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किसी भी देश में विविध प्रकार के लोग रहते हैं। प्रत्येक व्यक्ति अपने आप में अद्वितीय है। लोगों को आयु, लिंग तथा उनके निवास स्थान के आधार पर पृथक् किया जा सकता है। जनसंख्या को पृथक् करने वाली कुछ अन्य विशेषताएँ हैं- व्यवसाय, शिक्षा और जीवन-प्रत्याशा।
लिंग संघटन
स्त्रियों और पुरुषों की संख्या किसी देश की महत्त्वपूर्ण जनांकिकीय विशेषता होती है। जनसंख्या में स्त्रियों और पुरुषों की संख्या के बीच के अनुपात को लिंग अनुपात कहा जाता है। कुछ देशों में यह निम्न सूत्र द्वारा परिकलित किया जाता है।
अथवा प्रति हज़ार स्त्रियों पर पुरुषों की संख्या।
भारत में इस सूत्र का प्रयोग कर लिंग अनुपात ज्ञात किया जाता हैः
अथवा प्रति हज़ार पुरुषों पर स्त्रियों की संख्या।
लिंग अनुपात किसी देश में स्त्रियों की स्थिति के संबंध में महत्त्वपूर्ण सूचना होती है।
जिन प्रदेशों में लिंग भेदभाव अनियंत्रित होता है, वहाँ लिंग अनुपात निश्चित रूप से स्त्रियों के प्रतिकूल होता है। इन क्षेत्रों में स्त्री भ्रूण हत्या तथा स्त्री-शिशु हत्या और स्त्रियों के प्रति घरेलू हिंसा की प्रथा प्रचलित है। इसका एक कारण इन क्षेत्रों में स्त्रियों की सामाजिक-आर्थिक स्तर का निम्न होना हो सकता है।
आपको स्मरण होना चाहिए कि जनसंख्या में अधिक स्त्रियों के होने का अर्थ यह नहीं है कि उनका स्तर बेहतर है। यह भी हो सकता है कि पुरुष रोज़गार के लिए अन्य क्षेत्रों में प्रवास कर गए हों।
प्राकृतिक लाभ बनाम सामाजिक हानि
विश्व की जनसंख्या का औसत लिंग अनुपात, प्रति 100 स्त्रियों पर 102 पुरुष हैं। विश्व में उच्चतम लिंग अनुपात लैटविया में दर्ज़ किया गया है जहाँ प्रति सौ स्त्रियों पर 85 पुरुष हैं। इसके विपरीत निम्नतम लिंग अनुपात संयुक्त अरब अमीरात में दर्ज़ किया गया है जहाँ प्रति सौ स्त्रियों पर 311 पुरुष हैं।
लिंग अनुपात के विश्व प्रतिरूप से विश्व के विकसित प्रदेशों में कोई अलग अंतर नहीं दिखाई पड़ता है। संयुक्त राष्ट्र संघ द्वारा सूचीबद्ध 139 देशों में लिंग अनुपात स्त्रियों के लिए अनुकूल है, जबकि शेष 72 देशों में यह उनके लिए प्रतिकूल है।
सामान्यतः एशिया में लिंग अनुपात निम्न है। चीन, भारत, सऊदी अरब, पाकिस्तान व अफगानिस्तान जैसे देशों में लिंग अनुपात और भी निम्न है।
दूसरी ओर, रूस सहित यूरोप के एक बड़े भाग में पुरुष अल्प संख्या में हैं। यूरोप के अनेक देशों में पुरुषों की कमी, वहाँ स्त्रियों की बेहतर स्थिति तथा भूतकाल में विश्व के विभिन्न भागों में अत्यधिक पुरुष उत्प्रवास के कारण है।
आयु संरचना
आयु संरचना विभिन्न आयु वर्गाें में लोगों की संख्या को प्रदर्शित करती है। जनसंख्या संघटन का यह एक महत्त्वपूर्ण सूचक है, क्योंकि 15 से 59 आयु वर्ग के बीच जनसंख्या का बड़ा आकार एक विशाल कार्यशील जनसंख्या को इंगित करता है। 60 वर्ष से अधिक आयु वाली जनसंख्या का एक बड़ा अनुपात उस वृद्ध जनसंख्या को प्रदर्शित करता है, जिसे स्वास्थ्य संबंधी सेवाओं के लिए अधिक खर्च की आवश्यकता है। इसी प्रकार युवा जनसंख्या के उच्च अनुपात का अर्थ है कि प्रदेश में जन्म दर ऊँची है व जनसंख्या युवा है।
आयु-लिंग पिरामिड
जनसंख्या की आयु-लिंग संरचना का अभिप्राय विभिन्न आयु वर्गाें में स्त्रियों और पुरुषों की संख्या से है। जनसंख्या पिरामिड का प्रयोग जनसंख्या की आयु-लिंग संरचना को दर्शाने के लिए किया जाता है।
जनसंख्या पिरामिड की आकृति जनसंख्या की विशेषताओं को परिलक्षित करती है। प्रत्येक आयु वर्ग में बायाँ भाग पुरुषों का प्रतिशत तथा दायाँ भाग स्त्रियों का प्रतिशत दर्शाता है।
चित्र 3.1, 3.2 और 3.3 जनसंख्या पिरामिड के विभिन्न प्रकार दर्शाते हैं।
विस्तारित होती जनसंख्या
नाइजीरिया का आयु-लिंग पिरामिड, जैसा कि आप देख सकते हैं, विस्तृत आकार वाला त्रिभुजाकार पिरामिड है जो अल्प विकसित देशों का प्रतिरूपी है। इस पिरामिड में उच्च जन्म दर के कारण निम्न आयु वर्गाें में विशाल जनसंख्या पाई जाती है। यदि आप बांग्लादेश और मैक्सिको के लिए पिरामिड की रचना करें तो वे भी एेसे ही दिखाई देंगे।
चित्र 3.1 : विस्तारित होती जनसंख्या
स्थिर जनसंख्या
आस्ट्रेलिया का आयु-लिंग पिरामिड घंटी के आकार का है जो शीर्ष की ओर शुंडाकार होता जाता है। यह दर्शाता है कि जन्म दर और मृत्यु दर लगभग समान है जिसके परिणामस्वरूप जनसंख्या स्थिर हो जाती है।
चित्र 3.2 : स्थिर जनसंख्या
ह्रासमान जनसंख्या
जापान के पिरामिड का संकीर्ण आधार और शुंडाकार शीर्ष निम्न जन्म और मृत्यु दरों को दर्शाता है। इन देशों में जनसंख्या वृद्धि शून्य अथवा ऋणात्मक होती है।
चित्र 3.3 : ह्रासमान जनसंख्या
अपने स्कूल के बच्चों का एक जनसंख्या पिरामिड बनाएँ और उसकी विशेषताओं का वर्णन करें।
वृद्ध होती जनसंख्या
ग्रामीण - नगरीय संघटन
जनसंख्या का ग्रामीण और नगरीय में विभाजन निवास के आधार पर होता है। यह विभाजन आवश्यक है क्योंकि ग्रामीण और नगरीय जीवन आजीविका और सामाजिक दशाओं में एक-दूसरे से भिन्न होते हैं। ग्रामीण और नगरीय क्षेत्रों में आयु-लिंग संघटन, व्यावसायिक संरचना, जनसंख्या का घनत्व तथा विकास के स्तर अलग-अलग होते हैं।
यद्यपि ग्रामीण और नगरीय जनसंख्या में अंतर करने के मापदंड एक देश से दूसरे देश में भिन्न होती है। सामान्य रूप से ग्रामीण क्षेत्र वे होते हैं, जिनमें लोग प्राथमिक क्रियाओं में संलग्न होते हैं और नगरीय क्षेत्र वे होते हैं जिनमें अधिकांश कार्यशील जनसंख्या गैर-प्राथमिक क्रियाओं में संलग्न होती है।
चित्र 3.4 कुछ चुने हुए देशों की ग्रामीण-नगरीय लिंग संघटन को दर्शाता है। कनाडा और फिनलैंड जैसे पश्चिमी यूरोपीय देशों में ग्रामीण और नगरीय लिंग अनुपात में अंतर अफ्रीकी और एशियाई देशों क्रमशः जिंबाब्वे तथा नेपाल के ग्रामीण और नगरीय लिंग अनुपात के विपरीत हैं। पश्चिमी देशों में ग्रामीण क्षेत्रों में स्त्रियों की अपेक्षा पुरुषों की संख्या अधिक है, जबकि नगरीय क्षेत्रों में स्त्रियों की संख्या पुरुषों की अपेक्षा अधिक है। नेपाल, पाकिस्तान और भारत जैसे देशों में स्थिति इससे विपरीत है। नगरीय क्षेत्रों में रोजगार के अवसरों की अधिक संभावनाओं के कारण ग्रामीण क्षेत्रों से महिलाओं के आगमन के परिणामस्वरूप यूरोप, कनाडा और संयुक्त राज्य अमेरिका के नगरीय क्षेत्रों में महिलाओं की अधिकता है। कृषि भी इन विकसित देशों में अत्यधिक मशीनीकृत है और यह लगभग पुरुष प्रधान व्यवसाय है। इसके विपरीत एशिया के नगरीय क्षेत्रों में पुरुष प्रधान प्रवास के कारण लिंग अनुपात भी पुरुषों के अनुकूल है। उल्लेखनीय है कि भारत जैसे देशों में ग्रामीण क्षेत्रों के कृषि कार्याें में महिलाओं की सहभागिता काफ़ी ऊँची है। नगरों में आवास की कमी, रहन-सहन की उच्च लागत, रोज़गार के अवसरों की कमी और सुरक्षा की कमी महिलाओं के गाँव से नगरीय क्षेत्रों में प्रवास को रोकते हैं।
साक्षरता
किसी देश में साक्षर जनसंख्या का अनुपात उसके सामाजिक-आर्थिक विकास का सूचक होता है, क्योंकि इससे रहन-सहन के स्तर, महिलाओं की सामाजिक स्थिति, शैक्षणिक सुविधाओं की उपलब्धता तथा सरकार की नीतियों का पता चलता है। आर्थिक विकास का स्तर साक्षरता का कारण एवं परिणाम दोनों ही है। भारत में साक्षरता दर 7 वर्ष से अधिक आयु वाले जनसंख्या के उस प्रतिशत को सूचित करता है, जो पढ़ लिख सकता है और जिसमें समझ के साथ अंकगणितीय परिकलन करने की योग्यता है।
चित्र 3.4 : ग्रामीण नगरीय लिंग संघटन (चयनित देश)
स्रोतः डेमोग्राफिक ईयर बुक, 2015
व्यावसायिक संरचना
कार्यशील जनसंख्या (अर्थात 15-59 आयु वर्ग में स्त्री और पुरुष) कृषि, वानिकी, मत्स्यन, विनिर्माण, निर्माण, व्यावसायिक परिवहन, सेवाओं, संचार तथा अन्य अवर्गीकृत सेवाओं जैसे व्यवसायों में भाग लेते हैं।
कृषि, वानिकी, मत्स्यन तथा खनन को प्राथमिक क्रियाओं, विनिर्माण को द्वितीयक क्रिया, व्यापार, परिवहन, संचार और अन्य सेवाओं को तृतीयक क्रियाओं तथा अनुसंधान सूचना प्रौद्योगिकी और वैचारिक विकास से जुड़े कार्याें को चतुर्थक क्रियाओं के रूप में वर्गीकृत किया जाता है। इन चार खंडों में कार्यशील जनसंख्या का अनुपात किसी राष्ट्र के आर्थिक विकास के स्तरों का एक अच्छा सूचक है। इसका कारण यह है कि केवल उद्योगों और अवसंरचना से युक्त एक विकसित अर्थव्यवस्था ही द्वितीयक, तृतीयक और चतुर्थक सैक्टरों में अधिक कर्मियों को समायोजित कर सकती है। यदि अर्थव्यवस्था अभी भी आदिम अवस्था में है, तब प्राथमिक क्रियाओं में संलग्न लोगों का अनुपात अधिक होगा क्योंकि इसमें मात्र प्राकृतिक संसाधनों का विदोहन होता है।
अभ्यास
1. नीचे दिए गए चार विकल्पों में सही उत्तर को चुनिए :
(i) निम्नलिखित में से किसने संयुक्त अरब अमीरात के लिंग अनुपात को निम्न किया है?
(क) पुरुष कार्यशील जनसंख्या का चयनित प्रवास।
(ख) पुरुषों की उच्च जन्म दर।
(ग) स्त्रियों की निम्न जन्म दर।
(घ) स्त्रियों का उच्च उत्प्रवास।
(ii) निम्नलिखित में से कौन-सी संख्या जनसंख्या के कार्यशील आयु वर्ग का प्रतिनिधित्व करती है?
(क) 15 से 65 वर्ष (ख) 15 से 66 वर्ष
(ग) 15 से 64 वर्ष (घ) 15 से 59 वर्ष
(iii) निम्नलिखित में से किस देश का लिंग अनुपात विश्व में सर्वाधिक है?
(क) लैटविया (ख) जापान
(ग) संयुक्त अरब अमीरात (घ) फ्रांस
2. निम्नलिखित प्रश्नों के उत्तर लगभग 30 शब्दों में दीजिए :
(i) जनसंख्या संघटन से आप क्या समझते हैं?
(ii) आयु-संरचना का क्या महत्त्व है?
(iii) लिंग-अनुपात कैसे मापा जाता है?
3. निम्नलिखित प्रश्नों के उत्तर 150 शब्दों से अधिक में न दें :
(i) जनसंख्या के ग्रामीण-नगरीय संघटन का वर्णन कीजिए।
(ii) विश्व के विभिन्न भागों में आयु-लिंग में असंतुलन के लिए उत्तरदाई कारकों तथा व्यावसायिक संरचना की विवेचना कीजिए।
परियोजना/क्रियाकलाप
अपने ज़िला/राज्य के आयु-लिंग पिरामिड की रचना कीजिए।