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निम्नलिखित प्रश्नों के उत्तर दीजिए-
कवि किससे और क्या प्रार्थना कर रहा है?
‘विपदाओं से मुझे बचाओ, यह मेरी प्रार्थना नहीं’- कवि इस पंक्ति के द्वारा क्या कहना चाहता है?
कवि सहायक के न मिलने पर क्या प्रार्थना करता है?
अंत में कवि क्या अननुय करता है?
‘आत्मत्राण’ शीर्षक की सार्थकता कविता के संदर्भ में स्पष्ट कीजिए?
अपनी इच्छाओं की पूर्ति के लिए आप प्रार्थना के अतिरिक्त क्या-क्या प्रयास करते हैं?
क्या कवि की यह प्रार्थना आपको अन्य प्रार्थना गीतों से अलग लगती है यदि हाँ, तो कैसे?
निम्नलिखित अंशों का भाव स्पष्ट कीजिए-
नत शिर होकर सुख के दिन में
तव मुख पहचानूँ छिन-छिन में।
हानि उठानी पड़े जगत् में लाभ अगर वंचना रही
तो भी मन में न मानूँ क्षय।
तरने की हो शक्ति अनामय
मेरा भार अगर लघु करके न दो सांत्वना नहीं सही।