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हरिहर काका को महंत और अपने भाई एक ही श्रेणी के क्यो लगने लगे?
कथावाचक हमें बताते हैं कि महंत और उनके भाई किस प्रकार हरिहर काका के जमीन के टुकड़े की लालच में उनके साथ क्रूरतापूर्वक व्यवहार करते हैं। वास्तव में हरिहर काका की चार भाइयों की सम्मिलित 60 बीघे की जमीन में 15 बीघा जमीन उनके अपने हिस्से में आती है। हरिहर काका अपनी कोई संतान नहीं होने और अपनी दोनों पत्नियों के मर जाने के उपरांत अपने भाइयों और उनके परिवार के बीच ही रहते हैं। उनके भाईयों का तो उनके प्रति प्रेम का भाव रहता है पर भाइयों की अनुपस्थिति में उनकी पत्नियां उनका वैसा ख्याल खासकर खाने के मामले में नहीं रखतीं। काका के रुष्ट होने पर इस स्थिति का ठाकुरबारी के महंत अनुचित लाभ लेना चाहते हैं। उनके भाई भी यह सोचकर आशंकित रहते हैं कि पारिवारिक संपत्ति काका से कहीं महंत और उनके सहयोगी अपने नाम न करा लें| इस फेर में तीनों भाई काका पर शीघ्रताशीघ्र जमीन तीनों भाइयों के नाम पर करा देने का दबाव डालते हैं। इस उपक्रम में काका को पहले महंत और उनके आदमी शारीरिक क्षति पहुंचाते हैं और उनके अपने भाई इस मामले में यानि काका पर बल प्रयोग करने के मामले में महंत से कहीं आगे निकल जाते हैं। इन्हीं कारणों से हरिहर काका को महंत और उनके अपने भाई एक ही श्रेणी के लगते हैं।