सुदामा की दीन दशा देखकर श्रीकृष्ण की क्या मनोदशा हुई? अपने शब्दों में लिखिए।
पानी परात को हाथ छुयो नहिं, नैनन के जल सों पग धोए। पंक्ति में वर्णित भाव का वर्णन अपने शब्दों में कीजिए।
चोरी की बान में हौ जू प्रवीने।
(क) उपर्युक्त पंक्ति में कौन, किससे कह रहा है?
(ख) इस कथन की पृष्ठभूमि स्पष्ट कीजिए।
(ग) इस उपालंभ (शिकायत) के पीछे कौन-सी पौराणिक कथा है?
द्वारका से खाली हाथ लौटते समय सुदामा मार्ग में क्या-क्या सोचते जा रहे थे? वे कृष्ण के व्यवहार से क्यों खीझ रहे थे? सुदामा के मन की दुविधा को अपने शब्दों में प्रकट कीजिए।
अपने गाँव लौटकर जब सुदामा अपनी झोपड़ी नहीं खोज पाए तब उनके मन में क्या-क्या विचार आए? कविता के आधार पर स्पष्ट कीजिए।
निर्धनता के बाद मिलने वाली संपन्नता का चित्रण कविता की अंतिम पंक्तियों में वर्णित है। उसे अपने शब्दों में लिखिए।
द्रुपद और द्रोणाचार्य भी सहपाठी थे। उनकी मित्रता और शत्रुता की कथा महाभारत से खोजकर सुदामा के कथानक से तुलना कीजिए।
उच्च पद पर पहुँचकर या अधिक समृद्ध होकर व्यक्ति अपने निर्धन माता-पिता, भाई-बंधुओं से नजर फेरने लग जाता है ऐसे लोगों के लिए ‘सुदामा चरित’ कैसी चुनौती खड़ी करता हैं? लिखिए।
अनुमान कीजिए यदि आपका कोई अभिन्न मित्र आपसे बहुत वर्षों बाद मिलने आए तो आपको कैसा अनुभव होगा?
कहि रहीम संपति सगे, बनत बहुत बहु रीति।
विपति कसौटी जे कसे, तेई साँचे मीत।
इस दोहे में रहीम ने सच्चे मित्र की पहचान बताई है। इस दोहे से ‘सुदामा चरित’ की समानता किस प्रकार दिखती है? लिखिए।
पानी परात को हाथ छुयो नहिं, नैनन के जल सों पग धोए।
ऊपर लिखी गई पंक्ति को ध्यान से पढि़ए। इसमें बात को बहुत अधिक बढ़ा-चढ़ाकर चित्रित किया गया है। जब किसी बात को इतना बढ़ा-चढ़ाकर प्रस्तुत किया जाता है तो वहाँ पर अतिशयोक्ति अलंकार होता है। आप भी कविता में से अतिशयोक्ति अलंकार का एक उदाहरण छाँटिए।
इस कविता को एकांकी में बदलिए और उसका अभिनय कीजिए।
कविता के उचित सस्वर वाचन का अभ्यास कीजिए।
‘मित्रता’ संबंधी दोहों का संकलन कीजिए।