Listen NCERT Audio Books - Kitabein Ab Bolengi
(ख) निम्नलिखित का भाव स्पष्ट कीजिए-
विरह भुवंगम तन बसै, मंत्र न लागै कोइ।
विरह-व्यथा विष से भी अधिक मारक है, दारुण है। इस व्यथा का वर्णन शब्दों द्वारा व्यक्त नहीं किया जा सकता। जब बिरह का साँप तन के अंदर बैठा हो तो कोई भी मंत्र काम नहीं आता है। सर्प और विष का उदाहरण देते हुए कवि ने राम वियोगी की व्यथा का मार्मिक चित्रण किया है। कबीर के अनुसार विरह सर्प की भाँति है। विरह-विष तन में व्याप्त है। यहाँ पर कवि ने प्रेमी के बिरह से पीड़ित व्यक्ति की तुलना ऐसे व्यक्ति से की जिससे ईश्वर दूर हो जाते हैं। ऐसा व्यक्ति हमेशा व्यथा में ही रहता है क्योंकि उसपर किसी भी दवा या उपचार का असर नहीं होता है।