निम्नलिखित प्रश्नों के उत्तर (50-60) शब्दों में लिखिए

इस पाठ का शीर्षक ‘दुःख का अधिकार’ कहाँ तक सार्थक है? स्पष्ट कीजिए।

प्रस्तुत पाठ का शीर्षक ‘दुख का अधिकार’ समाज में अमीरों को दुख मनाने का अधिकार होने को लेकर सार्थक प्रतीत होता है। अमीरों को दुख मनाने का अधिकार इनकी संपन्नता के फलस्वरूप समाज से ही मिलता है क्योंकि इस अधिकार को समाज के संपन्न लोग ही अफोर्ड कर सकते हैं और इस प्रकार वे दुख मनाने का समाज से दर्जा प्राप्त करते हैं। जबकि गरीबों एवं समाज के वंचितों को अपना दुख मनाने का कोई अधिकार नहीं होता| इसी कारण इस पाठ का शीर्षक ‘दुख का अधिकार’ एक उचित शीर्षक है|


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