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कथावाचक और हरिहर काका के बीच क्या संबंध है और इसके क्या कारण हैं?
कथावाचक मिथिलेश्वर प्रस्तुत कहानी के कथाकार हैं। वे इस कहानी के मुख्य पात्र हरिहर काका के पड़ोसी रहे हैं। कथावाचक और हरिहर काका के बीच काफी आत्मीय संबंध रहे हैं। इस संबंध का इतिहास बहुत पुराना है। यह तब की बात थी जब कथावाचक अपनी बाल्यावस्था में हरिहर काका के कंधों पर झूला करते थे। ऐसी बात कथावाचक की मां उन्हें बताती आईं हैं कि किस प्रकार उन्हें बचपन में हरिहर काका अपने कंधों पर बैठा कर घुमाया करते थे। हरिहर काका का कथावाचक से कोई रक्त संबंध या खून का रिश्ता नहीं था। कहने का अर्थ है कथावाचक हरिहर काका से भावनात्मक तौर पर जुड़े थे। उनका बचपन से ही काका के घर जाना-आना था। वे काका के शुभचिंतक थे यानि वे काका का हमेशा भला सोचते थे और उनके सुख-दुख में वैचारिक भागीदारी को इच्छुक रहते थे।