संचयन भाग 2

Book: संचयन भाग 2

Chapter: 1. Mithileshwar - Harihar Kaka

Subject: Hindi - Class 10th

Q. No. 7 of Exercise

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कहानी के आधार पर स्पष्ट कीजिए कि लेखक ने ये क्यो कहा, “अज्ञान की स्थिति मे ही मनुष्य मृत्यु से डरते हैं| ज्ञान होने के बाद तो आदमी आवश्यकता पडने पर मृत्यु को वरण करने के लिए तैयार हो जाता है।“

प्रस्तुत कहानी में लेखक का ऐसा कहना उचित है। हम काका के इस ज्ञान को उनकी सांसारिक मोह माया से घिरा हुआ होने पर पाते हैं। वास्तव में कहानी के मुख्य पात्र हरिहर काका की कोई संतान नहीं है। उनकी दोनोँ पत्नियों के गुजर जाने के बाद वे अपने भाइयों के परिवार में ही घुलमिल कर रहने को इच्छुक हैं। काका इस हेतु अपने हिस्से की जमीन की उपज का कोई हिसाब अपने भाइयों से नहीं मांगते हैं। वहीं दूसरी ओर उनके भाइयों का परिवार खाने तक के मामलों में काका की अवहेलना करता है और समय-समय पर उनकी अनदेखी करता है। ठाकुरबारी का महंत काका के सहयोग के बदले काका की जमीन को मंदिर के नाम करने का सुझाव देता है। जमीन के लोभ में काका के भाई और ठाकुरबारी के महंत काका को काफी शारीरिक और मानसिक क्षति पहुंचाते हैं। वे अपने क्रूरतापूर्ण व्यवहार से काका के मन में बैठे मोहरूपी अज्ञान की हत्या कर देते हैं। अब हमारे सामने नये काका अवतरित होते हैं। यह नया काका संसार के मोहरूपी बंधन से बिल्कुल स्वतंत्र हो चुका है। उन्हें अब दुनियादारी की पूरी समझ आ गयी है और इसी कारण से सभी प्रकार के बंधनों से आजाद होकर काका के मन से मृत्यु का भय भी निकल जाता है। अब संसार के बारे में वास्तविक ज्ञान होने पर काका इस संसार, समाज एवं पारिवारिक बंधनों से काफी निराश हो जाते हैं। अब काका को अंततः ज्ञान ही गया है कि इस दुनियादारी एवं मोह-माया रुपी जिंदगी से बेहतर तो मृत्यु का वरण करना है|


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