सन् 1935-40 केलगभग लेखिका का बचपन शिमला में अधिक दिन गुजरा। उन दिनों के शिमला के विषय में जानने का प्रयास करो।

लेखिका ने अपने पाठ में शिमला की जिस छवि को दर्शाने की कोशिश की है उसे समझकर इतना जरूर कहा जा सकता है कि वह बहुत सुंदर रहा होगा। आज के शिमला में फिर भी आधुनीकरण हो गया है लेकिन तब शिमला आधुनीकरण से दूर होगा। मन मोहक वादियां, दूर दूर तक हरियाली, पहाड़ों के पीछे से निकलता सूरज, रात में टिमटिमाते छोटे बल्ब वहां की सुंदरता में चार चांद लगाते हैं।


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