पाठ से
सलमा ने ऐसा क्यों कहा कि मैं तो अब जीना चाहती हूँ?
बीमारी की चपेट में आने के बाद जब सलमा को आर्युवेदिक दवाइयों से आराम पड़ा तो उसके जीने की ख्वाहिश फिर जिंदा हो गई। उसके पांव के छाले सूखने लगे। बदन दर्द और गले से खून बहना भी बंद हो गया। उसके शरीर पर मौजूद लाल बड़े-बड़े निशान अब छोटे होने लगे थे। उसे पहली बार ऐसा महसूस हुआ कि वह अब ठीक होने लगी है। ऐसे में सलमा में एक बार फिर जीने की हसरत पैदा हो गई।