फ़ातिमा ने कहा,--------मैं किराये पर साइकिल लेती हूँ ताकि मैं आजादी और खुशहाली का अनुभव कर सकूँ। साइकिल चलाने से फ़ातिमा और पुडुकोट्टई की अन्य महिलाओं को ‘आजादी’ का अनुभव क्यों होता होगा?
साइकिल चलाने से पुडुकोट्टई की महिलाओं को ‘आजादी’ का अनुभव इसलिए होता होगा क्योंकि साइकिल पर सवार होकर वे घर की चारदीवारी से मुक्त हो जाती होंगी| साइकिल की वहज से प्राप्त इस स्वतंत्रता को वे महसूस कर अपने जीवन को बेहतर तरीके से जी पा रही होंगी| स्वतंत्र जीवन शैली की वजह से उनके आत्मविश्वास में वृद्धि होती है। साइकिल सवार इन महिलाओं के साथ कोई रोक-टोक न होने से उनकी आजादी सचमुच ही बढ़ जाती है।
इसी वजह से फातिमा और पुडुकोट्टई में रहने वाले तमाम महिला साइकिल पर सवार होने के बाद खुद को स्वतंत्र समझने लगीं।