मेघों के लिए ‘बन-ठन के, संवर के’ आने की बात क्यों कही गयी है?
कवि द्वारा प्रस्तुत कविता में मेघों के लिए बन-ठन के संवर कर आने की बात कही गयी है। वास्तव में मेघ एकाएक ही नहीं घिर आते हैं। वे हमें अपने आने की सूचना ठन्डी-ठन्डी पुरवाई हवा से देते हैं। हम बरसात के मौसम में इन हवाओं से ही मेघों या बादलों के आने की सूचना प्राप्त करते हैं। आसमान में हम इस अवसर पर इंद्रधनुष के रूप में सतरंगी छटा भी देखते हैं। ठंडी हवायें, पानी की बूंदें, इंद्रधनुष और कुछ नहीं बल्कि बादलों के श्रृंगार के सामान ही हैं जिन्हें पहन ओढ़ कर मेघ गहरा नीला और कभी-कभी काला रूप लेकर खूब बरसता है।