Listen NCERT Audio Books - Kitabein Ab Bolengi
निम्नलिखित के आशय स्पष्ट कीजिएः
इनके लिए बेटा-बेटी, खसम-लुगाई, धर्म-ईमान सब रोटी का टुकड़ा है।
लेखक प्रस्तुत उक्ति को उस अधेड उम्र की खरबूजे बेचने वाली महिला के समीप खङे व्यक्ति के मुख से कहवाता है। यह व्यक्ति उस महिला के अपने जवान बेटे की मृत्यु के पश्चात इसका शोक घर में बैठकर ना मनाने पर ऐसा कहता है। वह वास्तविकता जाने बिना कि कैसे और किन परिस्थितियों में उस महिला को बाजार आकर खरबूजा बेचने पर विवश होना पङा है। यह बिना जाने वह उस महिला द्वारा रोटी के टुकड़े को महत्वपूर्ण मानना समझ बैठता है और वह उसके लिए बेटा-बेटी, खसम-लुगाई, धर्म-ईमान कुछ नहीं है जैसे वाक्य का प्रयोग करता है।