टांत 1 में दी गई रोकड़ पुस्तक से लिए गए आँकड़ों की सूचनाओं के आधार पर 31 मार्च, 2015 को समाप्त होने वाले वर्ष के लिए गोल्डन क्रिकेट क्लब का प्राप्ति एवं भुगतान खाता इस प्रकार तैयार किया जाएगा।

रोकड़ पुस्तक का सारांश

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31 मार्च, 2015 वर्ष की समाप्ति पर प्राप्ति एवं भुगतान खाता

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उदाहरण 1

सिल्वर प्वाइंट से संबंधित दिए गए विवरणों से 31 मार्च, 2012 को समाप्त होने वाले वर्ष के लिए प्राप्ति एवं भुगतान खाता तैयार कीजिए।

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सिल्वर प्वाइंट की पस्तकें

प्राप्ति एवं भुगतान खाता
31 मार्च, 2012 वर्ष की समाप्ति पर
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1.4 आय और व्यय खाता

यह एक लेखा वर्ष के लिए आय और व्यय खाते का सारांश होता है। यह एक व्यापारिक संस्थान द्वारा उपार्जन आधार पर तैयार किए गए लाभ और हानि खाते की तरह ही होता है। इस खाते में केवल आयगत प्रकृति की मदों को शामिल किया जाता है तथा वर्ष के अंत में शेष आधिक्य तथा कमी को दर्शाता है। आय तथा व्यय खाते का उद्देश्य एक व्यापारिक संस्थान के लिए लाभ व हानि खाते की तरह ही होता है। चालू अवधि से संबंधित सभी आयगत मदें इस खाते में दर्शाई जाती हैं। सभी व्यय तथा हानियों को व्यय पक्ष में तथा सभी आय तथा लाभों को आय पक्ष में दर्शाया जाता है। यह निवल प्रचालन परिणाम, अधिशेष के रूप में (आय का व्यय पर आधिक्य) तथा छपाई (व्यय पर आय का आधिक्य) के रूप में दर्शाता है। जो कि तुलन पत्र में दर्शाये गए पूँजी निधि में हस्तांतरित किया जाता है।

आय और व्यय खाते को दिए गए प्राप्ति एवं भुगतान खाते तथा बकाया तथा अग्रिम से संबंधित अतिरिक्त सूचनाएँ, ह्रास इत्यादि की सहायता से उपार्जन क्षमता के आधार पर तैयार किया जाता है इसलिए अनेक मदें जो कि प्राप्ति एवं भुगतान खाते में दर्शायी जाती हैं, को समायोजित करने की आवश्यकता पड़ती है। उदाहरण के लिए : (पृ. सं. 11) के अनुसार वर्ष 2014-2015 के दौरान प्राप्ति एवं भुगतान खाते में प्राप्ति पक्ष की ओर दर्शायी गई 2,65,000 रु. की राशि में चालू अवधि के अलावा अन्य अवधि से संबंधित प्राप्तियाँ भी सम्मिलित हैं। लेकिन चालू वर्ष से संबंधित 2,25,000 रु. चन्दे की राशि को केवल वर्ष 2014-2015 से संबंधित आय और व्यय खाते के आय पक्ष में दर्शाया जाएगा।

1.4.1 आय और व्यय खाता बनाने में निहित चरण

दिए गए प्राप्ति एवं भुगतान खाते से आय और व्यय खाता बनाने में निम्न चरण सहायता प्रदान करेंगेः

1. प्राप्ति एवं भुगतान खाते को ध्यान से देखें।

2. आरंभिक तथा अंतिम शेष, रोकड़ तथा बैंकस्थ को अलग करें क्योंकि यह आय नहीं है।

3. पूँजीगत प्राप्तियों और पूँजीगत भुगतानों को अलग करें क्योंकि इन्हें तुलन पत्र में दर्शाया जाएगा।

4. आय और व्यय खाते के आय पक्ष में दर्शायी गई आगम प्राप्तियों की ओर ध्यान दें। इनमें से कुछ का समायोजन गतवर्ष और आगामी अवधि से संबंधित राशि को अलग करके तथा चालू वर्ष में अप्राप्य राशियों को सम्मिलित करके किया जाएगा।

5. आगम व्ययों को आय व्यय खाते के आय पक्ष में, अग्रिम प्राप्तियों से तथा अभी तक प्राप्त न हुई हो से संबंधित दी हुई सूचनाओं को समायोजित करके दर्शाएँ।

6. निम्न मदों पर ध्यान दें जो कि प्राप्ति एवं भुगतान खाते में नहीं दर्शायी गई हैं। जो कि आधिक्य एवं घाटा (चालू वर्ष का) निर्धारण करने में \ज़रूरी है।

(अ) स्थायी परिसंपत्तियों पर ह्रास

(ब) संदिग्ध ऋणों के लिए प्रावधान; यदि आवश्यक हो

(स) स्थायी परिसंपत्तियों की बिक्री से लाभ या हानि।

अब आप यह जान सकते हैं कि पृष्ठ संख्या 11 पर दिए गए विवरणों में किस प्रकार दिए गए प्राप्ति एवं भुगतान खाते से आय और व्यय खाता तैयार किया गया है।

31 मार्च, 2015 को समाप्त वर्ष के लिए आय और व्यय खाता

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टिप्पणीः

1. आरंभिक तथा अंतिम रोकड़/बैंक शेष अलग किया जाएगा।

2. सरकारी प्रतिभूतियों के क्रय पर भुगतान, पूँजीगत भुगतान होने के कारण अलग किया जाएगा।

3. वर्ष 2013-2014 तथा 2015-2016 में प्राप्त चंदे की राशि को अलग किया जाएगा।

4. आजीवन सदस्यता शुल्क एक पूँजीगत प्राप्ति की मद है। अतः इसे अलग किया जाएगा।

5. भवन के लिए दान एक विशिष्ट उद्देश्य हेतु प्राप्ति है। अतः इसे अलग किया जाएगा।

उदाहरण 2

31 मार्च, 2018 को समाप्त वर्ष के लिए, नीचे दिए गए क्लीन दिल्ली क्लब के प्राप्ति एवं भुगतान खाते से आय और व्यय खाता तैयार करेंः

31 मार्च, 2018 को समाप्त वर्ष के लिए प्राप्ति एवं भुगतान खाता

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हल

क्लीन दिल्ली क्लब की पुस्तकें 31 मार्च, 2018 को समाप्त वर्ष के लिए आय और व्यय खाता

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उदाहरण 3

31 मार्च, 2018 को समाप्त वर्ष के लिए नीचे दिए गए नेगी क्लब के प्राप्ति एवं भुगतान खाते से, समान अवधि के लिए आय और व्यय खाता तैयार करेंः

31 मार्च, 2018 को समाप्त वर्ष के लिए प्राप्ति एवं भुगतान खाता

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निम्न अतिरिक्त सूचनाएँ उपलब्ध हैंः

(i) बकाया वेतन 1,500 रु.;

(ii) बकाया मनोरंजन व्यय 500 रु.;

(iii) अप्राप्य बैंक ब्याज 150 रु.;

(iv) अर्जित चंदा 400 रु.;

(v) 50% प्रवेश शुल्क को पूँजीकृत करेंगे;

(vi) फ़र्नीचर पर 10% वार्षिक दर से ह्रास लगाएँ।

हल

नेगी क्लब की पुस्तकें 31 मार्च, 2018 को समाप्त वर्ष के लिए आय और व्यय खाता

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1.4.2 आय और व्यय खाता और प्राप्ति एवं भुगतान खाते के बीच अंतर

प्राप्ति एवं भुगतान खाते तथा आय और व्यय खाते के संबंध में चर्चा करने के पश्चात हम आय और व्यय खाता तथा प्राप्ति एवं भुगतान खाते के बीच तालिका के रूप में अंतर करेंगेः

अंतर का आधार आय और व्यय खाता प्राप्ति एवं भुगतान खाता
प्रकृति यह लाभ व हानि खाते के समान होता है यह रोकड़ पुस्तक का सारांश है
मदों की प्रकृति यह केवल आगम प्रकृति के आय और व्यय का अभिलेखन करता है। यह आगम और पूँजी की प्राप्तियों और भुगतानों का अभिलेखन करता है।
अवधि  केवल चालू अवधि से संबंधित आय और व्यय की मदें।  गत और आगामी अवधि से भी संबंधित प्राप्तियाँ एवं भुगतान।
नाम पक्ष इस खाते के नाम पक्ष में व्ययों और हानियों का अभिलेखन किया जाता है। इस खाते के नाम पक्ष में प्राप्तियों का अभिलेखन किया जाता है।
जमा पक्ष  इस खाते के जमा पक्ष में आय और अभिलाभों का अभिलेखन किया जाता है।  इस खाते के जमा पक्ष में भुगतानों का अभिलेखन किया जाता है।
ह्रास इसमें ह्रास सम्मिलित किया जाता है। इसमें ह्रास सम्मिलित नहीं किया जाता।
आरंभिक शेष इसका आरंभिक शेष नहीं होता। आरंभिक शेष हस्तस्थ रोकड़/बैंकस्थ रोकड़ या आरंभिक अधिविकर्ष को 
दर्शाता है।
अंतिम शेष अंतिम शेष आय का व्यय पर आधिक्य या इसके विपरित स्थिति को दर्शाता है अंतिम शेष अंत में हस्तस्थ रोकड़ तथा बैंक शेष (या बैंक अधिविकर्ष) को दर्शाता है।

1.5 तुलन पत्र

अलाभकारी संस्थाएँ भी अपनी वित्तीय स्थिति का निर्धारण करने के लिए तुलन पत्र तैयार करती है। उनका तुलन पत्र भी व्यापारिक फर्मों के समान तैयार किया जाता है। यह वर्ष के अंत में परिसंपत्तियों और दायित्वों को दर्शाता है। परिसंपत्तियों को दाएँ पक्ष में तथा दायित्वों को बाएँ पक्ष में दर्शाया जाता है। यद्यपि यहाँ पूँजी के स्थान पर सामान्य निधि/पूँजी निधि होंगे और आय और व्यय खाते में आधिक्य या घाटे को इन निधियों में जोड़ा या घटाया जाएगा। यह एक सामान्य प्रक्रिया है कि कुछ पूँजीगत मदों जैसे - वसीयत, प्रवेश शुल्क और आजीवन सदस्यता शुल्क को प्रत्यक्ष रूप से पूँजी खाते में जोड़ा जाएगा। साथ ही साथ पूँजी या सामान्य निधि, विशिष्ट उद्देश्य पूर्ति हेतु निधि और सहयोगकर्ता/ दानी जैसे कि भवन निधि, खेल निधि, इत्यादि की आवश्यकताओं को पूरा करने के लिए बनाए जाते हैं। इन निधिों को तुलन पत्र के दायित्व पक्ष में पृथक रूप से दर्शाया जाता है। कभी-कभी पूँजी/ सामान्य निधिों का आरंभिक शेष ज्ञात करने के लिए वर्ष के आरंभ में तुलन पत्र को बनाना आवश्यक हो जाता है।

1.5.1 तुलन पत्र को तैयार करना

तुलन पत्र को बनाने में निम्न प्रक्रिया को अपनाया जाएगाः

1. आरंभिक तुलन पत्र के अनुसार पूँजी/ सामान्य निधि को लीजिए और आय और व्यय खाते से प्राप्त आधिक्य को जोड़ें, इसके पश्चात प्रवेश शुल्क, वसीयत, आजीवन सदस्यता शुल्क इत्यादि जो कि वर्ष के दौरान प्राप्त हुई हैं, को जोड़िए।

2. सभी स्थायी परिसंपत्तियों (विक्रय नहीं/ समाप्त की गई/ विनाश हुई) को तथा वर्ष के दौरान खरीदी गई परिसंपत्तियों को जोड़ने (प्राप्ति एवं भुगतान खाते से प्राप्त हुई) के पश्चात ह्रास (आय और व्यय खाते के अनुसार) को घटाकर, उन्हें परिसंपत्ति पक्ष में दर्शाया जाएगा।

3. प्राप्ति एवं भुगतान खाते के प्राप्ति पक्ष की मदों की तुलना आय और व्यय खाते के आय पक्ष की मदों से कीजिए। यह राशि का निर्धारण करेगाः

(अ) प्राप्य चंदा किंतु प्राप्त नहीं।

(ब) अग्रिम प्राप्त आय।

(स) वर्ष के दौरान की गई स्थायी परिसंपत्तियों की बिक्री।

(द) पूँजीकृत की जाने वाली मदें (जैसा कि तुलन पत्र से प्रत्यक्ष रूप से ली गई) उदाहरण के लिए वसीयत, विशिष्ट निधियों के विनियोग पर ब्याज।

4. इसी प्रकार प्राप्ति एवं भुगतान खाते के भुगतान पक्ष के मदों की तुलना आय और व्यय खाते के व्यय पक्ष की मदों से करेंगे। यह राशि का निर्धारण करता है, यदिः

(अ) बकाया व्यय।

(ब) अग्रिम भुगतान व्यय।

(स) वर्ष के दौरान खरीदी गई स्थायी परिसंपत्तियाँ।

(द) स्थायी परिसंपत्तियों पर ह्रास।

(ह) उपभोग योग्य मदों जैसे कि हस्तस्थ लेखन सामग्री का स्टॉक

(फ) हस्तस्थ रोकड़ और बैंक में रोकड़ का अंतिम शेष।

तुलन पत्र बनाने की प्रक्रिया को पूर्ण रूप से जानने के लिए तुलन पत्र प्रारूप नीचे दिया गया है।

........... को तुलन पत्र

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चित्र 1.2 : तुलन पत्र का प्रारूप

उदाहरण 4

एक्सीलेंट क्रिकेट कल्ब के प्राप्ति एवं भुगतान खाते निम्न और अतिरिक्त सूचनाओं से 31 मार्च, 2018 को समाप्त वर्ष के लिए आय और व्यय खाता और इस तिथि का तुलन पत्र तैयार करेंः

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वर्ष के आरंभ में परिसंपत्तियाँ इस प्रकार हैंः

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टूर्नामेंट खाते में आधिक्य और दान को स्थायी पवेलियन के लिए संचय का निर्माण करेंगे। 31 मार्च, 2018 को अप्राप्त चंदा 42,000 रु. है। 50% खेल के सामान का और 30% छपाई और लेखन सामग्री को अपलिखित करें।

हल

एक्सीलेंट क्रिकेट क्लब की पुस्तकें 31 मार्च, 2018 को समाप्त वर्ष के लिए आय और व्यय खाता

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टिप्पणीः जब आरंभिक शेष नहीं दिया गया हो तो, उसका निर्धारण करने के लिए आरंभिक तुलन पत्र इस प्रकार तैयार करेंगेः

एक्सीलेंट क्रिकेट क्लब 31 मार्च, 2018 को तुलन पत्र

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31 मार्च, 2017 को तुलन पत्र

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स्वयं जाँचिए 1

कारण सहित बताइए कि निम्न कथन सत्य या असत्य हैः

(i) प्राप्ति और भुगतान खाता सभी पूँजीगत प्राप्तियों और भुगतानों का सारांश है।

(ii) यदि यहाँ खेल निधि दर्शाया गया है तो खेल गतिविधियों पर किए गए व्ययों को आय और व्यय खाते के नाम पक्ष में दर्शाया जाएगा।

(iii) आय और व्यय खाते का जमा शेष बतलाता है कि व्यय आय से अधिक है।

(iv) सरकार द्वारा उपलब्ध कराई गई निधि में से विद्यार्थियों को दी गई छात्रवृति को आय और व्यय खाते में नाम करेंगे।

(v) प्राप्ति और भुगतान खाता, केवल आगम प्रकृति की प्राप्तियों और भुगतानों का अभिलेखन करता है।

(vi) विशेष उद्देश्य के लिए दान का हमेशा पूँजीकरण करेंगे।

(vii) जब पूँजी निधि का आरंभिक शेष नहीं दिया होता तब आरंभिक तुलन पत्र तैयार किया जाता है।

(viii) आय और व्यय खाते के आधिक्य को पूँजी/ सामान्य निधि में से घटाया जाता है।

(ix) प्राप्ति और भुगतान खाता, लाभ और हानि खाते के समान है।

(x) प्राप्ति और भुगतान खाता, पूँजी और आगम प्राप्तियों के मध्य अंतर नहीं करता है।

1.6 कुछ विशिष्ट मदें

अलाभकारी संस्थाओं के अंतिम खाते, व्यापारिक संगठन के समान प्रणाली की तरह तैयार किए जाते हैं परंतु, इस प्रकार की संस्थाओं में आय और व्यय की कुछ मदों की प्रकृति में अंतर होता है और अंतिम खातों में व्यवहार पर विशेष ध्यान देने की आवश्यकता है। इन संस्थाओं में ये विशिष्ट हैं। कुछ साधारण विशिष्ट मदों को नीचे वर्णित किया गया हैः

चंदाः चंदा सदस्यता शुल्क है जिसका भुगतान सदस्य द्वारा वार्षिक आधार पर किया जाता है। यह इस प्रकार की संस्थाओं में आय का मुख्य स्रोत है। सदस्यों द्वारा भुगतान किया गया चंदा, प्राप्ति एवं भुगतान खाते में प्राप्ति के रूप में और आय और व्यय खाते में आय के रूप में दर्शाया जाता है। यह ध्यान रहे कि प्राप्ति और भुगतान खाता वर्ष के दौरान वास्तव में प्राप्त चंदे की कुल राशि को दर्शाता है जबकि आय और व्यय खातों में दर्शायी गई राशि केवल चालू अवधि से संबंधित राशि को सीमाबद्ध करती है चाहे यह प्राप्त हुई है या नहीं।

उदाहरण के लिए, एक क्लब ने वर्ष 2017-18 के दौरान 20,000 रु. चंदे के रूप में प्राप्त किए, इसमें से 3,000 रु. वर्ष 2016-17 से और 2,000 रु. 2018-19 से संबंधित है और वर्ष 2017-18 के 6,000 रु. अभी तक अप्राप्त हैं। इस स्थिति में प्राप्ति एवं भुगतान खाता चंदे से प्राप्त 20,000 रु. दर्शाएगा। लेकिन आय और व्यय खाता, वर्ष 2017-18 के लिए चंदे से प्राप्त आय के रूप में 21,000 रु. दर्शाएगा। इसकी गणना नीचे दी गई हैः

Img30 

आय के रूप में दर्शायी गई चंदे की उपर्युक्त राशि का निर्धारण चंदा खाता तैयार करके इस प्रकार किया जाएगाः

चंदा खाता

Img31

उदाहरण 5

31 मार्च, 2018 को समाप्त वर्ष के लिए, प्राप्ति भुगतान खाते के अनुसार प्राप्त चंदा 2,50,000 रु. है। अतिरिक्त सूचनाएँ इस प्रकार हैंः

1. 01 अप्रैल, 2017 को अप्राप्त चंदा            50,000 रु.

2. 31 मार्च, 2018 को अप्राप्त चंदा              35,000 रु.

3. 01 अप्रैल, 2017 को अग्रिम प्राप्त चंदा   25,000 रु.

4. 31 मार्च, 2018 को अग्रिम प्राप्त चंदा     30,000 रु.

वर्ष 2017-2018 के लिए चंदे से आय की राशि का निर्धारण करें और आरंभिक और अंतिम तुलन पत्र में चंदे से संबंधित मदों को किस प्रकार दर्शाया जाएगा, दिखाइए।

हल

Img32

विकल्प के रूप में, चंदे से प्राप्त आय की गणना चंदा खाता तैयार करके निम्न होगीः

चंदा खाता

Img33

चंदे से संबंधित मदों को आरंभिक और अंतिम तुलन पत्र में निम्न प्रकार दर्शाएँगेः

31 मार्च, 2017 को तुलन पत्र (संबंधित मदें)

Img34

मार्च 31, 2018 को तुलन पत्र (संबंधित आँकड़े)

Img35

उदाहरण 6

31 मार्च, 2016 को समाप्त वर्ष के लिए प्राप्ति एवं भुगतान खाते से ली गई सूचनाएँ नीचे दी गई हैंः

A

आय, अग्रिम, अप्राप्त चंदे से संबंधित मदों को दर्शाते हुए विवरण तैयार करें।

हल

वर्ष 2015-16 में प्राप्त होने वाले चंदे की राशि रोकड़ से संबंधित 28,750 रु. (अर्थात 125×230 रु.)

B

टिप्पणीः 01 अप्रैल, 2017 को अप्राप्त चंदे की राशि का निर्धारण इस प्रकार किया जाएगाः

C

उदाहरण 7

प्राप्ति एवं भुगतान खाते के लिए दिए गए अंशों से, और नीचे दी गई अतिरिक्त सूचनाओं द्वारा, चंदे से आय की राशि की गणना करें तथा यह दर्शायें की 31 मार्च, 2015 को समाप्त वर्ष के लिए आय और व्यय खाते में किस प्रकार दर्शाया जाएगा और इस तिथि का तुलन पत्र बनाइए।

31 मार्च, 2015 को समाप्त वर्ष के लिए प्राप्ति एवं भुगतान खाता

D

हल

31 मार्च, 2015 को समाप्त वर्ष के लिए आय और व्यय खाता

E

टिप्पणीः 31 मार्च 2015 को कुल अप्राप्त चंदे की राशि 18,500 रु. है, इसमें 2013-14 के लिए अप्राप्त चंदे की राशि 1,500 रु. (8,500 रु. - 7,000 रु.) सम्मिलित है। इसलिए 2014-15 के लिए अप्राप्त चंदे की राशि 17,000 रु. (18,500 रु. - 1,500 रु.) होगी।

31 मार्च, 2015 को तुलन पत्र (संबंधित आँकड़े)

F

स्वयं करें 

1. हेल्थ क्लब को वर्ष 2015-16 के दौरान प्राप्त चंदा नीचे दिया गया हैः

G

आय और व्यय खाते के आय पक्ष में दर्शायी जाने वाली चंदे की राशि की गणना करें।

2. वर्ष 2018 के दौरान एक स्पोर्टस क्लब द्वारा 80,000 रु. चंदा प्राप्त किया गया। इसमें 3,000 रु. वर्ष 2017 के लिए और 6,000 रु. 2019 वर्ष के सम्मिलित है। 31 मार्च, 2019 को चंदे की राशि, किंतु प्राप्त नहीं हुई, 12,000 रु. है। आय और व्यय खाते में दर्शाए जाने वाले चंदे से आय की राशि की गणना करें।

3. रायल क्लब द्वारा 31 मार्च, 2017 को समाप्त वर्ष के दौरान प्राप्त चंदा निम्न हैः

H

क्लब में 500 सदस्य हैं, प्रत्येक 200 रु. की दर से वार्षिक चंदे का भुगतान करता है। 31 मार्च, 2017 को अप्राप्त चंदा 6,000 रु. हैं। 31 मार्च, 2017 को समाप्त वर्ष के आय और व्यय खाते में दर्शाए जाने वाले चंदे से आय की गणना करें और इस तिथि को तुलन पत्र में संबंधित आँकड़ों को दर्शाए।

दानः इनको प्राप्ति एवं भुगतान खाते के प्राप्ति पक्ष में दर्शाया जाता है। दान किसी विशेष उद्देश्य या सामान्य उद्देश्य के लिए हो सकता हैः

(i) विशेष दानः यदि दान किसी विशेष उद्देश्य को प्राप्त करने के लिए किया जाता है, यह विशेष दान कहलाता है, यह विशेष उद्देश्य वतर्मान भवन में विस्तार, नई कंप्यूटर प्रयोगशाला का निर्माण, पुस्तक बैंक का निर्माण आदि हो सकता है। इस प्रकार के दान को पूँजीकरण करेंगे और तुलन पत्र के दायित्व पक्ष में दर्शाएँगे। यह बिना अपेक्षाएँ कि यह राशि छोटी या बड़ी है। इसका उद्देश्य यह है कि इस राशि का उपयोग केवल विशेष उद्देश्य के लिए हो।

(ii) सामान्य दानः इस प्रकार के दान का उपयोग संस्था के सामान्य उद्देश्यों को प्राप्त करने के लिए किया जाता है। इनका व्यवहार आगम प्राप्तियों के समान किया जाता है क्योंकि यह आय का निरंतर स्रोत है। इसलिए यह चालू वर्ष के आय एवं व्यय खातों में आय पक्ष में ली जाती है।

वसीयतः यह राशि मृत व्यक्ति की वसीयत के रूप में प्राप्त होती हैं, जिसके उपयोग का उद्देश्य स्पष्ट हो सकता है अथवा अस्पष्ट भी हो सकता है। यदि उद्देश्य स्पष्ट रूप सेे बताया गया है तो इसे राशि दायित्व मानते हुए तुलन-पत्र में दिखाया जाएगा। अन्यथा आगम प्रकृति मानते हुए आय और व्यय खाते में लिखा जाएगा।

आजीवन सदस्यता शुल्कः कुछ सदस्य सामयिक चंदे के भुगतान के स्थान पर एकमुश्त राशि को आजीवन सदस्यता शुल्क के रूप में भुगतान को चुनते हैं। इस राशि को पूँजी प्राप्ति माना जाता है और प्रत्यक्ष तौर पर पूँजी/सामान्य निधि में जमा किया जाएगा।

प्रवेश शुल्कः प्रवेश शुल्क सदस्य द्वारा सदस्य बनते समय केवल एक बार दिया जाता है। धर्मार्थ और क्लब जैसे संगठनों की सदस्यता संगठित होती है और इनमें प्रवेश शुल्क भी अधिक होता है। इसलिए इनको अनावृत्ति मानकर सीधे पूँजी/सामान्य निधि में जमा किया जाता है।

पुरानी परिसंपत्तियों का विक्रयः पुरानी परिसंपत्तियों के विक्रय से प्राप्तियों को उस वर्ष के प्राप्ति और भुगतान खाते में दर्शाया जाएगा जिसमें यह बेची गयी है परंतु परिसंपत्तियों के विक्रय से अधिलाभ या हानि के वर्ष के आय और व्यय खाते में ले जाया जाएगा। उदाहरण के लिए, एवं यदि फ़र्नीचर जिसका पुस्तक मूल्य 800 रु. है को 700 रु. में बेचा गया। यह 700 रु. की राशि को प्राप्ति एवं भुगतान खाते में दर्शाया जाएगा और आय और व्यय खाते के व्यय पक्ष में 100 रु. पुरानी परिसंपत्तियों के विक्रय से हानि के रूप में ले जाएँगे। जबकि तुलन पत्र में फ़र्नीचर के पुस्तक मूल्य में से 800 रु. को घटा कर दर्शाया जाएगा।

पाक्षिकों का विक्रयः यह आवृति प्रकृति की मद है और आय और व्यय खाते के आय पक्ष में दर्शायी जाएगी। खेल के सामान का विक्रयः खेल के सामान की बिक्री (प्रयोग किया गया सामान जैसे पुरानी बाल, बल्ला, जाल, आदि) किसी खेल क्लब का नियमित लक्षण है। सामान्यतः इसको आय और व्यय खाते में आय के रूप में दर्शाया जाता है।

सम्मानार्थ पारिश्रमिक का भुगतानः यह वह राशि है जिसका भुगतान उस व्यक्ति को किया जाता है जो कि संस्था का पक्का कर्मचारी नहीं है। कलाकार को क्लब में कार्य के लिए भुगतान को आय और व्यय खाते के व्यय पक्ष में दर्शाया जाएगा।

वृतिक निधिः यह निधि वसीयत या उपहार से उत्पन्न होते हैं। यह आय विशेष उद्देश्य के लिए प्रयोग की जाती है इसलिए यह पूँजी प्राप्ति है और यह तुलन पत्र के दायित्व पक्ष में विशिष्ट उद्देश्य के निधि के रूप में दर्शायी जाएगी।

सरकारी अनुदानः विद्यालय, विश्वविद्यालय, जनता अस्पताल आदि की गतिविधियाँ, सरकारी अनुदान पर आधारित होती हैं। आवृति अनुदान जो कि निर्वाह अनुदान के रूप में है आगम प्राप्ति माना जाता है (जैसे की चालू वर्ष की आय) तथा आय और व्यय खाते में जमा किया जाता है। परंतु अनुदान जैसे कि भवन के लिए अनुदान को पूँजी प्राप्ति माना जाएगा और भवन निधि खाते में हस्तांतरित किया जाएगा। यह ध्यान रहे कि कुछ अलाभकारी संस्थाएँ सरकार या सरकारी एजेंसी से रोकड़ अनुदान प्राप्त करती है। यह अनुदान भी उस वर्ष के लिए आगम आय होगी जिस वर्ष में यह प्राप्त की जाएगी।

विशेष निधिः अलाभकारी संस्थाएँ विशिष्ट उद्देश्यों/ गतिविधियों जैसे कि पुरस्कार निधि, मैच निधि और खेल निधि आदि के लिए विशेष निधि का निर्माण करती है। इन निधि का प्रतिभूतियों में विनियोग किया जाता है और एेसे विनियोगों पर अर्जित आय को संबंधित निधि में जमा कर दिया जाता है न कि आय और व्यय खाते के जमा में। इसी प्रकार विशिष्ट उद्देश्य के लिए किए गए व्यय को विशिष्ट निधि में से घटाया जाता है। उदाहरण के लिए एक क्लब खेल गतिविधियों के लिए विशेष निधि बनाता है। इस स्थिति में खेल निधि के विनियोग से ब्याज की आय को खेल निधि में जोड़ा जाएगा और खेल पर सभी व्ययों को घटाया जाएगा। विशेष निधिों का तुलन पत्र में दर्शाया जाएगा। परंतु यदि आय और व्ययों का समायोजन करने के पश्चात विशिष्ट/ विशेष का शेष ऋणात्मक है तो यह आय और व्यय खाते के नाम पक्ष में हस्तांतरित किया जाएगा या दिए गए निर्देशों के अनुसार समायोजित किया जाएगा। (देखे उदाहरण 9)

उदाहरण 8

दर्शाएँ कि आप एक क्लब के अंतिम खाते में निम्न मदों का व्यवहार किस प्रकार करेंगेः

I

हल

........ को तुलन पत्र

J

उदाहरण 9

(अ) निम्न सूचनाओं को अलाभकारी संस्थाओं के वित्तीय विवरण में दर्शाएँः

K

(ब) यदि अन्य व्यय समान रहे और मैच व्यय 6,000 रु. से बढ़ जाए तब क्या प्रभाव होगा।

हल

............... को तुलन पत्र (केवल संबंधित मदें)

L

(क) यदि मैच व्यय 6,000 रु. से बढ़ जाता है तो मैच निधि का निवल शेष घटा हुआ होगा जैसे कि नाम, जमा से अधिक है और इसके परिणामस्वरूप 2,000 रु. का नाम शेष इस वर्ष के आय और व्यय खाते से प्रभावित किया जाएगा।

स्वयं जाँचिए 2

एक अलाभकारी संस्थान के लिए आप दी गई मदों की स्थिति में किस प्रकार व्यवहार करेंगे?

1. प्रतियोगिता निधि 40,000 रु., प्रतियोगिता व्यय 14,000 रु., प्रतियोगिता से प्राप्तियाँ 16,000 रु.।

2. टेबल टेनिस खेल पर व्यय 4,000 रु.।

3. उपहार निधि 22,000 रु., उपहार निधि विनियोग पर ब्याज 3,000 रु., उपहार दिए 5,000 रु., उपहार निधि विनियोग 18,000 रु.।

4. धर्मार्थ प्रदर्शन से प्राप्तियाँ 7,000 रु.। धर्मार्थ प्रदर्शन पर व्यय 3,000 रु.।

उदाहरण 10

31 मार्च, 2013 को समाप्त वर्ष के लिए प्राप्ति एवं भुगतान खाते से निकाला गयाः

भुगतानः

लेखन सामग्री 23,000 रु.

अतिरिक्त सूचनाएँः

M

हल

N

लेखन सामग्रीः सामान्यतः लेखन सामग्री पर किए गए व्यय, एक उपभोग्य मद के रूप में आय और व्यय खाते से प्रभार की जाएगी। परंतु लेखन सामग्री के स्टॉक की दी गई स्थिति (आरंभिक या अंतिम) में लेखन सामग्री के क्रम में आवश्यक समायोजन और उपभोग्य छपाई सामग्री की लागत को निकालने के पश्चात इस राशि को आय और व्यय खाते में और इसके स्टॉक को तुलन पत्र में दर्शाएँगे। उदाहरण के लिए, प्राप्ति और भुगतान खाता 40,000 रु. छपाई की सामग्री के भुगतान को दर्शाता है और छपाई सामग्री की आंरभिक और अंतिम राशि 12,000 रु. और 15,000 रु. है। छपाई सामग्री के व्यय की राशि की गणना इस प्रकार की जाएगीः

2

स्वयं करें

1. निम्न सूचनाओं से 2017-18 के दौरान उपभोग दवाई की लागत को निकालें।

O


2. 31 मार्च, 2018 समाप्त वर्ष के आय और व्यय खाते में खेल सामग्री की किस राशि को दर्शाया जाएगा।

P

उदाहरण 11

एक मनोरंजक क्लब का 01 अप्रैल, 2016 से 31 मार्च, 2017 तक की अवधि का प्राप्ति एवं भुगतान खाता इस प्रकार हैः

Q

 अतिरिक्त सूचनाएँ

1. क्लब में 225 सदस्य हैं तथा प्रत्येक सदस्य 5606 रु. वार्षिक चंदे का भुगतान करता है। मार्च 31, 2016 को बकाया चंदे की राशि 15,000 रु. है।

2. वर्ष 2016-17 के लिए बकाया दूरभाष बिल राशि 2000 रु. है।

3. लॉकर का बकाया किराया वर्ष 2015-16 के लिए 3050 रु. और 2016-17 के लिए 1500 रु. है।

4. वर्ष 2016-17 के लिए बकाया वेतन 4000 रु. है।

5. प्रिंटिग व स्टेश्नरी का प्रारंभिक स्टॉक 2000 रु. और अंतिम स्टॉक 3000 रु. है।

6. 1 अप्रैल, 2016 को अन्य शेष इस प्रकार हैंः फर्नीचर 1,00,000 रु., भवन 6,50,000 रु. एवं खेल फंड 1500 रु.।

7. फर्नीचर और भवन पर ह्रास क्रमशः 12.5% और 5% है।

31 मार्च 2017 के लिए आय एवं व्यय खाता और तुलन पत्र तैयार करें।

हल

मनोरंजन क्लब की पुस्तकें आय और व्यय खाता वर्ष 31 मार्च, 2017 की समाप्ति पर

R

वर्ष 31 मार्च, 2016 को मनोरंजन क्लब का तुलन-पत्र

S

वर्ष 31 मार्च, 2017 को मनोरंजन क्लब का तुलन-पत्र

T

उदाहरण 12

दिए गए प्राप्ति एवं भुगतान खाते की सहायता से, आय और व्यय खाता और तुलन पत्र तैयार करें।

31 मार्च, 2018 की समाप्ति पर प्राप्ति एवं भुगतान खाता

U

अतिरिक्त सूचनाएँः

1. संस्था में कुल सदस्य 1,800 हैं तथा प्रत्येक द्वारा वार्षिक चंदा भुगतान 200 (रु.) 01 अप्रैल 2017 को वर्ष 2017-18 के लिए बकाया 8,000 रु.

2. 31 मार्च, 2018 को जून 2018 तक दर का अग्रिम भुगतान था प्रत्येक वर्ष भुगतान प्रभार 24,000 रु. है

3. 31 मार्च, 2018 को बकाया दूरभाष बिल 1,400 रु. था।

4. 31 मार्च, 2017 को बकाया विभिन्न व्यय 2,800 रु. थे।

5. 31 मार्च, 2017 को लेखन सामग्री का स्टॉक 2,000 रु. था 31 मार्च, 2018 को यह 3,600 रु. था।

6. 31 मार्च, 2017 को भवन का मूल्य 4,00,000 रु. था और इस पर 2.5% प्रतिवर्ष की दर से घिसावट (ह्नास) लगाया गया।

7. 31 मार्च, 2017 को विनिवेश 8,00,000 रु. था।

8. 31 मार्च, 2018 को वर्ष के दौरान खरीदे गए निवेश पर उत्पन्न आय की राशि 1,500 रु. थी। 31 मार्च, 2018 को समाप्त होने वाले वर्ष के लिए आय और व्यय तथा इस तिथि का तुलन पत्र तैयार कीजिए। चंदा खाता भी तैयार कीजिए ।

हल

31 मार्च, 2018 को समाप्त वर्ष के लिए आय और व्यय खाता

V

W

31 मार्च, 2018 को तुलन पत्र

X

31 मार्च, 2017 को तुलन पत्र

Y

चंदा खाता

Z

उदाहरण 13

31 मार्च, 2017 वर्ष से संबंधित फ्रेंडस क्लब का प्राप्ति एवं भुगतान खाता निम्न हैः

31 मार्च, 2017 को समाप्त वर्ष के लिए प्राप्ति एवं भुगतान खाता

3

अतिरिक्त सूचनाएँः

1. क्लब में 500 सदस्य हैं। प्रत्येक सदस्य वार्षिक चंदा 50 रु. का भुगतान करता है। वर्ष 2016-17 के आरंभ में 2015-16 के चंदे के 17,500 रु. बकाया हैं, 40 सदस्यों ने 2015-16 के लिए चंदे का अग्रिम भुगतान किया था।

2. लेखन सामग्री का स्टॉक 31 मार्च, 2017 को 1,500 रु. तथा 31 मार्च, 2016 को 2,000 रु. का था।

3. 31 मार्च, 2017 की दरें एवं कर का अग्रिम भुगतान आने वाली 31 जनवरी तक किया गया। वार्षिक प्रभार 1,500 रु. है।

4. मार्च 31, 2015 और 2016 की बकाया दूरभाष प्रभार क्रमशः 3,000 रु. और 1,500 रु. है।

5. 31 मार्च, 2017 को उत्पन्न विविध व्यय 250 रु. और 31-03-2016 को 300 रु.।

6. 31 मार्च, 2017 को पुस्तकों में भवन का मूल्य 20,000 रु. है तथा इस पर 10% वार्षिक की दर से ह्रास लगाया जाएगा।

7. 31 मार्च, 2017 को 8% सरकारी प्रतिभूतियों का मूल्य 75,000 रु. है जो कि सममूल्य पर खरीदी गई थीं। 31 मार्च, 2016 को 25,000 रु. मूल्य की सरकारी प्रतिभूतियों का क्रय किया गया।

आप तैयार करें-

(अ) 31 मार्च, 2017 को समाप्त वर्ष के लिए आय एवं व्यय खाता

(ब) इस तिथि को तुलन-पत्र

हल

फ्रेंडस क्लब की पुस्तकें

31 मार्च, 2016 को तुलन पत्र

4

31 मार्च, 2017 को समाप्त वर्ष के लिए आय और व्यय खाता

56

31 मार्च, 2017 को फ्रेंडस क्लब का तुलन पत्र

7


1.7 तलपट पर आधारित आय और व्यय खाता

सामान्यतः अलाभकारी संस्थाओं की स्थिति में, आय और व्यय और तुलन पत्र प्राप्ति एवं भुगतान खाते में दी गई अतिरिक्त सूचनाओं के आधार पर तैयार किए जाते हैं। परंतु कभी खाता तथा कभी इस उद्देश्य के लिए तलपट के साथ कुछ अतिरिक्त सूचनाएँ दी होती हैं।

उदाहरण 14

नीचे एक स्कूल का तलपट और अन्य सूचनाएँ दी गईं हैं। 31 मार्च, 2018 को समाप्त वर्ष के लिए आय और व्यय खाता तथा तुलन पत्र तैयार करेंः

8

अन्य सूचनाएँः

(i) इस वर्ष के लिए अप्राप्त ट्यूशन फीस 25,000 रु.।

(ii) बकाया वेतन की राशि 30,000 रु.।

(iii) 01 अक्तूबर, 2016 को 40,000 रु. की लागत का क्रय किया गया फ़र्नीचर 20,000 रु. का बेचा गया।

(iv) 01 अप्रैल, 2017 को 50,000 रु. पुस्तक मूल्य के फ़र्नीचर का विक्रय किया।

(v) फ़र्नीचर पर 10% प्रति वर्ष, पुस्तकालय पुस्तकों पर 15% प्रति वर्ष और भवन पर 5% प्रति वर्ष से ह्रास लगाएँ।

हल

31 मार्च, 2018 को समाप्त वर्ष के लिए आय और व्यय खाता

9

कार्यकारी टिप्पणीः

1. प्रवेश शुल्क से स्कूल को नियमित आय है तथा इसे स्कूल की आगम आय के रूप में लेंगे।

2. फ़र्नीचर पर ह्रास की गणना निम्न प्रकार से यह मान कर की जाएगी कि 01 अप्रैल, 2017 को फ़र्नीचर का विक्रय किया गया।

10

31 मार्च, 2018 को तुलन पत्र

11

उदाहरण 15

31 मार्च, 2018 को समाप्त वर्ष के लिए मनोरंजन क्लब का आय और व्यय खाता तैयार करें और इस तिथि का निम्न सूचनाओं द्वारा तुलन पत्र तैयार करें।

31 मार्च, 2018 समाप्त वर्ष के लिए प्राप्ति एवं भुगतान खाता 

12

अतिरिक्त सूचनाए:

13

हल

मनोरंजन क्लब की पुस्तकें 31 मार्च, 2018 को समाप्त वर्ष के लिए आय और व्यय खाता

14

31 मार्च, 2017 को तुलन पत्र

15

31 मार्च, 2018 को मनोरंजन क्लब का तुलन पत्र

16

टिप्पणीः * 5% की दर से पुरस्कार निधि विनियोग पर ब्याज की राशि 3,000 रु. है जबकि केवल 1,500 रु. प्राप्त हुए हैं, इसलिए शेष को अप्राप्त ब्याज के रूप में मानेंगे।

विभिन्न मदें जिनमें अनेक व्यवहार सम्मिलित हैं को पृथक रूप से खाता तैयार करने के लिए प्राथमिकता दी जाएगी। इस स्थिति में चंदे के लिए खाता, विविध व्यय और खेलकूद सामग्री को कक्षा की गतिविधियों में बनाया जाएगा।

उदाहरण 16

शिव-इ-नारायण एजूकेशन ट्रस्ट 31 मार्च, 2018 को समाप्त वर्ष के लिए प्राप्ति एवं भुगतान खाता तथा आय और व्यय खाते के संबंध में निम्न सूचनाएँ उपलब्ध कराती हैं।

31 मार्च, 2018 को समाप्त वर्ष के लिए प्राप्ति एवं भुगतान खाता

17

31 मार्च, 2018 को समाप्त वर्ष के लिए आय और व्यय खाता

18

हल

शिव-ए-नारायण एजूकेशन ट्रस्ट की पुस्तकें 31 मार्च, 2017 को तुलन पत्र

19

शिव-ए-नारायण एजूकेशन ट्रस्ट का 31 मार्च, 2018 को तुलन पत्र

20

टिप्पणीः

1. चालू वर्ष में आय और व्यय खाता विनियोग पर ब्याज से 6,800 रु. आय को दर्शाता है जबकि प्राप्ति एवं भुगतान खाता 6,000 रु. दर्शाता है, 800 रु. अंतर का अर्थ यह है कि विनियोग पर ब्याज प्राप्त है परंतु वर्ष के दौरान प्राप्त नहीं हुए हैं।

2. आय और व्यय खाता 90,000 रु. को ट्यूशन फ़ीस से आय को दर्शाता है हालाँकि प्राप्ति एवं भुगतान खाता वर्ष 2018-19 के लिए 10,000 रु. और 2017-18 के लिए 8,00,000 रु. को ट्यूशन फ़ीस से प्राप्तियों को दर्शाता है। यह व्यक्त है कि 2017-18 वर्ष के लिए टयूशन फीस के 10,000 रु. अभी तक अप्राप्त हैं (ट्यूशन फ़ीस बकाया है)

3. प्राप्ति एवं भुगतान खाता, स्टॉफ़ के वेतन के लिए 85,000 रु. का एक भुगतान दर्शाता है, लेकिन आय और व्यय खाता, स्टॉ\फ़ और वेतन के लिए 84,000 रु. का व्यय दर्शाता है। इससे आश्य है कि 1,000 रु. का आधिक्य जो कि प्राप्ति एवं भुगतान खाते द्वारा दर्शाया गया है या तो गत वर्ष से संबंधित है और या फिर आगामी वर्ष से। यहाँ स्टॉफ वेतन जो कि 100 रु. के गत वर्ष 2018-19 के अंत में बकाया होने का कोई प्रमाण नहीं हैं इसलिए 1,000 रु. का भुगतान स्टॉफ़ को वेतन के लिए अग्रिम वेतन माना जाएगा।

इस अध्याय में प्रयुक्त शब्द

1. अलाभकारी संस्थाएँ

2. प्राप्ति एवं भुगतान खाता

3. आय और व्यय खाता

4. प्रवेश शुल्क

5. आजीवन सदस्यता शुल्क

6. विशेष प्राप्तियाँ

7. चंदा

8. दान

सारांश

1. लाभ अर्जित करने वाली संस्थाएँ और अलाभकारी संस्थाओं में अंतरः लाभ अर्जित करने वाली संस्थाओं में अपने नियोक्त को वित्तीय लाभ प्रदान करने के लिए उत्पादन व्यापार, बैंकिंग तथा बीमा इत्यादि गतिविधियाँ सम्मिलित हैं। अलाभकारी संस्थाओं का अस्तित्व इसके सदस्यों या समाज को सेवाएँ प्रदान करने के लिए होता है।

2. अलाभकारी संस्थाओं के लिए पृथक लेखांकन व्यवहार की आवश्यकताः जैसे कि अलाभकारी संस्थाओं का प्राथमिक उद्देश्य सेवा भावना होता है। इनके प्रबंधकों द्वारा लिए गए निर्णय और लाभ अर्जित करने वाले प्रतिष्ठानों में लिए गए निर्णय में अंतर होता है। अंतर की प्रकृति यह दर्शाती है कि वित्तीय सूचनाएँ जिन पर यह आधारित हैं, सूचनाओं और प्रदर्शन में अंतर अवश्य होगा।

3. अलाभकारी संस्थानों द्वारा तैयार सैद्धांतिक वित्तीय विवरणों की प्रकृति की व्याख्याः अलाभकारी संस्थाएँ जिनके खाते द्विअंकन बहीखाता प्रणाली पर आधारित होते हैं। अपनी आवश्यकताओं की पूर्ति के सामान्यतः तीन सैद्धांतिक विवरण तैयार करते हैं। इनमें प्राप्ति एवं भुगतान खाता, आय और व्यय खाता तथा तुलन पत्र सम्मिलित हैं। प्राप्ति एवं भुगतान खाता रोकड़ बही का सारांश प्रासंगिक शीर्ष के अंतर्गत दिखाया जाता है जो कि सभी रोकड़ प्राप्तियों एवं भुगतानों का अभिलेखन, पूँजी और आगम मदों और चालू वर्ष से संबंधित मदों और वह जो गत वर्ष और आगामी वर्ष से संबंधित है, में अंतर किए बिना करता है।

आय और व्यय खाता एक आय विवरण है, जो कि आगम आयों का आगम व्ययों पर आधिक्य और इसके विपरीत एक विशेष लेखांकन वर्ष के लिए संस्थानों के सभी क्रियाकलापों के परिणामस्वरूप निर्धारण करने के लिए तैयार किया जाता है। यद्यपि इसे लाभ अर्जित करने वाले प्रतिष्ठानों के व्यापार एवं लाभ एवं हानि खाते के स्थानापन्न माना जाता है लेकिन इन दोनों विवरणों की अवधारणा में कुछ अंतर हैं। लेखांकन वर्ष के अंत में इस तिथि पर वित्तीय स्थिति को ज्ञात करने के लिए तुलन पत्र को तैयार किया जाता है। इसमें सम्मिलित है, पूँजी निधि और संचित निधि, विशिष्ट उद्देश्य निधि और बाएँ पक्ष या दायित्व पक्ष में चालू दायित्व और दाएँ पक्ष या परिसंपत्ति पक्ष में स्थायी परिसंपत्तियाँ और चालू परिसंपत्तियाँ।

4. प्राप्ति एवं भुगतान खाता तथा आय और व्यय खाते में अंतरः प्राप्ति एवं भुगतान खाता तथा आय और व्यय खाते में अनेक अंतर पाए जाते हैं जो कि उनकी प्रकृति तथा दोनों विवरणों का प्रमाण होते हैं। जबकि पहले में दोनों पूँजी और आगम प्राप्ति एवं भुगतान जो कि किसी भी लेखा अवधि से संबंधित हों तथा बाद वाले में केवल आगम मदें जो कि चालू लेखा वर्ष से संबंधित होते हैं, को प्रलेखित किया जाता है। बाद वाले में गैर-रोकड़ मदें जैसे स्थायी परिसंपत्तियों पर ह्रास और बकाया आय और व्यय दर्शाए जाएँगे लेकिन पहले वाले में इनको शामिल नहीं किया जाएगा। प्राप्ति एवं भुगतान खाता एक आरंभिक शेष रखता है जबकि आय और व्यय खाता यह नहीं रखता। पहले वाले खाते का अंतिम शेष, अंतिम तिथि पर रोकड़ और बैंक शेष दर्शाता है जबकि बाद वाले खाते संस्थान की गतिविधियों से आधिक्य या घाटा को प्रदर्शित करते हैं।

5. प्राप्ति एवं भुगतान खाते से आय और व्यय खाता बनानाः इसके लिए जरूरी पाँच चरण हैंः (i) आगम प्राप्तियों का नाम पक्ष में समायोजन जिसमें सम्मिलित है, उपर्जित आय और चालू वर्ष से संबंधित पहले प्राप्त आय और बकाया या अग्रिम प्राप्त राशि को अलग करेंगे। (ii) आगम भुगतानों को जमा पक्ष में समायोजन। (iii) गैर-रोकड़ व्ययों और हानियों को पहचानना तथा उन्हें आय और व्यय खाते के नाम पक्ष में दर्शाना। (iv) आय और व्यय खाते के नाम/जमा पक्ष में व्यापारिक सामाजिक गतिविधियों से होने वाले लाभ या हानि को दर्शाना और गणना करना। (v) आय और व्यय खाते के अंतिम शेष का निर्धारण आधिक्य या घाटे के रूप में करना।


अभ्यास के लिए प्रश्न

लघु उत्तरीय प्रश्न

1. अलाभकारी संस्थाओं का आशय स्पष्ट कीजिए।

2. प्राप्ति एवं भुगतान खाते का अर्थ स्पष्ट कीजिए।

3. आय और व्यय खाते का अर्थ स्पष्ट कीजिए।

4. प्राप्ति और भुगतान खाते के उद्देश्य क्या हैं?

5. प्राप्ति और भुगतान खाते से आय और व्यय खाता बनाने के लिए कौन-कौन से चरण हैं?

6. चंदा क्या है? इसकी गणना किस प्रकार की जाती है?

7. पूँजी निधि क्या है? इसकी गणना किस प्रकार की जाती है?

निबंधात्मक प्रश्न

1. कथन स्पष्ट कीजिएः ‘‘प्राप्ति एवं भुगतान खाता, रोकड़ बही का सारांश है’’।

2. अलाभकारी संस्थाओं को आय और व्यय खाता, व्यापारिक प्रतिष्ठानों के लाभ-हानि खाते के समान होता है। कथन की विवेचना कीजिए।

3. प्राप्ति एवं भुगतान खाता तथा आय और व्यय खाते में अंतर स्पष्ट कीजिए।

4. आय और व्यय खाता तथा प्राप्ति एवं भुगतान खाते के आधारभूत उद्देश्यों को स्पष्ट कीजिए।

5. अलाभकारी संस्थाओं के द्वारा निम्न मदों के लिए किए जाने वाले व्यवहार को दर्शाएंः

(i) वार्षिक चंदा

(ii) विशिष्ट दान

(iii) स्थायी परिसंपत्तियों का विक्रय

(iv) पुराने साप्ताहिकों/पाक्षिकों का विक्रय

(v) खेलकूद के सामान का विक्रय

(vi) आजीवन सदस्यता शुल्क

6. आय और व्यय खाते में उन मदों का व्यवहार दर्शाइए जब उनके लिए एक विशिष्ट निधि हो।

7. प्राप्ति एवं भुगतान खाता क्या है? यह आय और व्यय खाते से किस प्रकार भिन्न है?

8. लाभकारी व अलाभकारी संस्था के मध्य अंतर स्पष्ट करें।

अंकिक प्रश्न

1. एक हैल्थ क्लब की रोकड़ पुस्तक से लिए गए निम्न विवरणों द्वारा प्राप्ति एवं भुगतान खाता तैयार कीजिए।

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(उत्तरः बैंकस्थ रोकड़ (शेष) 91,000 रु.)

2. हरिमोहन धर्मार्थ संस्थान का प्राप्ति एवं भुगतान खाता दिया गया हैः

31 मार्च, 2015 प्राप्ति एवं भुगतान खाता

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31 मार्च, 2015 को समाप्त होने वाले वर्ष के लिए निम्न सूचनाओं को ध्यान में रखकर आय और व्यय खाता तैयार कीजिएः

(i) दिए गए दायित्व हैंः

किराया 800 रु., वेतन 1,200 रु., विज्ञापन 200 रु.

(ii) विनियोग पर ब्याज की अप्राप्त राशि 2,000 रु.

(उत्तर : आय का व्यय पर आधिक्य 1,500 रु.)

3. दिए गए विवरणों से आय और व्यय खाता तैयार कीजिए

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(उत्तरः आय का व्यय पर आधिक्य 3,23,000 रु.)

4. एक स्पोर्ट्स क्लब की कुछ मदों से संबंधित सूचनाएँ निम्न हैं। इन मदों को क्लब के आय और व्यय खाते तथा तुलन पत्र में दर्शाइये।

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(उत्तर : खेल निधि का शेष 40,000 रु.)

5. 31 मार्च, 2018 को समाप्त वर्ष के लिए बोम्बे वुमैन क्रिकेट क्लब का आय और व्यय खाता और तुलन पत्र तैयार करते समय निम्न मदों के साथ क्या व्यवहार करेंगे?

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(उत्तर : (अ) पवेलियन निधि का शेष 1,45,000 रु.; (ब) टूर्नामेंट निधि का शेष 4,100 रु.; (स) आजीवन सदस्यता शुल्क पूँजीगत प्राप्ति है।

6. अडल्ट लिटरेसी संस्थान द्वारा दिए गए प्राप्ति एवं भुगतान खाते तथा निम्न सूचनाओं के आधार पर 31, मार्च, 2018 वर्ष के लिए आय और व्यय खाता तथा आरंभिक तुलन पत्र तैयार कीजिए।

31 दिसंबर, 2018 को प्राप्ति एवं भुगतान खाता

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सूचनाएँ

1. बकाया चंदा

31.03.2016 को 2,000 रु. और 31.03.2017 को 1,500 रु.

2. 31.03.2017 को बकाया वेतन 600 रु. और एक महीने का किराया अग्रिम भुगतान किया गया।

3. 01.04.2017 पर संस्थान के पास फ़र्नीचर 12,000 रु. तथा पुस्तकें 5,000 रु.

(उत्तर : आधिक्य 22,300 रु. आरंभिक पूँजी निधि 38,550 रु. तुलन पत्र का जोड़ 61,950 रु.)

7. 31 मार्च, 2018 को नारी कल्याण समिति के आय और व्यय खाते का विवरण इस प्रकार है।

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निम्न समायोजनों के पश्चात आप आय और व्यय खाता तैयार कीजिए।

(अ) 750 रु. चंदा अभी प्राप्त होना बाकी है, परंतु चंदे में 500 रु. वर्ष 2019 के लिए शामिल है।

(ब) वर्ष के आरंभ में संघ के पास 2,000 रु. का भवन और 3,000 रु. का फ़र्नीचर और 2,000 रु. की पुस्तकें हैं।

(स) फ़र्नीचर पर 5% की दर से (क्रय सहित) पुस्तक पर 10% की दर से और भवन पर 5% की दर से ह्रास लगाए।

(उत्तर आधिक्य 24,040)

8. निम्न प्राप्ति एवं भुगतान खाता इंडियन स्पोटर्स क्लब का है। 31 मार्च, 2018 को आय और व्यय खाता और तुलन पत्र तैयार करें।

31 मार्च, 2018 को वर्ष की समाप्ति पर प्राप्ति एवं भुगतान खाता

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अन्य सूचनाएँ :

चंदा 31 मार्च, 2017 को 1,200 रु. और 31 मार्च, 2018 को 3,200 रु. अप्राप्त है। 31 मार्च, 2018 को लॉकर का किराया 250 रु. अप्राप्त है। 31 मार्च, 2018 को वेतन के 1,000 रु. बकाया है।

01 अप्रैल, 2018 को क्लब के पास भवन 36,000 रु., फ़र्नीचर 12,000 रु., खेल का सामान 17,500 रु. है। इन मदों पर 10% की दर से ह्रास लगाएँ (क्रय सहित)

(उत्तरः आधिक्य 26,300 रु., आरंभिक पूँजी निधि 74,590 रु., अंतिम तुलन पत्र का योग 1,49,090 रु.)

9. जन कल्याण क्लब के निम्न प्राप्ति और भुगतान खाते से 31 मार्च, 2018 को समाप्त वर्ष के लिए आय और व्यय खाता तथा तुलन पत्र तैयार करें।

31 मार्च, 2018 को समाप्त वर्ष के लिए प्राप्ति एवं भुगतान खाता

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(उत्तर : आधिक्य 11,100 रु., आरंभिक पूँजी निधि 1,37,500 रु., तुलन पत्र का योग 1,60,800 रु.) 10. 31 मार्च, 2018 को समाप्त वर्ष के लिए शंकर स्पोटर्स क्लब का प्राप्ति एवं भुगतान खाता नीचे दिया गया है।

31 मार्च, 2018 को वर्ष की समाप्ति पर प्राप्ति एवं भुगतान

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निम्न सूचनाओं की सहायता से आय और व्यय खाता और तुलन पत्र तैयार करें।

31 मार्च, 2017 को अप्राप्त चंदा 1,200 रु. और 31 मार्च, 2018 का 2,300 रु. है, डाक टिकटों का आरंभिक स्टॉक 300 रु. और अंतिम स्टॉक 200 रु. है, 1,500 रु. किराया 2015 वर्ष से सबंधित है और 1,500 रु. का भुगतान अभी तक बाकी है।

01 अप्रैल, 2017 को क्लब के पास 15,000 रु. का फ़र्नीचर है। 31 मार्च, 2018 को, फ़र्नीचर का मूल्य 22,500 रु. है। क्लब ने 2018 में (10% वार्षिक की दर से) 2,000 रु. का ऋण लिया है।

(उत्तर : घाटा 6,100 रु. आरंभिक पूँजी निधि घाटा 2,400 रु., अंतिम तुलन पत्र का योग 44,500 रु.)

11. निम्न प्राप्ति एवं भुगतान खाता और तुलन पत्र द्वारा 31 मार्च, 2018 को समाप्त वर्ष के लिए आय और व्यय खाता और तुलन पत्र तैयार करें।

31 मार्च, 2018 को समाप्त वर्ष के लिए प्राप्ति एवं भुगतान खाता

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31 मार्च, 2017 को समाप्त वर्ष के लिए तुलन पत्र

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(उत्तरः आधिक्य 31,500 रु. अंतिम तुलन पत्र का योग 80,500 रु.)

12. निम्न प्राप्ति एवं भुगतान खाते से 31 मार्च, 2018 को समाप्त वर्ष के लिए अंतिम खाते तैयार करेंः

31 मार्च, 2018 को वर्ष की समाप्ति पर प्राप्ति एवं भुगतान खाता

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31 मार्च, 2017 को तुलन-पत्र

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अतिरिक्त सूचनाएँ

1. क्लब में 500 सदस्य हैं। प्रत्येक सदस्य वार्षिक चंदे के लिए 150 रु. का भुगतान करता है।

2. 31 मार्च, 2018 को बकाया वेतन की राशि 1,200 रु. और वेतन भुगतान में 6,000 रु. वर्ष 2016-17 के लिए है।

3. भवन और भूमि पर 5% ह्रास लगाएँ।

(उत्तरः हानि 200 रु., अंतिम तुलन पत्र का योग 7,07,000 रु.)

13. स्पोटर्स क्लब की कुछ मदों के संबंध में सूचनाएँ निम्न है, आप इनको आय और व्यय खाता और तुलन पत्र में दर्शाएँ।

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14. मैत्रिय स्पोटर्स क्लब का प्राप्ति एवं भुगतान खाता यह दर्शाता है कि 31 मार्च, 2018 को समाप्त वर्ष के लिए चंदे के रूप में 68,500 रु. प्राप्त हुए।

अतिरिक्त सूचनाएँ :

1. 31 मार्च, 2017 को अप्राप्त चंदा 6,500 रु. है।

2. 31 मार्च, 2017 को अग्रिम प्राप्त चंदा 4,100 रु. है।

3. 31 मार्च, 2018 को अप्राप्त चंदा 5,400 रु. है।

4. 31 मार्च, 2018 को अग्रिम प्राप्त चंदा 2,500 रु. है।

31 मार्च, 2018 को मैत्रिय क्लब के अंतिम खातों में उपयुक्त सूचनाओं को प्रदर्शित करें।

(उत्तर : 31 मार्च, 2018 को आय और व्यय खाते में चंदे के 69,000 रु. जमा करेंगे। 31 मार्च, 2018 को अप्राप्त चंदे की राशि को तुलन पत्र के परिसंपत्ति पक्ष में और 31 मार्च, 2018 को 2,500 रु. के अग्रिम प्राप्त चंदे को तुलन पत्र के दायित्व पक्ष में दर्शाया जाएगा।

15. रोहतगी ट्रस्ट का प्राप्ति एवं भुगतान खाता इस प्रकार हैः

31 मार्च, 2018 को वर्ष की समाप्ति पर प्राप्ति एवं भुगतान खाता

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31 मार्च, 2018 को समाप्त वर्ष के लिए आय और व्यय खाता तैयार करें और निम्न समायोजनों के पश्चात इस तिथि को तुलन पत्र तैयार करें। वर्ष 2018 के लिए अभी तक अप्राप्त चंदा 7,000 रु., रक्षा बॉण्ड्स पर 7,000 रु. ब्याज अप्राप्य है, 1,000 रु. का किराया बकाया है विक्रय किए गए विनियोग का पुस्तक मूल्य 80,000 रु. हैं 30,000 रु. के विनियोग अभी बाकी है। 2017 प्राप्त चंदे में 400 रु. आजीवन सदस्य से प्राप्त शामिल है। 01 जनवरी, 2018 को कुल फ़र्नीचर का मूल्य 12,000 रु. है। 2014 के लिए 2,000 रु. के वेतन का भुगतान किया गया है।

(उत्तरः आधिक्य 63,500 रु., अंतिम तुलन पत्र का योग 2,68,900 रु.)

16. 31 मार्च, 2018 को समाप्त वर्ष के लिए, निम्न प्राप्ति एवं भुगतान खाता दिल्ली चेरीटेबल ट्रस्ट की रोकड़ पुस्तक से बनाया गया है।

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31 मार्च, 2018 को समाप्त वर्ष के लिए आय और व्यय खाता और इस तिथि को निम्न समायोजनों के पश्चात तुलन पत्र तैयार करें।

(अ) यह निर्णय हुआ कि दान में प्राप्त राशि का 1/3 भाग आय माना जाएगा।

(ब) 3 महीने के बीमा प्रीमियम का अग्रिम भुगतान किया हुआ है।

(स) विनियोग पर 1,100 रु. अर्जित ब्याज अभी प्राप्त नहीं हुआ है।

(द) किराया 600 रु., वेतन 900 रु. और विज्ञापन व्यय 1,000 रु. 31 मार्च, 2018 का बकाया है।

(आधिक्य 21,400 रु., अंतिम तुलन पत्र 72,000 रु.)

17. एक क्लब के निम्न प्राप्ति एवं भुगतान खाते से, 31 मार्च, 2018 को समाप्त वर्ष के लिए आय और व्यय खाता और इस तिथि को तुलन पत्र तैयार करें।

31 मार्च, 2018 को वर्ष की समाप्ति पर प्राप्ति एवं भुगतान खाता

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अतिरिक्त सूचनाएँ

(अ) क्लब में 100 सदस्य हैं प्रत्येक सदस्य 900 रु. वार्षिक चंदे का भुगतान करता है 31 मार्च, 2017 को 3,600 रु. अप्राप्त चंदा था।

(ब) 31 मार्च, 2018 को बकाया वेतन की राशि 1,000 है। वेतन के भुगतान में 1,000 रु. वर्ष 2016-17 के शामिल हैं।

(स) 01 अप्रैल, 2017 को क्लब के पास भूमि और भवन 25,000 रु., फ़र्नीचर 2,600 रु. और पुस्तकें 6,200 रु. की हैं।

(उत्तर : आधिक्य 79,700, अंतिम तुलन पत्र का योग 1,23,600 रु.)

18. 31 मार्च, 2018 को समाप्त वर्ष के लिए वूमेन वेलफ़ेयर क्लब का प्राप्ति एवं भुगतान खाता निम्न हैः

31 मार्च, 2018 को वर्ष की समाप्ति पर प्राप्ति एवं भुगतान खाता

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अतिरिक्त सूचनाएँ

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31 मार्च, 2018 को समाप्त वर्ष के लिए आय और व्यय खाता और इस तिथि का तुलन पत्र तैयार करेंः

(उत्तरः आधिक्य 34,100 रु., अंतिम तुलन पत्र का योग 2,64,750 रु.)

19. इंडियन चार्टड एकांऊटेंट्स रिक्रियेशन कलन की पुस्तकों से लिए गए मार्च 31, 2018 के शेष नीचे दिए गए है। इन शेषों सेे आय एवं व्यय खाता तुलन का तैयार करें।

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अतिरिक्त सूचनाएँ

मार्च 31, 2017 और 2018 की लेखन सामग्री का स्टॉक क्रमशः 900 रु. और 60 रु. था। ह्यस की राशि इस प्रकार रही

(i) फ़िक्सचर 60 रु.

(ii) बिलिएर्ड टेबल 390 रु.

(iii) फ़र्नीचर 560 रु.

(उत्तरः व्यय पर आय का आधिक्य रु. 2950; तुलन पर योग 51,700 रु.)।

स्वयं जाँचिए हेतु जाँच सूची

स्वयं जाँचिए 1

उत्तरः सत्य (iii), (vi), (vii), (x); असत्य (i), (ii), (iv), (v), (viii), (ix)

स्वयं जाँचिए 2

1. यहाँ एक विशिष्ट प्रतियोगिता निधि है। लेखांकन व्यवहार इस प्रकार होंगेः

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2. यहाँ विशिष्ट निधि नहीं है। इसलिए टेबल-टेनिस मैंच पर खर्च राशि 4,000 रु. को आय और व्यय खाते के नाम पक्ष की ओर दर्शाया जाएगा। यह किसी विशिष्ट निधि के स्वतंत्र व्यय की स्थिति है।

3. यहाँ विशिष्ट निधि है। लेखांकन व्यवहार इस प्रकार होगाः

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4. यहाँ कोई विशिष्ट निधि नहीं है। धर्मार्थ कार्यक्रम से प्राप्तियों को जमा तथा धर्मार्थ कार्यक्रम पर किया गया खर्चा,  प्राप्तियों में से घटाकर और निवल राशि को आय और व्यय खाते के जमा पक्ष की ओर दर्शाया जाएगा।