Listen NCERT Audio Books - Kitabein Ab Bolengi
सतसैया के दोहरे, ज्यों नाविक के तीर ।
देखन में छोटे लगै, घाव करें गंभीर।।
प्रस्तुत दोहे में ‘ बिहारी सतसई ’ के दोहों की विशेषता बताते हुए कवि बिहारी के काव्य-कौशल की प्रशंसा की गई है। बिहारी के दोहे देखने में तो दोहे की मर्यादा जितने ही यानी दो पंक्तियों के ही होते हैं परंतु उनका अर्थ दो पंक्तियों में नहीं किया जा सकता। उन दोहों में मानो गागर में सागर भरा है। एक-एक दोहे में गहन अर्थ, भाव, शिल्प, अलंकार, रस आदि की भरमार है। इन दोहों की व्याख्या करने पर कई अर्थ निकलकर सामने आते हैं। दोहों का शब्द विधान सजीव है अर्थात पढ़ते ही आँखों के सामने दृश्य आ जाता है। इनकी लघुता मधुमक्खी के डंक के समान है जो देखने में छोटा होता है मगर जहाँ वह डंक मार देती है, शरीर के उस अंग पर गहरा घाव बन जाता है।