आपकी गलियों में कई अजनबी फेरीवाले आते होंगे। आप उनके बारे में क्या-क्या जानते हैं? अगली बार जब आपकी गली में कोई फेरीवाला आए तो उससे बातचीत कर जानने की कोशिश कीजिए।

हमारी गली में कुल्फी वाला और बुढ़िया के बाल वाला फेरी लगाता है। ये दोनों हर शाम 5 बजे आत हैं। कुल्फी वाले के ठेले में घंटी लगी हुई है। जिसके बजते ही सभी बच्चे समझ जाते हैं कि कुल्फी वाला आ गया है। वहीं बुढ़िया के बाल बाला जोर से आवाज लगाता है- आओ बच्चों आओ, ये गजब की चीज खाओ। बुढ़िया के बाल चीनी से बनते हैं। जो बच्चों को खास पसंद होते हैं।

कुल्फी वाले की बात करें तो वो गरीब परिवार का लगता है। अपने घर की रोजी रोटी चलाने के लिए ये काम कर रहा है। उसके घर में भी दो बच्चे हैं। जो स्कूल जाते हैं। उसकी बूढ़ी मां अक्सर बीमार रहती है। वहीं उसकी पत्नी दूसरों के घरों में काम कर चार पैसे कमाती है। दूसरा फेरी वाला काफी बुजुर्ग है। उसके कोई बच्चे नहीं हैं। घर में परिवार के नाम पर सिर्फ पत्नी है। ये काम कर वो अपने और बीवी के भर का पैसा कमा लेता है। वो मध्य प्रदेश का रहने वाला है।


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