‘मित्रता’ संबंधी दोहों का संकलन कीजिए।
‘मित्रता’ संबंधी दोहे:
(क) जे न मित्र दुख होहिं दुखारी।तिन्हहि विलोकत पातक भारी।
निज दुख गिरि सम रज करि जाना।मित्रक दुख रज मेरू समाना।
(तुलसीदास)
(ख) जो रहीम दीपक दसा तिय राखत पट ओट
समय परे ते होत हैं वाही पट की चोट।
(ग) मथत मथत माखन रहै दही मही बिलगाय
रहिमन सोई मीत है भीर परे ठहराय ।
(रहीम)