Listen NCERT Audio Books - Kitabein Ab Bolengi
निम्नलिखित अंशों का भाव स्पष्ट कीजिए-
हानि उठानी पड़े जगत् में लाभ अगर वंचना रही
तो भी मन में न मानूँ क्षय।
प्रस्तुत पंक्तियों में ईश्वर से कवि हर हाल में आशीर्वाद की कामना करता है। ईश्वर से वह इस हेतु प्रार्थना करता है कि इस संसार में लोगों द्वारा उन्हें ठगे जाने की स्थिति में और उन्हें सांसारिक हानि होने की स्थिति में भी वे किसी प्रकार का नुकसान नहीं देख पा रहे हैं। कवि ईश्वर के सबलता और निर्भरता के आशीर्वाद के आगे सांसारिक हानि को तुच्छ मान रहे हैं। कहने का अर्थ यह.है कि ईश्वर का आशीर्वाद ही कवि के लिए पर्याप्त है और वह इसके लिए कोई भी सांसारिक मोल चुकाने को तैयार हैं। उन्हें ईश्वर के आशीर्वाद के आगे सांसारिक हानि-लाभ की चिन्ता नहीं है। प्रस्तुत पंक्तियों का यही भाव है।