Table of Contents
इकाई-2
अध्याय-2
विश्व जनसंख्या वितरण, घनत्व और वृद्धि
स्वर्ण से नहीं वरन् केवल स्त्रियों और पुरुषों से एक राष्ट्र मज़बूत और महान बनता है।
सत्य और सम्मान की खातिर जो डटे रहते हैं और कष्ट झेलते हैं, जो परिश्रम करते हैं जब अन्य निद्रामग्न होते हैं, जो साहस दिखाते हैं जब अन्य भाग खड़े होते हैं, वही लोग राष्ट्र के स्तंभों की गहरी नींव डालते हैं और आकाश तक उसे ऊँचा उठाते हैं।
- राल्फ वाल्डो इमरसन
किसी देश के निवासी ही उसके वास्तविक धन होते हैं। यही लोग वास्तविक संसाधन हैं जो देश के अन्य संसाधनों का उपयोग करते हैं और उसकी नीतियाँ निर्धारित करते हैं। अंततः एक देश की पहचान उसके लोगों से ही होती है।
यह जानना आवश्यक है कि किसी देश में कितनी स्त्रियाँ और पुरुष हैं, प्रतिवर्ष कितने बच्चे जन्म लेते हैं, कितने लोगों की मृत्यु होती है और कैसे? क्या वे नगरों में रहते हैं अथवा गाँवों में? क्या वे पढ़ और लिख सकते हैं तथा वे क्या काम करते हैं? यही वे तथ्य हैं जिनके बारे में हम इस इकाई में अध्ययन करेंगे।
21वीं शताब्दी के प्रारंभ में विश्व की जनसंख्या 600 करोड़ से अधिक दर्ज की गई। यहाँ हम जनसंख्या के वितरण और घनत्व के प्रारूपों की विवेचना करेंगे।
लोग कुछ निश्चित प्रदेशों में क्यों रहना चाहते हैं और अन्य प्रदेशों में क्यों नहीं?
विश्व की जनसंख्या असमान रूप से वितरित है। एशिया की जनसंख्या के संबंध में जॉर्ज बी. क्रेसी की टिप्पणी है कि "एशिया में बहुत अधिक स्थानों पर कम लोग और कम स्थानों पर बहुत अधिक लोग रहते हैं।" विश्व के जनसंख्या वितरण प्रारूप के संबंध में भी यह सत्य है।
विश्व में जनसंख्या वितरण के प्रारूप
जनसंख्या के वितरण और घनत्व के प्रारूप हमें किसी क्षेत्र की जनांकिकीय विशेषताओं को समझने में मदद करते हैं। ‘जनसंख्या वितरण’ शब्द का अर्थ भूपृष्ठ पर, लोग किस प्रकार वितरित हैं इस बात से लगाया जाता है। मोटे तौर पर विश्व की जनसंख्या का 90 प्रतिशत, इसके 10 प्रतिशत, स्थलभाग में निवास करता है।
विश्व के दस सर्वाधिक आबाद देशों में विश्व की लगभग 60 प्रतिशत जनसंख्या निवास करती है इन दस देशों में से छह एशिया में अवस्थित हैं। एशिया के इन छह देशों को पहचानिए।
चित्र 2.1 : अत्याधिक सघन जनसंख्या वाले देश
जनसंख्या का घनत्व
भूमि की प्रत्येक इकाई में उस पर रह रहे लोगों के पोषण की सीमित क्षमता होती है। अतः लोगों की संख्या और भूमि के आकार के बीच अनुपात को समझना आवश्यक है। यही अनुपात जनसंख्या का घनत्व है। यह सामान्यतः प्रति वर्ग किलोमीटर रहने वाले व्यक्तियों के रूप में मापा जाता है।
उदाहरण के लिए ‘क’ प्रदेश का क्षेत्रफल 100 वर्ग
कि.मी. है और जनसंख्या 1,50,000 है। जनसंख्या का घनत्व इस प्रकार निकाला जाएगा :
= 1,500 व्यक्ति/वर्ग कि.मी.
इससे ‘क’ प्रदेश के बारे में आपको क्या पता चलता है?
नीचे दी गई तालिका 2.1 को देखिए । आप अवलोकन कर सकते हैं कि एशिया में सबसे अधिक जनसंख्या घनत्व है। कक्षा मे चर्चा करें कि इसके क्या कारण हो सकते है।
जनसंख्या वितरण को प्रभावित करने वाले कारक
(I) भौगोलिक कारक
(i) जल की उपलब्धता : जल जीवन का सर्वाधिक महत्त्वपूर्ण कारक है। अतः लोग उन क्षेत्रों में बसने को प्राथमिकता देते हैं जहाँ जल आसानी से उपलब्ध होता है। जल का उपयोग पीने, नहाने और भोजन बनाने के साथ-साथ पशुओं, फसलों, उद्योगों तथा नौसंचालन में किया जाता है। यही कारण है कि नदी-घाटियाँ विश्व के सबसे सघन बसे हुए क्षेत्र हैं।
(ii) भू-आकृति : लोग समतल मैदानों और मंद ढालों पर बसने को वरीयता देते हैं इसका कारण यह है कि एेसे क्षेत्र फसलों के उत्पादन, सड़क निर्माण और उद्योगों के लिए अनुकूल होेते हैं। पर्वतीय और पहाड़ी क्षेत्र परिवहन-तंत्र के विकास में अवरोधक हैं, इसलिए प्रारंभ में कृषिगत और औद्योगिक विकास के लिए अनुकूल नहीं होते। अतः इन क्षेत्रों में कम जनसंख्या पाई जाती है। गंगा का मैदान विश्व के सर्वाधिक सघन जनसंख्या वाले क्षेत्रों में से एक है जबकि हिमालय के पर्वतीय भाग विरल जनसंख्या वाले क्षेत्र हैं।
(iii) जलवायु : अति ऊष्ण अथवा ठंडे मरुस्थलों की विषम जलवायु मानव बसाव के लिए असुविधाजनक होती है। सुविधाजनक जलवायु वाले क्षेत्र जिनमें अधिक मौसमी जनसंख्या पाई जाती है। भूमध्य सागरीय प्रदेश सुखद जलवायु के कारण इतिहास के आरंभिक कालोें से बसे हुए हैं।
(iv) मृदाएँ : उपजाऊ मृदाएँ कृषि तथा इनसे संबंधित क्रियाओं के लिए महत्त्वपूर्ण हैं इसलिए उपजाऊ दोमट मिट्टी वाले प्रदेशों में अधिक लोग निवास करते हैं क्योंकि ये मृदाएँ गहन कृषि का आधार बन सकती हैं। क्या आप भारत में उन क्षेत्रों के नाम बता सकते हैं जहाँ कम उपजाऊ मृदा के कारण विरल जनसंख्या पाई जाती है?
(II) आर्थिक कारक
(i) खनिज : खनिज निक्षेपों से युक्त क्षेत्र उद्योगों को आकृष्ट करते हैं। खनन और औद्योगिक गतिविधियाँ रोज़गार उत्पन्न करते हैं। अतः कुशल एवं अर्ध-कुशल कर्मी इन क्षेत्रों में पहुँचते हैं और जनसंख्या को सघन बना देते हैं। अफ्रीका की कटंगा, ज़ांबिया ताँबा पेटी इसका एक अच्छा उदाहरण है।
(ii) नगरीकरण : नगर रोजगार के बेहतर अवसर, शैक्षणिक व चिकित्सा संबंधी सुविधाएँ तथा परिवहन और संचार के बेहतर साधन प्रस्तुत करते हैं। अच्छी नागरिक सुविधाएँ तथा नगरीय जीवन के आकर्षण लोगों को नगरों की ओर खींचते हैं। इससे ग्रामीण क्षेत्रों से नगरीय क्षेत्रों में प्रवास होता है और नगर आकार में बढ़ जाते हैं। विश्व के विराट नगर प्रतिवर्ष बड़ी संख्या में प्रवासियों को निरंतर आकर्षित करते हैं।
फिर भी नगरीय जीवन अत्यंत कष्टदायक हो सकता है...
नगरीय जीवन के कुछ कष्टदायक पक्षों को सोचिए।
(iii) औद्योगीकरण : औद्योगिक पेटियाँ रोजगार के अवसर उपलब्ध कराती हैं और बड़ी संख्या में लोगों को आकर्षित करती हैं। इनमें केवल कारखानों के श्रमिक ही नहीं होते बल्कि परिवहन परिचालक, दुकानदार, बैंककर्मी, डॉक्टर, अध्यापक तथा अन्य सेवाएँ उपलब्ध कराने वाले भी होते हैं। जापान का कोबे-ओसाका प्रदेश अनेक उद्योगों की उपस्थिति के कारण सघन बसा हुआ है।
III. सामाजिक एवं सांस्कृतिक कारक
कुछ स्थान धार्मिक अथवा सांस्कृतिक महत्त्व के कारण अधिक लोगों को आकर्षित करते हैं। ठीक इसी प्रकार लोग उन क्षेत्रों को छोड़ कर चले जाते हैं जहाँ सामाजिक और राजनीतिक अशांति होती है। कई बार सरकारें लोगों को विरल जनसंख्या वाले क्षेत्रों में बसने अथवा भीड़-भाड़ वाले स्थानों से चले जाने के लिए प्रोत्साहन देती हैं। क्या आप अपने प्रदेश से एेसे कुछ उदाहरणों को सोच सकते हैं?
जनसंख्या वृद्धि
जनसंख्या वृद्धि अथवा जनसंख्या परिवर्तन का अभिप्राय किसी क्षेत्र में समय की किसी निश्चित अवधि के दौरान बसे हुए लोगों की संख्या में परिवर्तन से है। यह परिवर्तन धनात्मक भी हो सकता है और ऋणात्मक भी। इसे निरपेक्ष संख्या अथवा प्रतिशत के रूप में अभिव्यक्त किया जा सकता है। जनसंख्या परिवर्तन किसी क्षेत्र की अर्थिक प्रगति, सामाजिक उत्थान, एेतिहासिक और सांस्कृतिक पृष्ठभूमि का महत्त्वपूर्ण सूचक होता है।
जनसंख्या भूगोल की कुछ आधारभूत संकल्पनाएँ
जनसंख्या की वृद्धि : समय के दो अंतरालों के बीच एक क्षेत्र विशेष में होने वाली जनसंख्या में परिवर्तन को जनसंख्या की वृद्धिकहा जाता है। उदाहरण के लिए यदि हम भारत की 2001 की जनसंख्याा (102.70 करोड़) को 2011 की जनसंख्या (121.02करोड़) में से घटाएँ तब हमें जनसंख्या की वृद्धि (18.15 करोड़) की वास्तविक संख्या का पता चलेगा।
जनसंख्या की वृद्धि दर : यह जनसंख्या में परिवर्तन है जो प्रतिशत में व्यक्त किया जाता है।
जनसंख्या की प्राकृतिक वृद्धि : किसी क्षेत्र विशेष में दो समय अंतरालों में जन्म और मृत्यु के अंतर से बढ़ने वाली जनसंख्या कोउस क्षेत्र की प्राकृतिक वृद्धि कहते हैं।
प्राकृतिक वृद्धि = जन्म – मृत्यु
जनसंख्या की वास्तविक वृद्धि : यह वृद्धि तब होती है जब
वास्तविक वृद्धि = जन्म – मृत्यु + आप्रवास – उत्प्रवास
जनसंख्या की धनात्मक वृद्धि : यह तब होती है जब दो समय अंतरालों के बीच जन्म दर, मृत्यु दर से अधिक हो या जब अन्य देशों से लोग स्थायी रूप से उस देश में प्रवास कर जाएँ।
जनसंख्या की ऋणात्मक वृद्धि : यदि दो समय अंतराल के बीच जनसंख्या कम हो जाए तो उसे जनसंख्या की ऋणात्मक वृद्धि कहते हैं। यह तब होती है जब जन्म दर मृत्यु दर से कम हो जाए अथवा लोग अन्य देशों में प्रवास कर जाएँ।
जनसंख्या परिवर्तन के घटक
जनसंख्या परिवर्तन के तीन घटक हैं - जन्म, मृत्यु और प्रवास।
अशोधित जन्म दर (CBR) को प्रति हज़ार स्त्रियों द्वारा जन्म दिए जीवित बच्चों के रूप में व्यक्त किया जाता है। इसकी गणना इस प्रकार की जाती है :
मृत्यु दर जनसंख्या परिवर्तन में सक्रिय भूमिका निभाती है। जनसंख्या वृद्धि केवल बढ़ती हुई जन्म दर से नहीं होती अपितु घटती हुई मृत्यु दर से भी होती है। अशोधित मृत्यु दर किसी क्षेत्र में मृत्यु दर को मापने की एक सरल विधि है। अशोधित मृत्यु दर को किसी क्षेत्र विशेष में किसी वर्ष के दौरान प्रति हज़ार जनसंख्या के पीछे मृतकों की संख्या के रूप में अभिव्यक्त किया जाता है।
अशोधित मृत्यु दर की गणना इस प्रकार की जाती है ः
मोटे तौर पर मृत्यु दर किसी क्षेत्र की जनांकिकीय संरचना, सामाजिक उन्नति और आर्थिक विकास के स्तर द्वारा प्रभावित होती है।
प्रवास
जन्म और मृत्यु के अतिरिक्त एक और घटक है जिससे जनसंख्या का आकार परिवर्तित होता है।
जब लोग एक स्थान से दूसरे स्थान पर जाते हैं तो वह स्थान जहाँ से लोग गमन करते हैं उद्गम स्थान कहलाता है और जिस स्थान में आगमन करते हैं वह गंतव्य स्थान कहलाता है। उद्गम स्थान जनसंख्या में कमी को दर्शाता है जबकि गंतव्य स्थान पर जनसंख्या बढ़ जाती है। प्रवास को मनुष्य और संसाधन के बीच बेहतर संतुलन प्राप्त करने की दिशा में एक स्वतःस्फूर्त प्रयास के रूप में निरूपित किया जा सकता है।
प्रवास स्थायी, अस्थायी अथवा मौसमी हो सकता है। यह गाँव से गाँव, गाँव से नगर, नगर से नगर तथा नगर से गाँव की ओर हो सकता है।
क्या आप महसूस करते हैं कि एक ही व्यक्ति दोनों एक आप्रवासी और एक उत्प्रवासी हो सकता है?
आप्रवास- प्रवासी जो किसी नए स्थान पर जाते हैं, आप्रवासी कहलाते हैं।
उत्प्रवास- प्रवासी जो एक स्थान से बाहर चले जाते हैं, उत्प्रवासी कहलाते हैं।
क्या आप सोच सकते हैं कि लोग किन कारणों से प्रवास करते हैं?
लोग बेहतर आर्थिक और सामाजिक जीवन के लिए प्रवास करते हैं। प्रवास को प्रभावित करने वाले कारकों के दो समूह हैं।
प्रतिकर्ष कारक बेरोज़गारी, रहन-सहन की निम्न दशाएँ, राजनीतिक उपद्रव, प्रतिकूल जलवायु, प्राकृतिक विपदाएँ, महामारियाँ तथा सामाजिक-आर्थिक पिछड़ेपन जैसे कारण उद्गम स्थान को कम आकर्षित बनाते हैं।
अपकर्ष कारक काम के बेहतर अवसर और रहन-सहन की अच्छी दशाएँ, शांति व स्थायित्व, जीवन व संपत्ति की सुरक्षा तथा अनुकूल जलवायु जैसे कारण गंतव्य स्थान को उद्गम स्थान की अपेक्षा अधिक आकर्षक बनाते हैं।
जनसंख्या वृद्धि की प्रवृत्तियाँ
पृथ्वी पर जनसंख्या 700 करोड़ से भी अधिक है। इस आकार तक पहुँचने में जनसंख्या को शताब्दियाँ लगी हैं। आरंभिक कालों में विश्व की जनसंख्या धीरे-धीरे बढ़ी। विगत कुछ सौ वर्षों के दौरान ही जनसंख्या आश्चर्यजनक दर से बढ़ी है।
चित्र 2.2 जनसंख्या वृद्धि की कहानी बताता है। लगभग 12000 से 8000 वर्ष पूर्व कृषि के उद्भव व आरंभ के पश्चात् जनसंख्या का आकार बहुत छोटा था - मोटे तौर पर 80 लाख। ईसा की पहली शताब्दी में जनसंख्या 30 करोड़ से कम थी। सोलहवीं और सत्रहवीं शताब्दी में बढ़ते विश्व व्यापार ने जनसंख्या की तीव्र वृद्धि के लिए मंच तैयार किया। 1750 ई. के आस-पास जब औद्योगिक क्रांति का उदय हुआ, विश्व की जनसंख्या 55 करोड़ थी। अठारहवीं शताब्दी में औद्योगिक क्रांति के पश्चात् विश्व जनसंख्या में विस्फोटक वृद्धि हुई अब तक प्राप्त प्रौद्योगिकी प्रगति ने जन्म दर को घटाने में सहायता की तथा त्वरित जनसंख्या वृद्धि के लिए मंच प्रदान किया।
विज्ञान व प्रौद्योगिकी ने किस प्रकार जनसंख्या वृद्धि में सहायता की?
मानवीय और प्राणी ऊर्जा के स्थान पर भाप इंजन प्रतिस्थापित हो गया जिसने पवन और जल के लिए यांत्रिक ऊर्जा उपलब्ध कराई इससे कृषिगत और औद्योगिक उत्पादन में वृद्धि हुई।
महामारियों व अन्य संक्रामक रोगों के विरुद्ध टीकाकरण, चिकित्सा सुविधाओं में सुधार तथा स्वच्छता ने पूरे विश्व में मृत्यु दरों को तीव्रता से घटाने में योगदान दिया।
विगत 500 वर्षों में मानव जनसंख्या 10 गुना से अधिक बढ़ी है।
अकेले 20वीं शताब्दी में जनसंख्या 4 गुना बढ़ी है।
प्रतिवर्ष लगभग 8 करोड़ लोग पहले की जनसंख्या में जुड़ जाते हैं।
विश्व जनसंख्या के दो गुना होने की अवधि
मानव जनसंख्या को प्रारंभिक एक करोड़ होने में 10 लाख से भी अधिक वर्ष लग गए। किंतु इसे 5 अरब से 6 अरब होने में मात्र 12 वर्ष लगे। तालिका 2.2 को ध्यानपूर्वक देखें जो यह दर्शाती है कि विश्व जनसंख्या के दो गुना होने की अवधि तेजी से घट रही है।
विभिन्न प्रदेशोें में उनकी जनसंख्या के दो गुना होने में अत्यधिक भिन्नताएँ पाई जाती हैं। विकसित देश विकासशील देशों की तुलना में अपनी जनसंख्या दो गुना करने में अधिक समय ले रहे हैं। जनसंख्या की अधिकतर वृद्धि विकासशील विश्व में हो रही है जहाँ जनसंख्या विस्फोट हो रहा है। एेसा क्यों है?
जनसंख्या परिवर्तन के स्थानिक प्रारूप
विश्व के विभिन्न भागों में जनसंख्या वृद्धि की तुलना की जा सकती है। विकसित देशों में विकासशील देशों की तुलना में जनसंख्या वृद्धि कम है। जनसंख्या वृद्धि और आर्थिक विकास में ऋणात्मक सह-संबंध पाया जाता है।
यद्यपि जनसंख्या परिवर्तन की वार्षिक दर (1.4 प्रतिशत) निम्न प्रतीत होती है (तालिका 2.3), वास्तव में एेसा नहीं है। इसका कारण है :
• जब एक निम्न वार्षिक दर अत्यंत बड़ी जनसंख्या पर लागू होती है तो इससे जनसंख्या में विशाल परिवर्तन होगा।
• यद्यपि वृद्धि दर निरंतर घटती रहे तो भी कुल जनसंख्या प्रतिवर्ष बढ़ती है। प्रसव के दौरान, मृत्यु दर की भाँति, शिशु मृत्यु दर में भी वृद्धि हुई हो सकती है।
जनसंख्या परिवर्तन का प्रभाव
एक विकासशील अर्थव्यवस्था में जनसंख्या की अल्प वृद्धि अपेक्षित है। फिर भी एक निश्चित स्तर के बाद जनसंख्या वृद्धि समस्याओं को उत्पन्न करती है। इनमें से संसाधनों का ह्रास सर्वाधिक गंभीर है। जनसंख्या का ह्रास भी चिंता का विषय है। यह इंगित करता है कि वे संसाधन जो पहले जनसंख्या का पोषण करते थे अब उस जनसंख्या के पोषण में सक्षम नहीं रहे।
एड्स/एच.आई.वी. (एक्वायर्ड इम्यून डेफिसिएंसी सिंड्रोम) जैसी घातक महामारियों ने अफ्रीका, स्वतंत्र राष्ट्रों के राष्ट्रमंडल (सी.आई.एस.) के कुछ भागों और एशिया में मृत्यु दर बढ़ा दी है और औसत जीवन-प्रत्याशा घटा दी है। इससे जनसंख्या वृद्धि धीमी हुई है।
जनसंख्या वृद्धि दर
जनांकिकीय संक्रमण
जनांकिकीय संक्रमण सिद्धांत का उपयोग किसी क्षेत्र की जनसंख्या के वर्णन तथा भविष्य की जनसंख्या के पूर्वानुमान के लिए किया जा सकता है। यह सिद्धांत हमें बताता है कि जैसे ही समाज ग्रामीण, खेतिहर और अशिक्षित अवस्था से उन्नति करके नगरीय औद्योगिक और साक्षर बनता है तो किसी प्रदेश की जनसंख्या उच्च जन्म और उच्च मृत्यु से निम्न जन्म व निम्न मृत्यु में परिवर्तित होती है। ये परिवर्तन अवस्थाओं में होते हैं जिन्हें सामूहिक रूप से जनांकिकीय चक्र के रूप में जाना जाता है।
चित्र 2.3 जनांकिकीय संक्रमण सिद्धांत के तीन अवस्थाओं वाले मॉडल की व्याख्या करता है :
प्रथम अवस्था में उच्च प्रजननशीलता व उच्च मर्त्यता होती है क्योंकि लोग महामारियों और भोजन की अनिश्चित आपूर्ति से होने वाली मृत्युओं की क्षतिपूर्ति अधिक पुनरुत्पादन से करते हैं। जनसंख्या वृद्धि धीमी होती है और अधिकांश लोग खेती में कार्यरत होते हैं। जहाँ बड़े परिवारों को परिसंपत्ति माना जाता है। जीवन-प्रत्याशा निम्न होती है, अधिकांश लोग अशिक्षित होते हैं और उनके प्रौद्योगिकी स्तर निम्न होते हैं। 200 वर्ष पूर्व विश्व के सभी देश इसी अवस्था में थे।
द्वितीय अवस्था के प्रारंभ में प्रजननशीलता उँची बनी रहती है किंतु यह समय के साथ घटती जाती है। यह अवस्था घटी हुई मृत्यु दर के साथ आती है। स्वास्थ्य संबंधी दशाओं व स्वच्छता में सुधार के साथ मर्त्यता में कमी आती है। इस अंतर के कारण, जनसंख्या में होने वाला शुद्ध योग उच्च होता है।
अंतिम अवस्था में प्रजननशीलता और मर्त्यता दोनों अधिक घट जाती है। जनसंख्या या तो स्थिर हो जाती है या मंद गति से बढ़ती है। जनसंख्या नगरीय और शिक्षित हो जाती है तथा उसके पास तकनीकी ज्ञान होता है। एेसी जनसंख्या विचारपूर्वक परिवार के आकार को नियंत्रित करती है।
इससे प्रदर्शित होता है कि मनुष्य जाति अत्यधिक नम्य है और अपनी प्रजननशीलता को समायोजित करने की योग्यता रखती है।
वर्तमान में विभिन्न देश जनांकिकीय संक्रमण की विभिन्न अवस्थाओं में हैं।
जनसंख्या नियंत्रण के उपाय
परिवार नियोजन का काम बच्चों के जन्म को रोकना अथवा उसमें अंतराल रखना है। परिवार नियोजन सुविधाएँ जनसंख्या वृद्धि को सीमित करने और महिलाओं के स्वास्थ्य को बेहतर करने में मुख्य भूमिका निभाती है। प्रचार, गर्भ-निरोधक की सुगम उपलब्धता बड़े परिवारों के लिए कर-निरुत्साहक उपाय कुछ एेसे प्रावधान हैं जो जनसंख्या नियंत्रण में सहायक हो सकते हैं।
थॉमस माल्थस ने अपने सिद्धांत (1798) में कहा था कि लोगों की संख्या खाद्य आपूर्ति की अपेक्षा अधिक तेजी से बढ़ेगी। जनसंख्या में वृद्धि का परिणाम अकाल, बीमारी तथा युद्ध द्वारा इसमें अचानक गिरावट के रूप में सामने आएगा।
अभ्यास
1. नीचे दिए गए चार विकल्पों में से सही उत्तर चुनिए :
(i) निम्नलिखित में से किस महाद्वीप में जनसंख्या वृद्धि सर्वाधिक है?
(क) अफ्रीका (ख) एशिया
(ग) दक्षिण अमेरिका
(घ) उत्तर अमेरिका
(ii) निम्नलिखित में से कौन-सा एक विरल जनसंख्या वाला क्षेत्र नहीं है?
(क) अटाकामा (ख) भूमध्यरेखीय प्रदेश
(ग) दक्षिण-पूर्वी एशिया (घ) ध्रुवीय प्रदेश
(iii) निम्नलिखित में से कौन-सा एक प्रतिकर्ष कारक नहीं है?
(क) जलाभाव (ख) बेरोज़गारी
(ग) चिकित्सा/शैक्षणिक सुविधाएँ (घ) महामारियाँ
(iv) निम्नलिखित में से कौन-सा एक तथ्य सही नहीं है?
(क) विगत 500 वर्षों में मानव जनसंख्या 10 गुणा से अधिक बढ़ी है।
(ख) 5 अरब से 6 अरब तक बढ़ने में जनसंख्या को 100 वर्ष लगे।
(ग) जनांकिकीय संक्रमण की प्रथम अवस्था में जनसंख्या वृद्धि उच्च होती है।
2. निम्नलिखित प्रश्नों के उत्तर लगभग 30 शब्दों में दीजिए :
(i) जनसंख्या के वितरण को प्रभावित करने वाले तीन भौगोलिक कारकों का उल्लेख कीजिए।
(ii) विश्व में उच्च जनसंख्या घनत्व वाले अनेक क्षेत्र हैं। एेसा क्यों होता है?
(iii) जनसंख्या परिवर्तन के तीन घटक कौन-से हैं?
3. अंतर स्पष्ट कीजिए :
(i) जन्म दर और मृत्यु दर
(ii) प्रवास के प्रतिकर्ष कारक और अपकर्ष कारक
4. निम्नलिखित प्रश्नों के उत्तर लगभग 150 शब्दों में दीजिए :
(i) विश्व में जनसंख्या के वितरण और घनत्व को प्रभावित करने वाले कारकों की विवेचना कीजिए।
(ii) जनांकिकीय संक्रमण की तीन अवस्थाओं की विवेचना कीजिए।
मानचित्र कुशलता
विश्व के रूपरेखा मानचित्र पर निम्नलिखित को दर्शाइए व उनके नाम लिखिएः
(i) यूरोप और एशिया के ऋणात्मक जनसंख्या वृद्धि दर वाले देश।
(ii तीन प्रतिशत से अधिक जनसंख्या वृद्धि दर वाले अफ्रीकी देश (आप परिशिष्ट 1
का हवाला दे सकते हैं।)
परियोजना/क्रियाकलाप
(i) क्या आपके परिवार में कोई प्रवासी है? उसके गंतव्य स्थान के बारे में लिखिए। उसके प्रवास के क्या कारण थे?
(ii) अपने राज्य के जनसंख्या वितरण और घनत्व पर एक संक्षिप्त रिपोर्ट (प्रतिवेदन) लिखिए।