Listen NCERT Audio Books - Kitabein Ab Bolengi
निम्नलिखित प्रश्नों के उत्तर दीजिए-
‘आत्मत्राण’ शीर्षक की सार्थकता कविता के संदर्भ में स्पष्ट कीजिए?
कवि रविन्द्रनाथ ठाकुर की बांग्ला भाषा की प्रस्तुत कविता का अनुवाद हिन्दी साहित्यकार हजारी प्रसाद द्विवेदी ने किया है। उन्होंने इस गीत का शीर्षक ‘आत्मत्राण’ रखा है। यहाँ आत्मतत्राण का अर्थ है आत्मा का त्राण अर्थात आत्मा या मन का भय अथवा डर से निवारण| प्रस्तुत गीत में कवि ईश्वर से अपने ऊपर आने वाली विपदाओं की स्थिति में सिर्फ ईश्वर से उनका आत्म विश्वास बना रहने की कामना करते हैं। वे नहीं चाहते हैं कि ईश्वर की उनपर विशेष कृपा दृष्टि रहे और वे समस्याओं से बचे रहें। कवि तो चाहते हैं कि उनपर विपदाओं के आने की स्थिति में वे उन विपदाओं का सामना डटकर करें। इस प्रयोजन के सिद्धि हेतु वे इश्वर से उन्हें भयमुक्त कर देने की कामना करते हैं। करूणामय ईश्वर के आशीर्वाद में कवि को आत्मसंतुष्टि या आत्मत्रण की प्राप्ति होती है।