Listen NCERT Audio Books - Kitabein Ab Bolengi
निम्नलिखित का आशय स्पष्ट कीजिए-
तुम्हारे मानने ही से मेरा ईश्वरत्य कायम नहीं रहेगा, दया करके, मनुष्यत को मानो, पशु बनना छोड़ो और आदमी बनो!
लेखक प्रस्तुत पंक्तियों में ईश्वर के प्रिय लोग केवल मनुष्यत्व की भावना रखने वाले लोगों को मान रहे हैं। वे धर्म का गोरखधंधा करने वाले लोगों को ईश्वर का प्रिय पात्र मानने से इंकार कर रहे हैं। इस बारे में उनका साफ मानना है कि ईश्वरत्व की महिमा ऐसे लोगों द्वारा गलत ढंग से परिभाषित करने पर कम ना होगी और ऐसे लोग ईश्वर को प्रिय भी नहीं हैं यहां तक कि ईश्वर को इनके द्वारा प्रशंसा भी नापसंद है। ये लोग ईश्वर को केवल और केवल अपनी पशुता छोङने पर ही प्रिय होंगे। ईश्वर की ओर से लेखक का ऐसे लोगों को अपनी पशुतुल्य मानसिकता को छोङकर मनुष्यता को अपनाने का आह्वान किया गया है।