गौरेयों की चर्चा
मान लो तुम लेखक के घर की एक गौरेया हो। अब अपने साथी गौरेया को बताओ कि तम्हारे साथ इस घर मे क्या-क्या हुआ?
मेरा पुराना घोंसला तोड़ दिया गया था और तब मैंने अपने लिए नया घोंसला बनाने के लिए जगह खोजनी शुरू की| तभी मुझे यह घर दिखा और वहाँ मैंने पंखे के ऊपर अपना घोंसला बना लिया| लेकिन बाद में मकान के मालिक को वहाँ पंखे के ऊपर हमारा घोंसला बनाना पसंद नहीं आया और उसने हमारे घोंसल को तोड़ने के अथक प्रयास किये| हमें भगाने की पुरजोर कोशिशें की लेकिन हमने भी ठान लिया था कि हम अपना घोंसला छोड़कर नहीं जाने वाले| इस घर के कुछ लोग हमारा घोंसला तोड़ने का विरोध भी कर रहे थे जैसे कि-माँ| अंत में घोंसला तोड़ने के अथक प्रयासों के बाद भी पिताजी को इसमें सफलता नहीं मिली और उन्होंने हमारा घोंसला न तोड़ने का निर्णय लिया|