उपाय
नीचे कुछ दर्घटनाओं के बारे मे लिखा हुआ है; जैसे-
क) सड़क दुर्घटना – सड़क पर होती है
ख) ट्रेन दुर्घटना -ट्रेन की पटरी पर होती है
ग) हवाई दुर्घटना - धरती या आसमान कहीं भी हो सकती है
घ) नौका दुर्घटना - जल में हो सकती है
इनके कारणों में मानवीय भूल, जानबूझकर और प्राकृतिक रूप से संबंधित कोई भी कारण हो सकता है। मान लो कि तुम्हारे आस-पास ऐसी कोई भी दुर्घटना घट जाती है तो तुम क्या-क्या करोगे?
क) क्या तुम स्वयं को बचाओगे?
ख) किसी और को बचाओगे?
ग) किसी अन्य को बचने और बचाने का उपाय बताओगे?
घ) किसी अन्य को उस दुर्घटना के बारे मे बताओगे और बुलाओगे?
ङ) क्या तुम चुपचाप रह जाओगे?
इसमें तुम जो भी करना चाहते हो, उसका कारण भी बताओ।
क) हां, यह स्वभाविक है। निश्चित ही पहले आपको खुद के बारे में सोचना होगा। अगर आप खुद को ही नहीं बचा पाओगो तो दूसरों की रक्षा करने का तो सवाल ही नहीं होता। इसलिए इसमें कोई दो राय नहीं कि पहले हम स्वंय की रक्षा करेंगे इसके बाद किसी दूसरे की रक्षा के बारे में सोचेंगे।
ख) यदि हम खुद खतरे से बाहर निकल जाते हैं तो अवश्य ही हमें दूसरे की रक्षा करनी चाहिए। यदि हम किसी कारण दूसरे की रक्षा नहीं कर पा रहे हैं तो उसे उस दुर्घटना या त्रासदी से बाहर आने या बचने के उपाय बताएंगे। इसके अलावा उसे मुसीबत से बाहर निकालने के लिए हर संभव मार्ग खोजेंगे। ऐसी परिस्थितियों में कई बार पुलिस या सहायक दल की मदद भी ली जा सकती है।
ग) हां दुर्घटना स्थल पर फंसे किसी भी व्यक्ति की मदद करने के लिए उसे उपाय बताना जरूरी है। ऐसी परिस्थिति में वो व्यक्ति घबराएगा नहीं और आपकी उपायों को जानकर खतरे से भी बाहर आ पाएगा।
घ) वैसे तो दुर्घटना स्थल पर किसी दूसरे व्यक्ति को बुलाना सही नहीं है,लेकिन अगर सहयोग की जरूरत हो और आपको लगे कि कोई व्यक्ति आपको या किसी अन्य को उस घटनास्थल से मुक्त करा सकता है तो निश्चित ही आपको किसी की मदद लेनी चाहिए। हालांकि ध्यान रहे कि ऐसे में किसी दूसरे की जान को भी जोखिम न खड़ा हो जाए।
ड) ऐसी परिस्थितियों में कभी शांत नहीं रहना चाहिए। शांत रहने की बजाए शोर मचाकर लोगों को इकट्ठा कर लेना चाहिए। ताकि कोई आपकी मदद को आगे आ सके। लोगों की भीड़ देखकर आपको भी हौसला मिलेगा और आप खुद उस मुसीबत से बाहर आने की कोशिश करेंगे। इसके अलावा शोर सुनकर घटना स्थल पर पहुंचने वाले लोग भी तरह-तरह जुगत लगाकर आपको बचाने का प्रयास करेंगे।