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वित्तीय विवरणों का विश्लेषण
आप कंपनी के वित्तीय विवरणों (आय विवरण एवं तुलन-पत्र) के बारे में पढ़ चुके हैं। सामान्यतः ये संक्षिप्त वित्तीय प्रतिवेदन हैं जो कंपनियों के प्रचालन परिणाम एवं वित्तीय स्थिति दर्शाते हैं। साथ ही इन प्रतिवेदनों में सम्मिलित विस्तृत सूचनाएँ प्रचालन कार्यक्षमता और वित्तीय सुदृढ़ता के मूल्यांकन हेतु सहायक होती हैं। इसके लिए सही विश्लेषण और व्याख्या की आवश्यकता प\ड़ती है जिसके लिए विशेषज्ञों द्वारा भिन्न-भिन्न तरह की तकनीकों का गठन किया गया है। इस अध्याय में हम इन तकनीकों का अवलोकन करेंगे।
अधिगम उद्देश्य
इस अध्याय को पढ़ने के उपरांत आप–
• वित्तीय विश्लेषणों की प्रकृति एवं उनके महत्त्व की व्याख्या कर सकेंगे।
• वित्तीय विश्लेषणों के उद्देश्यों की पहचान कर सकेंगे।
• वित्तीय विश्लेषण की विभिन्न तकनीकों का वर्णन कर सकेंगे।
• वित्तीय विश्लेषणों की सीमाओं को बता सकेंगे।
• तुलनात्मक एवं सामान्य आकार के विवरणों को तैयार करना तथा उसमें दिए गए आँकड़ों की व्याख्या कर सकेंगे; एवं
• प्रवृत्ति प्रतिशत का परिकलन एवं उनकी व्याख्या कर सकेंगे।
4.1 वित्तीय विवरण–विश्लेषण का तात्पर्य
वित्तीय विवरणों में सन्निहित वित्तीय सूचनाओं को समझने के क्रम में तथा फ़र्म के संचालन संबंधी निर्णयों को लेने के लिए विवेचनात्मक परीक्षण की प्रक्रिया को वित्तीय विवरण विश्लेषण कहते हैं। यह मूलभूत रूप से वित्तीय विवरण में दिए गए विभिन्न संख्याओं और तथ्यों के बीच संबंधों का अध्ययन तथा व्याख्या है जिससे किसी भी फ़र्म की लाभप्रदता और प्रचालन कार्यक्षमता दृष्टिगत होती है जो वित्तीय स्थिति एवं भविष्य परिदृश्य के मूल्यांकन में सहायक होती हैं।
‘वित्तीय विश्लेषण’ में विश्लेषण और व्याख्या दोनों का समावेश है। विश्लेषण से आशय वित्तीय विवरणों में दिए गए वित्तीय आँकड़ों का विधिवत वर्गीकरण द्वारा सरलीकरण करना है। व्याख्या से आशय आँकड़ों के अर्थ एवं अभिप्राय स्पष्ट करने से है। ये दोनों एक-दूसरे के पूरक हैं। "विश्लेषण बिना व्याख्या अर्थहीन है और व्याख्या बिना विश्लेषण कठिन ही नहीं असंभव है।"
वित्तीय विवरणों का विश्लेषण एक निर्णायक प्रक्रिया है जिसका उद्देश्य एक उपक्रम की भूतपूर्व और वर्तमान वित्तीय स्थिति और प्रचालन के परिणाम का आकलन करना है, जिसका प्राथमिक उद्देश्य भविष्यकालीन परिस्थितियों के लिए सर्वोच्य अनुमान ज्ञात करना है। इसमें मुख्यतः वित्तीय विवरणों में दर्शाई गई सूचनाओं का पुन– समूहीकरण और व्याख्या का समावेश होता है जो व्यावसायिक इकाइयों की क्षमता और कमज़ोरियों पर प्रकाश डालता है, जो कि अन्य फ़र्मों से तुलना (अनुप्रस्थ व्याख्या) और फ़र्म की विभिन्न समयाविधियों पर स्वयं का निष्पादन (समय शृंखला विश्लेषण) संबंधी निर्णय लेने में सहायक हो सकते हैं।
4.2 वित्तीय विवरणों के विश्लेषण का महत्त्व
वित्तीय विश्लेषण एक फ़र्म की वित्तीय सुदृढ़ता एवं कमज़ोरियों को पहचानने का एक प्रक्रम है, जिसमें तुलन-पत्र तथा लाभ व हानि विवरण की मदों के बीच उचित संबंधों को देखा जाता है। वित्तीय विश्लेषण की जिम्मेदारी फ़र्म के प्रबंधन द्वारा या फ़र्म से बाहर के पक्षों द्वारा ली जा सकती है जैसे कि फ़र्म का स्वामी, व्यापारिक लेनदार, ऋणदाता, निवेशक, श्रम संगठन, विश्लेषक तथा अन्य। विश्लेषण की प्रकृति, उपयोगकर्ता अर्थात्, विश्लेषक के उद्देश्य पर आधारित होती है जो भिन्न-भिन्न हो सकती है। एक विश्लेषक द्वारा प्राय– प्रयुक्त की जाने वाली तकनीक आवश्यक नहीं है कि दूसरे विश्लेषक के उद्देश्य को पूरा करें, क्योंकि विश्लेषण की रुचि में भिन्नता होती है। वित्तीय विश्लेषण विभिन्न उपयोगकर्ताओं के लिए निम्न प्रकार से उपयोगी एवं महत्त्वपूर्ण होता है-
(i) वित्त प्रबंधक– इसमें वित्तीय विश्लेषण का केंद्र बिंदु कंपनी के प्रबंधकीय निष्पादन, निगम सक्षमता, वित्तीय सुदृढ़ता तथा कमज़ोरियों और कंपनी की उधार पात्रता से संबंधित तथ्यों एवं संबंधों पर होता है। एक वित्त प्रबंधक को निश्चित रूप से विश्लेषण के विभिन्न साधनों से सुसज्जित होना चाहिए ताकि फ़र्म के लिए विवेकपूर्ण निर्णय लिए जा सकें। विश्लेषण के साधन लेखांकन आँकड़ों के अध्ययन में सहायता करते हैं ताकि संचालन नीतियों की सतत्ता, व्यवसाय का निवेश मूल्य, साख मान तथा संचालन की सक्षमता की जाँच का निर्धारण हो सके। ये तकनीकें वित्तीय नियंत्रण के क्षेत्रों तथा फ़र्म के लिए वास्तविक वित्तीय संचालन की निरंतर समीक्षा में सक्षम बनाने हेतु समान रूप से महत्त्वपूर्ण होती हैं। इसके साथ ही प्रमुख विचलनों के कारणों को विश्लेषित करने में सहायक होती हैं जिसके परिणामस्वरूप जब कभी संकेत मिलते हैं तो सुधारात्मक कार्यवाही की जाती है।
(ii) उच्च प्रबंधन– वित्तीय विश्लेषणों का महत्त्व केवल वित्त प्रबंधकों तक ही सीमित नहीं है। इसका परिक्षेत्र व्यापक है जिसके अंतर्गत सामान्यतः उच्च प्रबंधन तथा अन्य कार्यात्मक प्रबंधक शामिल होते हैं। फ़र्म का प्रबंधन वित्तीय विश्लेषण के प्रत्येक पहलू में रुचि दिखा सकता है। यह कुल मिलाकर उनकी ही ज़िम्मेदारी होती है कि वे देखें कि फ़र्म के संसाधनों को अधिकतम सक्षमता के साथ इस्तेमाल किया जाए ताकि फ़र्म की वित्तीय स्थिति सुदृढ़ रहे। वित्तीय विश्लेषण प्रबंधन की सफलता को मापने में सहायता करते हैं। दूसरे शब्दों में, कंपनी के संचालन, वैयक्तिक निष्पादन मूल्यांकन तथा आंतरिक नियंत्रण की व्यवस्था के आकलन में सहायता करते हैं।
(iii) व्यापारिक देय- व्यापारिक देय, वित्तीय विवरणों के विश्लेषण द्वारा न केवल कंपनी की अल्पकालीन दायित्व भुगतान क्षमता का मूल्यांकन करते हैं, बल्कि एक समय विशेष पर उसकी वित्तीय देयताओं को पूरा करने की क्षमता के साथ-साथ भविष्य में सत्त रूप से वित्तीय देयताओं को पूरा करने की संभावना को भी देखते हैं। व्यापारिक देय एक फ़र्म की क्षमता में विशेष रूप से रुचि रखते हैं जो एक बहुत छोटी-सी अवधि में उनके दावे को पूरा करने की क्षमता रखती है। इस प्रकार से, उनका विश्लेषण फ़र्म की द्रवता स्थिति के मूल्यांकन को सुनिश्चित करता है।
(iv) ऋणदाता- दीर्घकालिक ऋण या उधार के पूर्तिकार, फ़र्म के दीर्घकालिक ऋण शोधन क्षमता एवं उत्तरजीविता से चिंतित होते हैं। यह एक विशेष समयावधि के दौरान फ़र्म की लाभप्रदता, ब्याज तथा मूलधन को चुकाने के लिए रोकड़ पैदा करने की क्षमता तथा विभिन्न निधियों के स्राोतों (पूँजी संरचना संबंधों) के मध्य संबंधों का विश्लेषण करते हैं। दीर्घकालिक ऋणदाता एेतिहासिक वित्तीय विवरणों का विश्लेषण करते हैं, ताकि वे अपने भविष्य की ऋण शोधन क्षमता एवं लाभप्रदता की जांच कर सकें।
(v) निवेशक– निवेशक, जोकि फ़र्म के अंशों में अपना धन निवेश करते हैं, फ़र्म के अर्जन के संदर्भ में रुचि रखते हैं। इस तरह से, वे फ़र्म की वर्तमान एवं भावी लाभप्रदता के बारे में विश्लेषण करते हैं। इसके साथ ही फ़र्म के पूँजी ढाँचे में रुचि रखते हैं ताकि वे फ़र्म के अर्जन एवं जोखिमों पर इसके प्रभाव के बारे में जान सकें। अंश धारक या निवेशक प्रबंधन की सक्षमता का मूल्यांकन भी करते हैं और यह निर्धारित करते हैं कि बदलाव की ज़रूरत है या नहीं। हालाँकि कुछ ब\ड़ी कंपनियों में, अंश धारकों की रुचि, इस बारे में सीमित होती है कि वे अंश खरीदे, बेचे या उन्हें धारित रखें अथवा नहीं।
(vi) श्रम संगठन– श्रम संगठन वित्तीय विवरणों का विश्लेषण यह जानने के लिए करते हैं कि क्या कंपनी वर्तमान में मज़दूरी में बढ़ोत्तरी वहन कर सकती है या नहीं या फिर उत्पादकता बढ़ाकर तथा कीमत ऊँची करके बढ़ी हुई मज़दूरी को समाहित कर सकती है या नहीं।
(vii) अन्य– अर्थशास्त्री, अनुसंधानकर्ता आदि वित्तीय विवरणों का विश्लेषण वर्तमान व्यवसाय तथा आर्थिक स्थितियों के बारे में अध्ययन करने के लिए करते हैं। सरकारी संस्थाओं को मूल्य नियमन, दर निर्धारण तथा अन्य एेसे ही उद्देश्यों के लिए विश्लेषण की आवश्यकता होती है।
4.3 वित्तीय विवरणों के विश्लेषण के उद्देश्य
वित्तीय विवरणों के विश्लेषण प्रबंधकीय निष्पादनों एवं फ़र्म की सक्षमता से संबद्ध महत्त्वपूर्ण तथ्यों को प्रकट करते हैं। व्यापक तौर पर विश्लेषण के उद्देश्यों को वित्तीय विवरणों में समाहित फ़र्म की सुदृढ़ता एवं कमज़ोरियों की दृष्टि से सूचनाओं को जानने में तथा फ़र्म के भविष्य की संभावनाओं के पूर्वानुमान को समझने में निहित माना जाता है और इसी कारण विश्लेषकों को फ़र्म के संचालन से संबंधित तथा अतिरिक्त निवेश के निर्णर्यों को लेने के योग्य बनाया जाता है। विशेष रूप से वित्तीय विश्लेषणों को निम्नलिखित उद्देश्यों की पूर्ति के लिए अपनाया जाता है–
कुल मिलाकर फ़र्म की वर्तमान लाभप्रदता एवं संचालन सक्षमता के साथ इसके विभिन्न विभागों को मूल्यांकित किया जाता है। इस तरह से फ़र्म की वित्तीय स्थिति को निर्णीत किया जाता है।
फ़र्म की वित्तीय स्थितियों के विभिन्न संघटकों के सापेक्षिक महत्त्व को पता करने के लिए।
फ़र्म की लाभप्रदता/ वित्तीय स्थिति में बदलाव के कारणों को जानने के लिए।
फ़र्म द्वारा अपने ऋणों की पुनर्भुगतान क्षमता को मापने के लिए तथा फ़र्म की अल्पकालिक तथा दीर्घकालिक द्रवता की स्थिति के मूल्यांकन के लिए।
विभिन्न फ़र्मों के वित्तीय विवरणों के विश्लेषण द्वारा एक अर्थशास्त्री चालू वित्तीय नीतियों में केंद्रित आर्थिक सामर्थ्य और कमियों की सीमा को माप सकता है। वित्तीय विवरणों के विश्लेषण बहुत सारी सरकारी कार्यवाहियों की संबद्धताओं जैसे लाइसेंसिंग, नियंत्रण, मूल्य निर्धारण, व्यापारिक लाभ की सीमा लाभांश स्थिरण, निगम क्षेत्र को कर छूट तथा अन्य रियायतें आदि के लिए आधारशिला होते हैं।
4.4 वित्तीय विवरणों के विश्लेषण की तकनीकें
वित्तीय विवरणों के विश्लेषण की सर्वाधिक प्रयुक्त तकनीकें ये हैं-
(i) तुलनात्मक विवरण– ये वे विवरण हैं जो दो अथवा अधिक समयावधियों में एक फ़र्म की लाभप्रदता एवं वित्तीय स्थिति को तुलनात्मक रूप में दर्शाते हैं जिससे कि दो या अधिक समयावधियों में फ़र्म की स्थिति का पता चलता है। यह सामान्यतः तुलनात्मक रूप से तुलन-पत्र और लाभ व हानि विवरण नामक दो महत्त्वपूर्ण वित्तीय विवरणों पर लागू होता है। वित्तीय आँकड़े केवल तभी तुलनात्मक होते हैं जब समान लेखांकन सिद्धांत का प्रयोग इनके निर्माण में किया जाता है। यदि एेसा नहीं है तो लेखांकन सिद्धांतों से व्यतिक्रम को पादटिप्पणी के रूप में दर्शाया जाना चाहिए। तुलनात्मक आँकड़े वित्तीय स्थिति और प्रचालन परिणामों की प्रवृत्ति और दिशा को इंगित करते हैं। इस विश्लेषण को ‘क्षैतिज विश्लेषण’ के नाम से भी जाना जाता है।
(ii) समरूप/सामान्य आकार विवरण– यह विवरण कुछ सामान्य मदों के साथ एक वित्तीय विवरण के विभिन्न मदों के बीच संबंध का संकेत देते हैं जिसमें सामान्य मद के प्रत्येक मद को प्रतिशत के रूप में व्यक्त करता है। इस प्रकार से परिकलित प्रतिशत को अन्य फ़र्मों के तदनुरूप प्रतिशत के साथ आसानी से तुलना की जा सकती है जैसा कि ये संख्याएँ सामान्य आधार अर्थात प्रतिशत से लाई जाती हैं। इस प्रकार के विवरण एक विश्लेषक को एक ही उद्योग की भिन्न आकार की दो कंपनियों की संचालन एवं वित्तीय विशिष्टताओं की तुलना करने की अनुमति देते हैं। सामान्य आकार के विवरण फ़र्म के विभिन्न वर्षों के बीच आंतरिक तुलना और साथ ही साथ उसी वर्ष या अनेक वर्षों के लिए अंतर फ़र्म की तुलना, दोनों ही, के लिए उपयोगी होते हैं। इस विश्लेषण को ‘अनुलंब विश्लेषणों’ के नाम से भी जाना जाता है।
(iii) प्रवृत्ति विश्लेषण– यह कई वर्षों की एक शृंखला के प्रचालन परिणामों एवं वित्तीय स्थिति के अध्ययन की एक तकनीक है। एक व्यावसायिक उद्योग/उद्यम के पिछले वर्षों के आँकड़ों का उपयोग करते हुए, प्रवृत्ति का विश्लेषण चयनित आँकड़ों में एक अवधि के दौरान आए बदलावों का अवलोकन करके किया जा सकता है। प्रवृत्ति प्रतिशत एक प्रतिशत संबंध है जिसमें भिन्न वर्षों की प्रत्येक मद को आधार वर्ष की उसी समान मद की तरह ही वहन करता है। प्रवृत्ति विश्लेषण इसलिए महत्त्वपूर्ण है, क्योंकि इसमें दीर्घकालिक दृष्टिकोण होता है, अतः यह व्यवसाय की प्रकृति के आधारभूत बदलाव के बिंदु को इंगित करता है। एक विशिष्ट अनुपात में एक प्रवृत्ति को देखकर, कोई व्यक्ति यह जान सकता है कि अनुपात गिर रहा है या बढ़ रहा है या लगातार सापेक्षिक तौर पर स्थिर है। इस अवलोकन से, समस्या का पता लगाया जा सकता है या अच्छे या बुरे प्रबंधन के संकेत देखे जा सकते हैं।
(iv) अनुपात विश्लेषण– यह महत्त्वपूर्ण संबंधों का वर्णन करता है जोकि एक फ़र्म के तुलन-पत्र में, लाभ व हानि विवरण में विद्यमान होते हैं। वित्तीय विश्लेषण की तकनीक के रूप में लेखांकन अनुपात आय एवं तुलन-पत्र की व्यक्तिगत मदों के बीच तुलनात्मक महत्त्व को मापते हैं। यह भी संभव है कि अनुपात विश्लेषण की तकनीक से एक उद्यम की लाभप्रदता, ऋण शोधन क्षमता तथा सक्षमता को मूल्यांकित किया जा सकता है।
(v) रोकड़ प्रवाह विश्लेषण– यह किसी संस्थान के रोकड़ के वास्तविक अंतर्वाह एवं बाहिर्वाह को दर्शाता है। "एक व्यवसाय में आवक रोकड़ के बहाव को रोकड़ अंतर्वाह या धनात्मक रोकड़ प्रवाह तथा फ़र्म से बाहर जाने वाले रोकड़ के बहाव को रोकड़ बाहिर्वाह अथवा ऋणात्मक रोकड़ प्रवाह कहते हैं।" रोकड़ के अंतर्वाह एवं बाहिर्वाह के बीच का अंतर निवल रोक\ड़ प्रवाह है। रोकड़ प्रवाह विवरण यह दर्शाते हुए इस प्रकार से तैयार किया जाता है जिसमें प्राप्त रोकड़ एक लेखांकन वर्ष के दौरान उपयोग की जाती है। जो रोकड़ प्राप्ति के स्रोतों को दर्शाता जाता है और इसके साथ ही वह उद्देश्य भी जिसमें रोकड़ भुगतान किया गया है। अतः यह एक उद्यम की रोकड़ स्थिति के बदलावों के लिए दो तुलन-पत्र की तिथियों के बीच (रोकड़ स्थिति) के कारणों को संक्षेपीकृत करता है।
इस अध्याय में हम प्रथम तीन तकनीकों का अध्ययन करेंगे क्रमशः तुलनात्मक विवरण, समरूप आकार विवरण और प्रवृत्ति विश्लेषण। अनुपात विश्लेषण और रोकड़ प्रवाह विवरण को विस्तारपूर्वक अध्याय 5 व 6 में बताया गया है।
स्वयं जाँचिए 1
उपयुक्त शब्दों के साथ रिक्त स्थानों को भरें-
1. विश्लेषण का साधारण तात्पर्य .............. आँकड़े हैं।
2. प्रतिपादन का तात्पर्य ................. आँकड़े हैं।
3. तुलनात्मक विश्लेषण को ..................... विश्लेषण के नाम से भी जानते हैं।
4. सामान्य आकार के विश्लेषण को ................. विश्लेषण के नाम से भी जानते हैं।
5. एक संस्थान/कारोबार में धन की आवक एवं जावक की वास्तविक चाल को ............... विश्लेषण भी कहते हैं।
4.5 तुलनात्मक विवरण
जैसा कि पहले बताया गया है, यह विवरण लाभ व हानि विवरण और तुलन-पत्र के निर्माण में वर्तमान और गत वर्ष सहित वर्ष के दौरान हुए परिवर्तन के आँकड़ों को अलग स्तंभ में परिशुद्ध/ निरपेक्ष और सापेक्ष आधार पर प्रस्तुत करता है। परिणामस्वरूप इस विवरण के माध्यम से भिन्न तिथियों पर खाता शेष और विभिन्न समयावधि पर भिन्न-भिन्न प्रचालन गतिविधियों का सारांश ही केवल संभव नहीं है बल्कि इन तिथियों के मध्य वृद्धि अथवा कमी की सीमा का मापन भी संभव है। तुलनात्मक विवरणों में दिए गए आँकड़ों का प्रयोग परिवर्तन की दिशा की पहचान करता है और एक संस्था के निष्पादन सूचकों की प्रवृत्ति को भी इंगित करता है।
तुलनात्मक विवरणों को तैयार करने के लिए निम्नलिखित चरणों का अनुकरण किया जा सकता है–
चरण 1– परिशुद्ध आँकड़ों/संख्याओं को दो समय बिंदुओं पर रुपये में सूचीबद्ध करना (जैसा कि प्रदर्श 4.1 के स्तंभ 2 तथा 3 में दिखाया गया है)।
चरण 2– परिशुद्ध आँक\ड़ों में, प्रथम वर्ष (स्तंभ 2) को द्वितीय वर्ष (स्तंभ 3) से घटाकर, बदलाव का पता करना तथा अभिवृद्धि को (+) से तथा अधोवृद्धि (कमी) को (–) से संकेतित करना तथा स्तंभ 4 में भरना।
चरण 3– प्रतिशत में आए बदलाव को परिकलित करना और जो परिणाम मिले, उसे पाँचवे स्तंभ में भरना या चढ़ाना है।
उदाहरण 1
बी सी आर कं. लिमिटेड के निम्नलिखित लाभ व हानि विवरण को तुलनात्मक लाभ व हानि विवरण में परिवर्तित कीजिए।
उदाहरण 2
मधु कं. लिमिटेड के निम्नलिखित लाभ व हानि विवरण से वर्ष 2016 से वर्ष 2017 के लिए तुलनात्मक लाभ व हानि विवरण तैयार करें।
हल
मधु कं. लिमिटेड का तुलनात्मक लाभ व हानि विवरण
वर्षान्त 31 मार्च 2016 और 2017 के लिए।
उदाहरण 3
31 मार्च 2016 व 2017 को समाप्त वर्ष के अंत में जे लि. का तुलन-पत्र निम्नानुसार है।
कंपनी के लिए तुलनात्मक तुलन-पत्र बनाइए।
तुलन-पत्र
हल
वर्षान्त 31 मार्च 2016 एवं 31 मार्च 2017 को
जेे. लिमिटेड का तुलनात्मक तुलन-पत्र
उदाहरण 4
31 मार्च 2016 व 2017 को समाप्त वर्ष के लिए अमृत लि. का तुलन-पत्र निम्नानुसार है।
कंपनी के लिए तुलनात्मक तुलन-पत्र बनाइए।
तुलन-पत्र
हल
वर्षान्त 31 मार्च 2016 एवं 31 मार्च 2017 को
अमृत लिमिटेड का तुलनात्मक तुलन-पत्र
स्वयं करें
31 मार्च 2016 व 2017 को समाप्त वर्ष के लिए तुलन-पत्र से ओमेगा केमिकल लिमिटेड का तुलनात्मक तुलन-पत्र बनाइए। रु. लाखों मे
4.6 समरूप विवरण
समरूप विवरण को संघटक प्रतिशत विवरण के नाम से भी जानते हैं। यह एक कंपनी के वित्तीय परिणामों एवं वित्तीय स्थिति की प्रवृत्ति एवं बदलाव जानने का साधन या उपकरण है। यहाँ पर विवरण में दिए गए प्रत्येक मद को कुल राशि के प्रतिशत अथवा प्रचालन से आगम के रूप में दर्शाते हैं जोकि उस प्रतिशत का ही एक हिस्सा होता है। उदाहरण के लिए समरूप तुलन-पत्र में प्रत्येक परिसंपत्ति को कुल परिसंपत्तियों के प्रतिशत में तथा प्रत्येक दायित्व को कुल दायित्वों के प्रतिशत के रूप मे दर्शाता है। इसी प्रकार समरूप लाभ व हानि विवरण में, खर्च मदों को प्रचालन द्वारा आगम के प्रतिशत के रूप में दर्शाया जाता है। यदि एेसा विवरण आनुक्रमिक अवधि के लिए तैयार किया जाता है, यह एक समयावधि के दौरान हुए क्रमशः प्रतिशत परिवर्तनों को दर्शाता है।
उद्यमों की तुलना के लिए समरूप वित्तीय विश्लेषणों के असीमित उपयोग होते हैं, जोकि मूलतः आकार में भिन्न होते हैं जो वित्तीय विवरण की संरचना को एक अंर्तदृष्टि प्रदान करते हैं। कुल मिलाकर अंतर-फ़र्म तुलना या संबंधित उद्योग वाली कंपनी की स्थिति की तुलना भी समरूप विवरण विश्लेषण की सहायता से ही संभव है।
सामान्य आकार व विश्लेषण को तैयार करने के लिए निम्न प्रक्रम अपनाया जा सकता है।
1. परिशुद्ध संख्याओं (आँकड़ों) को दो समय बिंदुओं जैसे कि वर्ष 1 और वर्ष 2 (प्रदर्श 4.2 में स्तंभ 2 एवं 4), पर सूचीबद्ध करें।
2. एक सामान्य आधार (जैसे कि 100) को चुनें। उदाहरणार्थ लाभ व हानि विवरण के मामले में प्रचालन से आगम को आधार (100) के रूप में और तुलन-पत्र के मामले में कुल परिसंपत्तियों अथवा कुल देनदारियों (=100) के रूप में आधार ले सकते हैं।
3. स्तंभ 2 एवं 3 की सभी मदों को कुल योग के प्रतिशत के रूप में बदलें। प्रदर्श 4.2 में, स्तंभ 4 और 5 इन प्रतिशतों को चिह्नित किया गया है।
सामान्य आकार विवरण
विवरण स्तंभ 1 वर्ष एक 2 वर्ष दो 3 प्रतिशत 4 प्रतिशत 5
उदाहरण 5
नीचे दी गई सूचनाओं से, वर्ष समाप्ति 31 मार्च 2016 और 2017 के लिए समरूप आय विवरण तैयार कीजिए।
उदाहरण 6
नीचे दी गई सूचनाओं से, वर्ष समाप्ति 31 मार्च 2016 और 31 मार्च 2017 के लिए समरूप लाभ एव हानि विवरण तैयार कीजिए।
उदाहरण 7
निम्नलिखित सूचना से एक्स.आर.आई. लिमिटेड समरूप तुलन-पत्र तैयार कीजिए–
तुलन-पत्र
हल
वर्षान्त 31 मार्च 2016 तथा 31 मार्च 2017 पर समरूप तुलन-पत्र।
स्वयं करें
निम्नलिखित सूचना से, वर्षान्त मार्च 31, 2016 व 2017 पर राज कंपनी लिमिटेड का तुलनात्मक तुलन -पत्र बनाइए।
स्वयं जाँचिए–2
सही उत्तर का चुनाव करें–
1. एक व्यावसायिक उद्यम के वित्तीय विवरण में सम्मिलित होते हैं–
(अ) तुलन-पत्र
(ब) लाभ व हानि विवरण
(स) रोकड़ प्रवाह विवरण
(द) उपरोक्त सभी
2. वित्तीय विश्लेषण हेतु प्रयोग में आने वाले सामान्य साधन हैं–
(अ) क्षैतिज विश्लेषण
(ब) लम्बवत् विश्लेषण
(स) अनुपात विश्लेषण
(द) उपरोक्त सभी
3. कंपनी की वार्षिक रिपोर्ट को निर्गमित किया जाता है–
(अ) संचालकों के लिए
(ब) अंकेक्षकों के लिए
(स) अंशधारकों के लिए
(द) प्रबंध के लिए
4. तुलन-पत्र उद्यम की वित्तीय स्थिति संबंधी सूचनाएँ प्रस्तुत करता है–
(अ) दी गई विशेष अवधि पर
(ब) विशेष अवधि के दौरान
(स) विशेष अवधि के लिए
(द) उपरोक्त में से कोई नहीं
5. तुलनात्मक विवरणों को यह भी कहते हैं–
(अ) क्रियाशील विश्लेषण
(ब) क्षैतिज विश्लेषण
(स) लम्बवत् विश्लेषण
(द) बाहय विश्लेषण
स्वयं जाँचिए 3
सत्य अथवा असत्य बताएँ–
1. व्यावसायिक उद्यम के वित्तीय विवरणों में रोकड़ प्रवाह विवरण सम्मिलित हैं।
2. तुलनात्मक विवरण क्षैतिज विश्लेषण का एक रूप है।
3. समरूप विवरण और वित्तीय अनुपात लम्बवत विश्लेषण में प्रयोग में आने वाली दो तकनीक हैं।
4. अनुपात विशलेषण दो वित्तीय विवरणों में मध्य संबंध स्थापित करता है।
5. अनुपात विश्लेषण किसी उद्यम के वित्तीय विवरणों के विश्लेषण हेतु एक तकनीक है।
6. वित्तीय विश्लेषण केवल लेनदारों द्वारा प्रयोग में लाए जाते हैं।
7. लाभ व हानि विवरण एक विशेष अवधि के लिए उद्यम के प्रचालन निष्पादन को दर्शाता है।
8. वित्तीय विश्लेषण, विश्लेषक को उपयुक्त निर्णय लेने में सहायक है।
9. रोकड़ प्रवाह विवरण वित्तीय विवरण विश्लेषण की एक तकनीक है।
10. समरूप विवरण के प्रत्येक मद को समान आधार पर प्रतिशत में दर्शाता है।
4.7 वित्तीय विश्लेषणों की सीमाएँ
हालाँकि, एक फ़र्म की वित्तीय सुदृढ़ता एवं कमज़ोरियों को निर्धारित करने के लिए वित्तीय विश्लेषण पर्याप्त सशक्त होते हैं, परन्तु ये विश्लेषण वित्तीय विवरणों से प्राप्त सूचनाओं पर आधारित होते हैं। इसी प्रकार से, वित्तीय विवरण विश्लेषण भी वित्तीय विवरणों की सीमाओं से प्रभावित होते हैं। अतैव, वित्तीय विश्लेषणों को निश्चित रूप से मूल्य स्तर में बदलावों, फ़र्म की लेखांकन नीति के बदलावों, लेखांकन अवधारणा तथा परंपराओं एवं वैयक्तिक निर्णयों आदि के प्रभाव के बारे में सावधानी पूर्ण रहना चाहिए। वित्तीय विश्लेषणों की कुछ अन्य सीमाएँ ये भी हैं-
1. वित्तीय विश्लेषण मूल्य स्तरीय बदलावों पर ध्यान नहीं देते हैं।
2. वित्तीय विश्लेषण एक फ़र्म के खाते के लिए भ्रमात्मक भी हो सकते हैं अगर फ़र्म ने लेखांकन प्रक्रिया में बदलाव को अपना लिया है।
3. वित्तीय विश्लेषण कंपनी की रिपोर्ट का केवल अध्ययन है।
4. वित्तीय विश्लेषण में केवल आर्थिक पहलू पर ही ध्यान दिया जाता है। जबकि गैर-आर्थिक पहलुओं को उपेक्षित किया जाता है।
5. वित्तीय विश्लेषणों को फ़र्म की लेखांकन अवधारणाओं के आधार पर तैयार किया जाता है जैसे कि यह बिलकुल वास्तविक वस्तु-स्थिति को नहीं प्रस्तुत करते हैं।
इस अध्याय में प्रयुक्त शब्द
1. वित्तीय विश्लेषण 2. समरूप विवरण
3. तुलनात्मक विवरण 4. प्रवृति विश्लेषण
5. अनुपात विश्लेषण 6. रोक\ड़ प्रवाह विवरण
7. अतंरा फ़र्म तुलना 8. अंर्तफ़र्म तुलना
9. क्षैतिज विश्लेषण 10. लंबवत् विश्लेषण
सारांश
वार्षिक रिपोर्ट के प्रमुख भाग– वार्षिक रिपोर्ट में मूल रूप से वित्तीय विवरण शामिल होते हैं, जैसे तुलन-पत्र, लाभ व हानि विवरण और रोकड़ प्रवाह विवरण। इसमें अवलोकन हेतु वर्ष के निष्पादन संबंधी प्रबंध तर्क भी सम्मिलित होते हैं, साथ ही यह उद्यम के संभावित भविष्य पर भी प्रकाश डालता है।
वित्तीय विश्लेषण की तकनीकें– वित्तीय विश्लेषण की सामान्यतः प्रयुक्त तकनीकें हैं– तुलनात्मक विवरण, समरूप विवरण, प्रवृत्ति विवरण, अनुपात विश्लेषण और रोकड़ प्रवाह विश्लेषण।
तुलनात्मक विवरण– तुलनात्मक विवरण में वित्तीय विवरणों की सभी मदों को सापेक्षित और प्रतिशत में एक विशेष समयावधि के लिए एक फ़र्म या दो फ़र्मों के मध्य तुलना हेतु दर्शाया जाता है।
समरूप विवरण– वित्तीय विवरणों के सभी मदों को समरूप विवरण एक समान आधार पर प्रतिशत के रूप में दर्शाता है, जैसे कि लाभ व हानि विवरण पर प्रचालन से आगम और तुलन-पत्र पर कुल परिसंपत्तियाँ।
अभ्यास के लिए प्रश्न
लघु उत्तरीय प्रश्न
1. वित्तीय विवरण विश्लेषण की तकनीकों का संक्षेप में वर्णन करें।
2. वित्तीय आँकड़ों के लंबवत् एवं क्षैतिज विश्लेषण के बीच अंतर स्पष्ट कीजिए।
3. विश्लेषण एवं निर्वचन का अर्थ समझाइए।
4. वित्तीय विश्लेषण का महत्त्व बताएँ।
5. तुलनात्मक वित्तीय विवरण क्या है?
6. समरूप विवरण से आपका क्या तात्पर्य है?
दीर्घ उत्तरीय प्रश्न
1. वित्तीय विश्लेषण की विभिन्न तकनीकाें का वर्णन कीजिए तथा वित्तीय विश्लेषणों की सीमाओं की व्याख्या कीजिए?
2. एक कंपनी की वित्तीय निष्पादन के निर्वचन में प्रवृत्ति प्रतिशत की उपयोगिता का वर्णन कीजिए।
3. तुलनात्मक विवरण का क्या महत्त्व है? तुलनात्मक आय विवरण का एक विशिष्ट संदर्भ देते हुए अपने
उत्तर की व्याख्या करें।
4. वित्तीय विवरण के विश्लेषण एवं निर्वचन से आप क्या समझते हैं? उनके महत्त्व पर चर्चा करें।
5. समरूप विवरणों को कैसे तैयार करते हैं उदाहरण देकर बताइए।
संख्यात्मक प्रश्न
1. मार्च 31, 2016 और 2017 को अल्फा लिमिटेड का तुलन पत्र इस प्रकार था समरूप तुलन-पत्र तैयार करें।
2. मार्च 31, 2016 और 2017 को बीटा लिमिटेड का तुलन पत्र इस प्रकार था समरूप तुलन-पत्र तैयार करें।
3. निम्नलिखित सूचना से तुलनात्मक लाभ एवं हानि विवरण तैयार करें–
4. निम्न सूचनाओं से तुलनात्मक लाभ व हानि विवरण तैयार कीजिए।
5. निम्नलिखित सूचनाओं से शैफ़ाली लि. का समरूप लाभ व हानि विवरण तैयार कीजिए।
स्वयं जाँचने हेतु जाँच सूची
स्वयं जाँचिए–1
1. सरलीकरण
2. वर्णित
3. क्षैतिज का प्रभाव
4. लम्बवत्
5. रोकड़ प्रवाह
स्वयं जाँचिए–2
1. द
2. द
3. स
4. अ
5. ब
स्वयं जाँचिए–3
1. सत्य
2. सत्य
3. सत्य
4. सत्य
5. सत्य
6. असत्य
7. सत्य
8. सत्य
9. सत्य
10. सत्य