Listen NCERT Audio Books - Kitabein Ab Bolengi
निम्नलिखित के आशय स्पष्ट कीजिए-
उनका यह दृढ़ मंतव्य था कि दर्शकों की रूचि की आड़ में हमें उथलेपन को उन पर नहीं थोपना चाहिए। कलाकार का यह कर्तव्य भी है कि वह उपभोक्ता की रूचियों का परिष्कार का प्रयत्न करें।
शैलेंद्र को फार्मूला फिल्मों की तरह फिल्मों में मसाले भरने से सख्त परहेज था। वे उथली बातों को इस बहाने नहीं थोपना चाहते थे कि अधिकतर लोगों की रुचि वैसी ही उथली बातों में थी। साथ में वे ये भी मानते थे कि दर्शकों में अच्छी चीजों के प्रति संवेदनशीलता जगाना भी कलाकार का कर्तव्य होता है। कवि ने रूचियों की आड़ में कभी भी दर्शकों पर घटिया गीत थोपने का प्रयास नहीं किया। फ़िल्में आज के दौर में मनोरंजन का एक सशक्त माध्यम हैं। आजकल जिस प्रकार की फिल्मों का निर्माण होता है, उनमें से अधिकतर इस स्तर की नहीं होता कि पूरा परिवार एक साथ बैठकर देख सके। यही अंतर है एक सच्चे फिल्मकार और एक फिल्मकार में|