Listen NCERT Audio Books - Kitabein Ab Bolengi
निम्नलिखित के आशय स्पष्ट कीजिए-
‘धन्य-धन्य वे हैं नर मैले जो करत गात कनिया लगाय धूरि ऐसे लरिकान की‘-लेखक इन पंक्तियों द्वारा क्या कहना चाहता है?
लेखक ‘धूल’ पाठ की प्रस्तुत पंक्तियों में ग्रामीण वयस्कों के द्वारा धूल में सने बच्चों को स्नेह वश अपनी गोद में उठा लेने को लेकर हमें उनके द्वारा अपने स्नेह के आगे धूल को तरजीह ना देने की बात बताता है। लेखक बल्कि ऐसे लोगों को गांव की पवित्र मिट्टी के स्पर्श होने पर उन्हें धन्य मानता है। वह बच्चों के शरीर में लगी धूल को मिट्टी की आभा मानता है। वह मिट्टी से बने शरीर की आभा धूल को बच्चों के शरीर में छाने पर बच्चों की देह का पवित्र हो जाना मानता है। वह नरों को इन छोटे-छोटे बच्चों को अपनी गोद में उठाने पर उन्हें परम सौभाग्यशाली मानता है क्योंकि वे नर इन बच्चों के माध्यम से पवित्र धूल का स्पर्श कर स्वयं भी पवित्र हो गये हैं।