स्पर्श भाग 2

Book: स्पर्श भाग 2

Chapter: 6. Mahadevi Verma - Madhur Madhur Mere Deepak Jal

Subject: Hindi - Class 10th

Q. No. 1 of Exercise

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निम्नलिखित प्रश्नों के उत्तर दीजिए-

कवयित्री को आकाश के तारे स्नेहहीन से क्यों प्रतीत हो रहे हैं?

कवयित्री आकाश के तारों की तुलना संसार के मनुष्यों से कर रही हैं। उनका मानना है कि बिना तेल के जलते तारों के समान मनुष्य भी अहंकार वश बिना स्नेह रूपी तेल के जल रहे हैं। ये लोग आपस में ईर्ष्या-द्वेष की अग्नि में जल रहे हैं। इनमें आपसी प्रेम का घोर अभाव है। ये आकाश के तारों के समान स्नेहहीन हैं। जिस प्रकार तारे स्नेह रूपी तेल के बिना भी निरंतर जलते रहते हैं उसी प्रकार संसार में मनुष्य भी आपस में स्नेह के बगैर ईर्ष्या और द्वेष की अग्नि में जल रहे हैं।


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