कजली दंगल जैसी गतिविधियों का आयोजन क्यों हुआ करता होगा? कुछ और परंपरागत लोक आयोजनों का उल्लेख कीजिए।
कजली दंगल जो पहले जमाने मे केवल मनोरंजन का साधन हुआ करता था साथ ही पुराने जमाने में लोग इसके साथ अपनी प्रतिष्ठा का सवाल भी जोड़ लेते थे| कजली दंगल में हार-जीत को वे अपने सम्मान एवं अपमान की तरह देखते थे| इस प्रकार के स्थानीय आयोजन भारत की सांस्कृतिक पहचान के रूप में जाने जाते हैं| कजली आयोजन भी इन्हीं लोक आयोजनों में से एक है| इसमें हाथी, गाय एवं दो लठे्धारियों को बुलाकर कजली दंगल समारोह का आयोजन करवाया जाता था| वहाँ के लोग इस मनोरंजन मे अपनी प्रतिष्ठा को भी जोङ देते थे और साथ ही कजली दंगल जैसे अन्य समारोह भी वहाँ साथ-साथ आयोजित किये जाते थे| कजली दंगल मुख्य समारोह होता था जिस पर सबकी नजर होती थी|
भाग लेने वालों की हार जीत पर सबका मन टिका हुआ होता था। भारत में कई स्थानों पर इस प्रकार के आयोजान अलग-अलग रूप में लोक समारोहों के रूप में मनाये जाते हैं। कजली दंगल का प्रमुख कार्य लोगों मे उत्साह बढ़ाना और दंगल का प्रचार प्रसार करना था।
भारत में आयोजित होने वाले अन्य लोक आयोजन इस प्रकार हैं- बृज क्षेत्र में आयोजित होने वाला रसिया दंगल, पश्चिमी उत्तर प्रदेश एवं हरियाणा में रागिनी दंगल, उत्तर भारत में पहलवानी या कुश्ती का आयोजन, राजस्थान में पशु मेले का आयोजन, दक्षिण भारत में बैल या भैंसा दौड़|