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(क) निम्नलिखित प्रश्नों के उत्तर दीजिए-
मीठी वाणी बोलने से औरों को सुख और अपने तन को शीतलता कैसे प्राप्त होती है?
दीपक दिखाई देने पर अँधियारा कैसे मिट जाता है? साखी के संदर्भ में स्पष्ट कीजिए।
ईश्वर कण-कण में व्याप्त है, पर हम उसे क्यों नहीं देख पाते?
संसार में सुखी व्यक्ति कौन है और दुखी कौन? यहाँ ‘सोना’ और ‘जागना’ किसके प्रतीक हैं? इसका प्रयोग यहाँ क्यों किया गया है? स्पष्ट कीजिए।
अपने स्वभाव को निर्मल रखने के लिए कबीर ने क्या उपाय सुझाया है?
‘एकै अषिर पीव का, पढ़ै सु पंडित होइ’- इस पंक्ति द्वारा कवि क्या कहना चाहता है?
कबीर की उद्धृत साखियों की भाषा की विशेषता स्पष्ट कीजिए ।
(ख) निम्नलिखित का भाव स्पष्ट कीजिए-
विरह भुवंगम तन बसै, मंत्र न लागै कोइ।
कस्तूरी कुंडलि बसै, मृग ढ़ूँढ़ै बन माँहि।
जब मैं था तब हरि नहीं, अब हरि हैं मैं नाँहि।
पोथी पढ़ि पढ़ि जग मुवा, पंडित भया न कोइ।
पाठ में आए निम्नलिखित शब्दों के प्रचलित रूप उदाहरण के अनुसार लिखिए-
उदाहरण- जिवै- जीना
औरन, माँहि, देख्या, भुवंगम, नेड़ा, आँगणी, साबण, मुवा, पीव, जालौं, तास