स्पर्श भाग 1

Book: स्पर्श भाग 1

Chapter: 7. Dharam Ki Aad

Subject: Hindi - Class 9th

Q. No. 3 of Likhit

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निम्नलिखित का आशय स्पष्ट कीजिए-

उबल पड़ने वाले साधारण आदमी का इसमें केवल इतना ही दोष है कि वह कुछ भी नहीं समझता-बूझता, और दूसरे लोग उसे जिधर जोत देते हैं, उधर जुत जाता है।

लेखक गणेश शंकर विद्यार्थी प्रस्तुत निबंध ‘धर्म की आङ’ में साधारण आदमी को धर्म की हानि के मामले में उन्माद से भरा हुआ पाते हैं। उनका इस संबंध में कहना है कि यह काम धर्म के तथाकथित ठीकेदारों का है। ये लोग अपने निजी स्वार्थ के लिए धर्म की हानि का एक छद्म माहौल बनाते हैं। साधारण लोग जागरूकता की कमी के कारण इन तथाकथित धर्माधिकारियों के बिछाये जाल में फंस जाते हैं। वे फिर अपने इन आकाओं के आदेश पर एक रिमोट कंट्रोल बनकर मार-काट पर उतारू हो जाते हैं। वास्तव में चालाक लोगों के जाल में फंसे ये लोग निरे मूर्ख ही होते हैं और इन्हें अपनी मूर्खता की कीमत कभीकभी अपनी जान देकर चुकानी पङती है।


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