निम्नलिखित प्रश्नों के उत्तर दीजिए-
कवि ने कैसी मृत्यु को सुमृत्यु कहा है?
उदार व्यक्ति की पहचान कैसे हो सकती है?
कवि ने दधीचि, कर्ण आदि महान व्यक्तियों का उदाहरण देकर ‘मनुष्यता के लिए क्या संदेश दिया है?’
कवि ने किन पंक्तियों में यह व्यक्त किया है कि हमें गर्व-रहित जीवन व्यतीत करना चाहिए?
“मनुष्य मात्र बंधु है” से आप क्या समझते हैं? स्पष्ट कीजिए।
कवि ने सबको एक होकर चलने की प्रेरणा क्यों दी है?
व्यक्ति को किस प्रकार का जीवन व्यतीत करना चाहिए? इस कविता के आधार पर लिखिए।
‘मनुष्यता’ कविता के माध्यम से कवि क्या संदेश देना चाहता है?
निम्नलिखित का भाव स्पष्ट कीजिए-
सहानुभूति चाहिए, महाविभूति है यही_
वशीकृता सदैव है बनी हुर्ह स्वयं मही।
विरुद्धवाद बुद्ध का दया-प्रवाह में बहा,
विनीत लोकवर्ग क्या न सामने झुका रहा?
रहो न भूल के कभी मदांध तुच्छ वित्त में,
सनाथ जान आपको करो न गर्व चित्त में।
अनाथ कौन है यहाँ? त्रिलोकनाथ साथ हैं,
दयालु दीनबंधु के बड़े विशाल हाथ है।
चलो अभीष्ट मार्ग में सहर्ष खेलते हुए,
विपत्ति, विघ्न जो पड़े उन्हें ढकेलते हुए।
घटे न हेलमेल हाँ, बढ़े न भिन्नता कभी,
अतर्क एक पंथ के सतर्क पंथ हों सभी।