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इकाई I

अध्याय 2

 

प्रवास प्रकार, कारण और परिणाम



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छत्तीसग\ढ़ के भिलाई इस्पात संयंत्र में एक अभियंता के रूप में कार्य कर रहे रामबाबू का जन्म बिहार के भोजपुर \ज़िले के एक छोटे से गाँव में हुआ था। 12 वर्ष की आरंभिक आयु में माध्यमिक स्तर का अध्ययन पूरा करने के लिए वह निकटवर्ती कस्बे आरा में चला गया। वह अपनी अभियांत्रिकी की डिग्री के लिए झारखंड में स्थित सिंदरी गया और बाद में भिलाई में उसे नौकरी मिल गई, जहाँ वह पिछले 31 वर्षों से रह रहा है। उसके माता-पिता अशिक्षित थे और उनकी आजीविका का एकमात्र स्रोत कृषि से होने वाली अल्प आय थी। उन्होंने अपना सारा जीवन उस गाँव में गुजार दिया।

रामबाबू के तीन बच्चे हैं जिन्होंने अपनी माध्यमिक स्तर की शिक्षा भिलाई में प्राप्त की और फिर उच्चतर शिक्षा के लिए विभिन्न स्थानों पर गए। पहला बच्चा इलाहाबाद और मुंबई में प\ढ़ा और वर्तमान में दिल्ली में एक वैज्ञानिक के रूप में काम कर रहा है। दूसरे बच्चे (ल\ड़की) ने अपनी उच्चतर शिक्षा भारत के विभिन्न विश्वविद्यालयों से ग्रहण की और वर्तमान में वह संयुक्त राज्य अमेरिका में काम कर रही है। तीसरी, अपनी प\ढ़ाई पूरी कर शादी के बाद सूरत में बस गई।

यह कहानी केवल रामबाबू और उसके बच्चों की नहीं है, एेसे गमनागमन अधिक से अधिक वैश्विक प्रवृत्ति वाले बनते जा रहे हैं। लोग एक गाँव से दूसरे गाँव, गाँवों से शहरों, छोटे शहरों से ब\ड़े शहरों और एक देश से दूसरे देश में जा रहे हैं।
अपनी पुस्तक ‘मानव भूगोल के मूलभूत सिद्धांत’ में आप प्रवास की संकल्पना और परिभाषा को पहले ही समझ चुके हैं। प्रवास दिक् और काल के संदर्भ में जनसंख्या के पुनर्वितरण का अभिन्न अंग और एक महत्त्वपूर्ण कारक हैं। भारत देश में मध्य और पश्चिमी एशिया तथा दक्षिण-पूर्वी एशिया से आने वाले प्रवासियों की तरंगों का साक्षी रहा है। वास्तव में भारत का इतिहास देश के विभिन्न भागों में प्रवासियों की तरंगों के एक के बाद एक आ-आकर बसने का इतिहास है। एक नामी कवि \फ़िराक गोरखपुरी के शब्दों में :

"सर ज़मीन-ए-हिन्द पर अक्वाम-ए-आलम के \फ़िराक

का\फ़िले बसते गए, हिन्दोस्तान बनता गया"


(विश्व के सभी भागों से लोगों के कारवाँ भारत में आते रहे और बसते रहे और इसी से भारत की विरचना हुई।)

इसी प्रकार, भारत से भी बहुत ब\ड़ी संख्या में लोग बेहतर अवसरों की तलाश में विभिन्न स्थानों विशेष रूप से मध्य पूर्व और पश्चिमी यूरोप के देशों अमेरिका, आस्ट्रेलिया और पूर्वी और दक्षिण-पूर्वी एशिया में प्रवास करते रहे।


भारतीय प्रसार (Indian Diaspora)

उपनिवेश काल (ब्रिटिश काल) के दौरान अंग्रे\ज़ों द्वारा उत्तर प्रदेश और बिहार से मॉरीशस, कैरेबियन द्वीपों (ट्रिनीडाड, टोबैगो और गुयाना) फिजी और दक्षिण अफ्रीका; फ्रांसीसियों और जर्मनों द्वारा रियूनियन द्वीप, गुआडेलोप, मार्टीनीक और सूरीनाम में, फ्रांसीसी तथा डच लोगों और पुर्तगालियों द्वारा गोवा, दमन और दीव से, अंगोला, मोजांबिक व अन्य देशों में करारबद्ध लाखों श्रमिकों को रोपण कृषि में काम करने के लिए भेजा था। एेसे सभी प्रवास (भारतीय उत्प्रवास अधिनियम) गिरमिट एक्ट नामक समयबद्ध अनुबंध के तहत आते थे। फिर भी, इन करारबद्ध म\ज़दूरों के जीवन की दशाएँ दासों से बेहतर नहीं थीं।

प्रवासियों की दूसरी तरंग ने नूतन समय में व्यवसायियों, शिल्पियों, व्यापारियों और फैक्टरी म\ज़दूरों के रूप में आर्थिक अवसरों की तलाश में निकटवर्ती देशों थाइलैंड, मलेशिया, सिंगापुर, इंडोनेशिया, ब्रूनई, इत्यादि देशों में व्यवसाय के लिए गए और यह प्रवृत्ति अब भी जारी है। 1970 केदशक में पश्चिम एशिया में हुई सहसा तेल वृद्धि द्वारा जनित श्रमिकों की माँग के कारण भारत से अर्ध-कुशल और कुशल श्रमिकों का नियमित बाह्य प्रवास हुआ। कुछ बाह्य प्रवास उद्यमियों, भंडार मालिकों, व्यवसायियों का भी पश्चिमी देशों में प्रवास हुआ।

प्रवासियों की तीसरी तरंग में डॉक्टरों, अभियंताओं (1960 के बाद) सॉफ्टवेयर अभियंताओं, प्रबंधन परामर्शदाताओं, वित्तीय विशेषज्ञों, संचार माध्यम सेजु\ड़े व्यक्तियों और (1980 के बाद) अन्य समाविष्ट थे, जिन्होंने संयुक्त राज्य अमेरिका, कनाडा, यूनाइटेड किंगडम, आस्ट्रेलिया, न्यू\ज़ीलैंड और जर्मनीइत्यादि में प्रवास किया। इन व्यवसायियों ने सर्वाधिक शिक्षित, उच्चतम अर्जन करने वाले और सफलतम समूहों में से एक होने की विशिष्टता का आनंद लिया। उदारीकरण के पश्चात 90 के दशक में शिक्षा और ज्ञान आधारित भारतीय उत्प्रवासियों ने भारतीय प्रसार को विश्व के सर्वाधिक शक्तिशाली प्रसार में से एक बना दिया।

इन सभी देशों में भारतीय प्रसार अपने-अपने देशों के विकास में महत्त्वपूर्ण भूमिका निभा रहे हैं।


प्रवास

आप भारत में जनगणना से पहले ही परिचित हैं। इसमें देश में प्रवास के संबंध में सूचना होती है। वास्तव में प्रवास को 1881 ई. में भारत की प्रथम संचालित जनगणना से ही दर्ज करना आरंभ कर दिया गया था। इन आँक\ड़ों को जन्म के स्थान के आधार पर दर्ज किया गया था। परंतु 1961 की जनगणना में पहला मुख्य संशोधन किया गया था और उसमें दो घटक अर्थात् जन्म स्थान अर्थात् गाँव या नगर और (यदि अन्यत्र जन्मा है) तो निवास की अवधि सम्मिलित किए गए। इसके बाद 1971 में पिछले निवास के स्थान और गणना के स्थान पर रुकने की अवधि की अतिरिक्त सूचना को समाविष्ट किया गया। प्रवास के कारणों पर सूचना का समावेश 1981 की जनगणना में किया गया जिसका क्रमिक जनगणनाओं में संशोधन किया गया।

जनगणना में प्रवास पर निम्नलिखित प्रश्न पूछे जाते हैंः

•क्या व्यक्ति इसी गाँव अथवा शहर में पैदा हुआ है? यदि नहीं, तब जन्म के स्थान की (ग्रामीण/नगरीय) स्थिति, \ज़िले और राज्य का नाम और यदि भारत से बाहर का है तो जन्म के देश के नाम की सूचना प्राप्त की जाती है।

• क्या व्यक्ति इस गाँव या शहर में कहीं और से आया है? यदि हाँ, तब निवास के पूर्व स्थान के स्तर (ग्रामीण/नगरीय) \ज़िले और राज्य का नाम और यदि भारत से बाहर का है तो देश के नाम के बारे में आगे प्रश्न पूछे जाते हैं।

इनके अतिरिक्त पिछले निवास स्थान से प्रवास के कारण और गणना के स्थान पर निवास की अवधि भी पूछी जाती है।


भारत की जनगणना में प्रवास की गणना दो आधारों पर की जाती है ः (i) जन्म का स्थान, यदि जन्म का स्थान गणना के स्थान से भिन्न है (इसे जीवनपर्यंत प्रवासी के नाम से जाना जाता है); (ii) निवास का स्थान, यदि निवास का पिछला स्थान गणना के स्थान से भिन्न है (इसे निवास के पिछले स्थान से प्रवासी के रूप में जाना जाता है)। 2011 की जनगणना के अनुसार देश के 121 करो\ड़ लोगों में से 45.6 करो\ड़
(37 प्रतिशत) एेसे प्रवासियों की संख्या थी जो निवास के पिछले स्थान के संदर्भ में थे। निवास के पिछले स्थान के संदर्भ में यह संख्या 31.5 करो\ड़ (31 प्रतिशत) थी।



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प्रवास की स्थिति ज्ञात करने के लिए अपने प\ड़ोस के पाँच घरों का सर्वेक्षण कीजिए। यदि प्रवासी हैं तो पाठ में दी गई दो कसौटियों के आधार पर उन्हेंवर्गीकृत कीजिए।




प्रवास की धाराएँ

आंतरिक प्रवास (देश के भीतर) और अंतर्राष्ट्रीय प्रवास (देश के बाहर और अन्य देशों से देश के अंदर) से संबंधित कुछ तथ्य यहाँ प्रस्तुत हैं। आंतरिक प्रवास के अंतर्गत चार धाराओं की पहचान की गई है  :  (क) ग्रामीण से ग्रामीण 

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2011 की जनगणना के अनुसार अंतःराज्यीय और अन्तर-राज्यीय प्रवास को दर्शाने वाले चित्रों 2.1 क और 2.1 ख का परीक्षण कीजिए और ज्ञात कीजिए:

(क) दोनों चित्रों में ग्रामीण से ग्रामीण क्षेत्रों में प्रवास करने वाली स्त्रियों की संख्या अधिक क्यों है?

(ख) ग्रामीण से नगरीय क्षेत्रों में अन्तर-राज्यीय पुरूष प्रवास अधिक क्यों है?




(ख) ग्रामीण से नगरीय (ग) नगरीय से नगरीय और (घ) नगरीय से ग्रामीण। भारत में 2011 के दौरान पिछले निवास के आधार पर परिकलित 45.6 करो\ड़ प्रवासियों में से 14.2 करो\ड़ ने पिछले दस वर्षों में अपने निवास का स्थान बदल लिया है। इनमें से 11.9 करो\ड़ अंतःराज्यीय प्रवासी थे। इस धारा में स्त्री प्रवासी प्रमुख थी। इनमें से अधिकांश विवाहोपरांत प्रवासी थीं।

अंतःराज्यीय और अन्तर-राज्यीय प्रवास की विभिन्न धाराओं में स्त्री और पुरुष प्रवासियों के वितरण को चित्र 
2.1 क और 2.1 ख में प्रस्तुत किया गया है। इस बात का स्पष्ट साक्ष्य है कि दोनों प्रकार के प्रवासों में थो\ड़ी दूरी के ग्रामीण से ग्रामीण प्रवास की धाराओं में स्त्रियों की संख्या सर्वाधिक है। इसके विपरीत आर्थिक कारणों की वजह से अंतर-राज्यीय प्रवास ग्राम से नगर धारा में पुरुष सर्वाधिक हैं।

आंतरिक प्रवास की इन धाराओं के अतिरिक्त भारत में प\ड़ोसी देशों से आप्रवास और उन देशों की ओर भारत से उत्प्रवास भी हुआ है। तालिका 2.1 में प\ड़ोसी देशों से प्रवासियों का ब्योरा प्रस्तुत करती है। जनगणना 2011 में अंकित है कि भारत में अन्य देशों से 50 लाख व्यक्तियों का प्रवास हुआ है। इनमें से 88.9 प्रतिशत प\ड़ोसी देशों से आए हैं ः बांग्लादेश, नेपाल इसके बाद पाकिस्तान प्रमुख हैं।

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पड़ोसी देशों से प्रवास 47,66,231 को 100 प्रतिशत मानते हुए तालिका 2.1 में दिए गए आँक\ड़ों को पाई आरेख द्वारा प्रदर्शित कीजिए।



प्रवास में स्थानिक विभिन्नता

महाराष्ट्र, दिल्ली, गुजरात और हरियाणा जैसे राज्य उत्तर प्रदेश, बिहार, राजस्थान इत्यादि जैसे अन्य राज्यों से प्रवासियों को आकर्षित करते हैं, प्रवासियों में महाराष्ट्र का सूची में प्रथम स्थान है, इसके बाद दिल्ली, गुजरात और हरियाणा आते हैं। दूसरी ओर उत्तर प्रदेश और बिहार वे राज्य हैं जहाँ से उत्प्रवासियों की संख्या सर्वाधिक है।


प्रवास के कारण

लोग सामान्य रूप से अपने जन्म स्थान से भावनात्मक रूप से जु\ड़े होते हैं। किंतु लाखों लोग अपने जन्म के स्थान और निवास को छो\ड़ देते हैं। इसके विविध कारण हो सकते हैं जिन्हें बृहत् रूप से दो संवर्गों में रखा जा सकता है ः 

(i) प्रतिकर्ष कारक (Push factor) जो लोगों को निवास स्थान अथवा उद्गम को छु\ड़वाने का कारण बनते हैं और 

(ii) अपकर्ष कारक (Pull factor) जो विभिन्न स्थानों से लोगों को आकर्षित करते हैं।


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भारत में लोग ग्रामीण से नगरीय क्षेत्रों में मुख्यतः गरीबी, कृषि भूमि पर जनसंख्या के अधिक दबाव, स्वास्थ्य सेवाओं, शिक्षा जैसी आधारभूत अवसंरचनात्मक सुविधाओं के अभाव इत्यादि के कारण प्रवास करते हैं। 

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इन कारकों के अतिरिक्त बा\ढ़, सूखा, चक्रवातीय तूफान, भूकम्प, सुनामी जैसी प्राकृतिक आपदाएँ, युद्ध, स्थानीय संघर्ष भी प्रवास के लिए अतिरिक्त प्रतिकर्ष पैदा करते हैं। दूसरी ओर अपकर्ष कारक हैं, जो लोगों को ग्रामीण क्षेत्रों से नगरों की ओर आकर्षित करते हैं। नगरीय क्षेत्रों की ओर अधिकांश ग्रामीण प्रवासियों के लिए सर्वाधिक महत्त्वपूर्ण अपकर्ष कारक बेहतर अवसर, नियमित काम का मिलना और अपेक्षाकृत ऊँचा वेतन है। शिक्षा के लिए बेहतर अवसर, बेहतर स्वास्थ्य सुविधाएँ और मनोरंजन के स्रोत इत्यादि भी का\फ़ी महत्त्वपूर्ण अपकर्ष कारक हैं।

चित्र 2.2 क तथा ख में पुरुषों और स्त्रियों के प्रवास के कारणों का अलग-अलग परीक्षण कीजिए। चित्रों के आधार पर यह देखा जा सकता है कि पुरुषों और स्त्रियों के लिए प्रवास के कारण भिन्न हैं। उदाहरण के तौर पर काम और रो\ज़गार पुरुष प्रवास के मुख्य कारण (26 प्रतिशत) रहे हैं जबकि यही कारण केवल 2.3 प्रतिशत स्त्रियों के लिए हैं। इसके विपरीत 67 प्रतिशत स्त्रियाँ विवाह के उपरांत अपने मायके से बाहर जाती हैं। भारत के ग्रामीण क्षेत्रों में यह सर्वाधिक महत्त्वपूर्ण कारण हैं, मेघालय इसका अपवाद है जहाँ स्थिति उलट है।


मेघालय में स्त्री विवाह प्रवास कानून क्यों भिन्न है?


प्रवास के परिणाम

प्रवास, क्षेत्र पर अवसरों के असमान वितरण के कारण होता है। लोगों में कम अवसरों और कम सुरक्षा वाले स्थान से अधिक अवसरों और बेहतर सुरक्षा वाले स्थान की ओर जाने की प्रवृत्ति होती है। बदले में यह प्रवास के उद्गम और गंतव्य क्षेत्रों के लिए लाभ और हानि दोनों उत्पन्न करता है। परिणामों को आर्थिक, सामाजिक, सांस्कृतिक, राजनीतिक और जनांकिकीय संदर्भों में देखा जा सकता है।

आर्थिक परिणाम

उद्गम प्रदेश के लिए मुख्य लाभ प्रवासियों द्वारा भेजी गई हुंडी हैं। अंतर्राष्ट्रीय प्रवासियों द्वारा भेजी गई हुंडियाँ विदेशी विनिमय के प्रमुख स्रोत में से एक हैं। पंजाब, केरल और तमिलनाडु अपने अंतर्राष्ट्रीय प्रवासियों से महत्त्वपूर्ण राशि प्राप्त करते हैं। अंतर्राष्ट्रीय प्रवासियों की तुलना में आंतरिक प्रवासियों द्वारा भेजी गई हुंडियों की राशि बहुत थो\ड़ी है, किंतु यह उद्गम क्षेत्र की आर्थिक वृद्धि में महत्त्वपूर्ण भूमिका निभाती है। हुंडियों का प्रयोग मुख्यतः भोजन, ऋणों की अदायगी, उपचार, विवाहों, बच्चों की शिक्षा, कृषीय निवेश, गृह-निर्माण इत्यादि के लिए किया जाता है। बिहार, उत्तर प्रदेश, ओडिशा, आंध्र प्रदेश, हिमाचल प्रदेश, इत्यादि के ह\ज़ारों निर्धन गाँवों की अर्थव्यवस्था के लिए ये हुंडियाँ जीवनदायक रक्त का काम करती हैं। पूर्वी उत्तर प्रदेश, बिहार, मध्य प्रदेश और उ\ड़ीसा के ग्रामीण क्षेत्रों से पंजाब, हरियाणा, पश्चिमी उत्तर प्रदेश के ग्रामीण क्षेत्रों में प्रवास कृषि विकास के लिए उनकी हरित-क्रांति कार्ययोजना की सफलता के लिए उत्तरदायी हैं। इसके अतिरिक्त अनियंत्रित प्रवास ने भारत के महानगरों को अति संकुुलित कर दिया है। महाराष्ट्र, गुजरात, कर्नाटक, तमिलनाडु और दिल्ली जैसे औद्योगिक दृष्टि से विकसित राज्यों में गंदी बस्तियों (स्लम) का विकास देश में अनियंत्रित प्रवास का नकारात्मक परिणाम है।


क्या आप प्रवास के कुछ और सकारात्मक और नकारात्मक परिणामों का नाम बता सकते हैं?


जनांकिकीय परिणाम

प्रवास से देश के अंदर जनसंख्या का पुनर्वितरण होता है। ग्रामीण नगरीय प्रवास नगरों में जनसंख्या की वृद्धि में योगदान देने वाले महत्त्वपूर्ण कारकों में से एक हैं। ग्रामीण क्षेत्रों में होने वाले युवा आयु, कुशल एवं दक्ष लोगों का बाह्य प्रवास ग्रामीण जनांकिकीय संघटन पर प्रतिकूल प्रभाव डालता है। यद्यपि उत्तराखण्ड, राजस्थान, मध्य प्रदेश और पूर्वी महाराष्ट्र से होने वाले बाह्य प्रवास ने इन राज्यों की आयु एवं लिंग संरचना में गंभीर असंतुलन पैदा कर दिया है। एेसे ही असंतुलन उन राज्यों में भी उत्पन्न हो गए हैं जिनमें ये प्रवासी जाते हैं। प्रवासियों के उद्गम और गंतव्य स्थानों में लिंग अनुपात असंतुलित होने का क्या कारण है?

2.2

सामाजिक परिणाम

प्रवासी सामाजिक परिवर्तन के अभिकर्ताओं के रूप में कार्य करते हैं। नवीन प्रौद्योगिकियों, परिवार नियोजन, बालिका शिक्षा इत्यादि से संबंधित नए विचारों का नगरीय क्षेत्रों से ग्रामीण क्षेत्रों की ओर विसरण इन्हीं के माध्यम से होता है।

प्रवास से विविध संस्कृतियों के लोगों का अंतर्मिश्रण होता है। इसका संकीर्ण विचारों को भेदते तथा मिस्र संस्कृति के उद्विकास में सकारात्मक योगदान होता है और यह अधिकतर लोगों के मानसिक क्षितिज को विस्तृत करता है। किंतु इसके गुमनामी जैसे गंभीर नकारात्मक परिणाम भी होते हैं जो व्यक्तियों में सामाजिक निर्वात और खिन्नता की भावना भर देते हैं। खिन्नता की सतत भावना लोगों को अपराध और औषध दुरुपयोग (drug abuse) जैसी असामाजिक क्रियाओं के पाश में फँसने के लिए अभिप्रेरित कर सकती है।

पर्यावरणीय परिणाम

ग्रामीण से नगरीय प्रवास के कारण लोगों का अति संकुलन नगरीय क्षेत्रों में वर्तमान सामाजिक और भौतिक अवसंरचना पर दबाव डालता है। अंततः इससे नगरीय बस्तियों की अनियोजित वृद्धि होती है और गंदी बस्तियों और क्षुद्र कॉलोनियों का निर्माण होता है।
इसके अतिरिक्त प्राकृतिक संसाधनों के अति दोहन के कारण नगर भौमजल स्तर के अवक्षय, वायु प्रदूषण, वाहित मल के निपटान और ठोस कचरे के प्रबंधन जैसी गंभीर समस्याओं का सामना कर रहे हैं।

अन्य
प्रवास (विवाहजन्य प्रवास को छो\ड़कर भी) स्त्रियों के जीवन स्तर को प्रत्यक्ष अथवा परोक्ष रूप से प्रभावित करता है। ग्रामीण क्षेत्रों में पुरुष वरणात्मक बाह्य प्रवास के कारण पत्नियाँ पीछे छूट जाती हैं जिससे उन पर अतिरिक्त शारीरिक और मानसिक दबाव प\ड़ता है। शिक्षा अथवा रो\ज़गार के लिए ‘स्त्रियों’ का प्रवास उनकी स्वायत्तता और अर्थव्यवस्था में उनकी भूमिका को बढ़ा देता है।

स्रोत प्रदेश के दृष्टिकोण से यदि हुंडियाँ (remittances) प्रवास के प्रमुख लाभ हैं तो मानव संसाधन, विशेष रूप से कुशल लोगों का ह्रास उसकी गंभीर लागत है। उन्नत कुशलता का बा\ज़ार सही मायने में वैश्विक बा\ज़ार बन गया है और सर्वाधिक गत्यात्मक औद्योगिक अर्थव्यवस्थाएँ गरीब प्रदेशों से उच्च प्रशिक्षित व्यावसायिकों को सार्थक अनुपातों में प्रवेश दे रही है और भर्ती कर रही हैं। परिणामस्वरूप स्रोत प्रदेश के वर्तमान अल्पविकास को बल मिलता है।

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अभ्यास

1. नीचे दिए गए चार विकल्पों में से सही उत्तर चुनिए।

(i) निम्नलिखित में से कौन-सा भारत में पुरुष प्रवास का मुख्य कारण है?

(क) शिक्षा (ग) काम और रो\ज़गार

(ख) व्यवसाय (घ) विवाह

(ii) निम्नलिखित में से किस राज्य में सर्वाधिक संख्या में आप्रवासी आते हैं?

(क) उत्तर प्रदेश (ग) महाराष्ट्र

(ख) दिल्ली (घ) बिहार

(iii) निम्नलिखित में से कौन-सा भारत में महिला प्रवास का प्रमुख कारण है?

(क) शिक्षा (ग) काम और रोजगार

(ख) व्यवसाय (घ) विवाह

2. निम्नलिखित प्रश्नों का उत्तर लगभग 30 शब्दों में दें।

(i) जीवन पर्यंत प्रवासी औैर पिछले निवास के अनुसार प्रवासी में अंतर स्पष्ट कीजिए।

(ii) पुरुष/स्त्री चयनात्मक प्रवास के मुख्य कारण की पहचान कीजिए।

(iii) उद्गम और गंतव्य स्थान की आयु एवं लिंग संरचना पर ग्रामीण-नगरीय प्रवास का क्या प्रभाव प\ड़ता है?

3. निम्नलिखित प्रश्नों के उत्तर लगभग 150 शब्दों में दें।

(i) भारत में अंतर्राष्ट्रीय प्रवास के कारणों की विवेचना कीजिए।

(ii) प्रवास के सामाजिक जनांकिकीय परिणाम क्या-क्या हैं?