प्रेमचंद ने इस कहानी का नाम ‘नादान दोस्त’ रखा। तुम इसे क्या शीर्षक देना चाहोगे?

मैं इसे शीर्षक देना चाहूँगी- अंजाने दोस्त या चिड़िया के दो नादान दोस्त या फिर चिड़िया और नादान दोस्त


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