यह लेख 1947 में लिखा गया था। तब से हिमालय से निकलनेवाली नदियों में क्या-क्या बदलाव आए हैं?

1947 से अबतक करीब 70 साल हो गए है। इन 70 सालों में नदियों के रूप और स्वच्छता में बहुत परिवर्तन आया है। ये नदियां ही हैं जिनका पानी घरों तक जाता है। बढ़ती आबादी के कारण ये नदियां मानव की प्यास बुझाने के लिए पर्याप्त नहीं रहीं। मनुष्य ने अपनी स्वार्थ की प्रवृत्ति के चलते इन नदियों को गंदा करना शुरू कर दिया है। जो नदी हमें जीवनदान देती हैं उनकी मानव हत्या कर रहा है। पहले यही नदियां अमृत समान जल प्रदान करती थीं और हम इन्हें मां की तरह पूजते थे। अब नदियों का स्वरूप बदल चुका है। नदियों का जल गंदा हो चुका है। कुछ नदियां तो पूरी तरह से सूख भी गई हैं। इसी वजह से नदियों के प्रति हमारा नजरिया और हमारी आस्था प्रभावित हुई है|


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