Listen NCERT Audio Books - Kitabein Ab Bolengi
(ख) निम्नलिखित का भाव स्पष्ट कीजिए-
जब मैं था तब हरि नहीं, अब हरि हैं मैं नाँहि।
कबीर के अनुसार जब तक मैं- अर्थात् अहंकार का भाव मन में रहता है तब तक वहाँ ईश्वर का वास नहीं हो सकता और मन में अज्ञान रूपी अंधकार ही समाया हुआ रहता है। जब मनुष्य का मैं यानि अहँ उसपर हावी होता है तो उसे ईश्वर की प्राप्ति नहीं हो सकती| जब मनुष्य के मन से यह मैं रुपी अहंकार समाप्त हो जाता है तो उसे ईश्वर की प्राप्ति हो जाती है और फिर मनुष्य का अस्तित्व नगण्य हो जाता है क्योंकि वह ईश्वर में मिल जाता है। जब मनुष्य असल अपने आपको और ईश्वर को पहचान लेता है तो वह ईश्वर की शक्ति को भी समझ जाता है और फिर उसके मन से अहं और अहंकार पूर्णतः समाप्त हो जाते हैं|