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निम्नलिखित प्रश्नों के उत्तर दीजिए-
दूसरे पद की ‘जाकी छोति जगत कउ लागै ता पर तुहीं ढरै’ इस पंक्ति का आशय स्पष्ट कीजिए।
इस पंक्ति का अभिप्राय है कि संसार में नीच जाति में पैदा होने वाले जिन लोगों को अछूत समझा जाता है, प्रभु की कृपा उन पर भी समान रूप से होती है। प्रभु की दृष्टि में भक्त की भक्ति से बढ़कर कुछ नहीं है, इसलिए वो उनका भी उद्धार कर देते हैं जिन्हें समाज में निम्न जाति का समझा जाता है। ईश्वर अपने भक्तों में भेदभाव किए बिना सबके दुखों को कम करते हैं। दुनिया में भले ही कोई किसी भी जाति या धर्म का क्यों न हो, भगवान के लिए सभी लोग एक समान हैं। उनका प्रेम सबसे ऊंचा होने के कारण उन्हें पतित पावन, भक्ति वत्सल और दीनानाथ कहा जाता है।