नीचे लिखी पंक्तियों का भाव स्पष्ट कीजिए-
जाकी जोति बरै दिन राती
प्रभु के प्रति रैदास की भक्ति एक ऐसे दीप के समान है जिसकी ज्योति दिन-रात जलती रहे। इसमें कवि ने खुद को बाती और प्रभु को दीपक बताया है, जिसकी भक्ति की ज्योति हमेशा भक्त के मन में जलती रहती है। अपने मन में ईश्वर की भक्ति की ज्योति को निरंतर जलाए रखने के लिए वह दिन-रात प्रभु की भक्ति में खोया रहता है।